फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) विधेयक 2020
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में, फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) विधेयक 2020 को लोकसभा में पारित कर दिया गया है। यह विधेयक फैक्टरिंग बिजनेस करने वाली इकाइयों के दायरे को बढ़ाता है।
‘फैक्टरिंग’ क्या है?
- ‘फैक्टरिंग’ (Factoring) एक ऐसा व्यवसाय होता है, जिसमे किसी इकाई (MSMEs की तरह) द्वारा तत्काल धन के बदले (आंशिक या पूर्ण), अपनी ‘प्राप्य राशियों या वस्तुओं (ग्राहक से बकाया रूप में हासिल होने वाली) को तीसरे पक्ष (बैंक या NBFC की तरह एक फैक्टर’) को बेचा जाता है।
स्थिति:-
- वर्तमान में, ‘फैक्टरिंग’ का अधिकांश व्यवसाय, सात ‘गैर-बैंक वित्तीय कंपनियों द्वारा प्रमुख व्यावसायिक शर्तों के माध्यम से किया जाता है।
- इन ‘गैर-बैंक वित्तीय कंपनियों’ को ‘NBFC फैक्टर’ कहा जाता है।
प्रमुख प्रावधान:-
- विधेयक में, किसी NBFC के लिए फैक्टरिंग व्यवसाय में प्रवेश करने हेतु निर्धारित सीमा को समाप्त कर दिया गया है।
- इसमें, फाइनेंसरों के दायरे को बढ़ाया गया है और अन्य गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों को भी फैक्टरिंग व्यवसाय करने तथा ‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों’ के ‘चालान’ / ‘बिल’ (invoice) में छूट के लिए ‘ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम प्लेटफॉर्म’ पर भाग लेने के अनुमति दी गई है।
- विधेयक में दोहरे वित्तीयन की संभावना से बचने के लिए, ‘चालान’ के पंजीकरण और उस पर लगाए गए शुल्क पर संतुष्टि जाहिर करने के लिए समय अवधि को कम किया गया ।
- इसमें भारतीय रिजर्व बैंक’ को ‘फैक्टरिंग व्यवसाय’ के संबंध में नियम बनाने का अधिकार प्रदान किए गए हैं।
महत्व या लाभ:-
- गैर- NBFC फैक्टर्स और अन्य संस्थाओं को फैक्टरिंग करने की अनुमति देने से छोटे व्यवसायों के लिए उपलब्ध धन की आपूर्ति में वृद्धि होने की उम्मीद है।
- इसकी वजह से ‘निधियों’ की लागत में कमी आ सकती है और ऋण की कमी से जूझ रहे छोटे व्यवसायों तक अधिक पहुंच संभव हो सकती है, जिससे उनकी प्राप्य राशियों के लिए समय पर भुगतान सुनिश्चित हो सकेगा।
- GSTN के साथ एकीकरण, सरकारी बकाया की अनिवार्य सूची और शुल्कों को सीधे जमा करने जैसे कदमों से फाइनेंसरों के बीच इस प्लेटफॉर्म की परिचालन दक्षता और स्वीकार्यता में सुधार होगा।
अफगानिस्तान में संयुक्त कार्रवाई: चीन-पाकिस्तान
- हाल ही में चीन और पाकिस्तान ने युद्धग्रस्त देश को आतंकवाद का केंद्र बनने से रोकने के लिये अफगानिस्तान में संयुक्त कार्रवाई शुरू करने का फैसला किया है।
- अफगानिस्तान से हाल ही में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद देश भर में तालिबान का तेज़ी से विस्तार हुआ है।
◆ संयुक्त कार्रवाई: इसे पाँच क्षेत्रों में रेखांकित किया गया है:-
- युद्ध के विस्तार से बचने और अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर गृहयुद्ध की स्थिति को रोकने के लिये।
- सरकार और तालिबान के बीच अंतर-अफगान वार्ता को बढ़ावा देना तथा “एक व्यापक एवं समावेशी राजनीतिक संरचना” स्थापित करना।
- आतंकवादी ताकतों का डटकर मुकाबला करना और अफगानिस्तान में सभी प्रमुख ताकतों को आतंकवाद के खिलाफ एक स्पष्ट रेखा खींचने के लिये प्रेरित करना।
- अफगानिस्तान के पड़ोसियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना और उनके बीच सहयोग के लिये एक मंच के निर्माण का पता लगाना।
- अफगान मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मिलकर काम करना।
★ भारत के लिए आगे की राह:-
- भारत की अफगान नीति एक ऐसी स्थिति में हैं; अफगानिस्तान में और उसके आसपास हो रहे ‘ग्रेट गेम’ में अपनी संपत्ति की सुरक्षा के साथ-साथ प्रासंगिक बने रहने के लिये भारत को अपनी अफगानिस्तान नीति को मौलिक रूप से पुनर्परिभाषित करना होगा।
- भारत को अपने फैसलों का पुनर्मूल्यांकन करने की ज़रूरत है और अफगानिस्तान के भविष्य के लिये सभी केंद्रीय ताकतों से निपटने हेतु अपने दृष्टिकोण को अधिक सर्वव्यापी बनाना होगा।
- इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, भारत को अपने राष्ट्रीय हित के मद्देनज़र तालिबान के साथ ‘खुली बातचीत’ शुरू करनी चाहिये क्योंकि असामंजस्य वाले आधे-अधूरे बैकचैनल परिचर्चाओं का समय समाप्त हो गया है।
- बदलती राजनीतिक व सुरक्षा स्थिति के लिये भारत को अपनी अधिकतमवादी स्थिति को अपनाने तथा तालिबान के साथ बातचीत शुरू करने के लिये और अधिक खुलेपन की नीति पर विचार करना होगा।
वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक’ के नवीनतम संस्करण में वर्ष 2021 के भारत विकास अनुमान को 12.5% (अप्रैल 2021) से घटाकर 9.5% कर दिया गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ ने अपने पूर्वानुमान में परिवर्तन करते हुए मुख्यतः दो कारकों यथा- टीकों तक पहुँच और नए कोरोना-वेरिएंट के जोखिम पर ध्यान केंद्रित किया है
भारतीय अर्थव्यवस्था:
- वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 9.5% की दर से और वर्ष 2022 में 8.5% (अप्रैल में अनुमानित 6.9% से अधिक) की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
- वर्ष 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8% का अनुमानित संकुचन देखा गया था।
- ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण भारत की विकास के अनुमान में कटौती की है, क्योंकि इसके कारण रिकवरी की गति प्रभावित हुई है और साथ ही उपभोक्ता विश्वास एवं ग्रामीण मांग को भी नुकसान पहुँचा है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था:
- वर्ष 2021 के लिये वैश्विक विकास पूर्वानुमान को 6% पर बरकरार रखा गया है और वर्ष 2022 के लिये इसके 4.9% की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
- वर्ष 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 3.3% का संकुचन हुआ था।
वैश्विक व्यापार मात्रा
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वैश्विक व्यापार की मात्रा में वृद्धि के अपने अनुमान को भी वर्ष 2021 के लिये 130 bps से बढ़ाकर 9.7% कर दिया है, वहीं वर्ष 2022 के लिये यह 50 bps बढ़कर 7% पर पहुँच गया है।
- आपूर्ति पक्ष में तेज़ी आने और वैश्विक व्यापार संभावनाओं में अपेक्षित वृद्धि से भारत को भी काफी लाभ प्राप्त होगा।
सुझाव:
सख्त बाहरी वित्तीय स्थितियाँ:
- उभरते बाज़ारों को जहाँ संभव हो ऋण परिपक्वता अवधि को बढ़ाकर और बिना बचाव वाले विदेशी मुद्रा ऋण के निर्माण को सीमित करके संभवत: सख्त बाहरी वित्तीय स्थितियों (Tighter External Financial Condition) के लिये तैयार रहना चाहिये।
समय से पूर्व सख्त नीतियों से बचना:
- केंद्रीय बैंकों को अस्थायी मुद्रास्फीति (Inflation) दबावों का सामना करने के लिये समय से पहले सख्त नीतियों से बचना चाहिये, लेकिन अगर मुद्रास्फीति के संकेत दिखाई देते हैं, तो इन्हें जल्दी प्रतिक्रिया हेतु तैयार रहना चाहिये।
स्वास्थ्य खर्च को प्राथमिकता दें:
- राजकोषीय नीति (Fiscal Policy) को स्वास्थ्य व्यय (टीका उत्पादन और वितरण बुनियादी ढाँचे, कर्मियों तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों) को बढ़ावा देने के लिये प्राथमिकता देना जारी रखना चाहिये।
- राजकोषीय नीति वह साधन है जिसके द्वारा सरकार किसी देश की अर्थव्यवस्था की निगरानी और उसे प्रभावित करने के लिये अपने खर्च के स्तर तथा कर दरों को समायोजित करती है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
- इसकी स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) के पश्चात् युद्ध प्रभावित देशों के पुनर्निमाण में सहायता के लिये विश्व बैंक (World Bank) के साथ की गई थी।
- इन दोनों संगठनों की स्थापना के लिये अमेरिका के ब्रेटन वुड्स में आयोजित एक सम्मेलन में सहमति बनी। इसलिये इन्हें ‘ब्रेटन वुड्स ट्विन्स’ (Bretton Woods Twins) के नाम से भी जाना जाता है।
- वर्ष 1945 में स्थापित IMF विश्व के 189 देशों द्वारा शासित है तथा यह अपने निर्णयों के लिये इन देशों के प्रति उत्तरदायी भी है। भारत 27 दिसंबर, 1945 को IMF में शामिल हुआ था।
IMF द्वारा जारी महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट:
- वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Global Financial Stability Report-GFSR).
- वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (World Economic Outlook).
भारत का 40वाँ विश्व धरोहर स्थल: धौलावीरा
- हाल ही में यूनेस्को ने गुजरात के धौलावीरा शहर को भारत के 40वें विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया है। यह प्रतिष्ठित सूची में शामिल होने वाली भारत में “सिंधु घाटी सभ्यता” की पहली साइट है।
चर्चा में क्यों
- भारत अब विश्व धरोहर स्थल शिलालेखों के लिये सुपर-40 क्लब में प्रवेश कर गया है।
- भारत के अलावा इटली, स्पेन, जर्मनी, चीन और फ्रांँस में 40 या अधिक विश्व धरोहर स्थल हैं।
- भारत में कुल मिलाकर 40 विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें 32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और एक मिश्रित स्थल शामिल है। रामप्पा मंदिर (तेलंगाना) भारत का 39वांँ विश्व धरोहर स्थल था।
धौलावीरा के बारे में:
- इसकी खोज वर्ष 1968 में पुरातत्त्वविद् “जगतपति जोशी” द्वारा की गई थी।
- पाकिस्तान के मोहनजोदड़ो, गनेरीवाला और हड़प्पा तथा भारत के हरियाणा में राखीगढ़ी के बाद धौलावीरा सिंधु घाटी सभ्यता (IVC) का पांँचवा सबसे बड़ा महानगर है।
- धौलावीरा “कर्क रेखा” पर स्थित है।
- यह कच्छ के महान रण में कच्छ रेगिस्तान वन्यजीव अभयारण्य में “खादिर बेट द्वीप” पर स्थित है।
- गुजरात में धौलावीरा के अलावा 3 अन्य यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं।
- अहमदाबाद का ऐतिहासिक शहर ,रानी की वाव तथा
- चंपानेर और पावागढ़ी
रूस का नौका माड्यूल
चर्चा में क्यों
हाल ही में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोसकॉसमॉस ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन ( ISI) में नौका नाम की अपनी सबसे बड़ी अंतरिक्ष प्रयोगशाला लांच की है।
• इस मिशन को क्रु-2 मिशन के नाम से भी जाना जाता है।
नौका मॉड्यूल
- नौका का अर्थ विज्ञान है , इसमें ऑक्सीजन जनरेटर, रोबोट कार्गो क्रेन , एक शौचालय तथा अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बिस्तर शामिल है।
- इसे कक्षा में भेजने के लिए प्रोटॉन राकेट का प्रयोग किया गया।
- यह मिशन 2001 सितंबर में भेजे गए पर्स मिशन का स्थान लेगा।
महत्व
- यहां ISS के रहने योग्य आयतन को बढ़ाकर 70 घन मीटर कर देगा।
- यहां अंतरिक्ष यात्रियों को रहने और कार्गो स्टोर के लिए प्रयोग किया जाएगा।
- भविष्य में यह “साइंस फैसिलिटी” के रूप में काम करेगी।
- यह सच में गुरुत्वाकर्षण से संबंधित अनुसंधानों को बढ़ावा देगा।
नवौचालन के लिए समुद्री सहायता विधेयक – 2021
- प्रकाश स्तम्भ अधिनियम 1927 के स्थान पर संसद द्वारा अभी हाल ही में पारित।
पृष्ठभूमि
- 1927 का अधिनियम पोत यातायात सेवा के रूप में नौवहन में सहायता तथा नौकाओं को खतरनाक क्षेत्रों में चेतावनी देने से संबंधित है।
वर्तमान विधायक की विशेषताएं
- वैश्विक सर्वोत्तम प्रभाव और तकनीकी विकास को शामिल करना।
- विधायी ढांचे को उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाना।
- व्यापकता वह सुगमता को बढ़ावा देना।
- नव संचालन क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय दायित्व को निभाने में भारत को सफल बनाना।
- यह कानून विशेष आर्थिक क्षेत्र सहित लागू होगा।
टीम रूद्रा
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
सुरजीत गुप्ता – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।