प्ली बारगेनिंग (Plea Bargaining)
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में विभिन्न देशों से संबंधित “तबलीगीजमात” के कई सदस्यों को Plea Bargaining/ दलील सौदेबाजी प्रक्रिया के माध्यम से अदालती मामले से रिहा/मुक्त कर दिया गया है।
NOTE
- इन विदेशी नागरिकों पर कोविड-19 महामारी के दौरान जारी दिशा-निर्देशों और वीजा शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप था। इन आरोपों के निपटान में “Plea Bargaining” इस्तेमाल किया गया ताकि ट्रायल में लगने वाले समय को बचाया जा सके।
प्ली बारगेनिंग क्या है?
- एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें किसी दंडनीय अपराध के लिए आरोपित व्यक्ति अपना अपराध स्वीकार कर प्ली बारगेनिंग प्रक्रिया के माध्यम से कानून के तहत निर्धारित सजा से कम सजा प्राप्त करने के लिए अभियोजन से सहायता लेता है।
- इसमें मुख्य रूप से अभियुक्त (Accused) और अभियोजक (Proseutor) के बीच “ट्रायल के पूर्व वार्ता” (Pre-trail Negatiations) को शामिल किया जाता है।
भारत में क्या प्रावधान है?
- वर्ष 2006 तक भारत में “प्ली बारगेनिंग” कानून का हिस्सा नहीं था।
- CrPC में एक अभियुक्त के पास एक पूर्ण मुकदमे की पैरवी करने के बजाए ‘दोषी’ की पैरवी करने का प्रावधान है, हालांकि यह प्ली बारगेनिंग के समान नहीं है।
- भारत विधि आयोग ने अपनी 142 वीं रिपोर्ट में, उन लोगों के लिए “रियायती उपचार” (Concessional Treatment) प्रक्रिया पर विचार-विमर्श प्रस्तुत किया है जो स्वयं को अपनी इच्छा से दोषी मानते हैं लेकिन विधि आयोग द्वारा इस बात के प्रति भी सावधानी बरती गई है कि इसमें अभियोजन के साथ कोई सौदेबाजी/बारगेनिंग शामिल नहीं होनी चाहिए।
NOTE
- वर्ष 2006 में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) के “अध्याय XXI- A” में संशोधन कर “प्ली बारगेनिंग” को एक भाग के रूप में शामिल किया गया। इसमें “धारा 265 A से 265 L तक” शामिल किया गया।
किन परिस्थितियों में इसकी अनुमति है?
- ऐसा अपराधी जिसे मृत्युदंड, आजीवन कारावास, या 7 वर्ष से अधिक की सजा दी गई है वह प्ली बारगेनिंग का उपयोग नहीं कर सकता है।
- उन निजी शिकायतों पर भी लागू होता है जिन्हें एक आपराधिक अदालत द्वारा संज्ञान में लिया गया है।
- कुछ ऐसे मामले जैसे- देश की “सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों” को प्रभावित करने वाले अपराध और 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे या किसी महिला के विरुद्ध किया गया कोई अपराध दलीलों के माध्यम से निपटारा नहीं किया जा सकता है।
NOTE
- प्ली बारगेनिंग प्रक्रिया में अपराधी को निर्धारित मूल सजा की अवधि की आधी सजा होती है।
- यदि किसी अपराध के संदर्भ में सजा की न्यूनतम अवधि निर्धारित नहीं है, तो कानून में निर्धारित अधिकतम सजा की एक-चौथाई अवधि तक सजा दी जाती है।
प्ली बारगेनिंग के पक्ष व विपक्ष में तर्क
पक्ष
- मामलों की सुनवाई में तेजी आएगी
- मुकदमेबाजी पर व्यय कम खर्च होगा
- आपराधिक मामलों के परिणाम पर उत्पन्न अनिश्चितता को खत्म करना संभव होगा
- लंबे व जटिल ट्रायल से बचने का सफल तरीका है
- लंबित मामलों के निपटान से विचाराधीन कैदी को राहत मिलेगी
- अपराधियों के जीवन में एक नई शुरुआत करने में मदद करेगा।
विपक्ष
- जिन लोगों को प्ली बारगेनिंग के लिए मजबूर किया जाता है उन लोगों के पास जमानत कराने का विकल्प भी मौजूद नहीं होता है।
- न्यायपालिका ने अपने पूर्व के फैसलों में (प्रक्रिया लागू होने से पहले) अपराधियों के साथ प्ली बारगेनिंग यह कहकर अस्वीकार किया है कि एक नियमित ट्रायल के बाद मामले को परिस्थितियों के हिस्से के रूप में उदार वाक्य माना जा सकता है।
- निष्पक्ष जांच के पीड़ित के अधिकार को प्रभावित कर सकता है,इस प्रक्रिया में जांच एजेंसियों द्वारा जबरदस्ती किए जाने और भ्रष्टाचार जैसे उपकरण बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
- संविधान के अनुच्छेद 20 (3) के विरुद्ध है जो आत्म-उत्पीड़न के खिलाफ एक अभियुक्त को सुरक्षा प्रदान करता है।
आगे की राह
- प्ली बारगेनिंग आरोपीत और पीड़ित के लिए भले ही फायदेमंद हो, लेकिन इस प्रक्रिया के संभावित दुरुपयोग को रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित किया जाना बेहद आवश्यक है।
- प्ली बारगेनिंग अपराधिक अदालतों में बढ़ते मामलों की संख्या को नियंत्रित करने और न्यायिक संसाधनों, बुनियादी ढांचे और खर्चो को युक्तिसंगत बनाने की दिशा में एक संभावित उपाय है।
महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन
- केंद्र सरकार के आदेश के बाद “शॉर्ट सर्विस कमिशन” (Short Service commission – SSC) से चयनित महिला अधिकारी सेना की सभी 10 शाखाओं/विभागों में “स्थायी कमीशन” प्राप्त करने के लिए पात्र होंगी।
- वर्तमान में स्थायी कमीशन के लिए उपलब्ध न्यायाधीश, महाधिवक्ता, सेना शिक्षकों के अतिरिक्त सेना की हवाई सुरक्षा, सिग्नल, इंजीनियर, सेना विमानन, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर, सेना सेवा कोर तथा खुफिया कोर शामिल है।
- सेना में SSC अधिकारियों को 14 वर्षों (10+4) के लिए चुना जाता है। इसके तहत 10 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद निर्धारित नियमों के अनुसार इसे अगले 4 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है।
- गौरतलब है कि SSC के तहत चयनित पुरुष अधिकारियों के लिए 10 वर्ष की सेवा के पश्चात स्थायी कमीशन चुनने का विकल्प उपलब्ध था, जबकि महिला अधिकारियों के लिए नहीं।
- इस बाधा के कारण महिला अधिकारियों को कमान नियुक्तियों (Conmond Appaintnant) से बाहर रखा जाता था और वे सरकारी पेंशन के लिए भी पात्र नहीं होती थी। क्योंकि अधिकारियों को 20 वर्ष के सेवा के बाद ही सरकारी पेंशन के लिए पात्र माना जाता है।
SC का निर्देश (सुप्रीम कोर्ट)
- SC ने 17 फरवरी को सेना में SSC महिला अधिकारियों की स्थायी कमीशन के लिए पात्रता दिए जाने का निर्देश दिया था।
- SC ने महिला अधिकारियों को गैर-युद्ध कमान पदों के लिए भी पात्र माना था।
- SC के अनुसार, महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन प्रतिबंधित करना अनुच्छेद- 14 के तहत समानता के अधिकारों का उल्लंघन है।
- SC के अनुसार सिर्फ लिंग के आधार पर महिला अधिकारियों की क्षमताओं में बाधा उत्पन्न करना न सिर्फ एक महिला के रूप में बल्कि भारतीय सेना के एक सदस्य के रूप में भी उनकी गरिमा का अपमान है।
सेना में महिला अधिकारियों की भर्ती
- सबसे पहले 1992 में 5 वर्ष के कार्यकाल के लिए शामिल किया गया था।
- वर्ष 2006 में SSC के तहत महिला अधिकारियों को 10 वर्ष के लिए नियुक्त किया जाना प्रारंभ। (इसके तहत 14 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता था)
- सेना में स्थायी कमीशन प्राप्त करने के लिए कुछ महिला अधिकारियों द्वारा वर्ष 2003 में दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
- 2010 में दिल्ली HC ने महिला अधिकारियों के पक्ष में फैसला दिया
- सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के निर्देश को नहीं माना गया था । और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई
- मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का निर्देश दिया था।
- 7 जुलाई 2020 सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले को पूर्ण रूप से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए 1 माह का अतिरिक्त समय दिया था।
NOTE
- सेना की तीनों सेनाओं में महिला अधिकारियों को चिकित्सा, शिक्षा, सिग्नल, रसद और इंजीनियरिंग सहित चुने हुए क्षेत्रों में स्थायी कमीशन की अनुमति दी गई है।
- भारतीय वायु सेना में SSC महिला अधिकारियों को Flying Braneh को छोड़कर अन्य सभी विभागों में और स्थायी कमीशन प्राप्त करने का विकल्प दिया है।
प्रभाव
- यह निर्णय महिला अधिकारियों को सशक्त बनाएगा।
- स्थायी कमीशन प्रदान करने से सेवानिवृत्ति की आयु तक सेना में अपनी सेवा जारी रख सकेंगी।
- पात्र महिला 20 वर्ष से अधिक समय तक सेवा जारी रख सकेगी और सरकारी पेंशन का लाभ मिल सकेगा।
निष्कर्ष
- USA, इजराइल, उत्तरी कोरिया, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे विश्व के कई देशों में महिलाओं को सेना में युद्ध की स्थिति में पहली पंक्ति में सक्रिय भूमिका निभाने का मौका दिया जाता है। भारतीय सेना में स्थायी कमीशन से महिला समानता को बढ़ावा मिलेगा।
तिलारी संरक्षण रिजर्व
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने सिंधुदुर्ग जिले में डोडामर्ग वन क्षेत्र के लगभग 29.53 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को “तिलारी संरक्षण रिजर्व” घोषित किया है।
Important facts
- तिलारी महाराष्ट्र का सातवां वन्य जीव गलियारा है जिसे “संरक्षण रिजर्व” के रूप में घोषित किया गया है।
- यह गोवा के “महादेई अभ्यारण्य” को कर्नाटक के “भीमगढ़” से जोड़ता है।
- अर्ध-सदाबहार वन, उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन, कई अद्वितीय वृक्ष, तितलियां वह फूल पाए जाते हैं।
NOTE
- महाराष्ट्र में 62 संरक्षण रिजर्व हैं, जिनमें से 13 पश्चिमी घाट में है। तिलारी संरक्षण रिजर्व पश्चिमी घाट में अवस्थित है।
कृषि अवशेषों का दहन एवं प्रदूषण
चर्चा का कारण
- हाल ही में किए गए अध्ययन के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने वाले समय के चुनाव की अपेक्षा दिल्ली की मौसम संबंधी परिस्थितियां और हरियाणा तथा पंजाब में जलाए जाने वाले भूसे की मात्रा प्रदेश में वायु गुणवत्ता को खराब करने में अधिक भूमिका निभाती है।
कृषि अवशेषों को जलाने का कारण
- खरीफ सीजन की फसलों के उच्च श्रम लागत से बचने एवं रबी की फसल की सही समय पर बुवाई हेतु किसान फसल अवशेषों को जलाना उचित समझता है।
- किसानों का भ्रम, जैसे- फसल अवशेषों को जलाने से उत्पन्न राख मृदा की उर्वरता बढ़ाती है।
- सरकार के द्वारा पराली के निपटान हेतु उपलब्ध कराए गए उच्च प्रौद्योगिकी से युक्त मशीनों के प्रति किसानों का रुझान कम होना।
- कृषि का बढ़ता आधुनिकीकरण एवं मशीनीकरण।
- भारत के पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में फसल प्रतिरूप वहां की जलवायु के अनुसार न होना।
- पराली जलाने वाले राज्यों में धान की कटाई के समय पर्याप्त संख्या में मजदूरों का उपलब्ध न होना।
- भारत में धान के ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ का कम होना।
- दिल्ली की भौगोलिक स्थिति।
कृषि अवशेषों के जलाने से हानि
- मृदा की उर्वर क्षमता का नष्ट होना।
- अत्यधिक रासायनिक खाद का प्रयोग, अनियंत्रित रूप से भूमिगत जल का दोहन, समूचे क्षेत्र की भूमि को बंजर कर सकता है।
- ह्युमस की मात्रा में भारी कमी।
- कृषि अवशेषों को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड समेत अनेक जहरीली गैस से निकलती हैं, जो मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालती है।
- ग्लोबल वार्मिंग की समस्या
- फसल पैदावार पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव से खाद्य सुरक्षा का संकट बढ़ सकता है।
अध्ययन के परिणाम
- ध्यातव्य है कि वर्ष 2016 में दिल्ली के गंभीर वायु प्रदूषण में फसल अवशेषों के दहन का योगदान 40% था।
- यह अध्ययन काफी हद तक गणितीय प्रतिरूपण पर निर्भर करता है
- फसल के जलाने और PM स्तर के एकत्रित डेटा को गणितीय मॉडल में प्रदर्शित किया गया है।
- अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2016 में दिल्ली के गंभीर वायु प्रदूषण के संदर्भ में यह निष्कर्ष निकलता है कि यदि किसान निर्धारित समय से 10 दिन पूर्व फसल अवशेषों का दहन करते हैं तो संभवतः दिल्ली के वायु प्रदूषण में फसल दहन का योगदान बेहद मामूली (1%) होता।
सरकार का प्रयास
- केंद्र सरकार द्वारा पराली के उचित प्रबंधन हेतु मशीनों पर सब्सिडी
- पराली प्रबंधन हेतु केंद्र, राज्य एवं अन्य एजेंसियों के मध्य सहयोग बढ़ाने हेतु टास्क फोर्स का गठन।
- किसानों के भ्रम मिटाने हेतु उचित संवाद को बढ़ावा।
- पारदर्शिता पर बल।
आगे की राह
- फसल अवशेषों को जलाए जाने से रोकने से राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम को बढ़ावा मिलेगा। जिसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक वार्षिक PM सांद्रता में 20 से 30% कमी लाना है।
- इसके अलावा, सरकार प्रोत्साहन और अभियोजन के संयोजन के माध्यम से लोगों को इस संबंध में जागरूक कर सकती है।
- हरित विधियों का प्रयोग करने वाले किसानों को प्रोत्साहन।
सार्वजनिक खरीद में बोली लगाने संबंधी नियमों में सख्ती
- हाल ही में भारत सरकार ने समान वित्तीय नियमावली, 2017 में संशोधन करते हुए भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों के निवेशकों की ओर से सार्वजनिक खरीद में बोली लगाने पर कुछ प्रतिबंध आरोपित किए हैं।
- वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार, भारत की भूमि साझा करने वाला कोई भी देश तब तक बोली लगाने के पात्र नहीं होगा जब तक वह उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) द्वारा गठित पंजीकरण समिति के साथ पंजीकृत नहीं होता।
- इसके अलावा विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय से राजनीतिक एवं सुरक्षा संबंधी मंजूरी भी आवश्यक है।
कारण
- भारत के हितों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से प्रभावित करने वाले अन्य कारणों के मद्देनजर लिया गया है।
- यह आदेश राज्य सरकारों पर भी लागू होगा।
- राज्य सरकार के संबंधित प्राधिकरण बोली के संबंध में मंजूरी दे सकते हैं, लेकिन गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय से राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी मंजूरी अनिवार्य होगी।
- इसके अलावा यह आदेश बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों, स्वायत्त निकायों , केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त सार्वजनिक निजी भागीदारी परियोजनाएं आदि पर लागू होता है।
नियम में अपवाद और छूट
- 31 दिसंबर 2020 तक कोविड-19 से संबंधित चिकित्सा आपूर्ति को खरीद शामिल है।
- जिन देशों को “लाइन आफ क्रेडिट”प्रदान किया गया है, भारत सरकार द्वारा उन्हे पूर्व पंजीकरण से छूट प्रदान की गई है।
- यह आदेश सभी नयी निविदाओं (Tenders) पर लागू होता है।
NOTE
- संबंधित आदेश के अनुसार , ऐसे सभी ‘विदेशी निवेश के लिए सरकार की अनुमति’ की आवश्यकता होगी जिसमें निवेश करने वाली संस्थाएं या निवेश प्राप्त करने वाले व्यक्ति भारत के साथ थल सीमा साझा करने वाले देशों से है।
भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा ऊर्जा संयंत्र
- हाल ही में भारतीय नौसेना अकादमी, एझीमाला में 3 मेगावाट की सौर संयंत्र की शुरुआत की गई।
- इस सौर संयंत्र का अनुमानित जीवनकाल 25 वर्ष है। सभी उपकरणों की आपूर्ति स्थानीय स्तर पर की गई है।
- इसमें अत्यधिक कुशल “मोनोक्रिस्टलाइन”सौर पैनल भी लगा है। मोनोक्रिस्टलाइन को “एक क्रिस्टलीय सौर पैनल”भी कहा जाता है, अपने बाहरी काले रंग के कारण आसानी से पहचानने योग्य है।
- यह 2022 तक 100 गीगावाट सौर लक्ष्य प्राप्त करने से संबंधित भारत सरकार के ‘नेशनल सोलर मिशन’ पहल के अनुरूप है।
परिचालन मार्ग
- पोत परिवहन मंत्रालय, भारत सरकार ने भारतीय समुद्री क्षेत्र के दक्षिणी पश्चिमी भाग में मछली पकड़ने व व्यापारिक जहाजों के परिचालन मार्गों को अलग कर दिया है। इससे पर्यावरण संरक्षण, नेविगेशन दक्षता और सुरक्षा क्षमता में वृद्धि होगी।
बाल गंगाधर तिलक व चंद्रशेखर आजाद जयंती
- 23 जुलाई को बाल गंगाधर तिलक व चंद्रशेखर आजाद की जयंती के उपलक्ष्य में उपराष्ट्रपति श्री वैंकेया नायडू ने युवा पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए राष्ट्रीय नेताओं व स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान, देशभक्ति एवं वीरता की कहानियों वह ज्यादा से ज्यादा स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का आह्वान किया।
बाल गंगाधर तिलक
- 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में जन्मे, महान विद्वान, गणितज्ञ, दार्शनिक, पत्रकार, समाजवादी चिंतक बाल गंगाधर तिलक देश में राष्ट्रवादी चेतना के विस्तार के प्रमुख स्तंभ थे।
- ‘द मराठा व केसरी’ के माध्यम से देशवासियों में राजनीतिक चेतना जागृत किया।”स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा” इनका प्रसिद्ध उद्घोष था।
- वैलेंटाइन शिरोल द्वारा इनको ‘भारतीय अशांति का जनक’ कहा गया। इनके 6 वर्षीय कारावास के विरोध में (1908) ही मुंबई कपड़ा मिल मजदूरों ने पहली राजनीतिक हड़ताल की।
- ‘ डेक्कन एजुकेशन सोसायटी'(1884) के संस्थापकों में से एक थे। मांडले जेल में ही ‘गीता रहस्य’ लिखा। 1916 में एनी बेसेंट के साथ होम रूल लीग की भी स्थापना किए।
चंद्रशेखर आजाद
- देश के महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले में हुआ था।
- नि:स्वार्थ देश भक्ति तथा नेतृत्व कौशल के कारण 1924 में स्थापित हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) के संस्थापक सदस्य थे तथा 1928 में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना (नई दिल्ली) इनके नेतृत्व में ही हुआ।
- 27 फरवरी 1930 को इलाहाबाद में अल्फ्रेड पार्क ( कंपनी बाग) में अंग्रेजों के साथ हुई मुठभेड़ में अपनी गोली से ही शहीद हो गए।
कृष्णापट्टनम पोर्ट कंपनी लिमिटेड
- कृष्णापट्टनम पोर्ट आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में स्थित है। विजयनगर साम्राज्य से संबंधित महान सम्राट कृष्णदेव राय के शासनकाल से संबंधित होने के कारण इसका नाम कृष्णापट्टनम रखा गया।
- कृष्णापट्टनम पोर्ट कंपनी लिमिटेड ( KPCL) द्वारा इसको विकसित किया जा रहा था। इसको भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने अडानी पोर्ट एंड स्पेशल इकोनामिक जोन लिमिटेड द्वारा अधिग्रहण को मंजूरी दे दी गई।
- अडानी ग्रुप की यह कंपनी भारत की सबसे बड़ी निजी मल्टी – पोर्ट ऑपरेटर है।
Team rudra
Abhishek Kumar Verma
Amarpal Verma
Krishna
Yograj Patel
anil Kumar Verma
Rajeev Kumar Pandey
Prashant Yadav
Dr.Sant lal
Sujata Singh
Geography team mppg college ratanpura mau
- Surjit Gupta
- Saty Prakash Gupta
- Shubham Singh
- Akhilesh Kumar
- Sujit Kumar Prajapti