भारत के मुख्य न्यायधीश द्वारा सीबीआई पैनल पर एक ‘विधि व्यक्तव्य’
- हाल ही में, केंद्र सरकार द्वारा ने 1985 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल दो साल के कार्यकाल हेतु ‘सीबीआई निदेशक’ नियुक्त किया है। सुबोध कुमार, वर्तमान में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के महानिदेशक हैं।
- सरकार द्वारा, इनका चयन, प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति, द्वारा सुझाए गए तीन नामों की सूची में से किया गया है।
- इस समिति में प्रधान मंत्री के अलावा ‘भारत के मुख्य न्यायधीश’ तथा ‘लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता’ सदस्य के रूप में शामिल होते है
भारत के मुख्य न्यायधीश द्वारा दिया गया ‘विधि व्यक्तव्य’ क्या है?
- प्रधान मंत्री के नेतृत्व वाली समिति में, भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण ने सीबीआई निदेशक के रूप में नियुक्ति के लिए, छह महीने से कम अवधि में सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों से बचने की राय व्यक्त की।
- इस राय को एक स्पष्ट ‘विधि व्यक्तव्य’ (statement of law) कहा जा रहा है।
- क्योंकि, मुख्य न्यायधीश (CJI) के अनुसार, समिति द्वारा अधिकारियों के चयन को ‘भविष्य में कानून द्वारा की जाने वाली जांच’ का सामना करने में सक्षम होना चाहिए।
इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के विचार और निर्णय:
प्रकाश सिंह मामला: सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी की नियुक्ति से संबंधित प्रकाश सिंह मामले में 13 मार्च 2019 के आदेश में ‘छह महीने का न्यूनतम शेष कार्यकाल’ (six-month minimum residual tenure) नियम शुरू किया था। बाद में सीबीआई निदेशक की नियुक्ति को भी इस नियम के दायरे में लाया गया था।
भारत संघ बनाम सी. दिनाकर, 2004 “आमतौर पर सीबीआई निदेशक की सेवानिवृत्ति की तारीख के समय, सेवा में सबसे वरिष्ठ चार बैचों के आईपीएस अधिकारी, सीबीआई निदेशक के पद पर नियुक्ति के लिए विचार हेतु पात्र होंगे, भले ही उनके नाम चयन-सूची में शामिल हो अथवा न हों।
विनीत नारायण मामले में 1998 का निर्णय: सीबीआई निदेशक, न्यूनतम दो वर्ष के लिए पद धारण करेगा, तथा एक उच्च स्तरीय समिति की पूर्व सहमति के बिना उसका तबादला नहीं किया जा सकता है।
भारत के मुख्य न्यायधीश की इस राय के निहितार्थ
भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) ने अपनी यह राय वर्ष 2019 के आदेश के आधार पर वयक्त की है, और इस पर प्रधान मंत्री सहित अन्य दोनों सदस्य सहमत हुए हैं। इसका अर्थ होगा, कि जिन संवेदनशील पदों पर, पदधारक के रूप में साफ़ चरित्र, ईमानदारी और पेशेवर व्यक्तियों को नियुक्त करने के लिए सरकार को पहले जो विवेकाधिकार प्राप्त था, वह जायसवाल के चयन के बाद सीमित हो गया है।
इसकी आवश्यकता
- शीर्ष अदालत ने इस संभावना का संकेत दिया था कि जिन अधिकारियों के सेवानिवृत होने मात्र कुछ दिन शेष होते है, वे असुरक्षित मनोदशा में हो सकते हैं।
वन स्टॉप सेंटर
- महिला और बाल विकास मंत्रालय लिंग आधारित हिंसा से पीड़ित भारतीय महिलाओं को सहायता प्रदान करने के लिये 10 देशों में वन स्टॉप सेंटर (One Stop Centres- OSC) स्थापित करेगा।
- इनमे बहरीन, कुवैत, कतर, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब के जेद्दा और रियाद, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा तथा सिंगापुर शामिल है जहाँ वन स्टॉप सेंटर खोले जाएंगे।
- देश के सभी ज़िलों में लगभग 700 मौजूदा OSC के अलावा देश में 300 OSC भी स्थापित करेगा।
वन स्टॉप सेंटर के बारे में:- - इसे अप्रैल 2015 में लॉन्च किया गया था।
- यह महिलाओं के खिलाफ हिंसा की समस्या के समाधान के लिये एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
- यह इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना सहित राष्ट्रीय महिला सशक्तीकरण मिशन के लिये अंब्रेला योजना की एक उप-योजना है।
- एक ही छत के नीचे हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एकीकृत रूप से सहायता एवं सहयोग प्रदान करने के लिये देश भर में वन स्टॉप सेंटर और विश्व भर में प्रत्येक मिशन के लिये कम-से-कम एक OSC स्थापित किया जाएगा।
०भारतीय मिशन विश्व भर में भारतीयों और भारत सरकार के बीच संपर्क हेतु एक महत्त्वपूर्ण प्रतिनिधित्व प्रदान करता है।
अनुदान:- - यह निर्भया फंड के माध्यम से वित्तपोषित है और केंद्र सरकार राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन को 100% वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
निर्भया फंड:-
- इसकी स्थापना वर्ष 2013 में की गई थी।
- निर्भया फंड फ्रेमवर्क महिलाओं की सुरक्षा के लिये एक नॉन-लैप्सेबल कॉर्पस फंड प्रदान करता है।
- यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय (MoF) के आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) द्वारा प्रशासित है।
वन स्टॉप सेंटर की लेखा परीक्षा:-
- लेखा परीक्षा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के मानदंडों के अनुसार की जाएगी और सामाजिक लेखा परीक्षा भी नागरिक समाज समूहों द्वारा की जाएगी।
वन स्टॉप सेंटर में उपलव्ध सेवाएँ:- - आपातकालीन प्रतिक्रिया और बचाव सेवाएँ।
- मेडिकल सहायता।
- प्राथमिकी दर्ज करने में महिलाओं की सहायता।
- मनो-सामाजिक समर्थन और परामर्श।
- कानूनी सहायता और परामर्श।
आश्रय। - वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा।
वेसाक समारोह
- प्रधानमंत्री ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर वर्चुअल वैश्विक समारोह को संबोधित किया।
- यह कार्यक्रम सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिषंघ के सहयोग से आयोजित किया गया था। जिसमें दुनिया भर के बौद्ध संघों के प्रमुखों ने भाग लिया।
- अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिषंघ उद्देश्य वैश्विक मंच पर बौद्ध धर्म की भूमिका का निर्माण करना है, ताकि बौद्ध धर्म की विरासत को संरक्षित करने, ज्ञान साझा करने और मूल्यों को बढ़ावा देने में मदद कर सके।
लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन मसौदा -2021
- इन प्राधिकरण को भूमि उपयोग के नक्शे तैयार करना, भूमि योग्य प्रकार के लिए जोन या क्षेत्र निर्धारित करना और प्रस्तावित राष्ट्रीय राजमार्गों , मुख्य सड़कों,रिंग रोड़, प्रमुख गलियों, रेलवे, हवाई अड्डों, थिएटरों इत्यादि के लिए क्षेत्र इंगित करना है।
- द्वीप वासियों को भूमि विकसित कराने हेतु शुल्क देना होगा।
- इस विकास योजना में बाधा डालने पर करावास जैसे दंड का प्रावधान किया गया है।
- क्षेत्र के व्यापक विकास के लिए लोगों को उनकी इच्छाओं के विरुद्ध उनको स्थानांतरित कर सकता है।
- यह मसौदा ना तो पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ है और ना ही सामाजिक रूप से व्यवहारपूर्ण, इससे उनकी पीढ़ियों से चली आ रही तौर-तरीकों को नष्ट कर देगा।
द्वीप के अंतर्गत कुल 3 उप -द्बिप समूह है।
1- अमीनदीव द्विप समूह
2- लेकाडाइव द्वीप समूह
3- मिनिकॉय द्वीप समूह
- अमीनदीव द्विप उत्तर में, जबकि मिनिकॉय द्वीप समूह सबसे दक्षिण में स्थित है।
- पिट्टी द्वीप में एक पक्षी अभ्यारण है।
- जनसंख्या में अधिकांश मुस्लिम धर्म के अधिकांश सुन्नी संप्रदाय की सफी पंथ से संबंधित है।
- मिनिकॉय द्वीप को छोड़कर सभी द्वीपों पर मलयालम भाषा बोली जाती है। यहां के स्थानीय लोग महल बोली बोलते हैं जो दिवेही लिपि में लिखी जाती है।
- लोगों का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना, नारियल की खेती और रस्सी बनाना है। यहां पर्यटन एक उभरता हुआ उद्योग है।
कोपला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास के इस्तेमाल पर राष्ट्रीय मिशन
• पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण तथा ताप विद्युत संयंत्र में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए विद्युत मंत्रालय द्वारा चलाया गया मिशन।
उद्देश्य
• ताप विद्युत संयंत्रों से कार्बन न्यूट्रल बिजली उत्पादन के लिए co-firing के वर्तमान स्तर को 5% से बढ़ाकर उच्च स्तर पर ले जाना।
• बॉपलर डिजाइन में R&d गतिविधियां प्रारंभ करना।
• बायमास बंधुओं तथा कृषि अवरोधों को पहुंच सुनिश्चित कराने के लिए बेहतर परिवहन सुविधा।
• बायोमास की फायरिंग के संबंध में नियामक मुद्दों पर विचार करना।
कार्यान्वयन
• पेट्रोलियम प्राकृतिक गैस मंत्रालय
• नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
बायोमास – को – फायरिंग – किसी बॉयलर में प्राकृतिक गैस और कोयले जैसे अन्य ईधंनों के साथ बायोमास पदार्थ के बराबर सम्मिश्रण दहन और मात्रा मे संदर्भित करता है।
को-फायरिंग के लाभ
• G.H.G. के उत्सर्जन में कटौती।
• जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम।
• बायलर की प्रभावी क्षमता।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।