3 August 2021 Current affairs

कोविड-19 से रिकवरी में अश्वगंधा का महत्व

चर्चा में क्यों ?
हाल ही में भारत और यूके ने कोविड-19 से रिकवरी के मामले को बढ़ावा देने हेतु अश्वगंधा (AG) पर एक अध्ययन का आयोजन करने में सहयोग किया है।

तथ्य

  • परीक्षण की सफलता के पश्चात यह संक्रमण को रोकने हेतु एक सिद्ध औषधि उपचार होगा तथा वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक समुदाय द्वारा यह जाना जाएगा।
  • पहली बार आयुष मंत्रालय ने विदेश संस्थान के साथ मिलकर कोविड-19 रोगियों पर इसका परीक्षण किया।

अश्वगंधा के बारे में

  • अश्वगंधा ( विथानिया सोम्विफेरा ) यूनिटी बढ़ाने वाली एक औषधि जड़ी बूटी है।
  • “एट्राप्टोजेन” के रूप में वर्गीकृत अर्थात शरीर के तनाव का प्रबंधन करने में मददगार।
  • चिंता एवं अवसाद के लक्षणों से लड़ने के साथ मस्तिष्क की स्मृति और संज्ञानात्मक कार्यों को बढ़ाने और रक्त शर्करा को कम करने का कार्य करती है।
  • अश्वगंधा, तीव्र और पुरानी
  • संधि शोथ/गठिया के नैदानिक इलाज में सफल है।

अश्वगंधा की क्षमता

  • अध्ययन के अनुसार यह कोविड-19 के दीर्घकालिक लक्षणों को कम करने के लिए एक संभावित चिकित्सीय औषधि के रूप में है।
  • प्रारंभ में अश्वगंधा के कई यादृच्छिक प्लेसबो नियंत्रित परीक्षणों ने चिंता और तनाव को कम, मांसपेशियों की ताकत में सुधार तथा पुराने रोगियों में थकान के लक्षणों को कम करने में इसकी प्रभावकारिता का परीक्षण किया है।

नैदानिक परीक्षण

  • नैदानिक परीक्षण को चरण-I , चरण -II और चरण -III में वर्गीकृत किया जाता है, कुछ देशों में अध्ययन करने के लिए औपचारिक नियामक अनुमोदन की आवश्यकता होती है।

ई-रूपी: वाउचर आधारित डिजिटल भुगतान प्रणाली

चर्चा में क्यों ?
भारत सरकार इलेक्ट्रॉनिक वाउचर आधारित डिजिटल भुगतान प्रणाली ई-रूपी (e-RUPI) लॉन्च करने जा रही है।
इस वाउचर सिस्टम का उपयोग पहले से ही कई दशों द्वारा किया जा रहा है, उदाहरण के लिये अमेरिका, कोलंबिया, चिली, स्वीडन, हॉन्गकॉन्ग आदि।

प्रमुख बिंदु:
ई-रूपी:

  • डिजिटल पेमेंट हेतु यह एक कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस तरीका है। यह एक त्वरित प्रतिक्रिया (QR) कोड या एसएमएस स्ट्रिंग-आधारित ई-वाउचर है, जो उपयोगकर्त्ताओं के मोबाइल पर भेजा जाता है।
  • उपयोगकर्त्ता कार्ड, डिजिटल भुगतान एप या इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस की आवश्यकता के बिना इस वाउचर को भुनाने में सक्षम होंगे।
  • यह सेवाओं के प्रायोजकों को बिना किसी भौतिक इंटरफेस के डिजिटल मोड में लाभार्थियों और सेवा प्रदाताओं के साथ जोड़ता है।
  • तंत्र यह भी सुनिश्चित करता है कि लेन-देन पूरा होने के बाद ही सेवा प्रदाता को भुगतान किया जाए।
  • सिस्टम प्री-पेड प्रकृति का है और इसलिये किसी भी मध्यस्थ के बिना सेवा प्रदाता को समय पर भुगतान का आश्वासन देता है।

आभासी मुद्रा से भिन्न:

  • वास्तव में ई-रूपी अभी भी मौजूदा भारतीय रुपए द्वारा समर्थित है क्योंकि अंतर्निहित परिसंपत्ति और इसके उद्देश्य की विशिष्टता इसे एक आभासी मुद्रा से अलग बनाती है और इसे वाउचर-आधारित भुगतान प्रणाली के करीब रखती है।

जारीकर्त्ता संस्थाएंँ और लाभार्थी की पहचान:

  • वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सहयोग से भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम द्वारा अपने एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) प्लेटफॉर्म पर एकमुश्त भुगतान तंत्र विकसित किया गया है।
  • यह बैंकों का एक बोर्ड होगा जो इसे जारी करने वाली संस्थाएंँ होंगी। किसी भी कॉरपोरेट या सरकारी एजेंसी को साझेदार बैंकों से संपर्क करना होगा, जो निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्र में ऋण प्रदान करते हैं, विशिष्ट व्यक्तियों के विवरण तथा उस उद्देश्य हेतु जिसके लिये भुगतान किया जाना है।
  • लाभार्थियों की पहचान उनके मोबाइल नंबर का उपयोग करके की जाएगी तथा बैंक द्वारा किसी दिये गए व्यक्ति के नाम पर सेवा प्रदाता को आवंटित वाउचर केवल उस व्यक्ति को ही प्रदान किया जाएगा।

उपयोग:

सरकारी क्षेत्र:

  • इससे कल्याण सेवाओं की लीक-प्रूफ डिलीवरी (Leak-Proof Delivery) सुनिश्चित होने की उम्मीद है और इसका उपयोग आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, उर्वरक सब्सिडी आदि योजनाओं के तहत मातृ एवं बाल कल्याण योजनाओं, दवाओं व निदान के तहत दवाएँ तथा पोषण सहायता प्रदान करने हेतु योजनाओं के तहत सेवाएँ देने के लिये भी किया जा सकता है।

निजी क्षेत्र:

  • यहाँ तक कि निजी क्षेत्र भी अपने कर्मचारी कल्याण और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में इन डिजिटल वाउचर का लाभ उठा सकता है।

महत्त्व:

  • सरकार पहले से ही एक केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित ‘डिजिटल मुद्रा’ विकसित करने की दिशा में कार्य कर रही है और ‘ई-रूपी’ का शुभारंभ संभावित रूप से डिजिटल भुगतान अवसंरचना में मौजूद अंतराल को उजागर कर भविष्य की डिजिटल मुद्रा की सफलता में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।

भारत में डिजिटल मुद्रा का भविष्य:

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, भारत में डिजिटल मुद्राओं के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है, जिसके निम्नलिखित चार कारण हो सकते हैं:
  • डिजिटल भुगतान की पहुँच में बढ़ोतरी: देश में डिजिटल भुगतान में बढ़ोतरी हो रही है, साथ ही नकदी का उपयोग, विशेष रूप से छोटे मूल्य के लेन-देन के लिये अभी भी महत्त्वपूर्ण रूप से बरकार है।
  • उच्च करेंसी-जीडीपी अनुपात: भारत का उच्च करेंसी-जीडीपी अनुपात देश की ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
  • नकद-जीडीपी अनुपात या उच्च करेंसी-जीडीपी अनुपात, सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में प्रचलन में नकदी के मूल्य को दर्शाता है।
  • वर्चुअल करेंसी का प्रसार: बिटकॉइन और एथेरियम जैसी निजी वर्चुअल मुद्राओं का प्रसार ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ की प्रसिद्धि का एक अन्य कारण हो सकता है।
  • आम जनता के लिये महत्त्वपूर्ण: केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा, अस्थिर निजी वर्चुअल मुद्राओं के विरुद्ध आम जनता के लिये काफी महत्त्वपूर्ण होगी।

गिलगित बाल्टिस्तान को प्रांतीय दर्जा

चर्चा में क्यों

26 वें संविधान संशोधन द्वारा अंतरिम प्रांत का दर्जा दिया गया।

सामान्य परिचय

  • 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तान द्वारा कब्जाया गया क्षेत्र लद्दाख के उत्तर पश्चिम का क्षेत्र।
  • भारत-पाकिस्तान के बीच का विवादित भू- भाग ।
  • अफगानिस्तान, पाकिस्तान चीन से सझी सीमा के कारण

रणनीतिक महत्व

  • 1948 में UNSC द्वारा कराए गए संघर्ष विराम के बाद से यह POK के रूप में जाना जाता है।

हालिया घटनाक्रम

  • उक्त संशोधन के पश्चात यह पाकिस्तान का पांचवां प्रांत बन जाएगा।
  • इसे वर्तमान नाम gilgit-baltistan ( सशक्तिकरण और स्वशासन) आदेश 2009 के लागू होने के साथ मिला है।

प्रांत बनने का कारण

  • चीन प्रायोजित CPEC (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) का केंद्र बिंदु है।
  • भारत द्वारा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन के पश्चात इस क्षेत्र पर संभावित दावे की आशंका के चलते।

भारत का रुख

  • उक्त क्षेत्र पर पाकिस्तानी दावे को खारिज करता है तथा गिलगित बाल्टिस्तान को भारत का अभिन्न अंग बताया है।
  • CPEC को लेकर विरोध जताया है क्योंकि यह प्रोजेक्ट POK से गुजरता है।

ओजोन का स्तर अनुमत स्तर से अधिक

चर्चा में क्यों
हाल ही में दिल्ली एनसीआर में ओजोन स्तर के बढ़ने से स्मांग/धूंध की विषाक्तता बढ़ने पर विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र ने चिंता जताई है।

प्रमुख बिंदु

  • सर्दियों में भी ओजोन की उपस्थिति चिंता का विषय बनती जा रही है।
  • शहर में वातावरणीय अच्छे दिनों की संख्या घटती जा रही हैं।
  • N.C.R के साथ-साथ आस-पड़ोस के राज्यों में ओजोन का प्रभाव देखने को मिलता है।

सलाह

  • परिवहन नाइट्रोजन ऑक्साइड तथा वाष्पीय कार्बनिक यौगिक में सर्वाधिक योगदान करती है। अतः सार्वजनिक वाहनों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • औद्योगिक इकाइयों ओजोन से संबंधित सुरक्षा उपायों को अपनाना चाहिए।
  • D.O.I. की प्रॉपर मॉनिटरिंग होनी चाहिए।

सरकारी प्रयास

  • B.S.-6 वाहनों का प्रारंभ।
  • N.C.R. में ग्रेडेड रीस्पान्स एक्शन प्लान ( GRAP) का क्रियान्वयन।
  • स्वच्छ वायु कार्यक्रम।
  • दिल्ली में ओड इवन फार्मूला।
  • इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को बढ़ाना।

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ( NCDC)

चर्चा में क्यों
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री द्वारा NCDC k112 में वार्षिक दिवस की अध्यक्षता की गई।

प्रमुख बिंदु

  • NCDC को पूर्व में राष्ट्रीय संचारी रोग संस्थान ( NICD) के रूप में जाना जाता था। इसकी स्थापना वर्ष 1909 में हिमाचल प्रदेश के करौली में केंद्रीय मलेरिया ब्यूरो के रूप में की गई थी।
  • NICD को वर्ष 2009 में पनप चुके एवं फिर से पनप रहे रोगों को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र में तब्दील कर दिया गया था।
  • यह देश में रोगों की निगरानी के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है जिससे संचारी रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण में सुविधा होती है।
  • NCDC का मुख्यालय दिल्ली में है।

NCDC के कार्य

  • वह पूरे देश में किसी भी प्रकार की प्रकोप की जांच करता है।
  • व्यक्तियों, समुदायों, मेडिकल कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों एवं राज्य निदेशालय को परामर्श व नैदानिक सेवाएं प्रदान करता है।
  • महामारी विज्ञान निगरानी और प्रयोगशालाओं आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान के सृजन एवं प्रसार करना आदि।

भारत UNSC का अध्यक्ष बना

  • अध्यक्ष के रूप में दसवां कार्यकाल।
  • वर्तमान में भारत UNSC का 2021-22 कार्यकाल के लिए गैर स्थाई सदस्य भी है।
  • अंग्रेजी के वर्ण क्रमानुसार UNSC के सदस्यों के द्वारा बारी- बारी से UNSC की अध्यक्षता की जाती है।

UNSC के विषय में

  • कुल सदस्य – 15, 5 स्थाई तथा 10 अस्थाई।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा प्रत्येक 2 वर्ष के कार्यकाल हेतु 5 अस्थाई सदस्यों का चुनाव।
  • UNSC निर्णय लेने की शक्ति जिसके निर्णय सदस्य राष्ट्रों के लिए बाध्यकारी।

UNSC में प्रस्तावित सुधार

  • सदस्य की श्रेणियां
  • पांच स्थाई सदस्य ( चीन, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस) को प्राप्त वीटो पावर का प्रश्न।
  • क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व
  • विस्तारित परिषद का आकार और उसकी कार्यप्रणाली।
  • UNSC एवं संयुक्त राष्ट्र महासभा के मध्य संबंध।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी 

सुरजीत गुप्ता – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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