11 April 2021 Current affairs

अंतर्राष्ट्रीय क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट

चर्चा में क्यों


हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय क्रूड ऑयल की कीमतों में आई गिरावट ने इसमें छः महीने से हो रही बढ़ोतरी को स्थिर कर दिया है, जब पूरे देश में पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखी गई।

  • मार्च 2021 की शुरुआत में ब्रेंट क्रूड की कीमत में 63 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से 70 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आई।
  • WTI और ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में बदलाव से अन्य प्रकार के क्रूड ऑयलों की कीमतें भी प्रभावित होती हैं।

तेल का मूल्य निर्धारण:

1.सामान्यतः पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (OPEC) एक तेल उत्पादक संघ के रूप में क्रूड ऑयल का मूल्य निर्धारित करता है।
सऊदी अरब के हाथ में OPEC का नेतृत्व है जो विश्व में क्रूड ऑयल का सबसे बड़ा निर्यातक (वैश्विक मांग का 10% निर्यात करता है) है।
OPEC के 13 देश (ईरान, इराक, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, अल्जीरिया, लीबिया, नाइजीरिया, गैबॉन, इक्वेटोरियल गिनी, कांगो गणराज्य, अंगोला और वेनेज़ुएला) सदस्य हैं।

OPEC तेल उत्पादन में वृद्धि करके कीमतों में कमी और उत्पादन में कटौती करके कीमतों में बढ़ोतरी कर सकता है।
तेल का मूल्य निर्धारण मुख्य रूप से स्वतंत्र स्पर्धा की जगह तेल निर्यातक देशों की नीतियों पर निर्भर करता है।
2.तेल उत्पादन में कटौती या तेल के कुएँ पूरी तरह से बंद करना एक कठिन निर्णय है, क्योंकि इसे फिर से शुरू करना बेहद महँगा और जटिल है।
यदि कोई देश उत्पादन में कटौती करता है और दूसरा देश इस प्रकार की कटौती नहीं करता है तो उसे बाज़ार में अपनी हिस्सेदारी खोनी पड़ सकती है।
3.OPEC तेल की वैश्विक कीमत और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाए रखने के लिये OPEC+ के रूप में रूस के साथ काम कर रहा है।
वर्ष 2016 में OPEC ने अन्य शीर्ष तेल-निर्यातक देशों के साथ मिलकर एक और अधिक शक्तिशाली इकाई बनाई, जिसे 4.OPEC+ या ओपेक प्लस नाम दिया गया है।
OPEC और अन्य देश जो शीर्ष तेल-निर्यातक हैं, के गठबंधन को OPEC+ के नाम से जाना जाता है जो वर्ष 2016 में अस्तित्व में आया।

मूल्य में गिरावट का कारण:

कोविड संक्रमण के मामलों में पुनः बढ़ोतरी:
OPEC+ देशों द्वारा कोविड-19 संक्रमण के दूसरे दौर में एक साथ मिलकर क्रूड ऑयल के उत्पादन को बढ़ाने के निर्णय से कीमतों में गिरावट आई है।
OPEC+ देशों ने क्रूड ऑयल के उत्पादन में चरणबद्ध कटौती करने के निर्णय को वापस लेने की घोषणा की, जिससे जुलाई से प्रतिदिन 1.1 मिलियन बैरल वृद्धि क्रूड ऑयल के उत्पादन में देखने को मिली।
आपूर्ति में सुधार:
माँग के बिना आपूर्ति बढ़ाने से क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट आई है क्योंकि वैश्विक व्यापक आर्थिक स्थिति को देखते हुए तेल उत्पादक देशों के लिये आपूर्ति में कटौती करना मुश्किल था।
अमेरिकी आँकड़ों के अनुसार, पेट्रोलियम उत्पादों की माँग में कमी हो रही है और गैसोलीन उत्पादों की माँग तेज़ी से बढ़ रही है जो एक चिंतनीय स्थिति है।
अमेरिकी क्रूड ऑयल की उत्पादन क्षमता लगभग 11 मिलियन बैरल प्रतिदिन हो गई है जो इससे पहले प्रतिदिन 9.7 मिलियन बैरल हो गया था।

भारत पर प्रभाव:

चालू खाता घाटा:

तेल की कीमतों में कमी से देश के आयात में कमी आएगी, जिससे चालू खाते के घाटे को कम करने में मदद मिलेगी।
एक अनुमान के मुताबिक क्रूड ऑयल की कीमत में एक डॉलर की बढ़ोतरी से तेल के खर्च में प्रतिवर्ष लगभग 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि होती है।
भारत अपनी क्रूड ऑयल की ज़रूरतों का 80% आयात करता है।
मुद्रास्फीति
क्रूड ऑयल की कीमतों में कमी से (जो पिछले कुछ महीनों से बढ़ रही है) महंगाई में कमी आ सकती है।
इससे मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) को नीतिगत दरों का निर्धारण करने में आसानी होगी।

राजकोषीय स्थिति:

तेल की कीमतें ऐसे ही बढ़ती रहीं तो सरकार को पेट्रोलियम और डीज़ल पर करों में कटौती करने के लिये मज़बूर होना पड़ेगा, जिससे राजस्व का नुकसान हो सकता है। अतः राजकोषीय संतुलन (Fiscal Balance) बिगड़ सकता है।
राजस्व में कमी से केंद्र के विभाजन योग्य कर राजस्व में राज्यों का हिस्सा और राज्य सरकारों को वस्तु एवं सेवा कर (GST) ढाँचे के तहत दिया जाने वाला मुआवज़ा प्रभावित होगा।

मौद्रिक नीति की रिपोर्ट : RBI

● अपरिवर्तित नीतिगत दरें
● रेपो रेट : 4%
● रिवर्स रेपो रेट : 3.35%
● सीमांत अस्थाई दर : 4.25%
● बैंक दर : 4.25%

● वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी में 10.5% की वृद्धि के पूर्ववर्ती अनुमान अपरिवर्तित रखा गया है।

वित्तीय संस्थानों को सहायता

● आरबीआई वित्तीय वर्ष 2021~22 में नए ऋण देने के लिए अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों को प्रदान किए जा रहे हैं आर्थिक समर्थन प्रयासों के क्रम में 50000 करोड़ रुपए का नया समर्थन प्रदान किया है।
● नाबार्ड को कृषि और संबद्ध गतिविधियों, ग्रामीण गैर-कृषि क्षेत्र और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC), माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस(MFI) का समर्थन करने के लिए एक वर्ष हेतु ₹25000 की विशेष सुविधा प्रदान की जाएगी।
● आवासन क्षेत्र का समर्थन करने के लिए 1 वर्ष के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक में ₹10000 का SLF बनाया जाएगा।
● लघु उद्योग विकास बैंक सिडबी को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के वित्त पोषण के लिए इस सुविधा के तहत ₹15000 प्रदान किए जाएंगे।

प्राथमिकता क्षेत्र ऋण का विस्तार

● निर्यात और रोजगार के मामले में अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले क्षेत्रों के लिए तथा ऑन लैंडिंग प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (PSL) वर्गीकरण की समय सीमा सितंबर 30.2021 में 6 माह के विस्तार को मंजूरी दे दी गई है।

सरकारी प्रतिभूति अधिग्रहण कार्यक्रम (G-SAP) 1.0

● आरबीआई ने वर्ष 2021 के लिए एक वित्तीय बाजार सरकारी प्रतिभूति (G-See) अधिग्रहण कार्यक्रम या (G-SAP) 1.0 लागू करने का निर्णय लिया है। यह आरबीआई की ‘खुली बाजार प्रक्रियाओं’ का हिस्सा है।
● (G-SAP) 1.0 के तहत 25000 करोड रुपए की कुल राशि के लिए सरकारी प्रतिभूतियों की पहली खरीद 15 अप्रैल 2021 को रखी जाएगी।

सीमांत स्थाई दर

● MSF ऐसी स्थिति में अनुसूचित बैंकों के लिए आपातकालीन स्थिति में आरबीआई से ओवरनाइट ऋण लेने की सुविधा है जब अंतर-बैंक तरलता पूरी तरह से कम हो जाती है।
● अंतर-बैंक ऋण के तहत बैंक एक निर्दिष्ट अवधि के लिए एक दूसरे को धन उधार देते हैं।

दक्षिण पूर्व एशिया को EU का सहयोग

बहुपक्षीय सहायता:-

● EU आसियान के लिए विकास सहायता का सबसे बड़ा प्रदाता है और विभिन्न पर्यावरण संबंधी कार्यक्रमों के लिए लाखों यूरो व्यय करता है।
● इसमें ‘आसियान स्मार्ट ग्रीन सीरीज’ पहल के लिए 5 मिलीयन यूरो और निर्वानीकरण को रोकने के लिए शुरु की गई ‘फॉरेस्ट लॉ एनफोर्समेंट गवर्नेंस एंड ट्रेड इन आसियान’ पहल के लिए 5 मिलीयन यूरो शामिल है।

व्यक्तिगत सहायता

● EU की पर्यावरण अनुकूल नीतियां जैसे- थाईलैंड का बायो सर्कुलर ग्रीन इकोनामिक मॉडल और सिंगापुर का ग्रीन प्लान 2030 आदि में सहायता कर रहा है।
● जलवायु जोखिम सूचकांक 2020 के अनुसार वर्ष 1999 से 2018 के बीच जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले 15 देशों में 5 आसियान देश थे।

दक्षिण पूर्व एशिया में कोयले की खपत

● वर्ष 2040 तक इस क्षेत्र में उर्जा मांग को 60% वृद्धि का अनुमान है। 2040 तक इस क्षेत्र के अनुमानित CO2 उत्सर्जन के लगभग 50% का योगदान होगा।
● अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2009 से अब तक कोयले की उपयोग में 2 गुना वृद्धि हुई है।

जलवायु परिवर्तन पर आसियान देशों के साथ भारत का समन्वय

● वर्ष 2012 में दोनों देशों ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में आसियान भारत सहयोग पर नई दिल्ली घोषणा को अपनाया था।
● वर्ष 2007 में जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में अनुकूलन और शमन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने हेतु पायलट परियोजनाओं को शुरू करने के लिए 5 मिलियन डॉलर के साथ आसियान-भारत ग्रीन फंड की स्थापना की गई थी।
● आसियान भारत IISc बेंगलुरु के साथ साझेदारी के माध्यम से जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं।

तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति

● उच्च न्यायालयों में 1 अप्रैल को नियमित न्यायाधीशों के 411 पद रिक्त थे जबकि न्यायाधीशों के कुल स्वीकृत पदों की संख्या 1080 है वर्तमान में उच्च न्यायालयों में कुल 669 न्यायाधीश कार्यरत हैं।
● उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों को विशेष परिस्थिति में भी तदर्थ न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करना चाहिए।
● इस संबंध में अनुच्छेद 224A के अंतर्गत संविधान में तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति संबंधी प्रावधान किए गए हैं।
● इस प्रकार नियुक्त किए गए न्यायाधीशों को राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित भत्ते प्रदान किए जाते हैं।

सार्थक कार्यक्रम

● शिक्षा मंत्री द्वारा इस योजना को जारी किया गया।
● गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से छात्रों और शिक्षकों की समग्र उन्नति।
● यह कार्यक्रम छात्रों एवं शिक्षकों को समावेशी एवं अनुकूल वातावरण तैयार करेगा।
● इसके माध्यम से सकल नामांकन अनुपात, शुद्ध नामांकन अनुपात और ड्रॉप आउट हो रहे बच्चों की संख्या पर ध्यान देना है।
● प्रायोगिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करेगा।
● इससे शिक्षक शिक्षण कार्यक्रमों की गुणवत्ता में भी सुधार होगा यह व्यवसायिक शिक्षा, खेल, कला भारत का ज्ञान, 21वीं सदी के कौशल आदि का पाठ्यक्रम लागू करेगा।

सौर ऊर्जा क्षेत्र के लिए प्रोत्साहन

● हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा दो उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं को मंजूरी दी गई है:-
• श्वेत वस्तुओ (एयर कंडीशनर तथा एलईडी लाइट)
• उच्च दक्षता वाले सौर फोटोवोल्टिक माड्यूल

PLI योजना

● इसका प्रमुख उद्देश्य क्षेत्र आधारित अक्षमताओं को दूर करके बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्था का निर्माण और दक्षता को सुनिश्चित करते हुए भारत में विनिर्माण को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है।
● इसके तहत आगामी 5 वर्षों के दौरान भारत में निर्मित वस्तुओं की वृद्धिमान बिक्री पर 4% से 6% की दर से प्रोत्साहन दिया जाएगा।

लाभ

● समेकित सोलर पीवी विनिर्माण संयंत्रों की क्षमता में 10000 मेगावाट की वृद्धि होगी।
● सोलर पीवी विनिर्माण परियोजना में 17200 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष निवेश होगा।
● करीब 30000 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और 120000 लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
● प्रत्येक वर्ष 17500 करोड रुपए रुपए की आयात में कमी होगी।

 टीम रूद्रा

– मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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