सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC)
उपयोग:-
- किसी देश में सामाजिक लाभ और अन्य लक्षित भुगतानो के लिए उपयोग हेतु ‘उद्देश्य के लिए उपयुक्त’ (fit- for -purpose ‘money) ऐसे मामलों में केंद्रीय बैंक द्वारा आशायित लाभार्थियों के लिए पूर्व-क्रमादेशित सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी का भुगतान किया जा सकता है जो केवल एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए मान्य होगी।
- विदेशों से देश में शीघ्रता से रकम भेजने के लिए का उपयोग किया जा सकता है ।
3.सीबीडीसी की मदद से भारत में सूचना, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs)को तत्काल रीडर देना भी संभव हो सकता है।
सीबीडीसी की आवश्यकता:–
- एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा बिना किसी इंटरनेट बैंक सेटेलमेंट के रियल टाइम भुगतान को सक्षम करते हेतु मुद्रा प्रबंधन की लागत को कम करेगी।
- इसके माध्यम से काफी हद तक नगदी के उपयोग को उससे सीबीडीसी द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है तथा कागजी मुद्रा की छपाई, परिवहन और भंडारण की लागत को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- क्योंकि इस व्यवस्था के तहत व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को मुद्रा अंतरण केंद्रीय बैंक की जिम्मेदारी होगी। अतः अंतर – बैंक निपटान / इंटर – Bank सेटलमेंट की जरूरत समाप्त हो जाएगी।
सीबीडीसी या राष्ट्रीय डिजिटल मुद्रा क्या है?
- सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) या राष्ट्रीय डिजिटल करेंसी, किसी देश की साख मुद्रा का डिजिटल रूप होती है इसके लिए कागजी मुद्रा या सिक्कों की ढलाई करने के बजाय केंद्रीय बैंक इलेक्ट्रॉनिक टोकन जारी करता है इस सांकेतिक टोकन को सरकार का पूर्ण विश्वास और साख का समर्थन हासिल होता है
राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक
हाल ही में, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री द्वारा खाद्य सुरक्षा के पांच मानकों पर राज्यों के प्रदर्शन को मापने के लिए FSSAI का तीसरा ‘राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक’ जारी किया गया।
सूचकांक के प्रमुख बिंदु:-
- वर्ष 2020-21 की रैंकिंग के आधार पर नौ प्रमुख राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को उनके प्रभावशाली प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया।
- इस वर्ष बड़े राज्यों में गुजरात शीर्ष पायदान पर रहा और उसके बाद केरल एवं तमिलनाडु का स्थान रहा।
- छोटे राज्यों में गोवा शीर्ष पायदान पर रहा और उसके बाद मेघालय एवं मणिपुर का स्थान रहा।
- केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू-कश्मीर, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और नई दिल्ली शीर्ष स्थान हासिल किए।
‘सूचकांक’ के बारे में:-
- पहला राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक, वर्ष 2018-19 के लिए 7 जून 2019 को ‘विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस’ के अवसर पर घोषित किया गया था।
राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक के पांच मानक निम्नलिखित हैं:-
- मानव संसाधन और संस्थागत डेटा,
- अनुमति / अनुपालन,
- खाद्य परीक्षण- बुनियादी ढांचा एवं निगरानी,
- प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण, तथा
- उपभोक्ता अधिकारिता।
भारतनेट परियोजना
- हाल ही में, मेघालय मंत्रिमंडल द्वारा राज्य में ‘भारतनेट परियोजना’ के कार्यान्वयन हेतु एक त्रिपक्षीय समझौते में संशोधन को मंजूरी प्रदान कर दी गयी है।
- इस समझौते पर, पहली बार वर्ष 2013 में ‘दूरसंचार विभाग’ (DoT), मेघालय सरकार के आईटी विभाग और भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (BBNL) के बीच हस्ताक्षर किए गए थे।
भारतनेट के बारे में:-
- मूल रूप से इस परियोजना को, अक्तूबर 2011 में ‘नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क’ (NOFN) के रूप में शुरू किया गया था और वर्ष 2015 में इसका नाम बदलकर ‘भारतनेट’ कर दिया गया।
- इसका उद्देश्य, ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से 5 लाख ग्राम पंचायतों को इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करना है।
- इस परियोजना का लक्ष्य, ग्रामीण भारत में ई-गवर्नेंस, ई-स्वास्थ्य, ई-शिक्षा, ई-बैंकिंग, इंटरनेट और अन्य सेवाओं के वितरण को सुगम बनाना है।
- यह ‘भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड’ (BBNL) द्वारा कार्यान्वित एक प्रमुख मिशन है।
कार्यान्वयन:”
- यह परियोजना, ‘केंद्र-राज्य सहयोग परियोजना’ है, जिसमें ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क की स्थापना के लिए राज्यों को अपने अनुसार कार्य करने का अधिकार दिया गया है।
- संपूर्ण परियोजना को, ‘यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड’ (USOF) द्वारा वित्तपोषित किया जा रहा है।
नासा का वाईपर मिशन
हाल ही में, नासा द्वारा ‘वोलाटाइल्स इंवेस्टिगेटिंग पोलर एक्सप्लोरेशन रोवर ‘(Volatiles Investigating Polar Exploration Rover– VIPER) के लिए ‘लैंडिंग साइट’ का चुनाव कर लिया गया है।
पृष्ठभूमि:
- नासा ने वर्ष 2023 में, ‘वोलाटाइल्स इंवेस्टिगेटिंग पोलर एक्सप्लोरेशन रोवर ‘(Volatiles Investigating Polar Exploration Rover– VIPER) / वाईपर मिशन लांच करने की घोषणा की थी।
- नासा द्वारा इस मिशन को शुरू करने का उद्देश्य यह पता करना है, कि क्या चंद्रमा पर स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए वहां मानव जीवन संभव हो सकता है?
मिशन के बारे में:
- VIPER एक मोबाइल रोबोट है।
- यह किसी अन्य खगोलीय पिंड पर, उसके संसाधनों का मानचित्रण करने हेतु भेजा जाने वाला पहला मिशन है।
- नासा की वाणिज्यिक लूनर पेलोड सर्विसेज (Commercial Lunar Payload Services – CLPS) 100 दिनों के इस मिशन के लिए प्रक्षेपण वाहन और लैंडर उपलब्ध कराएगी।
मिशन के उद्देश्य:
- चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र का अन्वेषण करना।
- चंद्रमा पर उपलब्ध संसाधनों का मानचित्र बनाने में सहायता करना।
- पानी की सांद्रता के साथ-साथ चंद्रमा की सतह पर अन्य संभावित संसाधनों का आंकलन करना।
मिशन का महत्व:
- VIPER के निष्कर्षों से “आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत भविष्य में लैंडिंग साइटों के लिए, उन जगहों का निर्धारण करने में मदद मिलेगी, जहाँ पर अंतरिक्ष यात्रिओं के लिए, उनके प्रवास के दौरान पानी और अन्य जीवन के लिए आवश्यक संसाधनों का उपयोग किया जा सके।
असम– मिजोरम सीमा विवाद
हालिया घटनाक्रम:
- 26 जुलाई को ‘असम और मिजोरम’ राज्यों के पुलिस बलों के मध्य हुई गोलीबारी में असम के छह पुलिसकर्मी और एक नागरिक की मौत हो गई और 60 अन्य व्यक्ति घायल हो गए थे।
असम सरकार के अनुसार, यह गोलीबारी एकतरफा और अकारण की गयी, जबकि मिजोरम सरकार का कहना है, कि उन्होंने असम पुलिस की आक्रामकता का जवाब दिया था।
विवाद की उत्पत्ति:
- दोनों राज्यों के मध्य 164.6 किलोमीटर की एक अस्थिर सीमा हैं, और इनके मध्य चला आ रहा संघर्ष दशकों पुराना है।
- सीमा विवाद ब्रिटिश काल के दौरान, 1875 और 1993 में जारी की गई दो अधिसूचनाओं से उपजा है:
- मिजोरम का दावा है कि ‘बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन एक्ट, 1873’ के अंतर्गत, 1875 में जारी अधिसूचना के आधार पर यह जमीन उसकी है।
- असम, इस जमीन को अपनी बताता है और इसके लिए यह, लुशाई पहाड़ियों का सीमांकन करने वाली राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1933 में जारी अधिसूचना का हवाला देता है। इसके द्वारा लुशाई पहाड़ियों और मणिपुर के बीच एक सीमा का निर्धारण किया गया।
इस प्रकार की घटनाओं का प्रभाव:
- 26 जुलाई की घटना के बाद से, असम में स्थानीय लोगों ने मिजोरम को जोड़ने वाले एकमात्र रेलवे ट्रैक को उखाड़ दिया और राष्ट्रीय राजमार्ग -306 को अवरुद्ध कर दिया गया। जिसकी वजह से मिजोरम से आने-जाने वाले नागरिकों और वस्तुओं का परिवहन प्रभावित हो रहा है।
आवश्यकता:
- दोनों राज्यों के मध्य सौहार्दपूर्ण समाधान हेतु सर्वोच्च न्यायालय से संपर्क किया जाना चाहिए।
- केंद्र सरकार की सीधी निगरानी में ‘सीआरपीएफ’ बलों द्वारा इस क्षेत्र में गश्त और निगरानी बढाई जानी चाहिए।
- हालातों को बिगड़ने से रोकने हेतु, संवेदनशील संदेशों को पोस्ट करने से बचा जाना चाहिए और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का विवेकपूर्ण उपयोग किया जाना चाहिए।
CEPA भारत UAE
हाल ही में भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने औपचारिक रूप से व्यापक आर्थिक सहयोग तथा भागीदारी समझौता पर वार्ता शुरू की है ।
प्रमुख बिंदु
- सेवाओं एवं निवेश के संबंध में व्यापार और आर्थिक साझेदारी।
- सीमा शुल्क सहयोग प्रतिस्पर्धा तथा I.P.R. पर बातचीत।
- F.T.A. को और व्यापक बनाना।
भारती – UAE आर्थिक संबंध
- 2019-20 में UAE भारत का तीसरा सबसे बड़ा भागीदार देश है।
- UAE भारत में 8th सबसे बड़ा निवेशक।
- प्रमुख निर्यात – पेट्रोलियम उत्पाद, कीमती धातुएं, पत्थर,रत्न।
- भारत – UAE – CPEA का महत्व – इस समझौते के पांच वर्षों के भीतर द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन अमेरिकी डालर सेवा क्षेत्र के व्यापार को 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर करने का अनुमान है।
लद्दाख निवासी प्रमाण पत्र आदेश
हाल ही में लद्दाख प्रशासन ने केवल क्षेत्रीय और स्थानीय निवास प्रमाण पत्र धारकों को ही निवासी प्रमाण पत्र जारी करने का निर्णय लिया है।
कोई भी व्यक्ति जिसके पास लेह और कारगिल जिलों में सक्षम पदाधिकारी द्वारा जारी स्थाई निवास प्रमाण पत्र है या उन व्यक्तियों की श्रेणी से संबंधित है। जो PCR जारी करने के लिए तत्पर है वे निवासी प्रमाण पत्र प्राप्त करने के पात्र होंगे।
प्रशासन ने सभी पदों पर सरकारी सेवाओं में प्रवेश के लिए ऊपरी आयु सीमा भी बढ़ा दी है।
लद्दाख प्रशासन के किसी विभाग या सेवा की स्थापना पर सभी अराजपत्रित पदों पर नियुक्ति के उद्देश्य से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के निवासी को अस्थाई रूप से परिभाषित करना है।
यह एक प्रकार का अधिवास प्रमाण पत्र है जो लोगों को सरकारी नौकरियों में अधिवास से संबंधित कोटा का लाभ उठाने और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पाने में मदद करता है।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
सुरजीत गुप्ता – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।