30 July 2021 Current affairs

केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली में शामिल होंगे गैर-बैंक PSPs

चर्चा में क्यों

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने गैर-बैंक भुगतान प्रणाली प्रदाताओं (PSPs) को केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली (CPS – RTGS और NEFT) में प्रत्यक्ष सदस्य के रूप में भाग लेने की अनुमति दी है।

चरणबद्ध तरीके से अनुमति:

  • पहले चरण में प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई), कार्ड नेटवर्क और व्हाइट लेबल एटीएम (डब्ल्यूएलए) ऑपरेटरों जैसे पीएसपी को एक्सेस की अनुमति होगी।
  • गैर-बैंकों द्वारा स्थापित एवं उनके स्वामित्व वाले और संचालित एटीएम को WLAs कहा जाता है।
  • वर्तमान में केवल बैंक और चुनिंदा गैर-बैंक जैसे- नाबार्ड (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट) और एक्ज़िम बैंक (एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ऑफ इंडिया) को RBI के स्वामित्व वाले सीपीएस – एनईएफटी तथा आरटीजीएस तक पहुँच की अनुमति है।

गैर-बैंकों के लिये अलग IFSC:

  • इसका अर्थ है गैर-बैंकों को एक अलग भारतीय वित्तीय प्रणाली कोड (IFSC) का आवंटन, RBI के साथ अपने कोर बैंकिंग सिस्टम (ई-कुबेर) में एक चालू खाता खोलना और आरबीआई के साथ एक निपटान खाता बनाए रखना।
  • IFSC 11 अंकों का कोड है जो उन व्यक्तिगत बैंक शाखाओं की पहचान करने में मदद करता है जो NEFT और RTGS जैसे विभिन्न ऑनलाइन मनी ट्रांसफर विकल्पों में भाग लेते हैं।
  • कोर बैंकिंग सिस्टम एक ऐसा समाधान है जो बैंकों को 24×7 आधार पर कई ग्राहक-केंद्रित सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
  • इसका अर्थ भारतीय वित्तीय नेटवर्क (INFINET) की सदस्यता और CPS के साथ संवाद करने के लिये संरचित वित्तीय संदेश प्रणाली (SFMS) का उपयोग भी है।
  • INFINET एक ‘बिना सदस्यता वाला उपयोगकर्त्ता समूह’ (CUG) नेटवर्क है जिसमें RBI, सदस्य बैंक और वित्तीय संस्थान शामिल हैं।
  • SFMS अंतर-बैंक वित्तीय संदेश और सीपीएस के लिये प्रमुख प्रणाली है।

महत्त्व:

  • भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के जोखिम को कम करना:
  • गैर-बैंकों के लिये ‘केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली’ तक सीधी पहुँच भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में समग्र जोखिम को कम कर सकती है।

भुगतान की लागत में कमी:

  • यह गैर-बैंकों को भुगतान की लागत में कमी, बैंकों पर निर्भरता में कमी, भुगतान पूरा करने में लगने वाले समय में कमी जैसे लाभ भी प्रदान करता है।
  • निधि निष्पादन में विफलता या विलंब में कमी:
  • गैर-बैंक संस्थाओं द्वारा प्रत्यक्ष लेन-देन शुरू करने और संसाधित किये जाने पर फंड ट्रांसफर के निष्पादन में विफलता या देरी के जोखिम से भी बचा जा सकता है।

कार्यक्षमता में बढ़ोतरी और बेहतर जोखिम प्रबंधन

  • गैर-बैंक संस्थाएँ परिचालन समय के दौरान अपने चालू खाते से RTGS निपटान खाते में और RTGS निपटान खाते से अपने चालू खाते में हस्तांतरित करने में सक्षम होंगी।
  • यह दक्षता और नवाचार में बढ़ोतरी तथा डेटा सुरक्षा के मानकों में सुधार करने के साथ-साथ बेहतर जोखिम प्रबंधन में भी सहायता करेगी।

केंद्रीकृत और विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणाली

  • भारत में केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली में रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) प्रणाली और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (NEFT) प्रणाली तथा किसी भी अन्य प्रणाली के रूप में शामिल होंगे जिस पर समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्णय लिया जा सकता है।
  • RTGS: यह लाभार्थियों के खाते में वास्तविक समय पर धनराशि के हस्तांतरण की सुविधा को सक्षम बनाता है और इसका प्रयोग मुख्य तौर पर बड़े लेन-देनों के लिये किया जाता है।
  • यहाँ ‘रियल टाइम’ अथवा वास्तविक समय का अभिप्राय निर्देश प्राप्त करने के साथ ही उनके प्रसंस्करण (Processing) से है, जबकि ‘ग्रॉस सेटलमेंट’ या सकल निपटान का तात्पर्य है कि धन हस्तांतरण निर्देशों का निपटान व्यक्तिगत रूप से किया जाता है।
  • NEFT: यह एक देशव्यापी भुगतान प्रणाली है, जो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से धन के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करती है।
  • इसका उपयोग आमतौर पर 2 लाख रुपए तक के फंड ट्रांसफर के लिये किया जाता है।
  • विकेंद्रीकरण भुगतान प्रणाली में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समाशोधन व्यवस्था [चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS)] के साथ-साथ अन्य बैंक [एक्सप्रेस चेक क्लियरिंग सिस्टम (ECCS) केंद्रों की जाँच] और किसी अन्य प्रणाली के रूप शामिल होंगे जिसमें समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्णय लिया जाएगा।

ई-कुबेर

  • यह भारतीय रिज़र्व बैंक का कोर बैंकिंग समाधान है जिसे वर्ष 2012 में पेश किया गया था।
  • इस प्रकार केंद्रीकरण वित्तीय सेवाओं हेतु सुविधा मुहैया कराता है। कोर बैंकिंग समाधान (CBS) का उपयोग करके ग्राहक अपने खातों को किसी भी शाखा से, किसी भी जगह से एक्सेस कर सकते हैं।
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) सहित वाणिज्यिक बैंकों की लगभग सभी शाखाओं को कोर-बैंकिंग के दायरे में लाया गया है।
  • ई-कुबेर प्रणाली को या तो INFINET या इंटरनेट के द्वारा एक्सेस किया जा सकता है।

अर्थ ओवरशूट डे

चर्चा में क्यों?

  • वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) के अनुसार, मानव प्रजाति ने पुनः उन सभी जैविक संसाधनों का उपयोग 29 जुलाई, 2021 तक कर लिया है जो पृथ्वी पर संपूर्ण वर्ष के लिये निर्धारित किये गए हैं।
  • मानव प्रजाति वर्तमान में पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र द्वारा उत्पादित 74% अधिक जैविक संसाधनों का उपयोग करती है, जिसका अर्थ है कि हम प्राकृतिक संसाधनों का 1.75 गुना अधिक तेज़ी से प्रयोग कर रहे हैं।
  • अर्थ ओवरशूट दिवस से लेकर वर्ष के अंत तक मानव प्रजाति पारिस्थितिक घाटे की स्थिति में रहती है।

क्या होता है ‘Earth Overshoot Day’ ?

  • यह दिन उस तारीख को चिह्नित करता है जब किसी दिये गए वर्ष में पारिस्थितिक संसाधनों (उदाहरण के लिये मछली और जंगल) तथा सेवाओं के संदर्भ में मानव प्रजाति की मांग उसी वर्ष के दौरान पृथ्वी पर पुनः उत्पादन किये जा सकने वाले संसाधनों की मात्रा से अधिक होती है।

इतिहास:-

  • अर्थ ओवरशूट डे की अवधारणा पहली बार यूके थिंक टैंक न्यू इकोनॉमिक्स फाउंडेशन के एंड्रयू सिम्स द्वारा प्रस्तुत की गई थी, जिसने वर्ष 2006 में ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क के साथ मिलकर पहला ग्लोबल अर्थ ओवरशूट डे अभियान को शुरू किया था।
  • ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क:– वर्ष 2003 में स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है। इसकी प्रमुख रणनीति मज़बूत पारिस्थितिक पदचिह्न डेटा उपलब्ध कराना है।
  • पारिस्थितिक पदचिह्न एक मीट्रिक है जो प्रकृति की पुन: उत्पन्न करने की क्षमता के विरुद्ध प्रकृति पर मानव मांग की व्यापक रूप से तुलना करता है।

गणना:-

  • अर्थ ओवरशूट डे की गणना ग्रह की जैव क्षमता (उस वर्ष पृथ्वी द्वारा उत्पन्न पारिस्थितिक संसाधनों की मात्रा) को मनुष्यों के पारिस्थितिक पदचिह्न (उस वर्ष के लिये मानवता की मांग) से विभाजित करके तथा 365 से गुणा करके, एक वर्ष में दिनों की संख्या की गणना द्वारा की जाती है
  • (पृथ्वी की जैव क्षमता/मानवता का पारिस्थितिक पदचिह्न) x 365 = अर्थ ओवरशूट डे।

कारण:

  • इस वर्ष ओवरशूट डे की वापसी का प्रमुख कारण वर्ष 2020 के दौरान वैश्विक कार्बन फुटप्रिंट में 6.6% की वृद्धि थी।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कार्बन फुटप्रिंट जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की मात्रा पर लोगों की गतिविधियों के प्रभाव की एक माप है और इसे टन में उत्पादित CO2 उत्सर्जन के भार के रूप में व्यक्त किया जाता है।
  • अमेज़न वर्षावनों की कटाई में वृद्धि के कारण ‘वैश्विक वन जैव क्षमता’ में भी 0.5% की कमी आई थी। अकेले बाज़ील जो कि अमेज़न वर्षावनों का सबसे बड़ा क्षेत्र है, में लगभग 1.1 मिलियन हेक्टेयर वर्षावन समाप्त हो गए।

पूर्वानुमान:-

  • वर्ष 2021 में वनों की कटाई में साल-दर-साल 43% की वृद्धि होगी।
  • इस वर्ष परिवहन के कारण होने वाला कार्बन फुटप्रिंट महामारी पूर्व स्तरों की तुलना में कम होगा।
  • सड़क परिवहन और घरेलू हवाई यात्रा से होने वाला CO2 उत्सर्जन वर्ष 2019 के स्तर से 5% कम होगा।
  • अंतर्राष्ट्रीय उड्डयन के कारण CO2 उत्सर्जन वर्ष 2019 के स्तर से 33% कम होगा। लेकिन अर्थव्यवस्थाओं द्वारा कोविड-19 के प्रभाव से उबरने की कोशिश के चलते वैश्विक ऊर्जा से संबंधित CO2 उत्सर्जन पिछले वर्ष की तुलना में 4.8% बढ़ जाएगा।
  • वैश्विक रूप से कोयले का उपयोग कुल कार्बन फुटप्रिंट का 40% होने का अनुमान है।

सुझाव या उपाय

  • यदि विश्व ओवरशूट डे (World Overshoot Day) की तारीख को पीछे किया जाए तो सामान्य रूप से व्यवसाय का परिदृश्य काम नहीं करेगा।
  • कई उपाय किये जा सकते हैं जैसे कि भोजन की बर्बादी को कम करना, भवनों के लिये वाणिज्यिक प्रौद्योगिकियाँ, औद्योगिक प्रक्रियाएँ और बिजली उत्पादन तथा परिवहन में कटौती करना।

संबंधित वैश्विक पहल:

कॉन्फरेंस ऑफ पार्टीज़ (COP):-

  • लगभग तीन दशकों से संयुक्त राष्ट्र (UN) COP नामक वैश्विक जलवायु शिखर सम्मेलन के लिये पृथ्वी
  • पर लगभग हर देश को साथ लाने का काम कर रहा है।
  • तब से जलवायु परिवर्तन एक मामूली मुद्दे से वैश्विक प्राथमिकता बन गया है।
  • इस वर्ष यह 26वाँ वार्षिक शिखर सम्मेलन होगा जिसे COP26 नाम दिया जाएगा जिसका आयोजन UK के ग्लासगो में होगा।

पेरिस समझौता:-

  • यह जलवायु परिवर्तन पर कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय संधि है।
  • इसे दिसंबर 2015 में पेरिस में हुए COP21 में 196 पार्टियों द्वारा अपनाया गया था और नवंबर 2016 में लागू हुआ था।
  • इसका लक्ष्य पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे अधिमानतः 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना है।

शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक

  • हाल ही में दुशांबे, ताजिकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक हुई।
  • बैठक को संबोधित करते हुए भारत के रक्षामंत्री ने कहा कि भारत एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण क्षेत्र बनाने तथा बनाए रखने में मदद करने के लिये एससीओ ढाँचे के भीतर काम करने हेतु प्रतिबद्ध है।

रक्षामंत्री के संबोधन की प्रमुख विशेषताएँ:

  • आतंकवाद अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिये सबसे गंभीर खतरा है तथा आतंकवाद के किसी भी कृत्य का समर्थन मानवता के खिलाफ अपराध है।
  • भारत आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से लड़ने के अपने संकल्प की पुष्टि करता है।
  • भारत की भू-रणनीतिक स्थिति इसे “यूरेशियन भूमि शक्ति” (Eurasian Land Power) के साथ-साथ भारत-प्रशांत में एक हितधारक बनाती है।
  • महामारी, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, जल सुरक्षा और संबंधित सामाजिक व्यवधान जैसी गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियाँ राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य को प्रभावित कर सकती हैं।
  • कोविड-19 महामारी से निपटने में भारत अपनी वैक्सीन कूटनीति के माध्यम से देशों को सहायता पहुँचाने में सबसे आगे रहा है।
  • आपदा प्रबंधन अवसंरचना पर अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन को लेकर भारत की पहल भी इस बात का एक उदाहरण थी कि कैसे देश मानवीय सहायता और आपदा राहत मुद्दों से निपटने के लिये क्षमताओं के निर्माण तथा उन्हें साझा करने हेतु एक साथ आ रहे थे।

शंघाई सहयोग संगठन:-

  • इसकी स्थापना वर्ष 2001 में शंघाई में रूस, चीन, किर्गिज़ गणराज्य, कज़ाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा एक शिखर सम्मेलन में की गई थी।
  • वर्तमान में इसके सदस्य देशों में कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान शामिल हैं।
  • भारत को वर्ष 2005 में इसका पर्यवेक्षक बनाया गया था।
  • वर्ष 2017 में भारत और पाकिस्तान इसके स्थायी सदस्य बने।

किशोर न्याय संशोधन विधेयक 2021

• किशोर न्याय 2015 के स्थान पर राज्यसभा द्वारा पारित

विधेयक में प्रस्तावित प्रमुख संशोधन

  • भारतीय दंड संहिता व किसी अन्य कानून के तहत 3 से 7 वर्ष तक की सजा वाले अपराधों को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
  • न्यूनतम सजा की अवधि या तो निर्धारित नहीं की गई है या तो 7 वर्ष से कम होगी।
  • इस विधेयक के अंतर्गत 3 से 7 वर्ष की सजा वाले अपराध संगेय या गैर जमानती होगी।
  • जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित गोद लेने के आदेश से व्यथित कोई भी व्यक्ति 30 दिन के भीतर संभागीय आयुक्त के समक्ष अपील कर सकता है।
  • सभी सुनवाई बाल न्यायालय में की जाएगी।

बाल कल्याण समिति में निम्न व्यक्तियों को शामिल नहीं किया जाएगा।

  • मानव अधिकार एवं बाल उल्लंघन का दोषी।
  • नैतिक अक्षमता से जुड़े अपराध का दोषी।
  • केंद्र अथवा राज्य सरकार की सेवा से बर्खास्त किया गया व्यक्ति।
  • जिले के बाल देखभाल संस्थान के प्रबंधन का सदस्य।

सदस्यों को हटाना

  • बिना किसी वैध कारण के लगातार तीन महीने तक अथवा 1 वर्ष में 3 चौथाई से कम बैठकों में उपस्थित होने में विफल रहने के स्थिति में राज्य सरकार द्वारा जांच के बाद हटा दिया जाएगा।

किशोर न्याय अधिनियम 2015

  • इसे किशोर न्याय अधिनियम 2000 के स्थान पर लाया गया था।
  • जघन्य अपराधों में संलिप्त 16 से 18 वर्ष के किशोरों पर भी वयस्कों की तरह मुकदमा चलाने की अनुमति।
  • केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) नामक वैधानिक निकाय का गठन।
  • यह अनाथ बच्चों के पालन पोषण देखभाल व उन्हें गोद लेने के संदर्भ में एक नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा।

जीवन बीमा और ऋण गारंटी निगम ( DICGC) विधेयक- 2021

चर्चा में क्यों

 हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने DICGC -2021 की मंजूरी प्रदान की है। 
  • पंजाब एवं महाराष्ट्र को ऑपरेटिव बैंक, यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक आज की विफलता ने भारतीय बैंकों में ग्राहकों द्वारा जमा राशि के विरुद्ध बीमा के अभाव को लेकर एक बार पुनः बहस शुरू कर दी है।

प्रमुख बिंदु

  • धन विधेयक बैंकिंग प्रणाली में जमा कर्ताओं के जमा मूल्य को कवर करेगा।
  • इसमें सभी प्रकार के बैंक शामिल होंगे।
  • अधिस्थगन ऋण के भुगतान में देरी की कानूनी रूप से अधिकृत अवधि है।

बीमा कवर

  • यह आरबीआई द्वारा लाए गए स्थगन के तहत बैंक आगमन की स्थिति को 90 दिनों के भीतर एक खाता भारत की ₹500000 तक की धनराशि प्रदान करेगा।
  • बैंक में ग्राहक सेवा ( 2011) पर दामोरन समिति ने यह राशि एक लाख से बढ़ाकर 500000 करने की सिफारिश की थी।
  • इस प्रक्रिया को कुल 90 दिन का समय दिया गया है।
  • यह जमा बीमा प्रीमियर को तुरंत 20% और अधिकतम 50% तक बढ़ाने की अनुमति देता है।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी 

सुरजीत गुप्ता – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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