राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक: FSSAI
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने तीसरा राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (Food Safety Index- FSSAI) जारी किया है।
इसके अलावा देश भर में खाद्य सुरक्षा परिवेश को मज़बूत करने के लिये 19 मोबाइल फूड टेस्टिंग वैन (फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स) को भी रवाना किया गया है।
सूचकांक के बारे में:
- खाद्य सुरक्षा के पांँच महत्त्वपूर्ण मापदंडों पर राज्यों के प्रदर्शन को मापने के लिये भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा सूचकांक विकसित किया गया है।
- मापदंडों में मानव संसाधन और संस्थागत डेटा, अनुमति/अनुपालन, खाद्य परीक्षण- बुनियादी ढांँचा एवं निगरानी, प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण तथा उपभोक्ता अधिकारिता शामिल हैं।
- सूचकांक एक गतिशील मात्रात्मक और गुणात्मक बेंचमार्किंग मॉडल है जो सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा के मूल्यांकन के लिये एक उद्देश्यपूर्ण ढांँचा प्रदान करता है।
- 7 जून, 2019 को वर्ष 2018-19 के लिये पहला राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर घोषित किया गया था।
राज्यों की रैंकिंग:
- बड़े राज्यों में गुजरात रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर था, उसके बाद केरल और तमिलनाडु का स्थान रहा।
- छोटे राज्यों में गोवा शीर्ष पायदान पर रहा और उसके बाद मेघालय एवं मणिपुर का स्थान रहा।
- केंद्रशासित प्रदेशों में जम्मू-कश्मीर, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और नई दिल्ली शीर्ष स्थान पर रहे।
खाद्य सुरक्षा का महत्त्व:
- पर्याप्त मात्रा में सुरक्षित भोजन तक पहुँच जीवन को बनाए रखने और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की कुंजी है।
- दूषित भोजन या पानी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी या रासायनिक पदार्थों के कारण होने वाली खाद्यजनित बीमारियाँ प्रायः प्रकृति में संक्रामक या विषाक्त होती हैं।
संबंधित पहल:
ईट राइट इंडिया मूवमेंट:
- यह सभी भारतीयों के लिये सुरक्षित, स्वस्थ और टिकाऊ भोजन सुनिश्चित करने हेतु देश की खाद्य प्रणाली को बदलने की भारत सरकार और FSSAI की एक पहल है।
- यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 से संबंधित है, जिसमें आयुष्मान भारत, पोषण अभियान, एनीमिया मुक्त भारत और स्वच्छ भारत मिशन जैसे प्रमुख कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
ईट राइट स्टेशन प्रमाणन
- FSSAI द्वारा उन रेलवे स्टेशनों को प्रमाणन प्रदान किया जाता है जो यात्रियों को सुरक्षित एवं पौष्टिक भोजन प्रदान करने में बेंचमार्क (खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के अनुसार) निर्धारित करते हैं।
पोषण वृद्धि में चावल की भूमिका
हाल के एक अध्ययन के अनुसार, शोधकर्त्ताओं द्वारा जाँच के बाद यह पाया गया कि भारतीय चावल की 12 लोक किस्में कुपोषित माताओं में महत्त्वपूर्ण फैटी एसिड (FA) की पोषण संबंधी मांग को पूरा कर सकती हैं।
चावल में विभिन्न प्रकार के फैटी एसिड, विटामिन, खनिज, स्टार्च और थोड़ी मात्रा में प्रोटीन होता है।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष:-
स्वास्थ्य में सहायक
- चावल की पारंपरिक किस्में मुख्य आहार में आवश्यक फैटी एसिड शामिल कर सकती हैं जो शिशुओं में सामान्य मस्तिष्क के विकास में मदद करती हैं।
- स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिये लोक चिकित्सा में एथिकराय, दूध-सर, कयामे, नीलम सांबा, श्रीहती, महाराजी और भेजरी जैसी कई लोक किस्में महत्त्वपूर्ण मानी जाती हैं।
- केलास, दूधेबोल्टा और भुटमूरी जैसी किस्में आयरन से भरपूर होती हैं और एनीमिया के इलाज के लिये माताओं के आहार में शामिल की जा सकती हैं।
कुपोषण की समस्या का समाधान:-
पारंपरिक किस्में पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण की समस्या का समाधान करने में मदद करती हैं।
अर्थव्यवस्था में योगदान:-
- हाल ही में असम से बाओ-धान (रेड राइस) की पहली खेप मार्च 2021 में अमेरिका भेजी गई थी। इससे किसान परिवारों की आय में वृद्धि होगी।
- आयरन से भरपूर इस रेड राइस को असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में बिना किसी रासायनिक खाद के उगाया जाता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता :-
- उत्तर-पूर्व भारत की सात चावल की किस्मों- मेघालय लकांग, चिंगफौरेल, मनुइखमेई, केमेन्याकेपेयु, वेनेम, थेकरुला और कोयाजंग में चावल के पौधों में पत्ती और नेकब्लास्ट रोग का प्रतिरोध करने की क्षमता है।
- फफूँद रोगजनक पाइरिकुलेरिया ओरिज़े के कारण होने वाला नेकब्लास्ट रोग दुनिया भर में चावल की उत्पादकता के लिये एक बड़ा खतरा है।
कम खर्चीला संरक्षण:-
- पोषक तत्वों से भरपूर चावल की इन उपेक्षित और लुप्त हो रही किस्मों का इन-सीटू/स्वस्थानी संरक्षण, उच्च उपज देने वाली किस्मों (HYVs) की तुलना में एक सस्ता विकल्प है।
राज्य के खिलाफ अपराधों पर NCRB के आंकड़े
NCRB द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार:~
- वर्ष 2020 में, राज्य के खिलाफ अपराध के तहत सबसे ज्यादा मामले मणिपुर, असम और उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए।
- हालांकि, वर्ष 2020 में दर्ज किए गए मामलों की कुल संख्या में, पिछले वर्ष की तुलना में कमी(लगभग 26%) देखी गई।
- कुल 5,613 मामलों में से 4,524 मामले (80.6 प्रतिशत) ‘सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम अधिनियम’ के तहत दर्ज किए गए। इसके बाद 796 मामले (14.2 प्रतिशत) ‘विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम’ (Unlawful Activities Prevention Act- UAPA) के तहत दर्ज किए गए।
- केंद्र शासित प्रदेशों में, दिल्ली में देशद्रोह के 5 मामले दर्ज किए गए।
‘राज्य के खिलाफ अपराध’ का तात्पर्य:
- ‘राज्य के खिलाफ अपराध’ में राजद्रोह, ‘विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम’ (UAPA), आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान, और राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक भाषण आदि के तहत दर्ज मामलों को शामिल किया जाता है।
‘राजद्रोह’ (Sedition) क्या होता है?
- भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A के अनुसार, “किसी भी व्यक्ति के द्वारा, शब्दों द्वारा, लिखित अथवा बोलने के माध्यम से, अथवा संकेतों द्वारा, या दृश्य- प्रदर्शन द्वारा, या किसी अन्य तरीके से, विधि द्वारा स्थापित सरकार के खिलाफ, घृणा या अवमानना दिखाने, उत्तेजित होने अथवा उत्तेजना भड़काने का प्रयास करने पर उसे, आजीवन कारावास और साथ में जुर्माना, या तीन साल तक की कैद और साथ में जुर्माना, या मात्र जुर्माने का दंड दिया जा सकता है।
यथोचित परिभाषा की आवश्यकता:-
- राजद्रोह कानून लंबे समय से विवादों में रहा है। अक्सर सरकारों के ‘भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124A’ कानून का उपयोग करने पर, उनकी नीतियों के मुखर आलोचकों द्वारा आलोचना की जाती है।
- इसलिए, इस धारा को व्यक्तियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रतिबंध के रूप में देखा जाता है, और एक प्रकार से संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाए जाने वाले उचित प्रतिबंधों संबंधी प्रावधानों के अंतर्गत आती है।
- इस कानून को औपनिवेशिक ब्रिटिश शासकों द्वारा 1860 के दशक में लागू किया गया था, उस समय से लेकर आज तक यह क़ानून बहस का विषय रहा है। महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू सहित स्वतंत्रता आंदोलन के कई शीर्ष नेताओं पर राजद्रोह कानून के तहत मामले दर्ज किए गए थे।
- महात्मा गांधी द्वारा इस कानून को नागरिक की स्वतंत्रता का हनन करने हेतु तैयार की गई ‘भारतीय दंड संहिता की राजनीतिक धाराओं का राजकुमार’ बताया था।
- नेहरू ने इस कानून को “अत्यधिक आपत्तिजनक और निंदनीय’ बताते हुए कहा, कि हमारे द्वारा पारित किसी भी कानूनों प्रावधानों में इसे कोई जगह नहीं दी जानी चाहिए और जितनी जल्दी हम इससे छुटकारा पा लें उतना अच्छा है।’
इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के प्रासंगिक फैसले:-
केदार नाथ सिंह बनाम बिहार राज्य मामला (1962)
- आईपीसी की धारा 124A के तहत अपराधों से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय के पांच-न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया था, कि सरकार के कार्यों की चाहें कितने भी कड़े शब्दों में नापसंदगी व्यक्त की जाए, यदि उसकी वजह से हिंसक कृत्यों द्वारा सार्वजनिक व्यवस्था भंग नहीं होती है, तो उसे दंडनीय नहीं माना जाएगा।
बलवंत सिंह बनाम पंजाब राज्य (1995) मामला:-
- इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था, कि केवल नारे लगाना, इस मामले में जैसे कि ‘खालिस्तान जिंदाबाद’, राजद्रोह नहीं है।
- जाहिर है, राजद्रोह कानून को गलत तरीके से समझा जा रहा है और असहमति को दबाने के लिए इसका दुरुपयोग किया जा रहा है।
जनजातीय क्षेत्रों में मोती की खेती को बढ़ावा: ट्राइफेड
• भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ:-
– यह राष्ट्रीय स्तर पर एक संगठन है जो जनजातीय मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है।
- इसका मुख्य उद्देश्य आदिवासी उत्पादों जैसे- धातु शिल्प, आदिवासी वस्त्र आदि के विपणन व विकास के माध्यम से देश में आदिवासी लोगों का सामाजिक आर्थिक विकास करना है।
प्रमुख बिंदु:-
- समझौते के तहत विभिन्न ई-कॉमर्स प्लेटफार्म के अलावा एग्रोटेक द्वारा 141 ट्राइब्स इंडिया आउट लेट के माध्यम से मोती बेचे जाएंगे।
- पूर्ति एग्रोटेक के केंद्र को वन धन विकास केंद्र क्लस्टर के रूप में विकसित किया जाएगा इससे आदिवासियों के कौशल कौशल विकास किया जाएगा और प्राथमिक प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्द्धन सुविधाओं की स्थापना की जाएगी।
- सीपो का प्रजनन एवं मोतियों का विकास से आने वाले समय में आदिवासियों की आजीविका के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है।
लाभ:-
- किसानों की आय में बढ़ोतरी
- पर्यावरण के अनुकूल:- किसान अपने खेत में सीप के पालन के साथ-साथ मछली,केकड़ा, झींगे का उत्पादन कर सकते हैं। इससे जल प्राणियों में विविधता भी आती है।
- जल शोधन:- फिल्टर फीडर सीप जल को शुद्ध करने का कार्य करते हैं एक अकेला से 1 दिन में 15 गैलन पानी को साफ करता है।
शुरू की गई पहले:-
- मोदी की खेती करने वाले किसान प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
- मोती की खेती करने के दायरे को ध्यान में रखते हुए मत्स्य पालन विभाग म ने इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करने हेतु नीली क्रांति योजना में मोती पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक उप घटक के रूप में शामिल किया है।
वैश्विक नवाचार सूचकांक 2021
- बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) जो संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है के द्वारा जारी किया जाता है।
भारत दो स्थानों के सुधार के साथ 46 वें स्थान पर आया है। - रैंकिंग में शीर्ष पांच देश:-
स्विट्जरलैंड स्वीडन अमेरिका और यूके
भारत का प्रदर्शन:–
- भारत 2015 के 81 स्थान से बढ़कर 2021 में 46 में स्थान पर पहुंच गया है।
- सरकार ने देश के बेहतर प्रदर्शन के लिए परमाणु ऊर्जा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी एवं अंतरिक्ष विभाग को महत्वपूर्ण माना है।
- विश्व नवाचार सूचकांक 2021 के निष्कर्ष:-
– वर्ष 2019 में अनुसंधान और विकास 8.5% की असाधारण दर से बढ़ने के साथ महामारी से पहले नवाचार में निवेश एक सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। - सिर्फ अनुसंधान और विकास व्यय वाली अर्थव्यवस्थाओं के लिए सरकारी बजट आवंटन में वर्ष 2020 में निरंतर वृद्धि देखी गई।
- वर्ष 2020 में दुनिया भर में वैज्ञानिक लेखों के प्रकाशन में 7.6% की वृद्धि हुई।
- भारत, केन्या, मोल्दोवा गणराज्य और वियतनाम ने लगातार ग11 वें वर्ष अपने विकास स्तर के सापेक्ष नवाचार पर बेहतर प्रदर्शन करने का रिकॉर्ड बनाए रखा।
गैर-सरकारी संगठनों के विदेशी वित्तपोषण पर प्रतिबंध:-
- हाल ही में केंद्र सरकार ने बाल अधिकार, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण परियोजनाओं पर काम कर रहे 10 अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के विदेशी वित्तपोषण पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- फरवरी 2021 में गृह मंत्रालय ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के तहत बैंकों को नए विनियमन दिशा-निर्देश जारी किये।
प्रमुख बिंदु :-
- भारतीय रिज़र्व बैंक ने पहले कई विदेशी संगठनों को पूर्व संदर्भ श्रेणी (Prior Reference Category-PRC) की सूची में रखने के लिये कहा था।
- इसका आशय यह है कि जब भी विदेशी दाता भारत में किसी प्राप्तकर्ता संघ को धन हस्तांतरित करना चाहता है, तो उसे गृह मंत्रालय से पूर्व मंज़ूरी की आवश्यकता होती है।
- 80 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियाँ इस सूची में शामिल हैं।
प्रतिबंध का कारण:
- यह तर्क दिया गया था कि विदेशी योगदान प्राप्त करने वाले दर्जनों एनजीओ इस फंड की पूर्ण रूप से हेराफेरी या दुरुपयोग में लिप्त थे।
- यहाँ तक कि वर्ष 2010 और 2019 के बीच विदेशी योगदान के अंतर्प्रवाह को दोगुना किया गया फिर भी कई प्राप्तकर्त्ताओं ने उस उद्देश्य के लिये फंड का उपयोग नहीं किया जिसके लिये उन्हें फंड दिया गया था या एफसीआरए अधिनियम के तहत पंजीकृत किया गया था।
IPO ग्रे मार्केट
- हाल ही में विभिन्न लेखो में ग्रे मार्केट का जिक्र किया जा रहा था। व्यापारी वर्ग ग्रे मार्केट के शेयरों में काफी रुचि रखता है, क्योंकि इस तरीके से उनके लिए किसी कंपनी के शेयरों के सूचीबद्ध होने से पहले उनकी कीमत में उतार-चढ़ाव का लाभ उठाने का अवसर मिल जाता है।
- आमतौर पर जब कंपनियां अपनी वृद्धि को तेज करने के लिए धन जुटाना चाहते हैं। तो वे अपने स्टाफ का कुछ हिस्सा शेयर बाजार में बिक्री कर देती हैं इस प्रक्रिया को आईपीओ कहा जाता है।
- आईपीओ ग्रे मार्केट अनौपचारिक बाजार होती है अतः स्वाभाविक है कि इसको विनियमित करने के लिए कोई नियम नहीं होते है । इनकी खरीद बिक्री निजी तौर पर नगद रूप से होती है।
- कंपनियों के लिए ग्रे मार्केट या जानने का अच्छा तरीका होता है कि उनके शेयरों की मांग कैसी है और सूचीबद्ध होने के बाद शेयरों का प्रदर्शन कैसा होगा।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
सुरजीत गुप्ता – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।