18 June 2021 Current affairs

WHO वैश्विक क्षय रोग कार्यक्रम

चर्चा में क्यों?

● हाल ही में, ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक क्षय रोग कार्यक्रम’ द्वारा क्षय रोग रोकथाम में तेजी लाने हेतु वैश्विक अभियान’ (Global Drive to Scale up TB Prevention) पर आभासी प्रारूप में एक उच्चस्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसका उद्देश्य, टीबी निवारक उपचार पर संयुक्त राष्ट्र उच्चस्तरीय बैठक के लक्ष्य 2022 को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए देश और वैश्विक स्तर पर टीबी रोकथाम की रणनीतियों को तेज करने हेतु आवश्यक कार्रवाईयों पर चर्चा करना था।

टीबी (TB) क्या है?

  • टीबी या तपेदिक / क्षय रोग, बेसिलस माइकोबैक्टीरियम ट्यूबर्युलोसिस (Bacillus Mycobacterium tuberculosis) नामक जीवाणु के कारण होने वाला एक संक्रामक रोग है।
  • यह आमतौर पर फेफड़ों (फुफ्फुसीय टीबी- pulmonary TB) को प्रभावित करता है, इसके अलावा मानव-शरीर के अन्य अंगो को भी प्रभावित कर सकता है।

इस संबंध में भारत द्वारा किए जा रहे प्रयास:

  1. भारत, टीबी को समाप्त करने के लिए पूरी तरह से वित्त पोषित राष्ट्रीय रणनीतिक योजना को आक्रामक ढंग से लागू कर रहा है। जिसमे 5करोड़ लोगों का उपचार किया गया।
  2. भारत, राष्ट्रीय स्तर पर टीबी निवारक उपचार (TB preventive treatment- TPT) और गतिविधियों में तेजी लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
  3. भारत का प्रयास, संयुक्त राष्ट्र उच्चस्तरीय बैठक के लक्ष्यों को पूरा करना है, जिसके तहत शेष 18 महीनों में, वैश्विक स्तर पर 4 करोड़ व्यक्तियों का टीबी उपचार तथा 3 करोड़ व्यक्तियों को टीबी निवारक उपचार प्रदान किया जाना है।

भारत की वार्षिक टीबी रिपोर्ट 2020:

  1. वर्ष 2019 में लगभग 04 लाख टीबी रोगियों को अधिसूचित किया गया है। वर्ष 2018 की तुलना में टीबी अधिसूचना में यह 14% की वृद्धि है।
  2. निजी क्षेत्र में 35% की वृद्धि के साथ 78 लाख टीबी रोगियों को अधिसूचित किया गया है।
  3. वर्ष 2018 में 6% की तुलना में 2019 में टीबी से ग्रसित बच्चों का अनुपात बढ़कर 8% हो गया है।

Note

निक्षय (NIKSHAY), राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत टीबी नियंत्रण हेतु एक वेब-आधारित सूचना प्रबंधन प्रणाली है।

दक्षिण-पश्चिम मानसून

चर्चा में क्यों

निर्धारित समय से दो दिन देरी से केरल तट पर पहुँचने के बाद दक्षिण पश्चिम मानसून दक्षिण प्रायद्वीपीय और मध्य भारत के कुछ क्षेत्रों में जल्दी पहुँच गया है।

कारण:

  • मई माह में बंगाल की खाड़ी में विकसित चक्रवात यास ने अंडमान सागर के ऊपर महत्त्वपूर्ण दक्षिण-पश्चिम मानसूनी पवनों को लाने में मदद की।
  • नियमानुसार दक्षिण अंडमान समुद्र पर अपने आगमन के लगभग दस दिन बाद मानसून सबसे पहले केरल में दस्तक देता है।
  • केरल में देरी से प्रवेश के बाद इसकी गति में वृद्धि मुख्य रूप से अरब सागर से तेज़ पश्चिमी पवनों और बंगाल की उत्तरी खाड़ी के ऊपर एक कम दबाव प्रणाली के गठन के कारण हुई, जो वर्तमान में पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार पर स्थित है।
  • महाराष्ट्र और केरल के बीच बनी एक अपतटीय द्रोणिका ने मानसून को कर्नाटक, गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और दक्षिणी गुजरात में जल्दी पहुँचने में मदद की है।

आगे की स्थिति:

  • उत्तर-पश्चिम भारत में मानसून तभी सक्रिय होता है जब मानसून की धाराएँ या तो अरब सागर से या बंगाल की खाड़ी से इस क्षेत्र में प्रवेश करती हैं। चूँकि इस घटना के जल्द घटित होने की संभावना नहीं है, अतः मानसून की प्रगति धीमी रहेगी।
  • साथ ही मध्य अक्षांश की पश्चिमी पवनों की एक धारा उत्तर पश्चिमी भारत की ओर प्रवाहित हो रही है, जो आने वाले दिनों में मानसून की प्रगति में बाधा उत्पन्न करेगी।

समय पूर्व मानसून और वर्षा की मात्रा:

  • किसी क्षेत्र में मानसून के आगमन के दौरान प्राप्त वर्षा की मात्रा या मानसून की प्रगति पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • उदाहरण के लिये मानसून ने वर्ष 2014 में 42 दिन और वर्ष 2015 में 22 दिन में पूरे देश को कवर किया। इतनी अलग श्रेणियों के साथ भी भारत में दोनों वर्षों के दौरान कम वर्षा दर्ज की गई।

जलवायु परिवर्तन के संकेत:

  • देश के विभिन्न हिस्सों में प्रत्येक वर्ष मानसून की शुरुआत समय से पहले या देर से हो सकती है।
  • मानसून की जटिलता को देखते हुए इन बदलावों को आमतौर पर सामान्य माना जाता है।
  • हालाँकि जलवायु विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन के संकेत के रूप में चार महीनों (जून-सितंबर) के दौरान कम समय के भीतर एक क्षेत्र में तीव्र वर्षा या लंबे समय तक शुष्क मौसम को चरम मौसमी घटनाओं को जोड़ा है।

भारत में सीप्लेन सेवाओं के लिये समझौता ज्ञापन

चर्चा में क्यों?
बंदरगाह, नौवहन तथा जलमार्ग मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भारत में सी-प्लेन सेवाओं के विकास के लिये समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं।

भारत की पहली सी-प्लेन सेवा का परिचालन सागरमाला सी-प्लेन सेवाओं के तहत अक्तूबर 2020 में अहमदाबाद में केवडिया और साबरमती रिवरफ्रंट के बीच शुरू किया गयाl

प्रमुख बिंदु

समझौता ज्ञापन (MoU) के बारे में:

  • इस समझौता ज्ञापन में भारत के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के भीतर सी-प्लेन सेवाओं के गैर-अधिसूचित/अधिसूचित प्रचालन की परिकल्पना की गई है।
  • नागरिक उड्डयन मंत्रालय की पहल आरसीएस-उड़ान (Regional Connectivity Scheme-Ude Desh Ka Aam Nagrik) के एक हिस्से के रूप में सी-प्लेन सेवाओं को विकसित किया जाएगा।
  • यह जहाज़रानी मंत्रालय वाटरफ्रंट एयरोड्रोम तथा अन्य आवश्यक बुनियादी ढाँचे की पहचान और विकास करेगा।
  • नागरिक उड्डयन मंत्रालय बिडिंग प्रक्रिया के माध्यम से संभावित एयरलाइन ऑपरेटरों का चयन करेगा। इसमें नौवहन मंत्रालय द्वारा पहचाने गए स्थान और मार्गों को भी शामिल किया जाएगा।

लाभ

  • यह समझौता ज्ञापन भारत में नए जल हवाई अड्डों के विकास और नए सी-प्लेन मार्गों के संचालन में तेज़ी लाने में मदद करेगा।
  • यह न केवल समुद्री विमानों के माध्यम से पर्यावरण के अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देकर पूरे देश में सहज संपर्क को बढ़ाएगा बल्कि पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा देगा।
  • इससे स्थानीय स्तर पर पर्यटन और होटल व्यवसाय में वृद्धि होगी और स्थानीय लोगों को रोज़गार भी मिलेगा।
  • जल हवाई अड्डों की स्थापना प्रस्तावित स्थलों पर वर्तमान सामाजिक आधारभूत सुविधाओं (स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, सामुदायिक आवास आदि) के स्तर में वृद्धि में योगदान देगीl

उड़ान योजना के बारे में:

  • ‘उड़े देश का आम नागरिक’ (उड़ान) योजना को वर्ष 2016 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत एक क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना के रूप में लॉन्च किया गया था।
  • इस योजना का उद्देश्य क्षेत्रीय मार्गों पर किफायती तथा आर्थिक रूप से व्यवहार्य और लाभदायक उड़ानों की शुरुआत करना है, ताकि छोटे शहरों में भी आम आदमी के लिये सस्ती उड़ानें शुरू की जा सकें।
  • यह योजना मौजूदा हवाई-पट्टी और हवाई अड्डों के पुनरुद्धार के माध्यम से देश के गैर-सेवारत और कम उपयोग होने वाले हवाई अड्डों को कनेक्टिविटी प्रदान करने की परिकल्पना करती है। यह योजना 10 वर्षों की अवधि के लिये संचालित की जाएगी।
  • कम उपयोग होने वाले हवाई अड्डे वे हैं, जहाँ एक दिन में एक से अधिक उड़ान नहीं भरी जाती, जबकि गैर-सेवारत हवाई अड्डे वे हैं जहाँ से कोई भी उड़ान नहीं भारी जाती है।
  • चयनित एयरलाइंस को केंद्र, राज्य सरकारों और हवाई अड्डा संचालकों द्वारा वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है, ताकि वे गैर-सेवारत और कम उपयोग होने वाले हवाई अड्डों पर सस्ती उड़ानें उपलब्ध करा सकें।

उड़ान 4.1 के बारे में:

उड़ान 4.1 मुख्यतः छोटे हवाई अड्डों, विशेष तौर पर हेलीकॉप्टर और सी-प्लेन मार्गों को जोड़ने पर केंद्रित है।
सागरमाला विमान सेवा के तहत कुछ नए मार्ग प्रस्तावित किये गए हैं।

सागरमाला सीप्लेन सेवाएँ

  • यह बंदरगाह, जहाज़रानी और जलमार्ग मंत्रालय के तहत एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है।
  • इस परियोजना को भावी एयरलाइन ऑपरेटरों के माध्यम से एक विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicle- SPV) ढाँचे के तहत शुरू किया जा रहा है।
  • इस परियोजना को सागरमाला विकास कंपनी लिमिटेड (Sagarmala Development Company Ltd- SDCL) के माध्यम से लागू किया जाएगा जो कि बंदरगाह, जहाज़रानी और जलमार्ग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
  • दूरदराज़ के स्थानों तक कनेक्टिविटी और आसान पहुँच प्रदान करने के लिये SDCL सी-प्लेन संचालन शुरू करके पूरे भारत में विशाल समुद्र तट और कई जल निकायों/नदियों की क्षमता का लाभ उठाने की योजना तलाश रहा है।
  • सी-प्लेन संचालन के लिये कई गंतव्यों की परिकल्पना की गई है। सी-प्लेन टेक-ऑफ और लैंडिंग हेतु आस-पास के जल निकायों का उपयोग करेंगे और इस तरह उन स्थानों को किफायती तरीके से जोड़ेंगे क्योंकि सी-प्लेन संचालन के लिये रनवे और टर्मिनल बिल्डिंग जैसे पारंपरिक हवाई अड्डे के बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता नहीं होती है।
  • मार्गों को सरकार की सब्सिडी वाली उड़ान योजना के तहत संचालित किया जा सकता है।

अंतर्देशीय पोत विधेयक ( Inland Vessels Bill)

चर्चा में क्यों

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतर्देशीय पोत विधेयक,2021 को मंजूरी दे दी। इस विधेयक अंतर्देशीय जहाजों की सुरक्षा और पंजीकरण को भी विनियमित करने संबंधी प्रावधान किए गए हैं।

प्रमुख बिंदु

  • इसके तहत राज्यों द्वारा बनाए गए अलग-अलग नियमों के बजाय पूरे देश के लिए एक संयुक्त कानून का प्रावधान किया गया है।
  • प्रस्तावित कानून के तहत प्रदान किया गया पंजीकरण प्रमाण पत्र सभी राज्यों और केंद्र शासित राज्यों में मान्य होगा। इसके लिए अलग से राज्यों की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
  • विधेयक में इलेक्ट्रॉनिक्स पोर्टल पर, पोत पंजीकरण और चालक दल का विवरण दर्ज करने के लिए एक केंद्रीय डेटाबेस का प्रावधान किया गया है।
  • यांत्रिक रूप से चालित सभी जहाजों के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य किया गया है। सभी गैर यांत्रिक रूप से चालित जहाजों की भी जिला, तालुक पंचायत या ग्राम स्तर पर पंजीकरण कराना होगा।

भारत में अंतर्देशीय जल परिवहन

  1. भारत में नौगम्य में जल मार्ग की लंबाई लगभग 14,500 किलोमीटर है।
  2. अंतर्देशीय जल परिवहन ( IWT) एक ईधन किफायती और पर्यावरण अनुकूल परिवहन माध्यम है।
  3. राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016 के अनुसार 111 जल मार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है।
  4. भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) द्वारा विश्व बैंक की तकनीकी और वित्तीय सहायता से गंगा के हल्दिया – वाराणसी विस्तार ( राष्ट्रीय जलमार्ग ( NW-1का भाग ) पर परिवहन क्षमता बढ़ाने के लिए लगभग 5369.18 करोड़ों रुपए की लागत के साथ जलमार्ग विकास परियोजना (JMPV) का क्रियान्वयन किया जा रहा है।

आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (ADMM- Plus )

चर्चा में क्यों
हाल ही में आठवीं आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक आयोजित की गई थी। इस वर्ष ADMM- Plus फोरम की अध्यक्षता ब्रूनेई कर रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2007 में सिंगापुर में आयोजित ADMM की दूसरी बैठक में ADMM- Plus की स्थापना हेतु संकल्प पत्र बनाया गया था।
  • ADMM- Plus , आसियान और इसके वार्ता साझेदार देशों के लिए क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास हेतु सुरक्षा और रक्षा सहयोग को मजबूती प्रदान करने वाला एक मंच है।
  • इसके वार्ता साझेदारों में ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, यूएसए, न्यूजीलैंड, जापान, दक्षिण कोरिया और रूस शामिल है।
  • इसका उद्देश्य अधिक संवाद और पारदर्शिता के माध्यम से सदस्य देशों की रक्षा संस्थानों के बीच आपसी विश्वास को बढ़ावा देना है।
  • इसके तहत पांच रक्षा क्षेत्र पर सहयोग की सहमति व्यक्त की गई है – समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद रोधी, मानवीय सहायता और आपदा राहत, शांति व्यवस्था और सैन्य चिकित्सा।
  • 2013 में सहयोग के क्षेत्र में एक नए प्राथमिकता क्षेत्र बारूदी सुरंग पर मानवीय कार्रवाई पर सहमति व्यक्त की गई है।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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