राष्ट्रीय स्वर्ण बांड योजना
चर्चा में क्यों
हाल ही में आरबीआई द्वारा इस स्कीम की छठवीं श्रृंखला की घोषणा की गई है। योजना के तहत सब्सक्रिप्शन 30 अगस्त से 3 सितंबर 2021 तक किया जाएगा।
योजना के बारे में
- भारत सरकार द्वारा इस योजना की शुरूआत वर्ष 2015 में की गई थी। सरकार ने स्वर्ण के आयात पर भारत की अधिक निर्भरता को कम करने हेतु इन बांधों को शुरू किया था। इसका उद्देश्य स्वर्ण के भौतिक रूप में जमा करने संबंधी भारतीयों की आदत को सवारने प्रतिभूति के दस्तावेजों में जमा करने की प्रवृत्ति में बदलाव करना था।
पात्रता
- यह भारतीय निवासी व्यक्तियों, हिंदू अविभक्त परिवारों, ट्रस्ट, विश्वविद्यालय, धर्मार्थ संस्थाओं तक सीमित है।
न्यूनतम व अधिकतम सीमा
- निवेश की न्यूनतम सीमा 1 ग्राम तथा अधिकतम सीमा प्रतिवर्ष प्रत्येक व्यक्ति के लिए 4 किलोग्राम तथा संस्थाओं के लिए 30 किलोग्राम है।
- इन प्रतिभूतियों का उपयोग बैंकों, वित्तीय संस्थानों तथा गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों से ऋण लेने हेतु जमानत के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
पंजाब सरकार द्वारा पराली के उपयोग करने पर उद्योग को प्रोत्साहन
- पहले आओ पहले पाओ के आधार पर, पहले 50 मौजूदा उद्योगों को बाॅयलरो लोगों में इंधन के रूप में धान की वालों का उपयोग करने के लिए 25 करोड कि संचित वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
- गैर राजकोषीय प्रोत्साहन के तौर पर उद्योगों को, धान की पराली के भंडार हेतु 33 वर्ष तक के लीज समझौते के साथ पंचायत भूमि उपलब्ध कराई जाएगी।
- जिन क्षेत्रों में बाॅयलर में धान के पुआल का उपयोग इंधन के रूप में किया जाता है वहां प्राथमिकता के आधार पर बेलर ( प्रवाहक) उपलब्ध कराए जाएंगे।
पराली जलाने से हानियां
प्रदूषण – वातावरण में बड़ी मात्रा में प्रदूषक गैस उत्सर्जित होते हैं। जैसे – मिथेन, कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड इत्यादि।
मृदा उर्वरता – मिट्टी के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
उष्मा का प्रवेश – पराली जलाने से उष्मा मिट्टी में प्रवेश करती है, जिससे जमीन की नमी और लाभकारी जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।
उपयोग
- पराली को कम्पोस्टिंग के माध्यम से समृद्ध जैविक खाद में परिवर्तित किया जा सकता है।
दीपोर बील वन्यजीव अभ्यारण
चर्चा में क्यों
हाल ही में दीपोर वन्यजीव अभ्यारण को पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र ( eco sensitive zone – ESZ) अधिसूचित किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- दीपोर बील असम की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील व राज्य का एकमात्र रामसर स्थल भी है।
- दीपोर बील आर्द्र भूमि, जलीय वनस्पतियों और पक्षियों ( 150 प्रजातियां) के लिए अद्वितीय स्थल है।
- वन्य जीव संरक्षण रणनीति 2002 के अनुसार, क्षेत्र के आसपास 10 किलोमीटर तक के क्षेत्र को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया जा सकता है।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
सुरजीत गुप्ता – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।