भारत 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा
- 15वें जी-20 शिखर सम्मेलन के समापन के सऊदी अरब में
- अगला सम्मेलन 2021 में इटली में होगा.
- 2022 में इंडोनेशिया ।
- 2023 में जी-20 समिट की अध्यक्षता भारत करेगा।
- 2024 में ब्राजील समिट की मेजबानी करेगा.
जी-20 शिखर सम्मेलन के बारे में
संक्षेपाक्षर – G-20 या G20
स्थापना – 1999 2008 (राज्य के प्रमुखों का शिखर सम्मेलन)
उद्देश्य
वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रणालीबद्ध महत्वपूर्ण औद्योगिक और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाने के लिए में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा।
सदस्य
अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका। स्पेन एक स्थायी अतिथि है जो, हर वर्ष आमंत्रित होता है।
15 साल से कम उम्र वाले खिलाड़ी नहीं खेल पाएंगे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट
सन्दर्भ
- अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने 19 नवंबर 2020 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को लेकर एक बड़ा घोषणा किया है. आईसीसी बोर्ड ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के लिए खिलाड़ियों के लिए न्यूनतम आयु की नीति शुरू की है. उसके मुताबिक, क्रिकेटर को विश्व स्तर पर खेल खेलने के लिए कम से कम 15 साल का होना चाहिए.
तथ्य
- आईसीसी बोर्ड ने खिलाड़ियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह नियम बनाया है.
- इस बात की जानकारी बोर्ड ने दी. यह आयु संबंधी सीमा सभी तरह की क्रिकेट पर लागू होगा जिसमें आईसीसी के टूर्नामेंट्स, द्विपक्षीय क्रिकेट और अंडर-19 क्रिकेट शामिल है.
अपवाद की स्थिति में
- इसमें खिलाड़ी का खेलने का अनुभव, मानसिक विकास और वह किस तरह से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का दबाव झेल पाएगा इस बात का ध्यान रखा जाएगा.
- हालांकि एक सदस्य बोर्ड आईसीसी से 15 वर्ष से कम उम्र के खिलाड़ियों को खेलने की अनुमति मांग सकता है लेकिन उस खिलाड़ी को खेल का अनुभव एवं मानसिक विकास से मुकाबला करने में सक्षम होना चाहिए।
पृष्ठभूमि
- अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पाकिस्तान के हसन रजा ने 14 साल और 227 दिन की उम्र में अपना पहला मैच खेला था. वह सबसे कम उम्र में डेब्यू करने वाले खिलाड़ी हैं.
- पूर्व दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर देश के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय हैं. उन्होंने 16 साल और 205 दिन की उम्र में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया.
होयसल मंदिर
सन्दर्भ
हाल ही में कर्नाटक के हासन के पास डोड्डागाड्डावल्ली (Doddagaddavalli) में ऐतिहासिक होयसल मंदिर (Hoysala Temple) में देवी काली (Kali) की एक मूर्ति क्षतिग्रस्त पाई गई।
प्रमुख बिंदु:
- होयसल मंदिर जो भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI) का एक स्मारक है, को 12वीं शताब्दी में बनाया गया था।
होयसल वास्तुकला के बारे में
- होयसल वास्तुकला 11वीं एवं 14वीं शताब्दी के बीच होयसल साम्राज्य के अंतर्गत विकसित एक वास्तुकला शैली है जो ज़्यादातर दक्षिणी कर्नाटक क्षेत्र में केंद्रित है।
- होयसल मंदिर, हाइब्रिड या बेसर शैली के अंतर्गत आते हैं क्योंकि उनकी अनूठी शैली न तो पूरी तरह से द्रविड़ है और न ही नागर।
कुछ प्रसिद्ध मंदिर हैं:
- होयसलेश्वर मंदिर (Hoysaleshvara Temple) जो कर्नाटक के हलेबिड में है, इसे 1150 ईस्वी में होयसल राजा द्वारा काले शिष्ट पत्थर (Dark Schist Stone) से बनवाया गया था।
- कर्नाटक के सोमनाथपुरा में चेन्नेकेशवा मंदिर (Chennakeshava Temple) जिसे नरसिम्हा III की देखरेख में 1268 ईस्वी के आसपास बनाया गया था।
- विष्णुवर्धन द्वारा निर्मित कर्नाटक के हसन ज़िले के बेलूर में केशव मंदिर (Kesava Temple)।
सिम्बेक्स-20
सन्दर्भ
भारतीय नौसेना, अंडमान सागर (Andaman Sea) में 23 से 25 नवंबर, 2020 तक 27वें भारत-सिंगापुर द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास सिम्बेक्स-20 (SIMBEX-20) की मेज़बानी करेगी।
अंडमान सागर (Andaman Sea):
- अंडमान सागर उत्तर-पूर्वी हिंद महासागर का एक सीमांत सागर है जो मर्तबान की खाड़ी के साथ-साथ म्याँमार एवं थाईलैंड के तट से घिरा हुआ है और यह मलय प्रायद्वीप के पश्चिम में है।
- अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह द्वारा अंडमान सागर, बंगाल की खाड़ी से अलग होता है।
- बंगाल की खाड़ी में 10 डिग्री चैनल अंडमान द्वीप और निकोबार द्वीप समूह को एक-दूसरे से अलग करता है।
- अंडमान सागर एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में चार देशों (भारत, म्याँमार, थाईलैंड, इंडोनेशिया) के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone) स्थापित हैं।
चांग’ई-5 प्रोब
सन्दर्भ
- पृथ्वी के उपग्रह ‘चंद्रमा’ से लूनार रॉक्स (Lunar Rocks) के नमूने लाने के लिये चीन नवंबर 2020 के अंत तक चंद्रमा पर एक मानव रहित अंतरिक्षयान ‘चांग’ई-5 प्रोब’ (Chang’e-5 Probe) भेजने की योजना बना रहा है।
प्रमुख बिंदु:
- चांग’ई-5 प्रोब’ जिसका नाम चंद्रमा की प्राचीन चीनी देवी के नाम पर रखा गया है, ऐसी सामग्री एकत्र करेगा जो वैज्ञानिकों को चंद्रमा की उत्पत्ति एवं निर्माण के बारे में समझने में अधिक मदद कर सके।
- यह मिशन जटिल मिशनों से आगे बढ़कर अंतरिक्ष से नमूने प्राप्त करने की चीन की क्षमता को भी दर्शाएगा।
- चीन का यह मिशन सफल होता है तो संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बाद चीन तीसरा ऐसा देश होगा जो चंद्रमा के नमूनों (Lunar Samples) को प्राप्त करेगा।
- चीन का ‘चांग’ई-5 प्रोब’ ओशियनस प्रोसेलरम (Oceanus Procellarum) या ‘ओशियन ऑफ स्टॉर्म’ (Ocean of Storms) के नाम से जाने जाने वाले एक विशाल लावा मैदान से 2 किलोग्राम नमूने एकत्र करने का प्रयास करेगा।
- उल्लेखनीय है कि चीन ने वर्ष 2030 तक मंगल से नमूने प्राप्त करने की भी योजना बनाई है।
Team rudra
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