Current Affairs 14 August 2020

Current Affairs 14 August 2020

नागा फ्रेमवर्क समझौता 2015 का विवरण

  • हाल ही में नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आफ नागालैंड- आईएम (NSCN-IM) द्वारा पहली बार नागा फ्रेमवर्क समझौता 2015 का विवरण जारी किया गया।

विवाद का विषय

  • NSCN-IM द्वारा जारी किए गए समझौते में कहा गया है कि ‘संप्रभु सत्ता’ को साझा किया जाएगा तथा ‘दो इकाइयों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के समावेशी नए संबंधों’ का प्रावधान किया जाएगा।
  • हालांकि यह आरोप लगाया जाता है कि नागालैंड के गवर्नर ‘आर. एन. रवि’ ने चतुराई पूर्वक मूल दस्तावेज से ‘नए’ शब्द को हटा दिया तथा इसे ‘नागा नेशनल पॉलीटिकल ग्रुप्स’ (NNPGS) सहित अन्य नागा समूह तक प्रसारित कर दिया।

NSCN-IM की मांगे

  • ‘नया’ शब्द राजनीतिक रूप से संवेदनशील है, क्योंकि यह दो इकाइयों के मध्य शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के अर्थ को परिभाषित करता है। अतः ‘नया’ शब्द पुनः जोड़ा जाए और NSCN-IM द्वारा वर्तमान वार्ताकार को उनके पद से हटाने की मांग की गई है।

नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालीग (NSCN) का गठन

  • वर्ष 1975 में नागा नेशनल काउंसिल (NNC) ने सरकार के साथ ‘सिलांग समझौते’ पर हस्ताक्षर किए थे तथा भारतीय संविधान को स्वीकार कर लिया।
  • NNC के निर्णय से नाराज होकर पूइंगालेग मुइवा तथा खपलांग ने मिलकर 1980 में NSCN का गठन किया।
  • वर्ष 1988 में हिंसक झड़प के बाद NSCN, NSCN(IM) और NSCN(K) में विभाजित हो गया।

असम समझौते का परिच्छेद-6

  • असम आंदोलन के बाद असम समझौते के परिच्छेद-6 पर वर्ष 1985 में हस्ताक्षर किए गए थे।
  • इस परिच्छेद को ‘असम के मूल निवासियों’ के सामाजिक-राजनीतिक अधिकारों तथा संस्कृति की सुरक्षा के लिए सम्मिलित किया गया था।

असम समझौता क्या है?

  • यह भारत सरकार तथा असम आंदोलन के नेताओं के मध्य 15 अगस्त 1985 को दिल्ली में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (MoS) था।
  • असम में विस्थापित हुए सभी लोगों को पूर्ण नागरिकता देने के लिए 24 मार्च 1971 को कटऑफ तारीख के रूप में तय किया गया था। अर्थात निर्धारित तिथि के पश्चात असम में आए सभी बांग्लादेशी नागरिकों को वापस जाना होगा।

परिच्छेद-6 पर गठित उच्च स्तरीय समिति

  • समिति का गठन वर्ष 2019 में गृह मंत्रालय द्वारा किया गया था, जिसने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी।
  • समिति के अध्यक्ष उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश विप्लव कुमार शर्मा थे।
  • समिति का कार्य ‘असमिया लोगों’ को परिभाषित करना तथा उनके अधिकारों हेतु सुरक्षात्मक उपायों से संबंधित उपाय सुझाना था।

समिति की प्रमुख सिफारिशें

  • 1 जनवरी 1951 को या उससे पहले असम राज्य क्षेत्र में बसने वाले असमिया समुदाय के भाग हो
  • 1 जनवरी 1951 को या उससे पहले असम राज्य क्षेत्र में बसने वाले असमिया जनजातीय समुदाय का भाग हो
  • 1 जनवरी 1951 को या उससे पहले असम राज्य क्षेत्र में बसने वाले किसी अन्य और असमिया मूल समुदाय का भाग हो
  • 1 जनवरी 1951 को या उससे पहले असम राज्य क्षेत्र में बसने वाले भारत के अन्य सभी नागरिक तथा उपरोक्त श्रेणियों के वंशज, सभी को असमिया लोगों के रूप में मान्यता दी जाए।

समिति की सिफारिशों के निहितार्थ एवं प्रभाव

  • समिति की सिफारिशें स्वीकार किए जाने पर वर्ष 1951-71 के मध्य असम में आए प्रवासियों को ‘असम समझौते’ तथा ‘राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर’ (NRC) के तहत भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी, किंतु इन्हें ‘असमिया लोगो’ के लिए प्राप्त संरक्षोपाय अधिकार नहीं दिए जाएंगे।

बिजनेस रिस्पांसिबिलिटी रिपोर्टिंग

  • हाल ही में कारपोरेट कार्य मंत्रालय (MCA) द्वारा ‘कंपनी जवाबदेही रिपोर्टिंग’ (BRR) पर समिति की रिपोर्ट जारी की गई है।

समिति की प्रमुख सिफारिशें

  • समिति ने गैर वित्तीय मापदंडो पर रिपोर्टिंग के उद्देश्य और दायरे को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिए ‘कंपनी जवाबदेही एवं निरंतरता रिपोर्ट’ (BRSR) नामक एक नई रिपोर्टिंग रूपरेखा की सिफारिश की है।
  • BRR को MCA 21 पोर्टल के साथ एकीकृत कर दिया जाए।
  • BRSR फाइलिंग के माध्यम से प्राप्त होने वाली जानकारियों का उपयोग कंपनी के लिए एक ‘कंपनी जवाबदेही- निरंतरता सूचकांक’ विकसित करने में किया जाना चाहिए।
  • शीर्ष 1000 कंपनियों के लिए BRR पेश करना अनिवार्य कर देना चाहिए।
  • कारपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा गैर सूचीबद्ध कंपनियों के लिए BRR आवश्यक किया जा सकता है।

BRR क्या है?

  • यह किसी सूचीबद्ध कंपनी द्वारा अपने सभी हित धारकों के लिए ‘उत्तरदायी कारोबार संचालन’ प्रक्रिया अपनाने का प्रकाशन है।
  • BRR, विनिर्माण, सेवाओं आदि सहित सभी प्रकार की कंपनियों पर लागू होता है।

बाघों की संख्या में किस प्रकार वृद्धि की जा सकती है

राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास

  • वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 तथा वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 दोनों अधिनियम प्रोजेक्ट टाइगर को मजबूती तथा वैधानिक आधार प्रदान करते हैं।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक संविधिक निकाय है।
  • NTCA को 2005 में ‘टाइगर टास्क फोरम’ की सिफारिशों के पश्चात स्थापित किया गया।
  • प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत वर्ष 1973 में की गई।

अंतरराष्ट्रीय प्रयास

  • पूरे विश्व में ‘ग्लोबल टाइगर फोरम’ बाघ संरक्षण के लिए समर्पित एकमात्र अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संस्था है।
  • इसका उद्देश्य विश्व के 13 बाघ क्षेत्रों वाले देशों में पाए जाने वाले बाघों की शेष पांच उप-प्रजातियों को संरक्षित करना है।

समय की मांग

  • वन नौकरशाही की भूमिका एक बार फिर से वन्यजीव कानून प्रवर्तन तक सीमित होनी चाहिए।
  • वन्यजीव संरक्षण हेतु जारी अन्य केंद्रीय योजनाओं से प्रोजेक्ट टाइगर को संबद्ध करना।
  • बाघ संरक्षण डोमेन पर सरकार का एकाधिकार समाप्त करना।
  • निजी उद्यमों, स्थानीय समुदायों, NGO और वैज्ञानिक संस्थानों को प्रोजेक्ट टाइगर से संबद्ध करना आदि।

मानव-हाथी संघर्ष हेतु वन मंत्रालय द्वारा दिशा निर्देश

  • जंगल की आग पर नियंत्रण तथा जल स्रोतों का निर्माण कर के हाथियों को उनके प्राकृतिक आवास में केंद्रित रखना।
  • तमिलनाडु में एलीफेंट प्रूफ ट्रेंच का निर्माण करना।
  • कर्नाटक में लटकती हुई बाड़ और मलबे की दीवारें बनाई जाएंगी
  • उत्तरी बंगाल में मिर्च के धुए का उपयोग तथा असम में मधुमक्खियों या मांसाहारी जानवरों की आवाज का उपयोग किया जाएगा।
  • कर्नाटक में संरक्षण प्रयासों के तहत एक ‘हाथी गलियारा पहल’ के लिए 25.37 एकड़  निजी भूमि खरीदी गई है।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग आदि।

फैक्ट्स

  • एशियाई हाथी को IUCN रेट लिस्ट में ‘लुप्तप्राय’ (Endangered) श्रेणी में रखा गया है।
  • वन्यजीवों के प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर 13वे COP के फरवरी 2020 में गांधीनगर गुजरात में संपन्न हुए सम्मेलन में प्रवासी प्रजातियों के अभिसमय की परिशिष्ट-1 में सूचीबद्ध किया गया।
  • भारत में हाथियों की अनुमानित संख्या 29964 है जो वैश्विक आबादी का लगभग 60% है।

प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर नीति (पीएम स्वनिधि)

  संदर्भ

  • हाल ही में केंद्रीय आवास और शहरी मामलों की मंत्रालय ने जानकारी दी है कि प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि योजना के तहत 5 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं।

 क्रियान्वयऩ एजेंसी

  • इस योजना को लागू करने के लिए क्रियान्वयन एजेंसी के रूप में सीडबी (SIDBI)को सम्मिलित करते हुए आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक मध्य एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ है।

  योजना का विवरण

  • यह 50 लाख से अधिक स्ट्रीट वेंडर्स को ₹10000 तक का सस्ता ऋण प्रदान करने हेतु एक विशेष माइक्रो क्रेडिट सुविधा योजना है।
  • मार्च 2022 तक वैध
  • सुक्ष्म  एवं लघु उद्योगों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट के माध्यम से ऋण प्रदाता संस्थानों को क्रेडिट गारंटी का प्रावधान करेगा।

  योजना के अंतर्गत ऋण

  • स्ट्रीट वेंडर्स 1 वर्ष में मासिक किस्तों में चुकाने हेतु 10000 तक का सस्ता ऋण ले सकते हैं।
  • समय से पहले ऋण भुगतान करने पर 7% की सालाना ब्याज सब्सिडी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से लाभार्थियों के खाते में त्रैमासिक आधार पर जमा कर दी जाएगी।
  • ऋण के पुनर्भुगतान पर कोई जुर्माना नहीं है।

  योजना की आवश्यकता

  • लॉकडाउन से प्रभावित स्ट्रीट वेंडर्स के जीवन और उनकी आजीविका चलाने के लिए अति आवश्यक है कि उनको सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जाए।
  • स्ट्रीट वेंडर्स अनौपचारिक स्रोतों से काफी अधिक ब्याज दरों पर ऋण लेकर छोटी पूंजी लगाकर काम करते हैं।
  • स्ट्रीट वेंडर्स की बचत तथा लागत पूंजी लाकडाउन  के प्रभाव से लगभग समाप्त हो गई है।

कृषि मेघ

 संदर्भ

  • हाल ही में केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री द्वारा कृषि मेघ (राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा व्यवस्था क्लाउड इन्फ्राट्रक्चर एंड सर्विसेज) का आरंभ किया गया।

  कृषि मेघ क्या है?

  • यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का डाटा रिकवरी सेंटर है।
  • इसकी स्थापना राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के तहत
  • हैदराबाद में स्थापित

  कृषि मेघ का महत्व एवं लाभ

  • इसका निर्माण भारत में कृषि के क्षेत्र में जोखिम कम करने, गुणवत्ता बढ़ाने, ई प्रशासन की उपलब्धता और पहुंच, शोध, विस्तार एवं शिक्षा के लिए किया गया है।
  • छवि विश्लेषण के माध्यम से बीमारी और विनाशकारी कीट की पहचान, फलो की परिपक्वता और उनके पकने का पता लगाने, पशुओं आदि में बीमारी का पहचान आदि से जुड़े डीप लर्निंग वेस्ड एप्लीकेशंस के विकास और उपयोग के लिए नवीनतम कृत्रिम बुद्धिमत्ता कृषि मेघ के अंतर्गत मौजूद है।
  • यह किसानों, शोधकर्ताओं, छात्रों और नीति निर्माताओं को कृषि अनुसंधान के बारे में अद्यतन एवं नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराता है।

  राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (NAHEP)

  • NAHEP को भारत सरकार तथा विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित किया गया है।

 उद्देश्य-कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों को नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप अधिक प्रासंगिक और उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करना।

हार्नबिल

  संदर्भ

  • उपग्रह डाटा पर आधारित एक अध्ययन के अनुसार अरुणाचल प्रदेश में वनों की कटाई की उच्च दर के कारण हार्नबिल पक्षी के निवास स्थान खतरे में पड़ रहे हैं।

  प्रमुख बिंदु

  • यह अभियान 862 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले “पापुम रिजर्व फॉरेस्ट” में शुरू किया गया जो पक्के टाइगर रिजर्व के क्षेत्र में स्थित है।
  • यहां वनों की कटाई की वार्षिक दर 8.2 वर्ग किलोमीटर है।

  महत्त्व

  • पापुम रिजर्व फॉरेस्ट बड़ी रंगीन और फल खाने वाली हार्नबिल की तीन प्रजातियों-ग्रेट, पुष्पांजलि और ओरिएंटल चितकबरा का निवास स्थान है।
  • पक्के टाइगर रिजर्व में इसकी चौथी प्रजाति है रूफल नेक्ड  पाई जाती है।
  • उष्णकटिबंधीय वृक्षों के बीजों को फैलाने में अहम भूमिका निभाने के लिए ‘वन इंजीनियर’ या ‘वन किसान’के रूप में प्रसिद्ध हार्नबिल वनों की समृद्धि और संतुलन का संकेत देते हैं।

 खतरा 

  • हार्नबिल का उपयोग उनकी उपरी चोच के लिए किया जाता था।
  • अरुणाचल प्रदेश के न्यिशी के सांस्कृतिक प्रतीकों के रूप में इनके पंखों का इस्तेमाल किया जाता है।
  • फाइबरग्लास के प्रयोग के बाद संरक्षण कार्यक्रम के बाद पक्षियों के लिए खतरा काफी हद तक कम हो गया।

  भारत में हार्नबिल

  • भारत में हार्नबिल की 9 प्रजातियां हैं जिनमें-4 प्रजाति=पश्चिमी घाट पर पाई जाती है।
  • भारतीय ग्रे हार्नबिल-(भारत का स्थानिक)
  • मालाबार ग्रे हार्नबिल-(पश्चिमी घाट का स्थानिक)
  • मालाबार पाइड हार्नबिल-(भारत व श्रीलंका का स्थानिक)
  • ग्रेट हार्नबिल-(अरुणाचल और केरल का राजकीय पक्षी)
  • नारकोंडम हार्नबिल- नारकोंडम द्विप(अंडमान निकोबार)(सबसे कम संख्या)

कोविड-19 परीक्षण हेतु CSIR की “मेगा लैब”     

  संदर्भ

      कोविड-19 संक्रमण मामलों के लिए परीक्षण की सटीकता में सुधार तथा परीक्षणों में तेजी लाने के लिए “वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद -CSIR”  द्वारा “मेगा प्रयोगशालाएं” विकसित की जा रही हैं।

   महत्वपूर्ण तथ्य

  • इन प्रयोगशालाओं में नई पीढ़ी की अनुक्रमण मशीनों (NGS) का उपयोग किया जाएगा।
  • इन मशीनों से SARS- Cov-2 नोवल कोरोनावायरस का पता लगाने के लिए एक बार में 1500-3000 विषाणु जीनोम का अनुक्रमण किया जा सकेगा।

     मेगा प्रयोगशालाओं का महत्व और लाभ

  • कई मामलों में “पारंपरिक RT-PCR ( reverse transcription polymers chain reaction) परीक्षण” से वायरस संक्रमण की पहचान नहीं हो पाती है। ये नई NGS वायरस की संभावित उपस्थिति का सटीक पता लगाने में सक्षम है।

   नोट – “RT-PCR “ में SARS-COV-2 वायरस का पता लगाने के लिए वायरस के कुछ विशिष्ट अंंशो की खोज की जाती है, जबकि “जीनोम विधि” में वायरस जीनोम के एक बड़े हिस्से की जांच की जाती है जो सटीक जानकारी देता है। जीनोम विधि में वायरस के विकास का इतिहास तथा रूपांतरण को अधिक सटीकता से ट्रैक किया जा सकता है।

   जीनोम अनुक्रमण क्या है?

      यह ऐसी तकनीक होती है जो DNA या RNA के भीतर पाए जाने वाले अनुवांशिक विवरण को पढ़ने और व्याख्या करने में सक्षम बनाती है। इसके तहत डीएनए अणु के भीतर न्यूक्लियोटाइड के सटीक क्रम का पता लगाया जाता है।

एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड कार्यक्रम ( OSOWOG)

  • वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए “भारत द्वारा” वैश्विक सहयोग को सुगम बनाने हेतु OSOWOG पहल का प्रस्ताव किया गया था।

उद्देश्य – 

  • विभिन्न देशों में स्थित नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को परस्पर संबद्ध कर एक वैश्विक परिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना।
  • केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ( MNRE) की पहल है।

लक्ष्य

  • पश्चिम एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के 140 से अधिक देशों के मध्य सौर संसाधनों को साझा करने हेतु वैश्विक सहमति का निर्माण करना।

        परिकल्पना

  • “सूर्य कभी अस्त नहीं होता है” तथा यह वैश्विक रूप से किसी निश्चित समय में किसी भौगोलिक स्थान पर नियत रहता है 
  • इस पहल को विश्व बैंक के तकनीकी सहायता कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यान्वित किया जाएगा।

OSOWOG पहल के अंतर्गत संभावनाएं एवं लाभ

  • भारत वर्ष 2030 तक गैर जीवाश्म ईंधन से 40% ऊर्जा उत्पादित करने में सक्षम हो जाएगा।
  • प्रयोजना लागतो को कम करेगा और उच्च दक्षता तथा परिसंपत्तियों के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देगा।
  • इस योजना के लिए केवल वृद्धिशील निवेश की आवश्यकता होगी क्योंकि नई समानांतर ग्रिड और संरचना की आवश्यकता नहीं होगी।
  • सभी सहभागी संस्थाओं के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश को आकर्षित करने के साथ-साथ कौशल, प्रौद्योगिकी और वित्त के उपयोग में मदद करेगी।
  • आर्थिक लाभ से गरीबी उन्मूलन, जल, स्वच्छता, भोजन और अन्य सामाजिक आर्थिक चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।
  • यह पहल भारत में स्थित राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा प्रबंधन केंद्रों को क्षेत्रीय और वैश्विक प्रबंधन केंद्र के रूप में विकसित करने में सहायता करेगी।

                      Team rudra

    Abhishek Kumar Verma

    Amarpal Verma

    Krishna

    Yograj Patel 

    anil Kumar Verma

    Rajeev Kumar Pandey

    Prashant Yadav

    Dr.Sant lal 

    Sujata Singh

Geography team mppg college  ratanpura mau

  • Surjit Gupta
  • Saty Prakash Gupta 
  • Shubham Singh 
  • Akhilesh Kumar
  • Sujit Kumar Prajapti

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