20 July 2021 Current affairs

इज़राइली स्पाइवेयर पेगासस
(Israeli spyware Pegasus)

चर्चा का कारण?

● हाल ही में जारी नवीनतम रिपोर्ट्स में ‘पेगासस स्पाइवेयर’ (Pegasus spyware) का निरंतर उपयोग किए जाने की पुष्टि की गई है। इस ‘स्पाइवेयर’ को एक इजरायली कंपनी द्वारा, विश्व में कई देशों की सरकारों को बेचा जाता है। जिन फोनों को इस पेगासस स्पाइवेयर’ के द्वारा लक्षित किया जाता है, उनकी तरह ही इस ‘स्पाइवेयर’ को भी अपडेट किया गया है और अब नई जासूसी क्षमताओं से युक्त है।

पेगासस’ के बारे में:-

  • यह ‘एनएसओ ग्रुप’ (NSO Group) नामक एक इजरायली फर्म द्वारा विकसित एक ‘स्पाइवेयर टूल’ अर्थात जासूसी उपकरण है।
  • यह स्पाइवेयर, लोगों के फोन के माध्यम से उनकी जासूसी करता है।
  • पेगासस, किसी उपयोगकर्ता के फ़ोन पर एक ‘एक्सप्लॉइट लिंक’ (exploit link) भेजता है, और यदि वह लक्षित उपयोगकर्ता, उस लिंक पर क्लिक करता है, तो उसके फोन पर ‘मैलवेयर’ (malware) या ‘जासूसी करने में सक्षम’ कोड इंस्टॉल हो जाता है।
  • एक बार ‘पेगासस’ इंस्टॉल हो जाने पर, हमलावर के पास लक्षित उपयोगकर्ता के फोन पर नियंत्रण और पहुँच हो जाती है।

पेगासस’ की क्षमताएं:

  • पेगासस, “लोकप्रिय मोबाइल मैसेजिंग ऐप से, लक्षित व्यक्ति का निजी डेटा, उसके पासवर्ड, संपर्क सूची, कैलेंडर ईवेंट, टेक्स्ट संदेश, लाइव वॉयस कॉल आदि को हमलावर के पास पहुंचा सकता है।
  • यह, जासूसी के के दायरे का विस्तार करते हुए, फ़ोन के आस-पास की सभी गतिविधियों को कैप्चर करने के लिए लक्षित व्यक्ति के फ़ोन कैमरा और माइक्रोफ़ोन को चालू कर सकता है।

जीरो-क्लिक’ अटैक क्या है?

  • ‘जीरो-क्लिक अटैक’ (zero-click attack), पेगासस जैसे स्पाइवेयर को बिना किसी मानवीय संपर्क या मानवीय त्रुटि के, लक्षित डिवाइस पर नियंत्रण हासिल करने में मदद करता है।
  • जब लक्षित डिवाइस ही ‘सिस्टम’ बन जाता है, तो ‘फ़िशिंग हमले से कैसे बचा जाए, या कौन से लिंक पर क्लिक नहीं करना है, इस बारे में सभी तरह की जागरूकता व्यर्थ साबित हो जाती है।
  • इनमें से अधिकतर ‘जीरो-क्लिक अटैक’ किसी भी उपयोगकर्ता द्वारा डिवाइस पर प्राप्त हुए डेटा की विश्वसनीयता निर्धारित करने से पहले ही, सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल कर लेते हैं।

मैलवेयर, ट्रोजन, वायरस और वर्म में अंतर:

  • मैलवेयर (Malware), कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से अवांछित अवैध कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया सॉफ़्टवेयर होता है। इसे दुर्भावनापूर्ण इरादे वाले सॉफ्टवेयर के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है।
  • मैलवेयर को उनके निष्पादन, प्रसार और कार्यों के आधार पर निम्न रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  1. वायरस (Virus): यह एक प्रोग्राम होता है, जो कंप्यूटर के अन्य प्रोग्रामों को, उनमे अपनी ही एक संभावित विकसित प्रतिलिपि शामिल करके, संशोधित और संक्रमित कर सकता है।
  2. वर्स (Worms): यह कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से प्रसारित होते हैं। यह, कंप्यूटर वर्क्स, वायरस के विपरीत,
    वैध फाइलों में घुसपैठ करने के बजाय एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम में खुद को कॉपी करते हैं।
  3. ट्रोजन (Trojans): ट्रोजन या ट्रोजन हॉर्स एक ऐसा प्रोग्राम होते है, जो आमतौर पर किसी सिस्टम की सुरक्षा को बाधित करते है। ट्रोजन का उपयोग, सुरक्षित नेटवर्क से संबंधित कंप्यूटरों पर बैक-डोर बनाने के लिए किया जाता है ताकि हैकर सुरक्षित नेटवर्क तक अपनी पहुंच बना सके।
  4. होक्स (Hoax): यह एक ई-मेल के रूप में होता है, और उपयोगकर्ता को, उसके कंप्यूटर को नुकसान पहुचाने वाले किसी सिस्टम के बारे में चेतावनी देता है। इसके बाद, यह ई-मेल संदेश, उपयोगकर्ता को नुकसान पहुंचाने वाली सिस्टम को ठीक करने के लिए एक प्रोग्राम’ (अक्सर डाउनलोड करने के लिए) चालू करने का निर्देश देता है। जैसे ही यह प्रोग्राम चालू या ‘रन किया जाता है, यह सिस्टम पर हमला कर देता है और महत्वपूर्ण फाइलों को मिटा देता है।
  5. स्पाइवेयर (Spyware): यह कंप्यूटर पर हमला करने वाले प्रोग्राम होते हैं, और, जैसा कि इसके नाम का तात्पर्य है, ये बिना सहमति के उपयोगकर्ता की गतिविधियों पर नज़र रखते है। ‘स्पाइवेयर’ आमतौर पर वास्तविक ई-मेल आईडी, गैर-संदेहास्पद ई-मेल के माध्यम से अग्रेषित किए जाते हैं।

मध्याह्न भोजन योजना पर नया अध्ययन

चर्चा में क्यों

हाल ही में भारत की मध्याह्न भोजन योजना (Midday Meal Scheme) के अंतर-पीढ़ीगत लाभों (Intergenerational Benefits) पर एक नया अध्ययन प्रकाशित किया गया है।

अध्ययन के बारे में:

  • अध्ययन में देखा गया कि मध्याह्न भोजन का प्रभाव लंबे समय तक होता है। मध्याह्न भोजन योजना के तहत लाभार्थी बच्चों का बेहतर विकास हुआ है।
  • इस अध्ययन हेतु बच्चों के जन्म वर्ष और 23 वर्षों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के साथ माताओं और उनके बच्चों के समूह पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधि डेटा का इस्तेमाल किया गया।
  • यह सामूहिक आहार कार्यक्रम के प्रभावों का अपनी तरह का पहला अंतर-पीढ़ीगत विश्लेषण है।

लंबाई-से-आयु तक का अनुपात:

  • जिन लड़कियों को सरकारी स्कूलों में मुफ्त भोजन उपलब्ध कराया गया, उनकी लंबाई-उम्र का अनुपात उन बच्चों की तुलना में अधिक था, जिन लड़कियों को सरकारी स्कूलों में मुफ्त में भोजन प्राप्त नहीं हुआ।

मध्याह्न भोजन और स्टंटिंग में संबंध:

  • जिन क्षेत्रों में वर्ष 2005 के दौरान मध्याह्न भोजन योजना लागू की गई थी वहाँ वर्ष 2016 तक स्टंटिंग की व्यापकता में काफी कमी आई।
  • अगली पीढ़ी में जहाँ महिलाओं की शिक्षा, प्रजनन क्षमता और स्वास्थ्य सेवाओं का बेहतर उपयोग किया गया वहाँ निम्न सामाजिक-आर्थिक स्तर में मध्याह्न भोजन और स्टंटिंग की कमी के बीच मज़बूत संबंध थे।

रुकावट/अवरोध:

  • स्कूली शिक्षा और मध्याह्न भोजन योजना में रुकावट का दीर्घकालिक प्रभाव अगली पीढ़ी के पोषण स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुँचा सकता है।

मध्याह्न भोजन योजना (Midday Meal Scheme)
परिचय:

  • मध्याह्न भोजन योजना (शिक्षा मंत्रालय के तहत) एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसकी शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी।
  • यह प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये विश्व का सबसे बड़ा विद्यालय भोजन कार्यक्रम है।
  • इस कार्यक्रम के तहत विद्यालय में नामांकित I से VIII तक की कक्षाओं में अध्ययन करने वाले छह से चौदह वर्ष की आयु के हर बच्चे को पका हुआ भोजन प्रदान किया जाता है।

उद्देश्य:

भूख और कुपोषण समाप्त करना, स्कूल में नामांकन और उपस्थिति में वृद्धि, जातियों के बीच समाजीकरण में सुधार, विशेष रूप से महिलाओं को ज़मीनी स्तर पर रोज़गार प्रदान करना।

गुणवत्ता की जाँच:

  • एगमार्क गुणवत्ता वाली वस्तुओं की खरीद के साथ ही स्कूल प्रबंधन समिति के दो या तीन वयस्क सदस्यों द्वारा भोजन का स्वाद चखा जाता है।

खाद्य सुरक्षा:

  • यदि खाद्यान्न की अनुपलब्धता या किसी अन्य कारण से किसी भी दिन स्कूल में मध्याह्न भोजन उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो राज्य सरकार अगले महीने की 15 तारीख तक खाद्य सुरक्षा भत्ता का भुगतान करेगी।

विनियमन :

  • राज्य संचालन-सह निगरानी समिति (SSMC) पोषण मानकों और भोजन की गुणवत्ता के रखरखाव के लिये एक तंत्र की स्थापना सहित योजना के कार्यान्वयन की देखरेख करती है।

पोषण स्तर:

  • प्राथमिक (I-V वर्ग) के लिये 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन तथा उच्च प्राथमिक (VI-VIII वर्ग) के लिये 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन के पोषण मानकों वाला पका हुआ भोजन।

कवरेज़:

  • सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल, मदरसे और मकतब जो सर्व शिक्षा अभियान (SSA) के तहत समर्थित हैं।

मुद्दे और चुनौतियाँ:

भ्रष्ट आचरण:
नमक के साथ सादे चपाती परोसे जाने, दूध में पानी मिलाने, फूड प्वाइज़निंग आदि के उदाहरण सामने आए हैं।

जाति पूर्वाग्रह और भेदभाव:

  • भोजन जाति व्यवस्था का केंद्र है, इसलिये कई स्कूलों में बच्चों को उनकी जाति की स्थिति के अनुसार अलग-अलग बैठाया जाता है।

कोविड-19:

  • कोविड -19 ने बच्चों और उनके स्वास्थ्य तथा पोषण संबंधी अधिकारों के लिये गंभीर खतरा पैदा कर दिया है।
  • राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ने मध्याह्न भोजन (Mid-Day Meals) सहित कई आवश्यक सेवाओं तक पहुँच को बाधित कर दिया है।
  • हालाँकि इसके बजाय परिवारों को सूखा खाद्यान्न (Dry foodgrains) या नकद हस्तांतरण प्रदान किया जाता है, साथ ही भोजन एवं शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि इसका स्कूल परिसर में गर्म पके हुए भोजन के समान प्रभाव नहीं होगा, विशेष रूप से उन लड़कियों के लिये जो घर पर अधिक भेदभाव का सामना करती हैं तथा अधिकांश को स्कूल बंद होने के कारण स्कूल छोड़ना पड़ा।

कुपोषण का खतरा:

  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, देश भर के कई राज्यों ने पाठ्यक्रम में बदलाव करते हुए बाल कुपोषण के बिगड़ते स्तर को दर्ज किया है।
  • भारत दुनिया के लगभग 30% अविकसित बच्चों और पाँच वर्ष से कम उम्र के लगभग 50% गंभीर रूप से कमज़ोर बच्चों का केंद्र है।
  • वैश्विक पोषण रिपोर्ट-2020:
  • ‘वैश्विक पोषण रिपोर्ट-2020′ के अनुसार, भारत विश्व के उन 88 देशों में शामिल है, जो संभवतः वर्ष 2025 तक ‘वैश्विक पोषण लक्ष्यों’ (Global Nutrition Targets) को प्राप्त करने में सफल नहीं हो सकेंगे।
  • वैश्विक भुखमरी सूचकांक’ (GHI)- 2020
  • ‘वैश्विक भुखमरी सूचकांक- 2020 में भारत 107 देशों में 94वें स्थान पर रहा है। भारत भुखमरी सूचकांक में ‘गंभीर’ (Serious) श्रेणी में है।

आगे की राह

  • उन महिलाओं और युवतियों के माँ बनने के वर्षों पहले मातृत्व क्षमता और शिक्षा या जागरूकता में सुधार के उपायों को लागू किया जाना चाहिये।
  • बौनापन (Stunting) के खिलाफ लड़ाई में अक्सर छोटे बच्चों के लिये पोषण बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, लेकिन पोषण विशेषज्ञों ने लंबे समय से तर्क दिया है कि मातृत्त्व स्वास्थ्य और कल्याण उनकी संतानों में बौनेपन को कम करने की कुंजी है।
  • अंतर-पीढ़ीगत लाभों के लिये मध्याह्न भोजन योजना के विस्तार एवं सुधार की आवश्यकता है। जैसे-जैसे भारत में लड़कियाँ स्कूल स्तर की पढ़ाई पूरी करती हैं, उनकी शादी हो जाती है और कुछ ही वर्षों के बाद वे संतान को जन्म देती हैं, इसलिये स्कूल-आधारित हस्तक्षेप वास्तव में मदद कर सकता है।

स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड : रिपोर्ट ( SOFI)

चर्चा में क्यों
SOFI-2021 शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में कोविड-19 के दौरान भोजन, कुपोषण और आय के प्रभाव का अध्ययन किया गया।

• यह रिपोर्ट – संयुक्त राष्ट्र खाद्य कृषि संगठन, कृषि विकास हेतु अंतरराष्ट्रीय कोष, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, विश्व खाद्य कार्यक्रम तथा WHO द्वारा प्रस्तुत की गई।

प्रमुख बिंदु

  • कोविड-19 का सबसे ज्यादा प्रभाव निम्न और मध्यम आय वाले देशों पर पड़ा है।
  • दुनिया में 50% ज्यादा कुपोषित एशिया में वही 1/3 अफ्रीकी देश में है
  • 2030 तक SDG 1तथा 2 के लक्ष्य प्राप्ति में कोविड-19 को बड़ी बाधा माना गया है।
  • कोविड के चलते 2019 की तुलना में 2020 में 18% आबादी लोगों को भूख का सामना करना पड़ रहा है।
  • भोजन तक पहुंच में लैंगिक अंतराल भी देखा गया है।
  • भारत में 2018 – 20 तक कुपोषण में 15.3% का प्रसार देखा गया है।

भारत में कुपोषण से निपटने के लिए कई पहले की गई है।

  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना
  • वन नेशन वन राशन कार्ड
  • आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना
  • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि
  • सरवन मिशन इंद्रधनुष 3.0 योजना

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दांपत्य अधिकार

चर्चा में क्यों

  • हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पर्सनल ला के तहत दांपत्य अधिकारों के प्रतिस्थापन को अनुमति देने वाले प्रावधानों पर एक नई चुनौती पर सुनवाई किए जाने की संभावना है।
  • हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 दांपत्य अधिकारों के एक पहलू , पति-पत्नी के साहचर्य का अधिकार को मान्यता देती है और अधिकारों के क्रियान्वयन हेतु पति या पत्नी को अदालत जाने की अनुमति देकर इनकी रक्षा करती है।

इस अधिकार को किस प्रकार लागू किया जा सकता है।

  • जब पति या पत्नी में से कोई एक, बिना किसी युक्ति युक्त कारण के दूसरे को छोड़कर चला गया है, तो ऐसी परिस्थिति में पीड़ित पक्षकार जिला अदालत में याचिका के माध्यम से अपील कर सकता है।
  • यदि पति या पत्नी में से कोई एक साथ रहने से इंकार करता है तो दूसरा पक्ष ‘फैमिली कोर्ट ‘ में साथ रहने के लिए आदेश जारी करने की मांग कर सकता है।

चुनौतियां

  • निजता और गरिमा के अधिकारों का उल्लंघन होने का मामला है।
  • विवाह संस्था की रक्षा करने में राज्य का इतना कौन सा महत्वपूर्ण हित हो सकता है कि उनको पति पत्नी को साथ रखने के लिए कानून बनाना पड़ा है।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु नवीन आयोग

चर्चा में क्यों
वर्तमान संसद सत्र में NCR की वायु की गुणवत्ता प्रबंधन तथा पराली की समस्या से संबंधित प्रावधानों से संबंधित अध्यादेश को सामान्य कानून स्वरूप प्रदान के लिए विधेयक पेश किया जाएगा।

• इसके अंतर्गत वायु गुणवत्ता प्रबंधन नामक नये आयोग के गठन की बात की गई है।

सदस्य

  1. अध्यक्ष 3 वर्ष अथवा अधिकतम 70 वर्ष तक
  2. सदस्यों में मंत्रालय के साथ राज्यों के प्रतिनिधि व CPCB व ISRO के सदस्य शामिल।

शक्तियां

  • योजना बनाना, प्रदूषण नियंत्रण हेतु उपाय
  • दंड के अधिकार
  • राज्य सरकार के आदेशों को रद्द करने का भी अधिकार होगा।

मेकेदातु बांध परियोजना

  • कावेरी नदी पर प्रस्तावित इस परियोजना को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच मतभेद चल रहा है।
  • मेकेदातु एक गार्ज है जो कावेरी और उसकी सहायक नदी और अर्कावती के संगम पर है।
  • इस परियोजना से बेंगलुरु शहर की जल आपूर्ति तथा 400 MW बिजली उत्पन्न करने का लक्ष्य प्राप्त किया जाना है।
  • तमिलनाडु का कहना है कि इससे कावेरी नदी का जल प्रवाह प्रभावित होगा।
  • तमिलनाडु के अनुसार यह परियोजना उच्चतम न्यायालय और कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण के अंतिम आदेश का भी उल्लंघन करती है जिसके अनुसार अंतरराज्यीय नदियों के जल पर कोई भी राज्य विशेष स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता है।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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