18 July 2021 Current affairs

उड़ान’ योजना

  • हाल ही में, सरकार ने छोटे शहरों को महानगरों से जोड़ने के लिए UDAN योजना के तहत नई उड़ानों की घोषणा की है।
  • इन उड़ानों के लिए देश में कम उपयोग किए जाने वाले हवाई अड्डों का उपयोग किए जाते हैं और इनके माध्यम से देशवासियों को सस्ती उड़ानें प्रदान करने का प्रयास किया जाता है।

पृष्ठभूमि:

  • केंद्र सरकार द्वारा, UDAN योजना (Ude Desh Ka Aam Nagrik – UDAN) के नाम से एक क्षेत्रीय संपर्क योजना के तहत 100 कम उपयोग किए जाने वाले हवाई अड्डों के संचालन और कम से कम 1,000 हवाई मार्गों को शुरू करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है।

उड़ान’ योजना के बारे में:

  • इस योजना का उद्देश्य देश के दूरस्थ और क्षेत्रीय क्षेत्रों से संपर्क बढ़ाना और हवाई यात्रा को वहनीय बनाना है।
  • यह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति का एक प्रमुख घटक है और इसे जून 2016 में लॉन्च किया गया था।
  • इस योजना के तहत, UDAN की फ्लाइट्स में लगभग आधी सीटें रियायती किराए पर दी जाती हैं, और भाग लेने वाले कैरीएर्स को एक निश्चित राशि की ‘व्यवहार्यता अंतराल निधि’ (viability gap funding– VGF) प्रदान की जाती है, जोकि केंद्र और संबंधित राज्यों के मध्य साझा की जाती है।
  • इस योजना को केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से वित्त पोषित किया जाएगा।
  • यह योजना 10 साल तक जारी रहेगी और बाद में इसे आगे बढ़ाया जा सकता है।

उड़ान 4.0:

  • उड़ान के चौथे दौर (UDAN 4.0) को दिसंबर 2019 में पूर्वोत्तर क्षेत्रों, पहाड़ी राज्यों और द्वीपों पर विशेष ध्यान देने के साथ शुरू किया गया था।
  • भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (AAI) द्वारा पहले ही विकसित किए गए हवाई अड्डों को इस योजना के तहत व्यवहार्यता अंतराल निधि (VGF) के लिए उच्च प्राथमिकता दी गई है।
  • उड़ान 0 के तहत, हेलीकॉप्टर और सी-प्लेन के संचालन को भी शामिल किया गया है।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG)

चर्चा का काऱण?

  • राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की 36वीं कार्यकारी समिति की बैठक में उत्तराखंड की छह प्रदूषित नदियों के पुनरूद्धार के लिए नई परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
  • इन परियोजनाओं में कुमाऊं क्षेत्र में छह प्रदूषित नदी खंडों को शामिल किया जायेगा।
  • NMCG – (National Mission for Clean Ganga)

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन’ के बारे में:

  • राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) को सोसाइटी पंजीकरण अधिनियमन, 1860 के अंतर्गत 12 अगस्त 2011 को एक सोसाइटी के रुप में पंजीकृत किया गया था।
  • यह ‘पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम’ (EPA), 1986 के प्रावधानों के तहत गठित ‘राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण’ (NGRBA) की कार्यान्वयन शाखा के रूप में कार्य करता था।

नोट:-

  • ‘राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण’ (NGRBA) को ‘गंगा नदी के पुनरुद्धार, संरक्षण और प्रबंधन हेतु राष्ट्रीय परिषद’ (National Council for Rejuvenation, Protection and Management of River Ganga), जिसे ‘राष्ट्रीय गंगा परिषद’ (National Ganga Council – NGC) भी कहा जाता है, का गठन किए जाने बाद 7 अक्टूबर 2016 को भंग कर दिया गया था।

कृष्णा एवं गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड का क्षेत्राधिकार

चर्चा में क्यों

  • हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा दो राजपत्रित अधिसूचनाओं के माध्यम से दोनों बोर्ड को गोदावरी और कृष्णा नदियों पर सूचीबद्ध परियोजनाओं के प्रशासन, विनियमन, संचालन और रखरखाव के संदर्भ में आवश्यक अधिकार और शक्तियां प्रदान की गई है।
  • गोदावरी और कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड का गठन आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 के तहत किया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय नदी जल विवाद

  • संवैधानिक प्रावधान – अनुच्छेद 262 , इसके तहत संसद समय-समय पर अंतरराष्ट्रीय नदी जल या नदी घाटी के जल के उपयोग, वितरण, नियंत्रण संबंधित प्रावधान कर सकती हैं।
  • उच्चतम न्यायालय या अन्य न्यायालय ऐसे मामलों में अपने अधिकारिता का प्रयोग नहीं करेगा।

नदी बोर्ड अधिनियम – 1956

  • गठन – केंद्र सरकार द्वारा, अंतरराज्यीय नदी / नदी घाटी के नियमन और विकास के लिए।
  • राज्य सरकारों के अनुरोध पर नदी बोर्ड का गठन किया जाता है।

अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनियम – 1956

  • अंतरराज्यीय नदी जल विवाद दो के लिए तदर्थ न्यायाधिकरण की स्थापना।
  • स्थायीकरण का निर्णय अंतिम होगा।
  • करण के निर्णय को किसी अन्य न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।

पर्यावरण मंत्रालय के ज्ञापन पर रोक

  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय ने पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अधिसूचना 2006 के तहत पर्यावरणीय मंजूरी के बिना परियोजनाओं को कार्योत्तर मंजूरी देने की प्रक्रिया जारी की थी जिसे मद्रास उच्च न्यायालय की पीठ ने अंतरिम रूप से रोक दिया।
  • अभी तक पूर्व में मंजूरी लेना अनिवार्य था।
  • यह नया नियम पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 का उल्लंघन करता है। साथ ही साथ पर्यावरणीय निर्णय लेने में लोगों की भागीदारी के अधिकार के विरुद्ध भी है।

पर्यावरणीय प्रभाव आकलन ( EIA)

  • यह सतत विकास हेतु प्राकृतिक संसाधनों के दूष्टतम उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण करता है।
  • इसका उद्देश्य प्रस्तावित परियोजनाओं के पर्यावरण पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव की पहचान, जांच आकलन और मूल्यांकन करना है।
  • सर्वप्रथम EIA मानदंडों को 1994 में अधिसूचित किया गया है।
  • EIA अधिसूचना 1994 को वर्ष 2006 में संशोधित करके एक नया पर्यावरणीय प्रभाव आकलन मसौदा जारी किया है

नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन हेतु भारत की आत्मनिर्भरता

चर्चा में क्यों
हाल ही में भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आत्मनिर्भर भारत नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन हेतु आत्मनिर्भर विषय पर सम्मेलन आयोजित किया गया था।

प्रमुख बिंदु

  • भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विकास दर, इस क्षेत्र में विश्व की सर्वाधिक तेज दरों में से एक है।
  • भारत द्वारा पेरिस में आयोजित COP- 2021 में संकल्प किया गया कि वर्ष 2030 तक इसकी विद्युत उत्पादन क्षमता का 40% उत्पादन गैर जीवाश्म ईंधन स्रोतों से होगा।
  • भारत ने वर्ष 2030 तक 450 गीगावॉट ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
  • भारत हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया के क्षेत्र में भी अग्रणी के रूप में उभर रहा है।

दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना

  • दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना भारत सरकार की प्रमुख पहलों में से एक है और विद्युत मंत्रालय का प्रमुख कार्यक्रम है।

उद्देश्य

  • सभी गांव एवं घरों तक विद्युतीकरण।
  • घाटे को कम करने के लिए मीटर लगाना।
  • आपूर्ति की गुणवत्ता एवं विश्वसनीयता में सुधार।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि एवं गैर कृषि उपभोक्ताओं की आपूर्ति को विवेकपूर्ण तरीके से बहाल करने की सुविधा हेतु कृषि एवं गैर कृषि फीडरों का पृथक्करण।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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