भारत-ताइवान संबंध और चीन
ताइवान के बारे में
- यह पूर्वी एशिया का एक द्वीप है जिसे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी एक विद्रोही क्षेत्र के रूप में देखती है।
- चीन में एक-दलीय शासन व्यवस्था है वहीं ताइवान में बहु-दलीय लोकतंत्र व्यवस्था है।
- मंदारिन (Mondaren) ताइवान में राज्यकार्यों की भाषा है।
भारत के लिए ताइवान का महत्व
- भारत संयुक्त राष्ट्र के उन 179 सदस्य देशों में से एक है जिसने ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित नहीं किया है, हालांकि भारत समेत विश्व के तकरीबन 80 देश ऐसे हैं, जिन्होंने ताइवान के साथ अनौपचारिक और आर्थिक संबंध स्थापित किए हुए हैं।
- अमेरिका द्वारा चीन को रणनीतिक ग्रुप से पछाड़ने का भरपूर प्रयास कर रहा है, इसके तहत वह ताइवान के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने का प्रयास कर रहा है। ऐसे में संभव है कि भविष्य में ताइवान पूर्वी एशिया में चीन का मुकाबला करने हेतु महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
- अमेरिका-चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध, ताइवान को चीन में स्थापित अपनी विनिर्माण इकाइयों को दक्षिण-पूर्व एशिया तथा भारत आदि में स्थानांतरित करने पर विचार के लिए मजबूर कर रहा है।
- विश्व भर में ताइवान को ‘टेक पावर’ (Tech Power) के रूप में जाना जाता है, हालांकि घटती जन्म दर और प्रवासन में वृद्धि के कारण ताइवान में कुशल श्रमिकों का अभाव रहा है तथा ताइवान समय-समय पर कुशल श्रमिकों को आकर्षित करने का प्रयास भी करता रहा है।
- ऐसे में भारत के युवाओं खास तौर पर तकनीकी क्षेत्र में कार्यरत युवाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है।
भारत-ताइवान-चीन
- चीन हमेशा से ही ताइवान के साथ किसी अन्य देश के संबंधों का विरोध करता आया है।
- हालांकि इसके बावजूद इंडो-पैसिफिक एवं पूर्वी एशिया में चीन की बढ़ती आक्रामकता ने भारत तथा ताइवान के संबंधों को और मजबूत करने का कार्य किया है क्योंकि इसमें दोनों के रणनीतिक हित शामिल हैं।
- इसके माध्यम से जहां ताइवान एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान को और मजबूत करने का प्रयास कर सकता है, तो वही भारत इसके द्वारा दक्षिण चीन सागर में नेविगेशन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने तथा इस क्षेत्र में अपनी तेल एवं गैस की खोज गतिविधियों को आगे बढ़ाने का प्रयास कर सकता है।
- ताइवान स्वयं को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के एक महत्वपूर्ण सदस्य के तौर पर देखता है और क्षेत्रीय शांति, स्थिरता तथा समृद्धि में योगदान के लिए अपनी प्रतिबद्धता को स्वीकार करता है जो कि इस क्षेत्र के लिए भारत के दृष्टिकोण के साथ मेल खाता है।
एकीकृत थिएटर कमांड की आवश्यकता
- थिएटर कमांड एक संगठनात्मक संरचना है जिसका उद्देश्य युद्ध में ‘सैन्य प्रभावशीलता’ बढ़ाने के लिए सभी सैन्य परिसंपत्तियों को एकल थिएटर के माध्यम से नियंत्रित करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है।
- वर्तमान में एकमात्र ‘संयुक्त कमान/थिएटर कमांड’ का गठन अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिए किया गया है।
विभिन्न समितियों द्वारा सिफारिश
- कारगिल समीक्षा समिति, शेकेतकर समिति द्वारा भी आंतरिक और बाह्य खतरों से निपटने के लिए उच्च स्तर पर ‘संयुक्त इकाई’ बनाने के संदर्भ में सिफारिश की गई थी।
एकीकृत थिएटर कमांड का महत्व
- यह कमांडर अपने कार्यों के लिए सेना के किसी अंग के प्रति जवाबदेह नहीं होगा एवं अपने कमांड को निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम एक ‘संयुक्त युद्धक बल’ के रूप में विकसित करने के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्वतंत्र होगा।
- यह भारत की वर्तमान ‘सेवा-विशिष्ट कमांड प्रणाली’ जिसमें देश के तीनों सैन्य सेवाओं (थल, वायु और नौसेना) की अपनी-अपनी कमांड होती है, के विपरीत है।
विपक्ष में तर्क
- एकीकृत थिएटर कमांडर विशिष्ट सेवा में डोमेन का ज्ञान रखने वाला होगा, अतः अन्य दो सेवा घटकों के संबंध में उसका ज्ञान सीमित रहने की संभावना है। इससे उसके आदेश के तहत अन्य सेवा घटकों को उपयुक्त तरीके से और उचित समय पर नियोजित करने की उसकी क्षमता सीमित हो जाती है।
जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद (DDC)
- हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा ‘जिला विकास परिषदों’ के गठन हेतु ‘जम्मू-कश्मीर पंचायती राज्य अधिनियम’, 1989 में संशोधन किया गया है।
जिला विकास परिषद की संरचना
- प्रत्येक जिला विकास परिषद ने जिले के ग्रामीण क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 14 निर्वाचित सदस्य होंगे। इसके अतिरिक्त जिले में संबंधित विधान सभा सदस्य तथा जिले के सभी खंड विकास परिषद के सदस्य होंगे।
- चुनावी प्रक्रिया में अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए आरक्षण प्रदान किया जाएगा।
- जिले के अतिरिक्त जिला विकास आयुक्त (Additional DC) जिला विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी होंगे।
DDC के सदस्यों का निर्वाचन
- मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाएंगे।
DDC के कार्य
- यह जम्मू कश्मीर के सभी जिलों में मौजूद जिला योजना और विकास बोर्डो को प्रतिस्थापित करेगी।
- DDC का कार्यकाल 5 वर्ष होगा।
- यह परिषदे जिले में योजनाओं को तैयार करेगी तथा पूंजीगत व्यय को अनुमोदित करेगी।
- DDC की प्रति तिमाही हिसाब से 1 वर्ष में कम से कम चार अहम बैठक आयोजित की जाएंगी।
ओसीरिस-रेक्स एवं छुद्रग्रह बेन्नू
OSIRIS-REx मिशन
- Origins Spectral Interpretation, Resource Identification, Security- Regalith Explorar.
- NASA का पहला मिशन जिसका उद्देश्य किसी प्राचीन छुद्र ग्रह से नमूना एकत्र करने तथा उसे पृथ्वी पर वापस लाना है।
- यह 2016 में लांच किया गया था, 2018 में अपने लक्ष्य पर पहुंचा तथा इसकी वापसी 2021 में होगी।
छुद्रग्रह बेन्नू
- इसकी खोज 1999 में की गई थी।
- छुद्र ग्रह की उत्पत्ति सौर मंडल के गठन के प्रारंभिक 10 मिलियन वर्षों के दौरान हुई थी।
- इस पर वे पदार्थ पाए जाने की संभावना है जिनके अणुओं की पृथ्वी पर पहली बार जीवन के शुरुआत के समय मौजूद अणुओं से समानता हो सकती है।
NOTE
- पृथ्वी पर जीवन के शुरुआत में जीवो का स्वरूप कार्बन परमाणु श्रृंखलाओं पर आधारित था।
- क्षुद्र ग्रह पर कार्बन की उचित मात्रा के कारण यह अपनी ओर।र आने वाले प्रकाश का मात्र 4% परावर्तित करता है।
- ‘बेन्नू’ को (Near earth object- NEO) में वर्गीकृत किया गया है। यह 2175 और 2199 के मध्य पृथ्वी से टकरा सकता है।
- NASA ने बेन्नू के उत्तरी गोलार्ध में ऊंचाई पर स्थित एक क्रेटर पर एक स्थान “नाइटेंगेल” को निर्धारित किया है।
महत्व
- इस क्षुद्रग्रह के अध्ययन से ग्रहों और सूर्य की उत्पत्ति और इतिहास के बारे में जानकारी मिल सकती है।
INS कवरत्ती
- यह एक स्वदेश निर्मित पनडुब्बी रोधी प्रणाली से लैस पोत है, जिसे भारतीय नौसेना को सौंपा जाएगा।
- इस पोत के निर्माण में 90% देशी उपकरण लगे हैं।
- INS कवरत्ती को प्रोजेक्ट-28 के तहत निर्मित किया गया है।
- प्रोजेक्ट -28 को 2003 में मंजूरी दी गई थी, इस परियोजना के तहत अन्य निर्मित तीन युद्बपोत INS कोमोती, (2014) INS कदमत्त (2016) व INS किल्टन (2017) है
कोविराप ( Covirap)
- यह कोविड-19 का पता लगाने हेतु एक नैदानिक मशीन हैं। तथा यह IIT खड़गपुर द्धारा विकसित की गयी है।
इन्फोडेमिक क्या है
- इसका शाब्दिक अर्थ बहुत अधिक जानकारी रखने से है, जिसमें गलत या भ्रामक जानकारी, विशेषतः सोशल मीडिया पर पाई जाने वाली जानकारी संबंधित होती है।
- यह भ्रम, जोखिम उठाने व सरकारों और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रक्रियाओं के प्रति अविश्वास पैदा कर सकता है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अंर्तप्रवाह
- GDP में -23.9% की गिरावट के बावजूद FDI अंर्तप्रवाह ( अप्रैल-अगस्त-2020) में रिकॉर्ड वृद्बि
- विश्व निवेश रिपोर्ट (UNCTAD) के अनुसार FDI प्राप्तकर्ता देशों में भारत ,9वें स्थान पर है।
FDI बढ़ाने हेतु सरकार के प्रयास
- उत्पादन लिंक के प्रोत्साहन (PLI)
- कोयला खनन गतिविधियों में स्वचालित मार्ग के सहारे 100% FDI की अनुमति।
- विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल
- विनिर्माण क्षेत्र में 100% FDI स्वचालित मार्ग के साथ contract manufacturing क्षेत्र में भी 100% स्वचालित मार्ग के सहारे निवेश
FDI में वृद्धि की उम्मीदें
- NRI को एयर इंडिया की 100% हिस्सेदारी प्राप्त करने की अनुमति दे दी गई है।
- रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में 74% स्वचालित मार्ग के रास्ते निवेश की अनुमति।
Team rudra
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