‘हाई एल्टीट्यूड बैलून’ के माध्यम से इंटरनेट
चर्चा में क्यों
हाल ही में अमेरिका ने क्यूबा में ‘हाई एल्टीट्यूड बैलून’ के माध्यम से लोगों तक इंटरनेट के प्रसार की योजना बनाई है जब उनकी सरकार ने इंटरनेट की पहुँच को अवरुद्ध कर दिया है।
क्यूबा में लंबे समय से अधिकारों पर प्रतिबंध, भोजन और दवाओं की कमी तथा कोविड-19 महामारी को लेकर सरकार की खराब प्रतिक्रिया के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है।
इंटरनेट हेतु हाई एल्टीट्यूड बैलून:
- इन्हें आमतौर पर ‘लून बैलून’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि इंटरनेट प्रदान करने के लिये पहले ‘हाई एल्टीट्यूड बैलून’ का इस्तेमाल ‘प्रोजेक्ट लून’ के तहत किया गया था।
- वे सामान्य प्लास्टिक की पॉलीथीन से बने होते हैं और एक टेनिस कोर्ट के आकार के होते हैं।
- वे सौर पैनलों द्वारा संचालित होते हैं एवं ज़मीन पर सॉफ्टवेयर द्वारा नियंत्रित होते हैं।
- हवा में ऊपर रहते हुए वे ‘फ्लोटिंग सेल टावरों’ के रूप में कार्य करते हैं तथा इंटरनेट सिग्नल को ग्राउंड स्टेशनों और व्यक्तिगत उपकरणों तक पहुँचाते हैं।
- वे वाणिज्यिक जेटलाइनर मार्गों (पृथ्वी से 60000 से 75000 फीट ऊपर) के ऊपर उड़ते रहते हैं।
- पृथ्वी पर वापस आने से पहले वे समताप मंडल में 100 दिनों से अधिक समय तक रहते हैं।
- प्रत्येक गुब्बारा हज़ारों लोगों की सेवा कर सकता है लेकिन समताप मंडल में कठोर परिस्थितियों के कारण उन्हें हर पाँच महीने में बदलना और गुब्बारों को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है।
आवश्यकताएँ:
नेटवर्क:
- गुब्बारों से परे इसे क्षेत्र में ज़मीन पर सेवा और कुछ उपकरण प्रदान करने के लिये दूरसंचार के साथ नेटवर्क एकीकरण की आवश्यकता थी।
अनुमति:
- इसे स्थानीय नियामकों से भी अनुमति की आवश्यकता है पर क्यूबा सरकार द्वारा अनुमति दिये जाने की संभावना नहीं है।
महत्त्व:
सुलभ:
- फोन कंपनियों को ज़रूरत पड़ने पर अपने कवरेज का विस्तार करने की अनुमति देकर, इस बैलून का उद्देश्य देशों को केबल बिछाने या सेल टावर बनाने की तुलना में एक सस्ता विकल्प प्रदान करना है।
दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँच:
- ये दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ मौजूदा प्रावधानों के तहत खराब सेवा प्रदान की जा रही है, इंटरनेट का उपयोग करने में सक्षम हैं और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान प्रभावित क्षेत्रों में संचार में सुधार करने में सक्षम हैं।
चुनौतियाँ:
अप्रयुक्त बैंड की आवश्यकता:
- इसे क्यूबा से एक कनेक्शन संचारित करने के लिये स्पेक्ट्रम या रेडियो फ्रीक्वेंसी के अप्रयुक्त बैंड की आवश्यकता होगी और स्पेक्ट्रम का उपयोग प्रायः राष्ट्रीय सरकारों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
- इस प्रकार की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति को स्पेक्ट्रम का एक फ्री ब्लॉक ढूँढना होगा जिसमें हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।
अलाभकारी:
- लंबी अवधि में बैलून या ड्रोन-संचालित नेटवर्क के किफायती होने की संभावना नहीं है।
परिचालन चुनौतियाँ
- बैलून की स्थिति को उचित रूप से मैप करने के लिये एल्गोरिदम विकसित करना, खराब मौसम से निपटने के लिये एक अच्छी रणनीति निर्धारित करना और गैर-नवीकरणीय संसाधनों पर भरोसा करने की चिंता को संबोधित करना अन्य चुनौतियों हैं।
प्रोजेक्ट लून (Project Loon)
- इसकी शुरुआत वर्ष 2011 में गूगल (Google) की पैरेंट कंपनी एल्फाबेट (Alphabet) ने की थी। यह समताप मंडल में बैलून्स का एक नेटवर्क था जिसे ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया था।
- जनवरी 2020 में इस परियोजना को बंद कर दिया गया\ क्योंकि यह व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य नहीं थी।
- शटडाउन से पहले लून बैलून एक स्थानीय दूरसंचार के साथ साझेदारी के माध्यम से केन्या के पर्वतीय क्षेत्रों में सेवा प्रदान कर रहा था।
- इस सेवा ने तूफान मारिया के बाद प्यूर्टो रिको में वायरलेस संचार प्रदान करने में भी मदद की।
भारतीय श्रमिक सम्मेलन (ILC)
(Indian Labour Conference)
- हाल ही में, ‘भारतीय मजदूर संघ’ द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ‘भारतीय श्रमिक सम्मेलन’ आयोजित करने के मांग की गई है।
- भारतीय श्रमिक सम्मेलन (ILC) का पिछला अंतिम सम्मेलन वर्ष 2015 में आयोजित किया गया था।
‘भारतीय श्रमिक सम्मेलन’ आयोजित करने की आवश्यकता:
- “देश में ‘सरकार, नियोक्ता और मजदूर’ की ‘त्रिपक्षीय’ (Tripartism) परंपरा को बनाए रखने के लिए ‘भारतीय श्रमिक सम्मेलन’ आवश्यक होते है।
- चूंकि भारत संसद द्वारा इस ‘त्रिपक्षीय’ प्रणाली से संबंधित ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ (ILO) के अभिसमय संख्या 144 पुष्टि की जा चुकी है, अतः ‘भारतीय श्रमिक सम्मेलन’ आयोजित करना भारत का कानूनी दायित्व भी हैं।
भरतीय श्रमिक सम्मेलन के बारे में:
- भारतीय श्रमिक सम्मेलन,देश के मजदूर वर्ग से संबंधित मुद्दों पर सरकार को परामर्श देने हेतु ‘श्रम एवं रोजगार मंत्रालय’ में एक शीर्ष स्तरीय ‘त्रिपक्षीय सलाहकार समिति’ है।
- ‘भारतीय श्रमिक सम्मेलन’ के सदस्यों में, सभी 12 केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठन, नियोक्ताओं के केंद्रीय संगठन, सभी राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश और एजेंडा से संबंधित केंद्रीय मंत्रालय/विभाग शामिल होते हैं।
- भारतीय श्रमिक सम्मेलन (तत्कालीन त्रिपक्षीय राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन) की पहली बैठक 1942 में हुई थी और इसके अब तक कुल 46 सत्र आयोजित हो चुके हैं।
संसद का मानसून सत्र
(Monsoon session of Parliament)
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में, ‘संसद का मानसून सत्र की शुरुआत हुई है। संसद के पिछले सत्र की अवधि को घटाकर 25 मार्च को अनिश्चितकाल के लिए समाप्त कर दिया गया था, और संवैधानिक मानदंडों के अंतर्गत, अगला सत्र छह महीने के भीतर आयोजित किया जाना आवश्यक होता है। यह समय सीमा 14 सितंबर को समाप्त हो रही है।
संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद~85 के अनुसार, संसद के दो सत्रों के मध्य ‘छह महीने से अधिक’ का अंतराल नहीं होना चाहिए।
- ध्यान देने योग्य बात यह है कि, संविधान यह निर्दिष्ट नहीं करता है, कि संसद का सत्र कब या कितने दिनों के लिए होना चाहिए।
- संसद के दो सत्रों के बीच अधिकतम अंतराल छह महीने से अधिक नहीं हो सकता है। अर्थात, एक वर्ष में कम से कम दो बार संसद की बैठक होना अनिवार्य है। .
- संसद का ‘सत्र’, सदन की पहली बैठक और उसके सत्रावसान के मध्य की अवधि होती है।
‘सत्र’ किसके द्वारा आहूत किया जाता है?
- सैद्धांतिक तौर पर, राष्ट्रपति समय-समय पर, संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर, जो वह ठीक समझे, अधिवेशन के लिए आहूत करेगा।
- किंतु, व्यवहारिक तौर पर, संसद की बैठक की तारीखों के संबंध में ‘संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति, जिसमें वरिष्ठ मंत्री शामिल होते हैं, निर्णय लेती है और फिर इसे राष्ट्रपति को अवगत कराती है।
- अतः, प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में कार्यपालिका के पास, राष्ट्रपति को संसद सत्र आहूत करने की सलाह देने की शक्ति होती है।
संसदीय सत्र का महत्व:
- विधि-निर्माण अर्थात क़ानून बनाने के कार्य संसदीय सत्र के दौरान किए जाते है।
- इसके अलावा, सरकार के कामकाज की गहन जांच और राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श केवल संसद के दोनों सदनों में जारी सत्र के दौरान ही किया जा सकता है।
- एक अच्छी तरह से काम कर रहे लोकतंत्र के लिए संसदीय कार्य-पद्धति का पूर्वानुमान होना आवश्यक होता है।
पुलिस सुधार
चर्चा में क्यों
- हाल ही में संसद में एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने खुलासा किया कि 1अप्रैल से 30 नवंबर 2015 के मध्य पुलिस श्रेणी के तहत 25,357 मामले दर्ज किए गए, जिसमें पुलिस हिरासत में मौत के 111 मामले, हिरासत में यातना के 330 मामले और अन्य 24916 मामले शामिल हैं।
- पुलिस सुधार का उद्देश्य पुलिस संगठन के मूल्यों ,संस्कृति, नीतियों और प्रथाओं को बदलना है, यह पुलिस को लोकतांत्रिक मूल्य, मानवाधिकार और कानून के शासन के सम्मान के सात कर्तव्यों का पालन करने की परिकल्पना करता है।
संबंधित मुद्दे
- औपनिवेशिक विरासत, देश में पुलिस प्रशासन की व्यवस्था और भविष्य में किसी भी विद्रोह को रोकने के लिए 1857 के विद्रोह के पश्चात वर्ष 1861 का पुलिस अधिनियम लागू किया गया था।
- भारतीय पुलिस बल निचले रैंक के पुलिस कर्मियों का प्राइस वरिष्ठो द्वारा शोषण किया जाता है।
- द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग के मुताबिक वर्तमान में पुलिस जनसंपर्क और संतोषजनक है, भ्रष्टाचार, पक्षपात जैसे विषय विद्यमान है।
सुझाव
- आधुनिक हथियारों की खरीद।
- पुलिस बलों की गतिशीलता
- लॉजिस्टिक समर्थन, पुलिस वायरलेस उन्नत आदि।
- एक राष्ट्रीय उपग्रह नेटवर्क।
- दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति।
मंकी वी वायरस
चर्चा में क्यों
हाल ही में चीन में इस वायरस से मानव संक्रमण का पहला मामला आया है।
- यह मकका का प्रजाति के ‘मकाक’ में अल्फार्पीस जाने वाला पशु स्थानिक वायरस है।
लक्षण
- संक्रमण की शुरुआत में बुखार, मांस पेशियों में दर्द और फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं।
- बंदर से संपर्क वाले हिस्से में छोटे छोटे छाले पड़ सकते हैं।
- बीमारी बढ़ने पर मस्तिष्क और ऋण की हड्डियों में सूजन आने लगती है। और मांस पेशियां ठीक से काम करना बंद कर देती है।
- कुछ अन्य लक्षण भी हैं जैसे – सांस लेने में तकलीफ, मतली और उल्टी, पेट में दर्द, हिचकी
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।