16 July 2021 Current affairs

दल विरोधी कानून में परिवर्तन की आवश्कता

  • गोवा विधानसभा में विपक्ष के नेता दल-बदल विरोधी कानून (Anti-Defection Law) से जुड़े विभिन्न मुद्दों के समाधान हेतु केंद्र सरकार को सिफारिश करने के लिये एक गैर-सरकारी सदस्य के प्रस्ताव को पेश करने के लिये तैयार हैं।

दल-बदल विरोधी कानून के बारे में :-

  • दसवीं अनुसूची ( जिसे ‘दल-बदल विरोधी कानून’ के नाम से जाना जाता था) को वर्ष 1985 में 52वें संविधान संशोधन के माध्यम से पारित किया गया तथा यह किसी अन्य राजनीतिक दल में दल-बदल के आधार पर निर्वाचित सदस्यों की अयोग्यता का प्रावधान निर्धारित करती है।
  • दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता के आधार इस प्रकार हैं:
  • यदि एक निर्वाचित सदस्य स्वेच्छा से किसी राजनीतिक दल की सदस्यता को छोड़ देता है।
  • यदि वह पूर्व अनुमति प्राप्त किये बिना अपने राजनीतिक दल या ऐसा करने के लिये अधिकृत किसी व्यक्ति द्वारा जारी किसी भी निर्देश के विपरीत सदन में मतदान करता है या मतदान से दूर रहता है।
  • उसकी अयोग्यता के लिये पूर्व शर्त के रूप में ऐसी घटना के 15 दिनों के भीतर उसकी पार्टी या अधिकृत व्यक्ति द्वारा मतदान से मना नहीं किया जाना चाहिये।
  • यदि कोई निर्दलीय निर्वाचित सदस्य किसी राजनीतिक दल में शामिल हो जाता है।
  • यदि छह महीने की समाप्ति के बाद कोई मनोनीत सदस्य किसी राजनीतिक दल में शामिल हो जाता है।
  • 1985 के अधिनियम के अनुसार, एक राजनीतिक दल के निर्वाचित सदस्यों के एक-तिहाई सदस्यों द्वारा ‘दलबदल’ को ‘विलय’ माना जाता था।
  • लेकिन 91वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 ने इसे बदल दिया और दल-बदल विरोधी कानून में एक राजनीतिक दल को किसी अन्य राजनीतिक दल में या उसके साथ विलय करने की अनुमति दी गई है, बशर्ते कि उसके कम-से-कम दो-तिहाई सदस्य विलय के पक्ष में हों।
  • इस प्रकार अयोग्य सदस्य उसी सदन की एक सीट के लिये किसी भी राजनीतिक दल के लिये चुनाव लड़ सकते हैं।
  • दल-बदल के आधार पर अयोग्यता संबंधी प्रश्नों पर निर्णय के लिये उसे सदन के सभापति या अध्यक्ष के पास भेजा जाता है, जो कि ‘न्यायिक समीक्षा’ के अधीन होता है।

प्रस्तावित परिवर्तन:

  • एक विकल्प यह है कि ऐसे मामलों को सीधे उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय को एक स्पष्ट निर्णय हेतु भेजा जाए, जो कि 60 दिनों की अवधि के भीतर दिया जाना चाहिये।
  • दूसरा विकल्प यह है कि अगर किसी पार्टी या पार्टी नेतृत्व के संबंध में कोई मतभेद है, तो उसे इस्तीफा देने और लोगों को नया जनादेश का अधिकार हो।
  • इन परिवर्तनों में एक निर्वाचित प्रतिनिधि के लिये लोगों के प्रति जवाबदेह और ज़िम्मेदार होने की आवश्यकता की परिकल्पना की गई है।

सेंट क्वीन केटेवन के अवशेष: जॉर्जिया

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में भारत ने 17वीं सदी की सेंट क्वीन केटेवन के पवित्र अवशेषों का एक हिस्सा जॉर्जिया की सरकार को उपहार में दिया है।
  • ये अवशेष भारत के विदेश मंत्री की जॉर्जिया की पहली यात्रा के अवसर पर उपहार में दिये गए हैं।
  • जॉर्जिया रणनीतिक रूप से एक महत्त्वपूर्ण देश है, जो पूर्वी यूरोप और पश्चिमी एशिया के इंटरसेक्शन पर स्थित है।

सेंट क्वीन केटेवन के विषय में:-

  • रानी केटेवन पूर्वी जॉर्जिया के एक राज्य काखेती से थीं।
  • ऐसा माना जाता है कि वर्ष 1624 में शिराज (आधुनिक ईरान) में इस्लाम में परिवर्तित न होने के कारण उनकी हत्या कर दी गई थी। उनके अवशेषों के कुछ हिस्सों को 1627 में ऑगस्टीन भिक्षुओं द्वारा गोवा लाया गया था। क्वीन केटेवन के यही अवशेष भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा वर्ष 2005 में गोवा में सेंट ऑगस्टीन चर्च के खंडहर में खोजे गए थे।
  • जॉर्जिया के लोगों की कई ऐतिहासिक, धार्मिक और आध्यात्मिक भावनाएँ सेंट क्वीन केटेवन से जुड़ी हुई हैं।

सेंट ऑगस्टीन चर्च:-

  • सेंट ऑगस्टीन चर्च गोवा में स्थित एक खंडहर चर्च परिसर है।
  • यह गोवा के चर्चों और मठों का एक हिस्सा है, जो कि यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है।
  • इस चर्च का निर्माण कार्य वर्ष 1602 में ऑगस्टीन भिक्षुओं द्वारा पूरा किया गया था। वर्ष 1835 में गोवा की पुर्तगाली सरकार द्वारा अपनाई गई नवीन दमनकारी नीतियों के तहत गोवा में कई धार्मिक पवित्र स्थानों में धार्मिक गतिविधियों को बंद कर दिया गया और इसका प्रभाव सेंट ऑगस्टीन चर्च पर भी पड़ा। इसके परिणामस्वरूप यह परिसर वह वर्ष 1842 में खंडहर में परिवर्तित हो गया।

भारत-जॉर्जिया संबंध:-

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: ऐसा माना जाता है कि भारत के पंचतंत्र की दंतकथाओं ने जॉर्जियाई लोक कथाओं को प्रभावित किया है।
  • मध्ययुगीन काल में मिशनरियों, यात्रियों और व्यापारियों द्वारा उन संपर्कों को और मज़बूत किया गया था।
  • हाल की यात्रा: भारत, जॉर्जिया में और अधिक निवेश करने को तैयार था, जो ईज ऑफ डूइंग सूचकांक में उच्च स्थान पर है।
  • जॉर्जिया ने यूरोपीय संघ की सदस्यता के लिये भी आवेदन किया है, जिसे अगर स्वीकार कर लिया जाता है तो यह भारत को यूरोप के लिये एक और प्रवेश द्वार तथा काकेशस में कदम जमाने का अवसर देगा।
  • रूस और जॉर्जिया के बीच शत्रुतापूर्ण संबंधों को देखते हुए इस यात्रा का राजनीतिक महत्त्व भी है। भारत ने रूस को स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वह रूस के विदेश मंत्री की हाल की पाकिस्तान यात्रा से खुश नहीं है।

काकेशस (Caucasus):

  • यह पर्वत प्रणाली और क्षेत्र, काला सागर (पश्चिम) एवं कैस्पियन सागर (पूर्व) के बीच स्थित है तथा रूस, जॉर्जिया, अज़रबैजान एवं आर्मेनिया के कब्जे में है।

मुद्रास्फीति डेटा: जून 2021

हाल ही में ‘उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग’ के तहत आर्थिक सलाहकार कार्यालय ने जून, 2021 के लिये ‘थोक मूल्य सूचकांक’ (WPI) जारी किया है।

प्रमुख बिंदु
थोक मूल्य- मुद्रास्फीति:

  • थोक कीमतों में मुद्रास्फीति जून 2021 में भी उच्च स्तर (12.07 प्रतिशत) पर रही, जो कि मई 2021 में अपने रिकॉर्ड स्तर 12.94 पर पहुँच गई थी।

कारण

  • जून 2021 में मुद्रास्फीति की उच्च दर मुख्य रूप से ‘बेस इफेक्ट’ के निम्न रहने के कारण रही।
  • बेस इफेक्ट: इसका आशय दो डेटा बिंदुओं के बीच तुलना के लिये अलग-अलग संदर्भ बिंदु चुनने के कारण तुलना के परिणाम पर पड़ने वाले प्रभाव से है।
  • खनिज तेल जैसे- पेट्रोल, डीज़ल, नेफ्था, फर्नेस ऑयल आदि की कीमतों में वृद्धि।
  • बीते वर्ष के इसी माह की तुलना में विनिर्मित उत्पादों जैसे- धातु, खाद्य उत्पाद, रासायनिक उत्पाद आदि की लागत में वृद्धि।
  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जून 2021 में 6.26 प्रतिशत पर थी।

प्रभाव

  • थोक मूल्य-मुद्रास्फीति का खुदरा मूल्य मुद्रास्फीति (CPI मुद्रास्फीति) के स्तर पर भी प्रभाव पड़ेगा, जो कि अंततः मौद्रिक नीति को प्रभावित करेगा।
  • मौद्रिक नीति केंद्रीय बैंक द्वारा निर्धारित व्यापक आर्थिक नीति होती है। इसमें मुद्रा आपूर्ति और ब्याज दर का प्रबंधन शामिल होता है तथा इसका उपयोग देश की सरकार द्वारा मुद्रास्फीति, खपत, विकास और तरलता जैसे व्यापक आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये किया जाता है।
  • थोक मूल्य सूचकांक (WPI)

थोक मूल्य सूचकांक (WPI)

  • यह थोक व्यवसायों द्वारा अन्य व्यवसायों को बेचे जाने वाले सामानों की कीमतों में बदलाव को मापता है।
  • इसे वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार कार्यालय द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
  • यह भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला मुद्रास्फीति संकेतक (Inflation Indicator) है।
  • इस सूचकांक की सबसे प्रमुख समस्या यह है कि आम जनता थोक मूल्य पर उत्पाद नहीं खरीदती है।
  • वर्ष 2017 में अखिल भारतीय WPI के लिये आधार वर्ष को
  • 2004-05 से संशोधित कर 2011-12 कर दिया गया थाl

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक

  • यह खुदरा खरीदार के दृष्टिकोण से मूल्य में हुए परिवर्तन को मापता है तथा इसे राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office- NSO) द्वारा जारी किया जाता है।
  • यह उन वस्तुओं और सेवाओं जैसे- भोजन, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि की कीमत में अंतर की गणना करता है, जिसे भारतीय उपभोक्ता उपयोग के लिये खरीदते हैं।
  • इसके कई उप-समूह हैं जिनमें खाद्य और पेय पदार्थ, ईंधन तथा प्रकाश, आवास एवं कपड़े, बिस्तर व जूते शामिल हैं।
  • इसके निम्नलिखित चार प्रकार हैं:
  • औद्योगिक श्रमिकों (Industrial Workers- IW) के लिये CPI
  • कृषि मज़दूर (Agricultural Labourer- AL) के लिये CPI
  • ग्रामीण मज़दूर (Rural Labourer- RL) के लिये CPI
  • CPI (ग्रामीण/शहरी/संयुक्त)
  • इनमें से प्रथम तीन के आँकड़े श्रम और रोज़गार मंत्रालय में श्रम ब्यूरो (labor Bureau) द्वारा संकलित किये जाते हैं, जबकि चौथे प्रकार की CPI को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) के अंतर्गत केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (Central Statistical Organisation-CSO) द्वारा संकलित किया जाता है।
  • सामान्य तौर पर CPI के लिये आधार वर्ष 2012 है। हालाँकि औद्योगिक श्रमिकों हेतु CPI (CPI-IW) आधार वर्ष 2016 है।
  • मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) मुद्रास्फीति (रेंज 4+/-2% के भीतर) को नियंत्रित करने के लिये CPI डेटा का उपयोग करती है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अप्रैल 2014 में CPI को मुद्रास्फीति के अपने प्रमुख उपाय के रूप में अपनाया था

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बनाम थोक मूल्य सूचकांक

  • थोक मूल्य सूचकांक (WPI) का उपयोग उत्पादक स्तर पर मुद्रास्फीति का पता लगाने के लिये किया जाता है और CPI उपभोक्ता स्तर पर कीमतों के स्तर में बदलाव को मापता है।
  • WPI सेवाओं की कीमतों में परिवर्तन को शामिल नहीं करता है, जबकि CPI में सेवाओं की कीमतों को शामिल किया जाता है।
  • मुद्रास्फीति
  • मुद्रास्फीति का तात्पर्य दैनिक या सामान्य उपयोग की अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं जैसे- भोजन, कपड़े, आवास, मनोरंजन, परिवहन आदि की कीमतों में वृद्धि से है।
  • मुद्रास्फीति समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं के औसत मूल्य परिवर्तन को मापती है।
  • मुद्रास्फीति किसी देश की मुद्रा की क्रय शक्ति में कमी का संकेत है।
  • यह अंततः आर्थिक विकास में मंदी का कारण बन सकती है।
  • हालाँकि उत्पादन वृद्धि सुनिश्चित करने के लिये अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के एक संतुलित स्तर की आवश्यकता होती है।
  • भारत में मुद्रास्फीति को प्रमुख रूप से दो मुख्य सूचकांकों (WPI और CPI) द्वारा मापा जाता है, जो क्रमशः थोक एवं खुदरा स्तर पर मूल्य में परिवर्तन को मापते हैं।

कोर मुद्रास्फीति

  • यह वस्तुओं और सेवाओं की लागत में बदलाव को दर्शाता है, लेकिन इसमें खाद्य तथा ईंधन की लागतों को शामिल नहीं किया जाता है, क्योंकि उनकी कीमतें बहुत अधिक अस्थिर होती हैं।
  • कोर मुद्रास्फीति = हेडलाइन मुद्रास्फीति – (खाद्य और ईंधन) मुद्रास्फीति।

नई सौर परियोजनाएं :- NTPC

हाल ही में एनटीपीसी तथा रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड ने देश का पहला ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी प्रोजेक्ट स्थापित करने हेतु केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया।

प्रमुख बिंदु

  • NTPC तथा REL ने कम क्षेत्र में शुरुआत के लिए पांच हाइड्रोजन बस लगाए जाने की योजना बनाई है और कंपनी में एक सौर संयंत्र तथा एक हरित हाइड्रोजन उत्पादन इकाई को स्थापित करेगी।
  • यह लेह को हरित हाइड्रोजन आधारित गतिशीलता परियोजना लागू करने वाला देश का पहला शहर बना देगा।
  • यह प्रधानमंत्री के “कार्बन न्यूट्रल” लद्दाख के दूषित उनके अनुरुप भी है।
  • यह लद्दाख के अक्षय स्रोत और हरित हाइड्रोजन पर आधारित कार्बन मुक्त अर्थव्यवस्था दिक्षित करने में मदद करेगा।

Uv-C तकनीक

चर्चा में क्यों
संसद में ASRS-Cov-2 के वायु में संचरण कम करने के लिए UV-C कीटाणु शोधन तकनीकी का प्रयोग करेगी।

Uv-C वायु वाहिका कीटाणु शोधन प्रणाली के बारे में

विकास

  • CSIR तथा CSIO ( Central scientific instrument organisation) द्वारा।
  • यह वायु में उपस्थित विषाणु को अपने U.v. Rays को मारने तथा उनका शोधन करने में सक्षम है।
  • इसका प्रयोग, ऑडिटोरियम, माल, शैक्षणिक संस्थानों,A.C बसो , रेलवे में किया जा सकता है।
  • पराबैंगनी विकिरण, X-ray तथा दृश्य प्रकाश के बीच विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम का हिस्सा है।
  • सूर्य का प्रकाश पराबैगनी विकिरण का सबसे आम रूप है।

अल्ट्रावायलेट किरणों का उपयोग

  • सूक्ष्म जीवों को मारने में
  • रोगाणु नाशक विकिरण के रूप में
  • भोजन, हवा तथा जल शोधन में प्रयोग किया जाता है।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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