1 August 2021 current affairs

प्रोजेक्ट बोल्ड
(Project BOLD)

चर्चा में क्यों

  • ‘खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग’ (KVIC) तथा सीमा सुरक्षा बल ने जैसलमेर में मरुस्थलीकरण को रोकने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए ‘प्रोजेक्ट बोल्ड’ (Project BOLD) की शुरुआत की गयी है।
  • इस परियोजना के तहत, इनके द्वारा बांस के 1000 पौधे लगाए गए हैं।

प्रोजेक्ट बोल्ड’ के बारे में:

  1. बोल्ड का अर्थ “सूखे की स्थिति में भू-क्षेत्र पर बांस मरु-उद्यान” अर्थात (Bamboo Oasis on Lands in Drought-BOLD) है।
  2. यह परियोजना ‘खादी और ग्रामोद्योग आयोग’
    (KVIC) द्वारा शुरू की गई है।
  3. यह परियोजना, खादी ग्रामोद्योग आयोग द्वारा देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित खादी बांस महोत्सव का हिस्सा है।

उद्देश्य:-

  • शुष्क और अर्ध-शुष्क भू-क्षेत्रों में बांस आधारित हरित पट्टियां विकसित करना, मरुस्थलीकरण कम करना और आजीविका एवं बहु-विषयक ग्रामीण उद्योग सहायता प्रदान करना।

परियोजना में ‘बांस’ को क्यों चुना गया?

  • बांस, बहुत तेजी से बढ़ते हैं और लगभग तीन साल की अवधि में उन्हें काटा जा सकता है। बांस को पानी के संरक्षण और भूमि की सतह से पानी के वाष्पीकरण को कम करने के लिए भी जाना जाता है, जोकि शुष्क और सूखाग्रस्त क्षेत्रों की एक विशेषता होती है।।

खादी और ग्रामोद्योग आयोग:-

  • KVIC, खादी और ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम, 1956 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
  • आयोग का प्रमुख कार्य, ग्रामीण विकास में लगे अन्य अभिकरणों से समन्वय स्थापित कर ग्रामीण क्षेत्रों में खादी और अन्य ग्रामोद्योग के विकास के लिए कार्यक्रमों की योजना बनाते हुए इसे संबंधित,संगठित तथा कार्यान्वित करना है।
  • यह सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।

सुधार आधारित और परिणाम से जुड़ी योजना

चर्चा में क्यों?

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में एक सुधार-आधारित और परिणाम-लिंक्ड पुनरुत्थान वितरण क्षेत्र योजना को मंजूरी दी।
  • यह योजना डिस्कॉम कंपनियों (विद्युत वितरण कंपनियों) के लिये इस बात को लेकर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPRs) प्रस्तुत करना अनिवार्य बनाती है कि वे वित्तपोषण का लाभ उठाने हेतु अपने परिचालन घाटे को कम करने की योजना किस प्रकार बनाती हैं।
  • प्रारंभ में डिस्कॉम को दी गई प्रारंभिक समयसीमा 31 अक्तूबर, 2021 थी। अब इसे बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2021 कर दिया गया है।

योजना का उद्देश्य:-

  • वर्ष 2024-25 तक अखिल भारतीय स्तर पर AT&C (कुल तकनीकी और वाणिज्यिक) हानियों को 12-15% तक कम करना।
  • वर्ष 2024-25 तक ACS-ARR अंतर (यानी बिजली की कुल लागत और बिजली की आपूर्ति से उत्पन्न राजस्व के बीच के अंतर) को शून्य करना।
  • आधुनिक डिस्कॉम के लिये संस्थागत क्षमताओं का विकास करना।
  • वित्तीय रूप से सतत् और परिचालन कुशल वितरण क्षेत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं के लिये बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता, विश्वसनीयता एवं सामर्थ्यता में सुधार करना।
  • योजना का कार्यान्वयन ‘वन-साइज़ फिट ऑल’ दृष्टिकोण के बजाय प्रत्येक राज्य के लिये तैयार की गई विशिष्ट कार्ययोजना पर आधारित होगा।

विशेषताएँ:-

  • प्रतिबंधात्मक/सशर्त वित्तीय सहायता: योजना आपूर्ति बुनियादी अवसंरचना को मजबूत करने के लिये डिस्कॉम को सशर्त वित्तीय सहायता प्रदान करके सभी डिस्कॉम (निजी क्षेत्र के डिस्कॉम को छोड़कर) की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार करना चाहती है।
  • विभिन्न योजनाओं का समावेशन: यह प्रस्तावित है कि निम्नलिखित योजनाओं के तहत वर्तमान में चल रही अनुमोदित परियोजनाओं को सम्मिलित किया जाएगा:
  • एकीकृत विद्युत विकास योजना (IPDS)
  • दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY)
  • उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (UDAY)
  • जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख केंद्रशासित प्रदेशों के लिये प्रधानमंत्री विकास पैकेज (PMDP) 2015।
  • कृषि फीडरों का सौरीकरण: इस योजना में किसानों के लिये बिजली की आपूर्ति में सुधार लाने तथा कृषि फीडरों के सौरीकरण के माध्यम से उन्हें दिन के समय बिजली उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
  • स्मार्ट मीटरिंग: इस योजना की एक प्रमुख विशेषता प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के माध्यम से सार्वजनिक-निजी साझेदारी (PPP) मॉडल को लागू करने के लिये उपभोक्ता का सशक्तीकरण कर उन्हें सक्षम बनाना है।
  • इससे स्मार्ट मीटर उपभोक्ता, मासिक आधार के बजाय नियमित आधार पर अपनी बिजली की खपत की निगरानी कर सकेंगे, जो उन्हें अपनी ज़रूरतों के अनुसार तथा उपलब्ध संसाधनों के संदर्भ में बिजली के उपयोग में मदद कर सकता है।
  • उत्तोलन प्रौद्योगिकी: सिस्टम मीटर, प्रीपेड स्मार्ट मीटर सहित आईटी/ओटी उपकरणों के माध्यम से उत्पन्न डेटा का विश्लेषण करने के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का लाभ उठाया जाएगा।
  • इससे डिस्कॉम ( DISCOM) को नुकसान में कमी, मांग का पूर्वानुमान, दिन के समय (ToD), टैरिफ, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) एकीकरण और अन्य संभावित विश्लेषण पर निर्णय लेने में सक्षम बनाया जा सकेगा।

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस:29 जुलाई

  • इस दिवस की घोषणा, वर्ष 2010 में रूस के “सेंट पीटर्सबर्ग” में आयोजित ‘टाइगर समिट’ में की गयी थी।
  • इस ‘बाघ शिखर सम्मलेन’ में, भागीदार प्रतिनिधियों (जिन देशों में बाघ पाए जाते है- उनके प्रतिनिधि) द्वारा वर्ष 2022 तक अपने देशों में बाघों की आबादी को दोगुना करने का प्रयास करने की घोषणा की गयी थी।

बाघों की आबादी से संबंधित प्रमुख तथ्य:

  • ‘वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर’ (WWF) के अनुसार, पिछले 150 वर्षों में बाघों की संख्या 95 प्रतिशत तक कम हो गई है।
  • भारत में ‘रॉयल टाइगर्स’ पाए जाते है, और यहाँ वर्तमान में बाघों की संख्या 2967 है, जोकि जो बाघों की कुल वैश्विक आबादी का 70 प्रतिशत है।
  • देश में बाघों की सर्वाधिक संख्या, मध्य प्रदेश (526) में है, इसके पश्चात क्रमशः कर्नाटक (524) तथा उत्तराखंड (442) का स्थान हैं।
  • मध्यप्रदेश का बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिए प्रसिद्ध है, और यहाँ भारत में बाघों का सर्वाधिक घनत्व पाया जाता है।
  • मध्य प्रदेश का ‘कान्हा बाघ अभ्यारण्य’, ‘भूरसिंह बारासिंघा’ को आधिकारिक तौर पर अपने शुभंकर के रूप में पेश करने वाला भारत का पहला बाघ अभयारण्य है।

संरक्षण स्थिति:-

  • भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची-I
  • IUCN रेड लिस्ट: लुप्तप्राय (Endangered)
  • लुप्तप्राय वन्यजीव तथा वनस्पति प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES):परिशिष्ट-I

IFSCA द्वारा हस्ताक्षरित बहुपक्षीय समझौता ज्ञापन के लिए मंजूरी|

  • सन्दर्भ
    केंद्रीय मंत्रिमंडल के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा प्राधिकरण (IFSCA), अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन ( IOSCO), और अंतर्राष्ट्रीय बीमा पर्यवेक्षक संघ(IAIS) के मध्य हस्ताक्षरित एक बहुपक्षीय समझौता ज्ञापन के लिए मंजूरी प्रदान की गई|

तथ्य

  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (IOSCO) – स्थापना : 1983, मुख्यालय : मैड्रिड (स्पेन)
  • यह विश्व में प्रतिभूतियों एवं वायदा बाजारों को संचालित करने वाली संस्थाओं का एक गठन है
  • अंतरराष्ट्रीय बीमा पर्यवेक्षक संघ (IAIS), 1994 – इसकी मेजबानी बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट( BIS) द्वारा की जाती है तथा यह संगठन स्विस कान के तहत एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में कार्य करता है|
      

जांच आयोग अधिनियम 1952

सन्दर्भ

पेगासस स्पाइवेयर के द्वारा टेलीफोन की कथित निगरानी किए जाने की जांच हेतु|

लोकुर आयोग का गठन

  • इस प्रकार के आयोग का गठन केंद्र व राज्य दोनों द्वारा किया जा सकता है किंतु केंद्र द्वारा किसी विषय पर आयोग के गठन किए जाने की स्थिति में राज्य उसी विषय पर समानांतर आयोग का गठन नहीं कर सकता है|
  • इस प्रकार यदि राज्य के द्वारा किसी विषय पर आयोग का गठन पूर्व में किया गया है| इसके बाद केंद्र सरकार को यह लगता है कि इस विषय का दायरा दो या दो से अधिक राज्यों में बढ़ाया जाना चाहिए तो वह एक समानांतर आयोग का गठन उसी विषय पर कर सकता है|
  • जांच आयोग को समान प्रक्रिया संहिता 1980 के तहत दीवानी अदालत के समान शक्तियां प्राप्त होंगी।
  • केंद्र द्वारा गठित आयोग तीनों सूची के विषयों पर तथा राज्य द्वारा गठित आयोग सूची दो तथा सूची 3 में उल्लिखित विषयों से संबंधित मामलों की जांच कर सकती है|

आयोग की रिपोर्टों का महत्व –

  • संसद अथवा विधानसभा में प्रस्तुत |
  • सरकार रिपोर्ट सार्वजनिक करने के लिए बाध्य नहीं |
  • आयोग की रिपोर्ट कार्यपालिका के लिए बाध्यकारी नहीं किंतु अदालतों के द्वारा साक्ष्य के रूप में प्राप्त निष्कर्षों पर विश्वास किया जाता रहा है|

MSMEs के लिये ऋण वृद्धि

  • ट्रांसयूनियन सिबिल’ एंड ‘स्मॉल इंडस्ट्रीज़ डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया’ (SIDBI) की एक रिपोर्ट के अनुसार ‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम’ (MSME) क्षेत्र की ऋण बकाया राशि एक वर्ष के साथ बढ़कर 20.21 लाख करोड़ रुपए हो गई है, जो कि वर्ष-दर-वर्ष 6.6% की विकास दर है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लिये ऋण वृद्धि जून 2021 में 6.4% हो गई, जबकि 2020 में इसमें 2.9% का संकुचन दर्ज किया गया था।

प्रमुख बिंदु
MSME को ऋण:

  • वित्तीय वर्ष (FY) 2021 में देश ने MSME क्षेत्र को 9.5 लाख करोड़ रुपए के ऋण वितरित किये, जो वित्त वर्ष 2020 में पिछले वर्ष के 6.8 लाख करोड़ रुपए से अधिक है।

शेष ऋण:

  • मार्च 2021 में MSME ऋण बकाया में 6.6% की वृद्धि हुई है, जिसमें सूक्ष्म उद्योग क्षेत्र में सबसे तेज़ गति 7.4% की वृद्धि देखी गई।
  • सूक्ष्म उद्योग क्षेत्र के पश्चात् लघु उद्योग क्षेत्र में 6.8% और मध्यम उद्योग क्षेत्र में 5.8% की दर से संवृद्धि हुई है।

कृषि और संबद्ध गतिविधियाँ:

  • कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिये ऋण के मामले में निरंतर बेहतर प्रदर्शन करते हुए जून 2020 में 2.4% की तुलना में जून 2021 में 11.4% की त्वरित वृद्धि दर्ज की गई है।

उद्योग

  • विभिन्न उद्योगों जैसे खाद्य प्रसंस्करण, रत्न और आभूषण, काँच व काँच के बने पदार्थ, चमड़े तथा चमड़े के उत्पादों, खनन एवं उत्खनन, कागज़ और कागज़ उत्पादों, रबर, प्लास्टिक व उनके उत्पादों तथा वस्त्रों आदि से संबंधित ऋण में जून 2021 में उच्च वृद्धि दर्ज की गई।
  • हालाँकि सभी इंजीनियरिंग, पेय पदार्थ और तंबाकू, बुनियादी धातु तथा धातु उत्पादों, सीमेंट एवं सीमेंट उत्पादों, रसायन व रासायनिक उत्पादों, निर्माण, बुनियादी ढाँचे, पेट्रोलियम कोयला उत्पादों तथा परमाणु ईंधन और वाहनों, वाहन के पुर्जों व परिवहन उपकरणों आदि से संबंधित वृद्धि में गिरावट दर्ज की गई है।

सेवाएँ:

  • सेवा क्षेत्र में ऋण वृद्धि जून 2021 में घटकर 2.9% हो गई, जो जून 2020 में 10.7% थी। यह कमी मुख्य रूप से वाणिज्यिक अचल संपत्ति, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और पर्यटन, होटल एवं रेस्तरां संबंधी ऋण वृद्धि में संकुचन के कारण हुई है।

वृद्धि के कारण:

  • MSMEs द्वारा क्रेडिट निकासी में यह वृद्धि कोविड महामारी के कारण आई आर्थिक मंदी से निपटने के लिये आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) जैसी कई सरकारी पहलों के कारण हुई है।
  • ECLGS योजना मई 2020 में घोषित आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज के हिस्से के रूप में शुरू की गई थी, जो विभिन्न क्षेत्रों, विशेष रूप से MSME को ऋण प्रदान करके कोरोनोवायरस-प्रेरित लॉकडाउन के कारण उत्पन्न संकट को कम करने के लिये थी।

स्मॉल इंडस्ट्रीज़ डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया

  • भारतीय संसद के अधिनियम के तहत अप्रैल 1990 में स्थापित सिडबी, MSME क्षेत्र के संवर्द्धन, वित्तपोषण और विकास के साथ-साथ समान गतिविधियों में संलग्न संस्थानों के कार्यों के समन्वय के लिये प्रमुख वित्तीय संस्थान के रूप में कार्य करता है।

मैनुअल स्कैवेंजिंग का खतरा

चर्चा में क्यों

हाल ही में केंद्र ने दावा किया है कि पिछले पाँच वर्षों में हाथ से मैला ढोने (Manual scavenging) के कारण किसी की भी मौत नहीं हुई है।

प्रमुख बिंदु

  • हालाँकि सफाई कर्मचारी आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक के अनुसार, वर्ष 2016 और वर्ष 2020 के बीच मैनुअल स्कैवेंजिंग’ (Manual Scavenging) के कारण देश भर में 472 तथा वर्ष 2021 में अब तक 26 मौतें दर्ज की गईं।
  • सफाई कर्मचारी आंदोलन मैनुअल स्कैवेंजिंग के उन्मूलन के लिये एक मुहिम है।
  • संविधान का अनुच्छेद 21 व्यक्ति को मानवीय गरिमा के साथ ‘जीवन जीने के अधिकार’ की गारंटी देता है। यह अधिकार नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों के लिये अधिमान्य है।

मैनुअल स्कैवेंजिंग:-

  • मैनुअल स्कैवेंजिंग को “सार्वजनिक सड़कों और सूखे शौचालयों से मानव मल को हटाने, सेप्टिक टैंक, नालियों और सीवर की सफाई” के रूप में परिभाषित किया गया है।

सतलज नदी प्रदूषण

चर्चा में क्यों
हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण ( N.G.T) ने पंजाब और राजस्थान सरकार की सतलुज और व्यास में बढ़ते प्रदूषण को रोकने हेतु निर्देश दिए हैं।

सतलज नदी के जल प्रदूषण का स्त्रोत

  • बूढ़ा नाला
  • लुधियाना शहर के ” सीवेज ट्रटिमेंट प्लांट ” (STP) है।अनुपचारित सीवेज कचरा।
  • रंगाई इकाइयों और आउटलेट में अनौपचारिक औद्योगिक अपशिष्ट।
  • electroplating, होजरी तथा स्टील रोलिंग के अपशिष्टों के सतलज में निकास।
  • जालंधर में फैला चमड़ा उद्योग।
  • इंदिरा गांधी नहर के द्वारा भी इसे प्रदूषित किया जा रहा है।

आगे की राह

  • केंद्र तथा राज्य सरकारों का प्रभावी कदम।
  • N.G.T. के गाइडलाइन को फालो करना।
  • औद्योगिक इकाइयों में अलग से water treatment plant लगाना।
  • जन जागरूकता अभियान चलाना।

 ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम : टीम क्ला

चर्चा में क्यों
हाल ही में भारत सरकार द्वारा सियाचिन ग्लेशियर के चढ़ाई के लिए दिव्यांगों की एक टीम ( टीम क्ला) को मंजूरी है।
• यह ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम ट्रिपल वर्ल्ड रिकॉर्ड अभियान का हिस्सा है।

अभियान के बारे में

  • प्रारंभ में 20 लोगों के एक टीम को प्रशिक्षित किया जाएगा।
  • अंतिम दल सियाचिन बेस कैंप में कुमार पोस्ट तक ट्रैकिंग करेगा।
  • टीम क्ला – पूर्व भारतीय विशेष बल कमांडो की एक टीम है।
  • भारतीय सेना के इन पैरा कमांडो को मार्कोश ( Marcos) नाम से भी जाना जाता है।
  • इस पहल का प्रारंभ मेजर विवेक जैकब ने की थी।

उद्देश्य

  • साहसिक खेलों के माध्यम से दिव्यांग लोगों का पुनर्वास।
  • स्थाई रोजगार
  • देश के विकास में सहयोग देगा।

भारत में विकलांगों के लिए चलाए गए प्रोग्राम

  • सुगम्य भारत अभियान।
  • दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना।
  • विकलांग छात्रों के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप।
  • दिव्यांग व्यक्तियों का अधिकार अधिनियम।

टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी 

सुरजीत गुप्ता – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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