स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक शिकागो संबोधन की 128 वी वर्षगांठ
- 11 सितंबर 1983 को, स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में आयोजित ‘विश्व धर्म संसद’ में अपना प्रसिद्ध भाषण दिया था, जिसे सुनकर महासभा में सम्मिलित व्यक्ति पूरे 2 मिनट तक खड़े होकर तालियां बजाते रहे।
- इस भाषण के पश्चात उन्हें भारत का ‘चक्रवाती भिक्षु’ का उपनाम दिया गया।
- इस वर्ष उनकी महासभा के संबोधन की 128 वी वर्षगांठ।
शिकागो संबोधन का महत्व
- शिकागो में दिए गए भाषण में हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति का विस्तार से वर्णन किया गया था, जिसके शब्द आज भी गुंजायमान है।
- इस भाषण के बाद विवेकानंद पश्चिमी दुनिया में काफी लोकप्रिय हो गए।
- 1893 के इनके भाषण ने दुनिया का ध्यान वेदांत के प्राचीन भारतीय दर्शन की ओर भी आकर्षित किया।
- एक प्रमुख विश्व धर्म का दर्जा दिलाने के लिए इन्हें एक प्रमुख शक्ति माना जाता है।
स्वामी विवेकानंद के बारे में
- एक तेजस्वी व्यक्ति थे, जिन्हें पश्चिमी जगत को हिंदू धर्म सेे परिचय कराने का श्रेय दिया जाता है, परमहंस के उत्साही शिष्य थे।
- औपनिवेशिक भारत में राष्ट्रीय एकता पर जोर दिया था।
- 1984 से इनके जन्म दिवस 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस घोषित किया गया।
- 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में जन्म तथा सन्यासी जीवन में इन्हें नरेंद्रनाथ दत्त नाम से जाना जाता था।
- योग और वेदांत दर्शन को पश्चिम में प्रस्तुत किया।
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा।
- खेतड़ी राज्य में महाराजा अजीत सिंह के अनुरोध पर उन्होंने विवेकानंद नाम धारण किया।
- निर्धन और निकृष्ट लोगों तक उत्कृष्ट विचारों को पहुंचाने के लिए, 1897 में रामकृष्ण मिशन की शुरुआत।
- 1899 में बेलूर मठ की स्थापना – स्थाई निवास
- यह भौतिक प्रगति के साथ – साथ आध्यात्मिकता के संयोजन में विश्वास करते थे।
स्वामी विवेकानंद के विचारों की वर्तमान में प्रासंगिकता
- अपने भाषणों में सहिष्णुता और सार्वभौमिक एकीकरण के विचार का प्रसार किया।
- समाज में राष्ट्रों और सभ्यताओं के लिए अर्थहीन और संप्रदायिक संघर्षों से उत्पन्न पत्रों का विश्लेषण।
- उनका दृढ़ विश्वास था, धर्म का वास्तविक सर सामूहिक भलाई और सहिष्णुता होता है।
- धर्म का स्थान अंधविश्वास और कट्टरता से ऊपर होना चाहिए।
- इनका मानना था, कि भारत की युवा पीढ़ी हमारे अतीत को एक महान भविष्य से जोड़ती हैं।
इनके द्वारा रचित पुस्तकें
- राज योग, ज्ञान योग, कर्मयोग
नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड
संदर्भ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शीघ्र ही राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड अर्थात National intelligence grid ( NATGRID) की शुरुआत की जाएगी। इसका उद्देश्य भारत की आतंकवाद रोधी क्षमताओं के लिए अत्यधिक तकनीक प्रदान करना है।
NATGRID के बारे में
इसकी परिकल्पना सन 2009 में की गई थी। वर्ष 2010 में सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट कमेटी ने 8400 करोड़ रुपए की,NAT GRID परियोजना को मंजूरी दी।
आलोचनाएं
- निजी जानकारी के लिए होने की संभावना।
- एजेंसी या पुलिस बल को NATGRID डेटाबेस एक्सेस करने की अनुमति न होने के कारण कार्यवाही में देरी।
- डिजिटल डेटाबेस के दुरुपयोग की संभावना।
- खुफिया एजेंसी के कार्य क्षेत्र प्रभावित होने की आशंका।
आवश्यकता
- परिष्कृत माध्यम से पुलिस बल को जानकारी देना।
- मानवाधिकार के उल्लंघन संबंधी मामलों में कमी लाना।
- संदिग्ध पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों पर नजर रखना।
- डेटाबेस के आधार पर विरोधी गतिविधियों को ट्रैक करना।
- NATGRID दूरसंचार, कर रिकॉर्ड, बैंक, आवर्जन आदि संस्थाओं के डाटा को संग्रहित करेगा।
सारागढ़ी का युद्ध
12 दिसंबर को सारागढ़ी की लड़ाई के 124 वर्ष पूरे हो गए हैं इस लड़ाई से देश-विदेश के सेनाएं प्रेरणा लेते हैं।
सारागगढी की लड़ाई के बारे में
- यह युद्ध 12 सितंबर 1897 को लड़ा गया था इसे विश्व के सैनिक इतिहास में सबसे बेहतरीन अंतिम मोर्चो में से एक माना जाता है।
- यह युद्ध 21 ब्रिटिश सैनिकों तथा 8000 से अधिक अफरीदी और ओकरजई के बीच हुआ।
सारागढ़ी का महत्व
- सारागढ़ी का किला, फोर्ट लाकहार्ट और फोर्ट गुलिस्तान के बीच स्थित संचार दुर्ग है।
- इन दोनों किलो का निर्माण महाराणा रणजीत सिंह ने कराया था।
- इस किले में उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत के सैनिक रहते थे।
युद्ध की विरासत
- ब्रिटेन में मरणोपरांत वीरता पदक न दिए जाने की परंपरा तोड़ते हुए महारानी विक्टोरिया ने 36वें सीख पलटन के 21 शहीद सैनिकों को वीरता पदक प्रदान किया।
- इन शहीदों के सम्मान में अमृतसर और फिरोजपुर में गुरुद्वारे की स्थापना की गई।
दिवाला और दिवालियापन संहिता ( IBC)
चर्चा में क्यों
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि वर्ष 2016 की दिवाली और दिवालियापन संहिता से पहले भारत में दिवाला संबंधी मामलों के निपटान वाले तंत्र की विफलता का मुख्य कारण न्यायिक देरी थी।
संबंधित प्रकरण
- IBC में कारपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया को पूरा करने हेतु अधिकतम 330 दिनों की समय सीमा निर्धारित की गई है।
- हालिया प्रकाशित एक संसदीय रिपोर्ट के अनुसार, 71% से अधिक मामले अधिकारियों के समक्ष 130 दिनों से अधिक समय से लंबित हैं।
देरी के कारण
- कानूनी झगड़ों का अधिकता।
- NCLAT और सर्वोच्च न्यायालय में की जाने वाली अपीले ।
- राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय अधिकरण NCLAT के लिए कारपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया ( CIRP) को शुरू करने में काफी समय लगता है।
देरी के प्रभाव
- NCLAT द्वारा समाधान योजना को मंजूरी देने में अधिक देरी, परिणामी योजना के कार्यान्वयन को प्रभावित करती है।
- इस प्रकार के विलंब, व्यवसायिक अनिश्चितता और कारपोरेट देनदार की कीमतों में गिरावट का कारण बनते हैं और दिवाला प्रक्रिया को अक्षम व महंगा बनाते हैं।
तमिलनाडु में NEET को समाप्त करने हेतु कि तैयार विधेयक
- तमिलनाडु सरकार द्वारा पारित विधेयक में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए कक्षा 12 के अंकों के आधार पर चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश की अनुमति देने का प्रावधान किया गया है।
- राज्य विधानसभा का कहना है कि नहीं चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश का न्यायसंगत तरीका नहीं है, क्योंकि प्रवेश परीक्षा महंगी कोचिंग का खर्च उठा सकने वाले समाज के अमीर वर्गों के प्रति पक्षपातपूर्ण है।
- NEET प्रवेश परीक्षा NTA के द्वारा कराया जाता है।
- चूंकि राज्य द्वारा पारित किया कानून केंद्र द्वारा निर्मित कानून को चुनौती देता है। अतः यह कानून तब तक लागू नहीं हो सकता, जब तक कि राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित नहीं किया जाता है।
- संविधान के अनुच्छेद 131 में सर्वोच्च न्यायालय को राज्य और केंद्र के बीच होने वाले विवादों का निपटान करने संबंधी अधिकार क्षेत्र प्रदान किया गया है।
- अनुच्छेद 254(2) में राज्य सरकारों को समवर्ती सूची के विषयों पर केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों को निष्प्रभावी करने हेतु अधिनियम पारित करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
- अनुच्छेद 254(2)के तहत राज्य द्वारा पारित कानून को लागू करने के लिए भारत के राष्ट्रपति की सहमति की आवश्यकता होती है।
- तकनीकी शिक्षा , चिकित्सा शिक्षा और विश्वविद्यालयों सहित शिक्षा संबंधी विषय सातवीं अनुसूची के अंतर्गत आते हैं।
कनेक्ट करो 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री ने ‘कनेक्ट करो 2021’ – Towards equitable, सस्टेनेबल इंडियन सिटीज़ कार्यक्रम को संबोधित किया।
बारे में:-
- यह विश्व संसाधन संस्थान (WRI) भारत द्वारा आयोजित और मेज़बानी किये जाने वाले कार्यक्रमों की एक वैश्विक श्रृंखला का हिस्सा है, ताकि भारतीय और वैश्विक नेताओं एवं अन्य हितधारकों को एक साथ लाया जा सके, जो समावेशी, टिकाऊ और जलवायु समर्थित भारतीय शहरों को डिज़ाइन करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।
● WRI India~ एक स्वतंत्र चैरिटी संस्थान है, जो कानूनी रूप से इंडिया रिसोर्सेज़ ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत है।
० ‘कनेक्ट करो विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित प्रस्तुतकर्ताओं का अवलोकन करता है, जैसे-वायु प्रदूषण, विद्युत गतिशीलता, शहरी नियोजन, शहरी जल लचीलापन, जलवायु शमन और सार्वजनिक पारगमन एवं दूसरों के बीच अपनी अंतर्दृष्टि तथा शोध निष्कर्षों को साझा करना।
शहरों का महत्व:-
जीडीपी में योगदानः
- वर्ष 2030 तक राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 70% शहरों से आएगा क्योंकि तेज़ी से शहरीकरण समूह की क्षमता की सुविधा प्रदान करता है।
- विश्व स्तर पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले शहर भारतीय शहरों की तुलना में राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में पांच गुना अधिक योगदान करते हैं।
कोविड-19 का प्रभाव:
- वर्ष 2030 तक भारत में शहरी आबादी लगभग दोगुनी होकर 630 मिलियन हो जाएगी और विकास के इस स्तर को सुविधाजनक बनाने के लिये शहरी बुनियादी ढाँचे को काफी उन्नत करने की आवश्यकता है तथा हमारे शहरों पर कोविड-19 के प्रभाव ने इसे और भी महत्त्वपूर्ण बना दिया है।
जलवायु परिवर्तन से लड़ने में सहायताः-
- जलवायु परिवर्तन जैसा कि हाल ही में इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की रिपोर्ट बताती है, शहर जलवायु परिवर्तन से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने के साथ-साथ प्रमुख योगदानकर्ता हैं, इसलिये ये शहर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में प्रमुख स्थान रखते हैं।
- यहाँ तक कि सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी)-11 में सार्वजनिक परिवहन में निवेश, हरित सार्वजनिक स्थान बनाना और शहरी नियोजन एवं प्रबंधन में भागीदारी तथा समावेशी तरीके से सुधार करना शामिल है।
सरकार की संबंधित पहलें:
- प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY): 25 जून, 2015 को शुभारंभ किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य वर्ष 2022 तक शहरी क्षेत्रों के लोगों को आवास उपलब्ध कराना।
- अटल शहरी कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (AMRUT): वर्ष 2015में शुरू इसका उद्देश्य सभी के लिये बुनियादी नागरिक सुविधाएँ प्रदान करना है।
- शहरी परिवहन योजना: इस योजना के तहत 20,000 से अधिक बसों के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी।
- क्लाइमेट स्मार्ट सिटीज़ असेसमेंट फ्रेमवर्क: यह हमारे शहरों द्वारा सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने, उन्हें लागू करने और प्रसारित करने की दिशा में उठाया गया कदम है जो हरित, टिकाऊ एवं लचीले शहरी आवासों के निर्माण की दिशा में अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों की तुलना में मानकों को निर्धारित करता है।
- जल जीवन मिशन (शहरी): यह सभी शहरों में कार्यात्मक नल के माध्यम से घरों में पानी आपूर्ति की सार्वभौमिक कवरेज प्रदान करने से संबंधित है।
- स्वच्छ भारत मिशन (शहरी): 2 अक्तूबर, 2014 में लॉन्च, जिसका उद्देश्य शहरी भारत को खुले में शौच से मुक्त बनाना और देश में नगरपालिका ठोस कचरे का 100% वैज्ञानिक प्रबंधन करना है।
यूनेस्को का रचनात्मक शहरों का नेटवर्क (UCCN)
- वर्ष 2004 में स्थापित और इसका उद्देश्य रचनात्मकता एवं सांस्कृतिक उद्योगों (Creativity & Cultural Industries)को स्थानीय स्तर पर उनकी विकास योजनाओं के केंद्र में रखना और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय रूप से सहयोग करना है।
- UCCN में संगीत, कला, लोकशिल्प, डिज़ाइन, सिनेमा, साहित्य तथा डिजिटल कला और पाक कला जैसे सात रचनात्मक क्षेत्र शामिल हैं।
विश्व शहर सांस्कृतिक मंच:
- कोई भी भारतीय शहर इस फोरम का हिस्सा नहीं है।
- इसे वर्ष 2012 में लंदन में स्थापित किया गया था। यह सदस्य शहरों के नीति निर्माताओं को अनुसंधान एवं खुफिया जानकारी साझा करने में सक्षम बनाता है और उनकी भविष्य की समृद्धि में संस्कृति की महत्त्वपूर्ण भूमिका की खोज करता है।
अवमानना कार्यवाही हेतु अटॉर्नी जनरल की सहमति
- अदालत की अवमानना अधिनियम ,1971 में सिविल अवमानना तथा आपराधिक अवमानना को परिभाषित किया गया है,तथा अवमानना के मामलों में दोषियों को दंडित करने हेतु अदालत की शक्तियां एवं प्रक्रिया दर्ज की गई है।
- अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल की सहमत की आवश्यकता क्यों है?
- किसी शिकायत को संज्ञान में लेने से पहले अटार्नी जनरल की सहमति का उद्देश्य अदालत के समय को बचाना है ।
- यदि सारहीन याचिका दर्ज की जाती है,तो अदालत का समय बर्बाद होता है।
- किन परिस्थितियों में अटॉर्नी जनरल की सहमति की आवश्यकता नहीं?
- जब कोई प्राइवेट सिटीजन किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ अदालत की अवमानना कार्यवाही शुरू करना चाहता है, तो इसके लिए अटॉर्नी जनरल की सहमति अनिवार्य होती है।
- हालांकि जब अदालत स्वयं ही अवमानना कार्यवाही शुरु करता है, तो अटॉर्नी जनरल के सहमति की आवश्यकता नहीं होती है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 129 और 215 में क्रमशः सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय को न्यायालय की अवमानना के दोषी व्यक्ति को दंडित करने का अधिकार दिया गया है।
जलवायु परिवर्तन पर ग्राउंड्सवेल रिपोर्ट
( Groundswell report on climate change)
- उच्च स्तर के उत्सर्जन और असमान विकास के साथ सबसे निराशावादी परिदृश्य – रिपोर्ट में विश्लेषण के आधार पर अनुमान व्यक्त किया गया है कि विश्व के 6 क्षेत्रों में 216 मिलियन आबादी को अपने ही देश में दूसरी जगहों पर पलायन करना पड़ सकता है। यह छ: क्षेत्र लैटिन अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका, उप सहारा अफ्रीका, पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया, दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत महासागरीय क्षेत्र है।
- उत्सर्जन के निम्न स्तर और समावेशी सतत विकास सहित जलवायु के सर्वाधिक अनुकूल परिदृश्य पूरे विश्व में 44 मिलियन आबादी को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
- सबसे खराब परिदृश्य – मरुस्थलीकरण, कमजोर समुद्री तट रेखा और कृषि पर आबादी की निर्भरता के कारण उप सहारा अफ्रीका सबसे संवेदनशील क्षेत्र होगा और इस क्षेत्र में सर्वाधिक संख्या में प्रवासन होने की संभावना होगी ,जिसके तहत 86 मिलियन आबादी अपने देशों की सीमाओं के भीतर ही विस्थापित हो सकते हैं।
इनपुट टैक्स क्रेडिट ( ITC )
यह किसी कारोबार द्वारा माल की खरीद पर भुगतान किया जाने वाला कर होता है और माल की बिक्री करने पर कर- देयता को कम करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
अपवाद
कंपोजिशन स्कीम के तहत कोई व्यवसाय इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं उठा सकता है।
ITC के दुरुपयोग की चिंता
- केवल टैक्स क्रेडिट का दावा करने के लिए नकली चालान बनाकर दुरुपयोग की संभावना।
- कुल जीएसटी देयता का 80% तक ITC द्वारा निपटान किया जा रहा है, केवल 20% नगद के रूप में जमा किया जा रहा है।
- वर्तमान में ITC दावे और आपूर्तिकर्ताओं द्वारा भुगतान किए गए करों के साथ मिलान करने के समय में काफी अंतर रहता है। इसीलिए फर्जी चालान के आधार पर ITC का दावा किया जाने की संभावना अधिक रहती है।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
सुरजीत गुप्ता – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।