27 June 2021 Current affairs

एम्बरग्रीस (Ambergris)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मुंबई पुलिस ने पाँच लोगों को गिरफ्तार कर उनके पास से लगभग 9 किलो एम्बरग्रीस जब्त किया है।

बारे में –

  • फ्रांसीसी शब्द ‘ग्रे एम्बर’ या ‘एम्बरग्रीस’ को प्रायः व्हेल की उल्टी (Vomit) के रूप में जाना जाता है।
  • यह एक ठोस और मोम जैसा पदार्थ है जो स्पर्म व्हेल की आँतों में उत्पन्न होता है। स्पर्म व्हेल में से केवल 1% ही एम्बरग्रीस का उत्पादन करती हैं।
  • रासायनिक रूप से एम्बरग्रीस में एल्कलॉइड, एसिड और एंब्रेन नामक एक विशिष्ट यौगिक होता है, जो कोलेस्ट्रॉल के समान होता है।
  • यह जल निकाय की सतह के चारों ओर तैरता है और कभी-कभी तट के समीप आकर इकठ्ठा हो जाता है। इसके उच्च मूल्य के कारण इसे ‘तैरता हुआ सोना’ कहा जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में 1 किलो एम्बरग्रीस की कीमत 1 करोड़ रुपए है।

प्रयोग

  • इसका इस्तेमाल इत्र बाज़ार में खासतौर पर कस्तूरी जैसी सुगंध विकसित करने के लिये किया जाता है।
  • ऐसा माना जाता है कि दुबई जैसे देशों में जहाँ इत्र का एक बड़ा बाज़ार है, इसकी अधिक मांग है।
  • प्राचीन मिस्रवासी इसका प्रयोग धूप (Incense) के रूप में करते थे। ऐसा माना जाता है कि इसका उपयोग कुछ पारंपरिक औषधियों और मसालों के रूप में भी किया जाता है।

तस्करी

  • अपने उच्च मूल्य के कारण विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में यह तस्करों के निशाने पर रहा है।
  • चूँकि स्पर्म व्हेल एक संरक्षित प्रजाति है, इसलिये व्हेल के शिकार की अनुमति नहीं है। हालाँकि तस्कर इसका अवैध रूप से शिकार करते हैं।

स्पर्म व्हेल (Sperm Whale)

  • स्पर्म व्हेल, (फिसेटर कैटोडोन), जिसे काचलोट भी कहा जाता है, दाँत वाली व्हेल में सबसे बड़ी, अपने विशाल चौकोर सिर और संकीर्ण निचले जबड़े के कारण आसानी से पहचानी जाती है।
  • स्पर्म व्हेल गहरे नीले-भूरे या भूरे रंग की होती है, जिसके पेट पर सफेद धब्बे होते हैं। यह थिकसेट है और इसमें छोटे पैडल जैसे फ्लिपर्स (Flippers) होते हैं और इसकी पीठ पर गोल कूबड़ की शृंखला होती है।

आवास

  • ये विश्व के समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय जल क्षेत्र में पाए जाते हैं।

खतरे

  • स्पर्म व्हेल के लिये सबसे बड़ा खतरा ध्वनि प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन सहित निवास स्थान की क्षति है।
  • अन्य खतरों में फिशिंग गियर में उलझाव, जहाज़ों के साथ टकराव और एक बार फिर व्हेल के व्यावसायिक शिकार की अनुमति देने का प्रस्ताव शामिल हैं।

द वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट-2021

चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय’ (UNODC) ने अपनी ‘द वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट-2021’ में इस बात पर प्रकाश डाला है कि कोविड-19 के दौरान लॉकडाउन प्रतिबंधों ने इंटरनेट के माध्यम से मादक पदार्थों की तस्करी को तेज़ कर दिया है।

इस रिपोर्ट में दवाओं से आशय दवा नियंत्रण कन्वेंशन के तहत नियंत्रित पदार्थों और उनके गैर-चिकित्सीय उपयोग से है।

प्रमुख बिंदु

आँकड़ों का विश्लेषण

  • वर्ष 2010-2019 के बीच वैश्विक जनसंख्या में वृद्धि के कारण नशीली दवाओं का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  • पिछले वर्ष दुनिया भर में लगभग 275 मिलियन लोगों ने नशीली दवाओं का इस्तेमाल किया, जबकि 36 मिलियन से अधिक लोग नशीली दवाओं के उपयोग संबंधी विकारों से पीड़ित थे।
  • नशीली दवाओं के उपयोग के कारण होने वाली बिमारियों के लिये ‘ओपिओइड’ सबसे अधिक उत्तरदायी है।
  • कोरोना वायरस महामारी के दौरान फार्मास्युटिकल दवाओं के गैर-चिकित्सा उपयोग में भी वृद्धि देखी गई।

भांग अधिक शक्तिशाली है, किंतु कम युवा इसे हानिकारक रूप में देखते हैं:

  • पिछले 24 वर्षों में विश्व के कुछ हिस्सों में भांग की क्षमता चार गुना तक बढ़ गई है, यहाँ तक ​​कि भांग को हानिकारक मानने वाले किशोरों की संख्या में भी 40 प्रतिशत की गिरावट आई है।
  • भांग में प्रमुख मनो-सक्रिय घटक Δ9-THC लंबे समय से मानसिक स्वास्थ्य विकारों के विकास के लिये उत्तरदायी है।
  • कारण: भांग उत्पादों का आक्रामक विपणन और सोशल मीडिया चैनलों के माध्यम से प्रचार।
  • बढ़ती वेब-आधारित बिक्री वैश्विक नशीली दवाओं के उपयोग के पैटर्न को बदल सकती है:
  • ऑनलाइन बिक्री के साथ दवाओं तक पहुँच भी पहले से कहीं ज़्यादा आसान हो गई है और डार्क वेब पर प्रमुख दवा बाज़ारों की कीमत अब लगभग 315 मिलियन डॉलर सालाना हो गई है।
  • एशियाई देश, मुख्य रूप से चीन और भारत वर्ष 2011-2020 के दौरान विश्लेषण किये गए 19 प्रमुख डार्कनेट बाज़ारों में बेची जाने वाली दवाओं के शिपमेंट से जुड़े हुए हैं।
  • डार्क वेब पर नशीली दवाओं के लेन-देन में कैनबिस या भांग सबसे प्रमुख है और सामान्य वेब पर नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ (NDPS) तथा सिंथेटिक दवाओं के निर्माण में उपयोग किये जाने वाले पदार्थों की बिक्री शामिल है।

कोविड-19 का प्रभाव

सामाजिक आर्थिक प्रभाव

  • कोविड-19 संकट ने 100 मिलियन से अधिक लोगों को अत्यधिक गरीबी में धकेल दिया है और बेरोज़गारी तथा असमानता में भी बढ़ोतरी की है। आँकड़ों की मानें तो वर्ष 2020 में दुनिया भर में 255 मिलियन लोगों ने अपना रोज़गार खो दिया है।
  • दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित लोगों की संख्या भी बढ़ रही है। इस तरह के सामाजिक आर्थिक तनावों से दवाओं की मांग में तेज़ी आने की संभावना है।

सकारात्मक ट्रेंड

  • महामारी के दौरान प्रौद्योगिकी के उपयोग में वृद्धि ने टेलीमेडिसिन जैसे सेवा वितरण के अधिक लचीले मॉडल के माध्यम से नवाचार को गति दी है, जिसने स्वास्थ्य पेशेवरों को अधिक रोगियों तक पहुँचने और उनका इलाज करने में सक्षम बनाया है।
  • वैश्विक बाज़ार में उभर रहे नए नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थों (NDPS) की संख्या वर्ष 2013 में 163 से गिरकर वर्ष 2019 में 71 हो गई।
  • ओपिओइड के उपयोग संबंधी विकारों वाले लोगों के इलाज के लिये उपयोग की जाने वाली ओपिओइड दवा सुलभता से उपलब्ध है, क्योंकि विज्ञान-आधारित उपचार अधिक व्यापक रूप से उपलब्ध हो गए हैं।

नशीली दवाओं के उपयोग में वृद्धि के कारण:

  • ड्रग तस्करों ने लॉकडाउन प्रतिबंधों के कारण शुरुआती झटके से जल्द ही स्वयं की रिकवरी कर ली है और एक बार फिर से तीव्रता से कार्य कर रहे हैं।
  • यह आंशिक रूप से प्रौद्योगिकी और क्रिप्टोकरेंसी भुगतान के उपयोग में वृद्धि से भी प्रेरित है, जो नियमित वित्तीय प्रणाली के भीतर नहीं आती है।
  • नशीली दवाओं के संपर्क रहित लेन-देन, जैसे कि मेल के माध्यम से, में भी बढ़ोतरी हो रही है और यह ट्रेंड संभवतः महामारी के बाद और अधिक तीव्र हो गया है।
  • विक्रेता अपने उत्पादों का विज्ञापन और विपणन ‘अनुसंधान रसायन’ या ‘कस्टम सिंथेसिस’ के रूप में करके कानून प्रवर्तन एजेंसियों से बचने का प्रयास करते हैं।

सुझाव

  • भांग उत्पादों के उपयोग के सकारात्मक प्रभाव संबंधी गलत सूचनाओं का मुकाबला करना काफी महत्त्वपूर्ण है।
  • नशीली दवाओं के नकारात्मक उपयोग संबंधी वैज्ञानिक जानकारी और तथ्यों के प्रसार तथा इससे संबंधित जागरूकता अभियान शुरू किये जाने चाहिये।
  • डार्कनेट पर मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिये कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
  • सरकारों और निजी क्षेत्र की संयुक्त प्रतिक्रियाओं के माध्यम से इंटरनेट पर अवैध दवाओं के विज्ञापनों और लिस्टिंग को नियंत्रित करना आसान हो सकता है।
  • इंटरनेट-आधारित सेवाओं में आ रही तेज़ी के साथ वैज्ञानिक मानकों को लगातार अपडेट करना भी आवश्यक है।

वन क्षेत्रों का LiDAR आधारित सर्वेक्षण

चर्चा में क्यों
हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री द्वारा 10 राज्यों में वन क्षेत्रों के LiDAR ( light detection are ranging) आधारित सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी की।

प्रमुख बिंदु

  • इस परियोजना को जिम्मेदारी जल शक्ति मंत्रालय के तहत एक मिनी रत्न – P.S.U.- वापकोस ( WAPCOS) को सौंपा गया था।
  • LiDAR तकनीकी में 90% सटीकता पाई जाती है।
  • इस परियोजना के लिए निधि – प्रतिपूरक वनीकरण प्रबंधन एवं योजना प्रधिकरण द्वारा।

महत्व

  • मानव पशु संघर्ष कम करना।
  • जल पुनर्भरण वाले क्षेत्रों की पहचान कर स्थानीय समुदायों के प्रयास से पुनः water recharge करना।
  • वर्षा जल संग्रहण में मदद।
  • LiDAR का प्रयोग कर वास्तविक आंकड़ा ज्ञात करना।

LiDAR

  • सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी है, जो दूरी मापने के लिए लेजर का प्रयोग करता है।
  • LiDAR से प्राप्त 3.0 जानकारी ज्यादा सटीक होती है।
  • LiDAR से डाटा प्राप्त करने के लिए हेलीकॉप्टर/हवाई जहाज का प्रयोग किया जाता है।
  • इसका प्रयोग – भू गणित, पुरातत्व, भू आकृति विज्ञान, वानिकी हवाई लेजर, स्वाय मैपिंग में प्रयोग किया जाता है।

गुजरात अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मध्यस्थता केंद्र ( GIMAC)

  • GIMAC समुद्री और शिपिंग क्षेत्र से संबंधित विवादों में मध्यस्थता कार्यवाही का प्रबंधन करने हेतु देश में अपनी तरह का पहला केंद्र होगा।
  • इसका उद्देश्य भारत में कारोबार करने वाली कंपनियों के बीच वाणिज्यिक और वित्तीय विवादों को हल करने में मदद करने हेतु समुद्री और शिपिंग विवादों पर केंद्रित एक विश्वस्तरीय मध्यस्थता केंद्र स्थापित करना है।
  • वर्तमान में भारत में 35 से अधिक मध्यस्थता केंद्र हैं लेकिन इनमें से कोई भी विशेष तौर पर समुद्री क्षेत्र के विवादों का निपटारा करने से संबंधित नहीं है।
  • अभी तक भारतीय पक्षो से जुड़े मध्यस्थता मामलों की सुनवाई सिंगापुर मध्यस्थता केंद्र में की जाती है।
  • गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी भारत का पहला क्रियाशील ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटी और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र है। यह साबरमती के तट पर स्थित है इसके लिए गुजरात सरकार की ग्रीनफील्ड पर योजना के रूप में बढ़ावा दे रही है।

अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र ( IFSC)

  • घरेलू अर्थव्यवस्था के अधिकार क्षेत्र से बाहर के ग्राहकों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करना है।
  • लंदन, न्यूयॉर्क और सिंगापुर को वैश्विक वित्तीय केंद्र के रूप में गिना जा सकता है

IFSC द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं

  • व्यक्तियों, निगमों और सरकारों के लिए फंड जुटाने हेतु।
  • पेंशन फंड, इंश्योरेंस कंपनियों और म्यूचुअल फंड द्वारा परिसंपत्ति प्रबंधन और ग्लोबल पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन।
  • धन प्रबंधन
  • बीमा और पुनर्बीमा जैसे जोखिम प्रबंधन कार्य।
  • अंतर्राष्ट्रीय निगमों के मध्य विलय और अधिग्रहण संबंधी गतिविधियां।

एग्रीस्टेक : कृषि क्षेत्र हेतु नया डिजिटल प्रयोजन

  • यह प्रौद्योगिकियों और डिजिटल डेटाबेस का एक संग्रह है जो किसानों और कृषि क्षेत्र पर केंद्रित है।
  • एग्रीस्टेक किसानों को कृषि खाद्य मूल्य श्रृंखला में एंड टू एंड ( end to end) सर्विसेज प्रदान करने के लिए एक एकीकृत मंच तैयार करेगा।
  • इसका उद्देश्य भारत में भूमि के डिजिटलीकरण से लेकर मेडिकल रिकॉर्ड तक के डाटा को डिजिटलाइज करने के लिए व्यापक प्रयास करना है।
  • सरकार राष्ट्रीय भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम भी लागू कर रही है।
  • प्रत्येक किसान की एक विशिष्ट डिजिटल पहचान होगी जिसमें व्यक्तिगत विवरण उनके द्वारा खेती की जाने वाली भूमि की जानकारी, साथ ही उत्पादन और वित्तीय विवरण शामिल होंगे।
  • प्रत्येक आईडी व्यक्ति की डिजिटल राष्ट्रीय आईडी आधार से जुड़ेगी।

आवश्यकता

  • छोटे और सीमांत किसान जिनकी उन्नत तकनीकों तक सीमित पहुंच है के उत्पादन में सुधार एवं बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद तथा मवेशियों की निगरानी के लिए सेंसर मिट्टी का विश्लेषण और कीटनाशक छिड़काव के लिए ड्रोन आदि को बढ़ावा देना शामिल है।

लाभ

  • कीट संक्रमण, फसल की बर्बादी, फसलों का उचित मूल्य नवाचार को बढ़ावा तथा कृषि क्षेत्र में निवेश इत्यादि।

चिंताएं

  • डेटा सुरक्षा कानून का अभाव
  • व्यवसायीकरण
  • विवाद निपटान तंत्र की अनुपस्थिति।

INS विक्रांत

चर्चा में क्यों
हाल ही में भारत के रक्षा मंत्री ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में निर्मित स्वदेशी विमान वाहक INS विक्रांत पर चल रहे कार्य की समीक्षा की

प्रमुख बिंदु

  • इस स्वदेशी विमान वाहक का नाम नौसेना के सेवा युक्त प्रथम वाहक के नाम पर विक्रांत रखा गया है।
  • इसमें 30 विमानों का घटक होगा, जिसमें स्वदेशी उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर के अलावा mig-29k लड़ाकू जेट तथा इसकी अधिकतम गति 30 समुद्री मील होगी। इसमें हथियारों के रूप में बराक एल आर और एस एम एवं एके 630 शामिल है।
  • समुद्री क्षेत्रों में भारत के हितों की सुरक्षा हो सकेगी।
  • यह लंबी दूरी तक वायु शक्ति को प्रक्षेपित करने के साथ ही एक अतुलनीय सैन्य उपकरण की पेशकश करेंगा, जिसमें हवाई अवरोध इत्यादि शामिल हैं।
  • समुद्री क्षमता परिपेक्ष्य योजना के अनुसार वर्ष 2027 तक भारत के पास लगभग 200 जहाज होने चाहिए परंतु इस दिशा में और भी ज्यादा प्रयास की जरूरत है।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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