राइट-टू-रिपेयर’ आंदोलन
- ‘राइट-टू-रिपेयर’ अर्थात ‘मरम्मत करने का अधिकार’, उपभोक्ताओं को अपने इलेक्ट्रॉनिक्स तथा अन्य उत्पादों की मरम्मत खुद करने हेतु सक्षम बनाता है।
- इस आंदोलन का लक्ष्य, कंपनियों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स तथा अन्य उत्पादों के स्पेयर पार्ट्स, औजार तथा इनको ठीक करने हेतु उपभोक्ताओं और मरम्मत करने वाली दुकानों को आवश्यक जानकारी उपलब्ध करवाना है, जिससे इन उत्पादों का जीवन-काल बढ़ सके और इन्हें कचरे में जाने से बचाया जा सके।
- इस आंदोलन की जड़ें 1950 के दशक में कंप्यूटर युग की शुरुआत से जुडी हुई हैं।
‘राइट-टू-रिपेयर’ के लाभ:
- मरम्मत करने वाली छोटी दुकानें स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं का एक महत्वपूर्ण भाग होती हैं, इस अधिकार को दिए जाने से इन दुकानों के कारोबार में वृद्धि होगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए लाभ होगा।
विभिन्न देशों में ‘राइट-टू-रिपेयर’ कानून:
- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा, हाल ही में, एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस आदेश में ‘फ़ेडरल ट्रेड कमीशन’ से, उपभोक्ताओं के अपनी शर्तों पर अपने उपकरण की मरम्मत करने पर निर्माताओं द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों पर लगाम लगाने के लिए कहा गया है।
- ब्रिटेन में ‘राइट-टू-रिपेयर’ नियम लागू किए गए हैं, जिनके तहत, टीवी और वाशिंग मशीन जैसे दैनिक उपयोग के उपकरणों को खरीदना और उनकी मरम्मत करना काफी आसान हो जाएगा।
आंदोलन का विरोध:
- इस आंदोलन को पिछले कुछ वर्षों में एप्पल और माइक्रोसॉफ्ट जैसे तकनीकी दिग्गजों के जबरदस्त प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है।
- इनका तर्क यह है कि, अपनी बौद्धिक संपदा को, तीसरे पक्ष की मरम्मत सेवाओं या शौकिया मरम्मत करने वालों के लिए खोलने से उनका शोषण हो सकता है और उनके उपकरणों की विश्वसनीयता और सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
- इन कंपनियों द्वारा यह तर्क भी दिया जाता है कि, इस तरह की पहल से डेटा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा को खतरा हो सकताहै।
उत्तर प्रदेश सरकार की नई जनसंख्या नीति
चर्चा में क्यों
विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) पर, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2021-2030 की अवधि के लिए एक ‘नई जनसंख्या नीति’ (New Population Policy) की घोषणा की गयी है।
- इस नई नीति में, जनसंख्या नियंत्रण में योगदान करने वालों के लिए प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया गया है।
जनसंख्या नियंत्रण विधेयक ड्राफ्ट के प्रमुख बिंदु:
नई नीति का उद्देश्य-
- कुल प्रजनन दर को, वर्तमान में प्रति हजार आबादी पर 2.7 से घटाकर वर्ष 2026 तक 2.1 और वर्ष 2030 तक 1.7 करना है।
- आधुनिक गर्भनिरोधक प्रचलन दर को, वर्तमान में 31.7% से बढ़ाकर वर्ष 2026 तक 45% और वर्ष 2030 तक 52% करना है।
- पुरुषों द्वारा उपयोग किए जाने वाले गर्भनिरोधक तरीकों को, वर्तमान में 10.8% से बढ़ाकर वर्ष 2026 तक 15.1% और वर्ष 2030 तक 16.4% करना है।
- मातृ मृत्यु दर को 197 से घटाकर 150 से 98 तक और शिशु मृत्यु दर को 43 से घटाकर 32 से 22 तक और पांच वर्ष से कम आयु के शिशुओं की मृत्यु दर को 47 से घटाकर 35 से 25 तक लाना है।
नीति के तहत केंद्रीय क्षेत्र:
- परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भनिरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाना और सुरक्षित गर्भपात के लिए उचित व्यवस्था उपलब्ध कराना।
- नवजात शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर को कम करना।
- बुजुर्गों की देखभाल और 11 से 19 साल के किशोरों की शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के बेहतर प्रबंधन की व्यवस्था करना।
नीति के तहत प्रोत्साहन:
- जनसंख्या नियंत्रण मानदंडों का पालन करने वाले तथा दो या इससे कम बच्चों वाले कर्मचारियों को पदोन्नति, वेतन वृद्धि, आवास योजनाओं में रियायतें और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
- दो बच्चे के मानक को पूरा करने वाले लोक सेवकों को उनकी पूरी सेवा के दौरान दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि, पूरे वेतन और भत्तों सहित 12 महीने का पितृत्व या मातृत्व अवकाश और ‘राष्ट्रीय पेंशन योजना’ के अंतर्गत, नियोक्ता की योगदान राशि में तीन प्रतिशत की वृद्धि प्रदान की जाएगी।
- जनसंख्या को नियंत्रण में योगदान करने वाले गैर-सरकारी कर्मचारियों को जल, आवास, गृह ऋण आदि पर करों में छूट जैसे लाभ दिए जाएंगे।
- यदि किसी बच्चे के माता-पिता द्वारा पुरुष नसबंदी का विकल्प चुनते हैं, तो उस बच्चे के लिए 20 वर्ष की आयु तक मुफ्त चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी।
- उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा, इन उपायों को लागू करने के लिए एक ‘राज्य जनसंख्या कोष’ (State Population Fund) स्थापित करने की योजना है।
जागरूकता निर्माण:
- विधेयक के मसौदा में, राज्य सरकार से सभी माध्यमिक विद्यालयों में जनसंख्या नियंत्रण को अनिवार्य विषय के रूप में शुरू करने के लिए कहा गया है।
इन उपायों की आवश्यकता:
- अधिक जनसंख्या से उपलब्ध संसाधनों पर ज्यादा दबाव पड़ता है। अतः, सभी नागरिकों को, सस्ता एवं पौष्टिक भोजन, सुरक्षित पेयजल, उपयुक्त आवास, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच, आर्थिक एवं आजीविका हेतु अवसर, घरेलू उपभोग हेतु बिजली और सुरक्षित जीवन सहित मानव जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं की उपलब्धता सुलभ होने के लिए ये उपाय अविलंब लागू करना आवश्यक है।
विधेयक से जुड़े मुद्दे और चिंताएं:
- विशेषज्ञों द्वारा, महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण को संकट में डालने वाली किसी भी जनसंख्या नीति के प्रति सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
- गर्भनिरोधक और परिवार नियोजन का बोझ महिलाओं पर असमान रूप से पड़ता है, इसे देखते हुए, इस नीति के लागू होने से महिला नसबंदी में और वृद्धि होने की संभावना है।
- भारत में पुत्र को दी जाने वाली वरीयता को देखते हुए, कड़े जनसंख्या नियंत्रण उपायों से असुरक्षित गर्भपात एवं भ्रूण हत्याओं जैसी प्रथाओं में वृद्धि हो सकती है। इस तरह के उदाहरण, अतीत में कुछ राज्यों में देखे जा चुके हैं।
नासा का वाईपर मिशन
- नासा ने 2023 में इसे लांच करने की घोषणा की है।
उद्देश्य
- चंद्रमा पर संसाधनों का पता लगाना तथा मानव जीवन संभावनाओं को खोजना।
मिशन के बारे में
- ViPER ( volatiles investigating Polar exploration river )
- यह खगोलीय पिण्डों पर संसाधनों के संसाधनों के मानचित्रण वाला पहला मिशन है।
- ViPER एक मोबाइल रोबोट है।
महत्त्व
- आर्टेमिस कार्यक्रम में सहयोग।
- भविष्य के लैंडिंग के लिए स्थान निर्धारण में।
- संसाधनों का मानचित्रण।
- जीवन की संभावना का पता लगाना।
लेमरू हाथी अभ्यारण्य
(Lemru Elephant Reserve)
चर्चा का कारण:
- सरकार द्वारा प्रस्तावित रिजर्व के क्षेत्र को 1,995 वर्ग किमी से घटाकर 450 वर्ग किमी करने की योजना बनाई जा रही है, इस वजह से लेमरू हाथी अभ्यारण्य पर विवाद उत्पन्न हो गया है।
- सरकार का कहना है कि, यदि प्रस्तावित रिजर्व के क्षेत्र को कम नहीं किया गया तो, इसमें स्थित कई कोयला खदानें अनुपयोगी हो जाएंगी।
- रिजर्व के तहत प्रस्तावित क्षेत्र, हसदेव अरण्य जंगलों के अंतर्गत आता है, जोकि समृद्ध जैवविविधता के साथ-साथ कोयले के भंडार में भी समृद्ध है।
बारे में:-
- लेमरू हाथी अभ्यारण्य, छत्तीसगढ़ में स्थापित किया जाएगा।
- इसे वर्ष 2005 में प्रस्तावित किया गया था और वर्ष 2007 में केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया।
- इस क्षेत्र में हाथियों के ओडिशा और झारखंड से छत्तीसगढ़ की ओर जाने पर होने वाले ‘मानव-वन्यजीव संघर्ष’ को रोकने के लिए यह योजना बनाई गई है।
‘ब्रायम भारतीएंसिस’
(Bryum bharatiensis)
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में, भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा अंटार्कटिका में ‘काई’ (Moss) की एक देशी प्रजाति की खोज की है।
- भारत और भारतीय अंटार्कटिक स्टेशन ‘भारती’ के नाम पर इस प्रजाति का नाम ‘बायम भारतीएंसिस’ (Bryum bharatiensis) रखा गया है।
- यह, भारतीय अंटार्कटिक मिशन के चार दशकों में खोज की गई पहली पादप प्रजाति है।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।