भारत में तेंदुओं की संख्या
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा तेंदुओं, सह-परभक्षियों और शाकभक्षियों की स्थिति – 2018′ (Status of Leopards, Co-predators and Megaherbivores-2018) शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की गयी है।
- यह रिपोर्ट 29 जुलाई, 2021 – “विश्व बाघ दिवस’ पर जारी की गई।
रिपोर्ट के अनुसार:-
- भारत में आधिकारिक रूप से तेंदुओं की संख्या में वर्ष 2014-2018 के बीच 63 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2018 में देश में 12,852 तेंदुए थे, जबकि वर्ष 2014 में इनकी संख्या मात्र 7,910 थी। अनुमानित रूप से तेंदुओं की सर्वाधिक संख्या, मध्य प्रदेश (3,421) में है।
‘तेंदुए’ (Leopard) के बारे में:
- वैज्ञानिक नाम- पेंथेरा पर्दुस (Panthera pardus) 2. भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 में सूचीबद्ध
- CITES के परिशिष्ट-1 में शामिल
- IUCN रेड लिस्ट में संवेदनशील (Vulnerable) के रूप में सूचीबद्ध
- तेंदुए की नौ उप-प्रजातियों को पहचान की जा चुकी है, और ये प्रजातियाँ पूरे अफ्रीका और एशिया में पाई जाती हैं।
CA|TS मान्यता प्राप्त बाघ अभयारण्य:
- सरकार द्वारा भारत के 14 बाघ अभयारण्यों को ‘ग्लोबल कंजर्वेशन एश्योर्ड | टाइगर स्टैंडर्ड्स’ (CA | TS) की मान्यता प्राप्त होने के बारे में जानकारी दी गई है। जिन 14 बाघ अभयारण्यों को CA | TS द्वारा मान्यता प्रदान की गयी हैं उनमे शामिल है:-
- असम के मानस, काजीरंगा और ओरंग,
- मध्य प्रदेश के सतपुड़ा, कान्हा और पन्ना,
- महाराष्ट्र के पेंच,
- बिहार में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व,
- उत्तर प्रदेश के दुधवा,
- पश्चिम बंगाल के सुंदरबन,
- केरल में परम्बिकुलम,
- कर्नाटक के बांदीपुर टाइगर रिजर्व और
- तमिलनाडु के मुदुमलई और अनामलई टाइगर रिजर्व
कंजर्वेशन एश्योर्ड | टाइगर स्टैंडर्ड्स (CA | TS) क्या है?
- CA | TS को को टाइगर रेंज कंट्रीज (TRCs) के वैश्विक गठबंधन द्वारा मान्यता संबंधी उपकरण के रूप में स्वीकार किया गया है और इसे बाघों एवं संरक्षित क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों द्वारा विकसित किया गया है।
- इसे आधिकारिक तौर पर वर्ष 2013 में लॉन्च किया गया था।
- यह मानक लक्षित प्रजातियों के प्रभावी प्रबंधन के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित करता है और प्रासंगिक संरक्षित क्षेत्रों में इन मानकों के मूल्यांकन को प्रोत्साहित करता है।
- बाघ संरक्षण पर काम करने वाला एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन ‘ग्लोबल टाइगर फोरम’ (GTF), और वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड इंडिया, भारत में CA | TS मूल्यांकन के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण’ के दो कार्यान्वयन भागीदार हैं।
अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिये सामाजिक सुरक्षा
उपाय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में श्रम संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने बढ़ती बेरोज़गारी और नौकरी छूटने पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव पर एक रिपोर्ट जारी की है।
पैनल ने सरकार से सामाजिक सुरक्षा उपायों में सुधार करने और धन के प्रत्यक्ष हस्तांतरण तथा अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिये शहरी रोज़गार गारंटी योजना जैसे उपाय करने का आह्वान किया।
सामाजिक सुरक्षा उपायों की आवश्यकता:
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि 90% श्रमिक अनौपचारिक क्षेत्र में थे, जो कि 465 मिलियन श्रमिकों में से 419 मिलियन हैं।
- रोज़गार की मौसमी और औपचारिक कर्मचारी-नियोक्ता संबंधों की कमी के कारण महामारी के दौरान ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अनौपचारिक श्रमिकों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है।
- दूसरी लहर के प्रभाव पर अभी तक कोई सर्वेक्षण आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं जो निर्विवाद रूप से पहली की तुलना में अधिक गंभीर रहा है।
- हालाँकि उपाख्यानात्मक साक्ष्य बताते हैं कि विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण आय की हानि हुई है, जिसने कमज़ोर वर्ग को संकट में डाल दिया है।
- इसके अलावा भारत में कोविड -19 संकट, पहले से मौजूद उच्च और बढ़ती बेरोज़गारी की पृष्ठभूमि में आया है।
- असंगठित श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों की नौकरियों के नुकसान, बढ़ती बेरोज़गारी, ऋणग्रस्तता, पोषण, स्वास्थ्य व शिक्षा पर परिणामी प्रभाव एक लंबी अवधि तक अपूर्णीय क्षति डालने की क्षमता रखते हैं।
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ :
- श्रम मंत्रालय ने कोविड -19 के प्रभाव की वजह से प्रवासी संकट का प्रतिउत्तर देने में देरी की।
- महामारी ने श्रम बाज़ार को नष्ट कर दिया है, जिसने रोज़गार परिदृश्य को प्रभावित किया है और लाखों श्रमिकों व उनके परिवारों के अस्तित्व को खतरा है।
इस परिदृश्य में समिति ने सिफारिश की:
- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण: कोविड-19 जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों के दौरान अनौपचारिक श्रमिकों के बैंक खातों में पैसा भेजना।
- यह पीएम-स्वनिधि योजना के तहत स्ट्रीट वेंडर्स को दिये गए ऋण को सीधे नकद अनुदान में परिवर्तित करने का भी सुझाव देता है।
- यूनिवर्सल हेल्थकेयर: यूनिवर्सल हेल्थकेयर को सरकार का कानूनी दायित्व बनाया जाना चाहिये। यह अनौपचारिक श्रमिकों को अनिवार्य स्वास्थ्य बीमा द्वारा प्रदान किया जा सकता है।
- मनरेगा सुधार: मनरेगा के लिये बजटीय आवंटन बढ़ाया जाना चाहिये तथा मनरेगा की तर्ज पर एक शहरी रोज़गार गारंटी योजना लागू की जानी चाहिये।
- यह मनरेगा के तहत गारंटीकृत काम के अधिकतम दिनों को 100 दिनों से बढ़ाकर 200 करने का सुझाव देता है।
- रोज़गार के अवसरों में वृद्धि: पारंपरिक क्षेत्रों में निवेश का लाभ उठाना, ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को मज़बूत करना तथा विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के प्रसार को तेज़ करने से आगे बढ़कर यह स्थानीय एवं अखिल भारतीय रोज़गार के अवसर प्रदान करेगा।
अनौपचारिक क्षेत्र का समर्थन करने के लिये पूर्व में की गई पहलें:
- प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन (PM-SYM)
- श्रम सुधार
- प्रधानमंत्री रोज़गार प्रोत्साहन योजना (PMRPY)
- PM स्वनिधि : स्ट्रीट वेंडर्स के लिये सूक्ष्म ऋण योजना
- आत्मनिर्भर भारत अभियान
- दीनदयाल अंत्योदय योजना, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन
- PM गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)
- वन नेशन वन राशन कार्ड
- आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि
- भारत के अनौपचारिक श्रमिक वर्ग को विश्व बैंक की सहायता
- अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के कल्याण हेतु सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय:
- प्रवासी श्रमिकों का पंजीकरण: सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को असंगठित श्रमिकों की पंजीकरण प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया है ताकि वे विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत कल्याणकारी लाभों का लाभ उठा सकें। ONORC प्रणाली के आधार पर कार्य करना: SC ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (UT) को 31 जुलाई, 2021 तक एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड (ONORC) प्रणाली को लागू करने का निर्देश दिया।
- यह योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत आने वाले प्रवासी मज़दूरों को देश के किसी भी हिस्से में अपने राशन कार्ड के साथ किसी भी उचित मूल्य की दुकान पर राशन प्राप्त करने की अनुमति देती है।
आगे की राह
- श्रम मंत्रालय को PLFS को समय पर पूरा करने का मुद्दा सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के समक्ष उठाना चाहिये।
- एक व्यापक योजना और रोडमैप की आवश्यकता है ताकि महामारी से बहुत अधिक बिगड़ती रोज़गार की स्थिति और संगठित क्षेत्र में नौकरी बाज़ार में बढ़ती असमानताओं को दूर किया जा सके।
- असंगठित श्रमिकों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस विकसित करने की आवश्यकता है।
- इसके अलावा इस क्षेत्र को औपचारिक बनाना, इसकी उत्पादकता में वृद्धि करना, मौजूदा आजीविका को मज़बूत करना, नए अवसर पैदा करना और सामाजिक सुरक्षा उपायों को मज़बूत करना, कोविड -19 के प्रभाव को कम करने हेतु प्रमुख कार्य हैं।
डीप ओशन मिशन
चर्चा में क्यों
हाल ही में, राज्यसभा में सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार डीप ओशन मिशन के लिए 5 वर्ष के लिए 4077 करोड रुपए आवंटित किया गया है।
- वर्ष 2011 में ही डीप ओशन मिशन के सभी घटक काम करना शुरू कर देंगे।
भारत का डीप ओशन पोषण मिशन
- यह मिशन, गहरे समुद्र में खनन, समुद्री जलवायु परिवर्तन संबंधी सलाहकारी सेवाओं , अंतर जलीय वाहनों एवं रोबोटिक्स संबंधि प्रौद्योगिकी पर केंद्रित होगा।
- इस मिशन के कार्यान्वयन हेतु पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ( MoES) नोडल मंत्रालय होगा।
मिशन के घटक
(i) गहरे समुद्र में खनन और मानव युक्त पनडुब्बी के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास।
(ii) महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास।
(iii) गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज और संरक्षण के लिए तकनीकी नवाचार।
(iv) गहरे समुद्र में सर्वेक्षण और अन्वेषण।
(v) महासागर से उर्जा और मीठा पानी।
(vi) महासागर जीव विज्ञान के लिए उन्नत समुद्री स्टेशन।
“नेट जीरो” कार्बन लक्ष्य जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु अपर्याप्त ऑक्सफैम
चर्चा में क्यों
ऑक्सफैम के अनुसार – ‘नेट जीरो” कार्बन लक्ष्य कार्बन उत्सर्जन में कटौती को प्राथमिकता देने के बजाय हानिकारक विकर्षण साबित हो सकते हैं।
इसकी वजह
- ऑक्सफैम के Titaning the net शीर्षक जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन चुनौतियों से निपटने के लिए 2050 तक दुनिया में 6 बिलियन हेक्टेयर पर वन लगाना होगा।
परिणाम
- आवाज तथा कृषि भूमि में कमी।
- खाद्य कीमतों में 80% वृद्धि।
- S.D.G. -1 तथा S.D.G-2 के असंगत कदम।
नेट – जीरो लक्ष्य घोषित करने वाले राष्ट्र
- न्यू जीलैंड – लक्ष्य 2050 तक कार्बन उत्सर्जन।
- ब्रिटेन – G.H.G के उत्सर्जन को 100% कम करने का दावा।
- संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन – 2030 तक G.H.G में 50% की कमी
भारत
- भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा चीन के बाद तीसरा G.H.G उत्सर्जक देश हैं। कि पेरिस समझौता तथा अलग-अलग नेटजीरो लक्ष्य के बजाय एक समग्र अप्रोच अपनाकर जलवायु परिवर्तन को कम किया जा सकता है।
- नेट जीरो क्या है – जिसे ‘कार्बन-तटस्थता ‘ भी कहा जाता है। का मतलब किसी देश के उत्सर्जन को वायुमंडल से G.H.G गैसों के अवशोषण तथा निराकरण के द्वारा क्षतिपूर्ति किया जाता है।
हंगर हॉटस्पॉट रिपोर्ट : FAO : WFP
चर्चा में क्यों
हाल ही में खाद्य और कृषि संगठन तथा विश्व खाद्य कार्यक्रम ने हंगर हॉटस्पॉट “अगस्त से नवंबर 2021” नामक रिपोर्ट जारी की।
प्रमुख बिंदु
- प्रमुख हंगर हॉटस्पॉट – इथियोपिया, मेडागास्कर, दक्षिणी सूडान, उत्तरी नाइजीरिया और नियमन उन 23 देशों में शामिल है जहां अगस्त से नवंबर 2021 तक तीव्र खाद्य असुरक्षा देखी जाएगी।
- इथोपिया तथा मेडागास्कर, विश्व के सबसे उच्चतम भूख वाले हाटस्पाट है।
खाद्य असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न करने वाले कारक
- हिंसा – उदाहरण के तौर पर मध्य अफ्रीका गणराज्य, अफगानिस्तान।
- महामारी के झटके ( कोविड-19)
- प्राकृतिक खतरे
- खराब मानवीय पहुंच।
- अवैध प्रवास
सुझाव
- सरकारी प्रभावी हस्तक्षेप।
- नीतियों का एकीकरण।
- जलवायु स्थिति को लचीला बनना तथा पर्यावरण संरक्षण।
- लचीलापन को सुदृढ़ करना।
खाद्य सुरक्षा की सुनिश्चित करने हेतु उठाए गए कदम
- राष्ट्रीय, खाद्य सुरक्षा मिशन।
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना।
- वन नेशन वन राशन कार्ड।
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2019
निवारक निरोध का प्रयोग केवल सार्वजनिक अवस्था को रोकने के लिए :- सुप्रीम कोर्ट
चर्चा में क्यों
उच्चतम न्यायालय द्वारा निवारक निरोध के प्रयोग एवं प्रयोज्यता पर एक आदेश पारित किया गया।
अदालत की टिप्पणी
- निवारक निरोध का प्रयोग केवल सार्वजनिक अव्यवस्था को रोकने के लिए किया जा सकता है। राज्य को सभी छोटी मोटी ” कानून और व्यवस्था ” समस्याओं जिन्हें देश के सामान्य कानूनों द्वारा निपटाया जा सकता है से निपटने के लिए “निवारक निरोध का सहारा नहीं लेना चाहिए।
- निवारक निरोध के अंतर्गत, किसी व्यक्ति को उसके लिए भविष्य में अपराध करने से रोकने या उसके भविष्य में अभियोजन से बचकर भागने से रोकने हेतु हिरासत में रखा जाता है।
- निवारक निरोध का उद्देश्य किसी को दंडित करना नहीं बल्कि कुछ अपराधों को होने से रोकना। (मरिथप्पन बनाम कलेक्टर मामला )
सीमा पर तनाव कम करने हेतु भारत- चीन सहमत
चर्चा में क्यों
हाल ही में पूर्वी लद्दाख में विगत वर्षों से जारी तीव्र गति दूध को हल करने हेतु भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच 12 में दौर की वार्ता हुई जिसमें दोनों ने सीमा पर तनाव कम करने हेतु सैद्धांतिक रूप से पूर्वी लद्दाख में एक प्रमुख गस्ती बिंदु पर अलगाव की सहमति व्यक्त की गई है।
- 11वें कोर कमांडर स्तर की वार्ता अप्रैल 2021 में संपन्न हो चुकी है।
- वर्तमान में दोनों के बीच अलगाव के तथा विवाद के निम्नलिखित बिंदु है।
- पेट्रोलिंग पॉइंट 15 और 17A
- हॉट स्पिटिंग और गेसारा पोस्ट
- पैंगोंग त्सो झिल
- गलवान घाटी
- चांग चेनमो चाटी
- कोगका दर्रा
- काराकोरम रेंज
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
सुरजीत गुप्ता – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।