अमेरिका-भारत रणनीति ऊर्जा भागीदारी
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में अमेरिकी ऊर्जा सचिव और भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री द्वारा “अमेरिका-भारत रणनीतिक ऊर्जा भागीदारी” (Strategei Energy Partnership- SEP) की एक आभासी (Virtual) बैठक की सह-अध्यक्षता की गई।
Important facts
- आयोजन का मुख्य उद्देश्य,दोनों देशों के बीच ऊर्जा सुरक्षा प्रगति की समीक्षा करना,प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डालना और सहयोग के नवीन क्षेत्रों में प्राथमिकताओं का निर्धारण करना था।
- अप्रैल 2018 में रणनीतिक ऊर्जा भागीदारी (SEP) को स्थापित किया गया था।
- SEP की स्थापना का उद्देश्य- दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक ऊर्जा साझेदारी का निर्माण करना तथा सरकार-से-सरकार के बीच सहयोग एवं उद्योगों के बीच बेहतर जुड़ाव की दिशा में मजबूत मंच का निर्माण करना था।
सहयोग के 4 प्राथमिक स्तंभ
- पावर और ऊर्जा दक्षता
- तेल और गैस
- नवीकरणीय ऊर्जा
- सतत विकास
SEP की उपलब्धियां और प्राथमिकताएं
1- पावर और ऊर्जा दक्षता
- दोनों देशों द्वारा स्मार्ट ग्रिड में नई तकनीकों के एकीकरण पर सहयोग जैसे- विद्युत वितरण क्षेत्र का आधुनिकीकरण, स्मार्ट मीटरों की तैनाती आदि।
- दोनों देश “उन्नत स्वच्छ ऊर्जा-अनुसंधान के लिए भागीदारी” (Partnership to Advance Clean Energy Research- PACE-R) के माध्यम से विद्युत ग्रिड के लचीलापन और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए संयुक्त R and D का नेतृत्व कर रहे हैं।
- सुपर क्रिटिकल CO2 (SCO2) बिजली चक्र और कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (Carbon Capture,Utilization and Storage- CCUS) सहित विद्युत उत्पादन अनुसंधान के नवीन क्षेत्रों में सहयोग की शुरुआत।
NOTE
- sCO2,CO2 की एक तरल अवस्था है जिसके लिए क्रिटिकल ताप और दाब का होना महत्वपूर्ण होता है।
- स्मार्ट ग्रिड के निर्माण के लिए “ग्लोबल सेंटर आफ एक्सीलेंस” के रूप में भारत में “स्मार्ट ग्रिड नॉलेज सेंटर” की स्थापना पर सहमति बनी।
Important
- “यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID)” और “ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड (EESL)” द्वारा वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए “RAISE पहल” ( Retrofit of Air Conditioning to Improve Air Quality for Safety and Efficiency) की शुरुआत की गई है
2- गैस और तेल
- “राणनीतिक पेट्रोलियम भंडार” के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर
- अक्षय ऊर्जा और जीवाश्म ईंधन स्रोतों से हाइड्रोजन का उत्पादन करने में सहायक प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए “हाइड्रोजन टास्क फोर्स” का गठन।
3- नवीकरणीय ऊर्जा
- वर्ष 2021 में भारत के पहले सोलर डेकाथलान (R) इंडिया (Solar Decathlon ® India) पर सहयोग के लिए समझौता।
- उन्नत स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रमों पर सहमति बनी है।
- सतत जैव इंधन (मुख्यत: बायोइथेनॅाल) के उत्पादन और उपयोग पर संयुक्त गतिविधियों और सूचना विनिमय के माध्यम से सहयोग।
- SEP के माध्यम से “Asia EDGE पहल” मे भी सहयोग किया जाता है। Asia EDGE पहल भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक मजबूत ऊर्जा भागीदार के रूप में भारत को मान्यता प्रदान करता है।
NOTE
- Asia EDGE (ऊर्जा के माध्यम से विकास और वृद्धि को बढ़ाना) अमेरिका द्वारा प्रारंभ एक पहल है, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और बढ़ती समृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए मुक्त और खुले Indo-Pacific का समर्थन करती है।
4- सतत विकास
- दोनों देश उर्जा डाटा प्रबंधन, ऊर्जा मॉडलिंग और कम कार्बन उत्सर्जन वाली प्रौद्योगिकियों के संवर्धन में क्षमता निर्माण की दिशा में मिलकर कार्य कर रहे हैं।
- इस दिशा में USAID और नीति आयोग ने मिलकर “भारत एनर्जी मॉडलिंग फोरम” का शुभारंभ किया।
- भारत-अमेरिका मिलकर तकनीकी स्तंभों में लिंग-केंद्रीत गतिविधियों को शामिल करने के लिए कार्य कर रहे हैं। इसके लिएUSAID ने पावर सेक्टर पर केंद्रित “उर्जा में दक्षिण एशिया महिला” (South Asia Women in Energy- SAWIE) प्लेटफार्म लांच किया।
निष्कर्ष
- वर्तमान में बदलते भू-राजनीतिक समीकरणो के कारण भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए न केवल अपने ऊर्जा स्रोतों के विविधीकरण अपितु ऊर्जा के आयात के विविधीकरण पर भी बल दे रहा है। अमेरिका-भारत SEP न केवल बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों से साम्यता रखती है अपितु भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
काजीरंगा नेशनल पार्क और असम बाढ़
चर्चा में क्यों?
- वर्तमान में असम में भयंकर बाढ़ के कारण काजीरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व का लगभग 85% हिस्सा जलमग्न है। इससे 86 जानवरों की मृत्यु हो गई है।
काजीरंगा के पारिस्थितिकी तंत्र में बाढ़ की भूमिका
- असम पारंपरिक रूप से एक “बाढ प्रवण” (Flood prone) क्षेत्र है और ब्रह्मपुत्र नदी तथा कार्बी आंगलोंग (Carbi Anglong) पहाड़ियों के बीच स्थित काजीरंगा NP(national park) And TR (Tiger reserve) भी इसका अपवाद नहीं है।
- विशेषज्ञों के बीच यह आम सहमति है कि काजीरंगा और उसके पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बाढ़ काफी महत्वपूर्ण है।
- काजीरंगा NP And TR का पारिस्थितिकी तंत्र एक “नदी आधारित पारिस्थितिकी तंत्र है” न कि “ठोस भू – भाग आधारित पारिस्थितिकी तंत्र” जिसके कारण यह पानी के बिना जीवित नहीं रह सकता।
- बाढ़ की पुन: पूर्ति वाली प्रकृति काजीरंगा के जल निकायों को फिर से भरने और इसके परिदृश्य को बनाए रखने में मदद करती है, जो कि आद्र भूमि, घास के मैदान और अर्ध-सदाबहार जंगलों का मिश्रण है।
- काजीरंगा NP के वन क्षेत्र में “भारतीय गैंडो” की सबसे अधिक आबादी निवास करती है। ऐसे में इस क्षेत्र में घास के मैदानों को बनाए रखना काफी महत्वपूर्ण है। यदि इस क्षेत्र में बाढ़ नहीं आएगा तो “वुडलैंड” (Woodland)बन जाएगा।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान- असम
- 1974 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित
- 2007 में बाघ आरक्षित घोषित
- “ब्रह्मपुत्र नदी” बहती है
- 1985 में यूनेस्को की “विश्व धरोहर” घोषित
- Birdlife International द्वारा “महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र” के रूप में मान्यता
- दुनिया के सबसे अधिक “एक सींग वाले गैंडो” का निवास स्थान
- चार बड़ी प्रजातियों का संरक्षण- राइनो, हाथी, रॉयल बंगाल टाइगर, एशियाटिक वॉटर बफैलो।
- 2018 की जनगणना- 2413 गैंडे, 1100 हाथी
- 2014 की जनगणना- 103 बाघ (भारत में तीसरी सबसे बड़ी बाघ की आबादी वाला राष्ट्रीय उद्यान)
- राष्ट्रीय राजमार्ग- 37 पार्क से गुजरता है
काजीरंगा में बाढ़ से निपटने के उपाय
- इस क्षेत्र में जानवरों की रक्षा के लिए पशु गलियारों को सुरक्षित करने और कार्बी आंगलोंग पहाड़ियों में आवागमन के लिए एक सुरक्षित मार्ग बनाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
- सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार पार्क की दक्षिणी सीमा और काजीरंगा NP से बहने वाली सभी नदियों के आसपास सभी प्रकार के खनन और संबंधित गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
- बाढ़ की स्थिति में क्षेत्र का प्रशासन, पार्क प्राधिकरण NGO और स्थानीय समुदाय को मिलकर कार्य करना चाहिए।
बासमती चावल को GI tag देने की मांग
चर्चा में क्यों
- हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा केंद्र सरकार से राज्य के 13 जिलों में उत्पादित बासमती चावल के लिए GI tag प्राप्त करने के बढ़ते दबाव के बाद “अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ” ( AIREA) ने केंद्र सरकार से बासमती चावल की प्रतिष्ठा को संरक्षित और सुरक्षित करने की मांग की है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- भारत के अतिरिक्त विश्व के किसी भी अन्य देश ( पाकिस्तान के 18 जिलों को छोड़कर) में बासमती चावल का उत्पादन नहीं किया जाता है।
क्या है “GI tag” ?
- “कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण” ( Agriculture and processed food products export development authority – APEDA) के अनुसार, GI tag को अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक trademark ( ट्रेडमार्क) की तरह देखा जाता है।
- जीआई टैग ऐसे कृषि, प्राकृतिक या एक निर्मित उत्पादों की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है,जो एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होता है और जिसके कारण इसमें अद्वितीय विशेषताओं और गुणों का समावेश होता है।
- भौगोलिक संकेतक ( GI ) बौद्धिक संपदा अधिकारों का हिस्सा है, जो “ औद्योगिक संपदा के संरक्षण के लिए पेरिस अभिसमय” के तहत आता है।
- भारत में GI के पंजीकरण को “माल के भौगोलिक संकेतक ( पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999” द्वारा विनियमित किया जाता है।
नोट – माल के भौगोलिक संकेतक ( पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999
- यह अधिनियम 13 सितंबर 2003 को प्रभाव में आया था।
- इसका विनियमन “भौगोलिक पंजीयक रजिस्ट्रार” द्वारा
- भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री का मुख्यालय – चेन्नई ( तमिलनाडु )
- एक भौगोलिक संकेतक का पंजीकरण 10 वर्ष की अवधि के लिए वैध होता है।
बासमती चावल को GI tag
- मई 2010 में APEDA ने हिमालय की तलहटी से नीचे सिंधु – गंगा के मैदान में स्थित क्षेत्र में उत्पादित बासमती चावल के लिए यह प्रमाण-पत्र प्राप्त किया था।
- इसमें 7 राज्यों ( हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली) के क्षेत्र शामिल है।
नोट – पश्चिमी यूपी के 26 जिले शामिल है।
मध्य प्रदेश को बासमती चावल की GI tag में जोड़ने में बाधाएं
- AIREA के अनुसार, WTO के “बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं या TRIPS समझौते” के तहत GI tag अर्जित करने के लिए किसी उत्पाद की केवल भौतिक विशेषताएं पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ी प्रतिष्ठा भी आवश्यक और अनिवार्य है।
- माल भौगोलिक संकेतक ( पंजीकरण व संरक्षण) अधिनियम 1999 के अनुसार किसी उत्पाद की GI मान्यता उसकी भौगोलिक प्रतिष्ठा से जुड़ा होना महत्वपूर्ण है।
- यदि मध्य प्रदेश को बासमती चावल का GI tag दिया जाता है तो 1995 से भारतीय बासमती को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए APEDA के प्रयासों को निरर्थक बना देगा।
- विशेषज्ञों के अनुसार, वे सभी 50 से अधिक देश जिन्होंने अपने चावलों को बासमती से मिलते जुलते नाम रखने पर प्रतिबंधित किया गया है, वे भी इस निर्णय का दुरुपयोग प्रारंभ कर देंगे।
निष्कर्ष
- GI tag प्राप्त बासमती चावल के क्षेत्रफल के विस्तार के समय इससे जुड़े आर्थिक हितों साथ अन्य पहलुओं को देखना बहुत आवश्यक है।
- GI tag प्राप्त बासमती चावल से जुड़ी चुनौतियों को देखते हुए सरकार द्वारा कृषि विशेषज्ञों, निजी संस्थाओं और अन्य हित धारकों के साथ मिलकर मध्यप्रदेश में उत्पादित चावल पर उचित मूल्य प्रदान कराने के प्रचार-प्रसार से जुड़े प्रयासों को बढ़ावा दिया जा सकता है।
ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए सहायता अनुदान
चर्चा में क्यों
- हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा ( 15वें वित्त आयोग की सिफारिश पर) देश की 2.63 लाख ग्रामीण स्थानीय निकायों को 1.51 लाख करोड रुपए की किस्त जारी की गई है।
- राज्य सरकारें आवंटित निधि का बंटवारा पंचायती राज के सभी तीन स्तरों पर करेगी ( राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के आधार पर)
- पंचायतों को प्रशासनिक सहायता प्रदान करने हेतु – वेब/ IT इंवेल्ड प्लेटफार्म प्रदान किया जाएगा जिसके अंतर्गत निगम लिमिटेड कार्य विधि/क्रिया प्रणाली तय की गई है – योजना निर्माण , लेखा परीक्षण/सामाजिक अंकेक्षण।
महत्व
- आधारभूत संरचना निर्माण में
- बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने में।
- कोविड के दुष्प्रभाव ( प्रवासी मजदूरों) का निवारण करने में।
- रोजगार सृजन, वर्षा जल संचयन इत्यादि।
जैव विविधता/पर्यावरण
केरल पशु – पक्षी बलि निषेध अधिनियम
चर्चा का कारण
- हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 1968 में केरल सरकार द्वारा बनाए गए कानून “केरल पशु-पक्षी बलि निषेध अधिनियम 1968” की संवैधानिकता का परीक्षण करने को तैयार हुआ है।
- उल्लेखनीय है कि यह अधिनियम मंदिर परिसर में ईश्वर की प्रसन्नता हेतु होने वाली बलि प्रथा पर रोक लगाता है।
- मुख्य न्यायाधीश की बेंच द्वारा इस कानून संबंधी विरोधाभास को रेखांकित किया गया है। न्यायालय द्वारा यह टिप्पणी की गई है कि उक्त कानून भोजन हेतु पशु-पक्षी वध की अनुमति देता है जबकि देवताओं के लिए जानवरों की हत्या की अनुमति नहीं देता।
- मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार व पशु कल्याण बोर्ड को नोटिस जारी किया गया है।
- याची का मानना है कि यह अनुच्छेद -25 में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है अतः इसे निरस्त किया जाना चाहिए।
पूर्वोत्तर राज्यों में परिसीमन –
- उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में मार्च 2020 में पूर्वोत्तर के 4 राज्यों ( अरुणाचल प्रदेश , मणिपुर असम और नगालैंड ) और जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के लिए परिसीमन आयोग का गठन किया गया ।
- जबकि जन प्रतिनिधि अधिनियम 1950 की धारा 8A में स्पष्ट किया गया है कि पूर्वोत्तर के 4 राज्यों अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर , असम और नागालैंड में परिसीमन प्रक्रिया चुनाव आयोग द्वारा संचालित किया जाएगा ।
- पिछले परिसीमन (2002-2008 )के दौरान पूर्वोत्तर के इन चार राज्यों को परिसीमन प्रक्रिया से बाहर रखा गया था
- 14 फरवरी 2008 को परिसीमन अधिनियम 2002 में संशोधन करते हुए राष्ट्रपति को इन राज्यों में परिसीमन विलगित करने की शक्ति प्रदान की गई ।
- 84 वें संविधान संशोधन द्वारा परिसीमन के तहत 2026 तक किसी भी राज्य की लोक सभा तथा विधान सभा निर्वाचन सीटों की संख्या में परिवर्तन से रोक लगा दी गई ।
परिसीमन आयोग
- इसे सीमा आयोग के नाम से भी जाना जाता है।
- केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद- 82 के तहत परिसीमन आयोग का गठन किया जाता है ।
- जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश द्वारा अध्यक्षता की जाती है इसके साथ ही इस आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और संबंधित राज्यों के निर्वाचन आयुक्त भी शामिल होते हैं।
- अब तक देश में 1952 , 1963 , 1973 और 2002 में परिसीमन आयोग का गठन किया गया ।
हरियाणा में समय पूर्व रिहाई संबंधी नीति
- वर्ष 2019 में स्थापित हरियाणा सरकार की नीति के अनुसार हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए अभियुक्त को 75 वर्ष आयु और कम से कम 8 वर्ष की सजा पूरी करने के पश्चात रिहा कर दिया जाएगा।
- जबकि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 433-A के अनुसार यदि किसी कैदी को आजीवन कारावास की सजा हुई है तो उसे तब तक रिहा नहीं किया जा सकता जब तक वह कम से कम 14 वर्ष की सजा पूरी ना कर ले।
- संविधान के अनुच्छेद 72 और अनुच्छेद 161 के तहत भारतीय राष्ट्रपति और राज्य के राज्यपाल को दोषी करार व्यक्ति को क्षमादान की शक्ति प्रदान की गई है।
- अतः हरियाणा सरकार की समय पूर्व रिहाई नीति , दंड प्रक्रिया संहिता 433-A और संविधान के अनुच्छेद 72 और 161 का उल्लंघन करती है।
भारत में मातृत्व मृत्यु दर/अनुपात (MMR) में गिरावट
- हाल ही में भारत के रजिस्ट्रार जनरल ने नमूना पंजीकरण प्रणाली (Sample Registration System- SSR) द्वारा MMR पर विशेष बुलेटिन (2016-2018) जारी किया गया है।
MMR क्या है? (What is Maternal Mortality Rates)
- इसे प्रति एक लाख जीवित बच्चों के जन्म पर होने वाली माताओं की मौतों के रूप में परिभाषित किया जाता है (मूलत: यह महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य का मापक होती है।)
- UNO द्वारा निर्धारित ‘सतत विकास लक्ष्य’( SDG) के लक्ष्य संख्या 3.1 का उद्देश्य वैश्विक मातृत्व मृत्यु अनुपात को 70 /एक लाख जीवित जन्म से कम करना है। UNO के अनुसार MMR ,किसी महिला की गर्भावस्था के दौरान अथवा गर्भ समाप्ति के 24 दिनों के भीतर किसी भी कारण से होने वाली मौत होती है।
बुलेटिन के प्रमुख निष्कर्ष
- भारत में MMR वर्ष 2016-2018 में कम होकर 113 हो गई है। (2015-2017 में 122 था) (2014-2016 में 130था)
- असम (215) बिहार (149) मध्य प्रदेश (173) छत्तीसगढ़ (159) ओडिशा (150) राजस्थान (164) उत्तर प्रदेश (197) उत्तराखंड (99) आंध्र प्रदेश (65) तेलंगाना (63) कर्नाटक (92) तथा केरल (43) व तमिलनाडु (60) ये राज्यों का MMR है।
लोक प्रशासन में उत्कृष्टता हेतु प्रधानमंत्री पुरस्कार 2020
- हाल ही में लोक प्रशासन में उत्कृष्टता हेतु नए संशोधित प्रधानमंत्री पुरस्कारों को आरंभ किया गया है।
विशेषताएं
- आर्थिक विकास, लोगों की भागीदारी तथा जन शिकायत निवारण आदि के संदर्भ में जिला कलेक्टरों के कार्यों की पहचान के लिए योजना में संशोधन किया गया है।
पुरस्कार नामांकन की श्रेणियां
- जिला प्रदर्शन संकेतक कार्यक्रम
- नवाचार सामान्य श्रेणी
- आकांक्षी जिला कार्यक्रम
- नमामि गंगे कार्यक्रम
योजना में पहली बार नमामि गंगे कार्यक्रम हेतु जिला स्तर पर प्रयासों को शामिल किया गया है।
पृष्ठभूमि
- लोक प्रशासन में उत्कृष्टता हेतु प्रधानमंत्री पुरस्कार की स्थापना वर्ष 2006 में की गई।
यू् तिरोट सिंग सियाम
- 17 जुलाई 2020 को मेघालय में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाने वाले पहले खासी शासक और स्वतंत्रता सेनानी यू तिरोट सिंग सियाम की 185वीं पुण्यतिथि पर शिलांग में श्रद्धांजलि दी गई।
- यह न केवल मेघालय के बल्कि संपूर्ण भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे।
पीएम स्वनिधि ऐप
- रेहड़ी पटरी तथा फेरी लगाने वाले दुकानदारों को आसानी से लघु ऋण की सुविधा देने हेतु प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि ) योजना का मोबाइल एप जारी किया गया है।
- इस मोबाइल ऐप का उद्देश्य छोटे दुकानदारों के लिए ऋण आवेदन की प्रक्रिया को आसान बनाना है।
- इस योजना के तहत छोटे दुकानदार ₹10000 तक के ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं।
जय गांव-पासाखा व्यापार मार्ग
- हाल ही में भारत और भूटान द्वारा पश्चिम बंगाल के जयगांव (भारत) और भूटान के पाशाखा के बीच एक नया व्यापार मार्ग खोला गया। यह नया व्यापार मार्ग मौजूदा कोविड-19 महामारी के दौर में दोनों देशों के व्यापार संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
साइबर सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत-इजरायल समझौता
- हाल ही में भारत और इजरायल ने साइबर खतरों से निपटने में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
- यह समझौता दोनों पक्षों के बीच साइबर सुरक्षा को लेकर सहयोग के लिए और साइबर खतरों से संबंधित सूचना के आदान-प्रदान के दायरे को विस्तृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
अमेरिका का ट्रिनिटी परीक्षण (US Trinity Test)
- ट्रिनिटी परीक्षण अमेरिका व विश्व का प्रथम परमाणु परीक्षण का नाम था,जो न्यू मैक्सिको के मरुस्थल में 16 जुलाई 1945 को किया गया था तत्पश्चात 6 व 9 अगस्त 1945 को जापान पर परमाणु बम गिराया गया था।
- ट्रिनिटी परीक्षण स्थानीय लोगों को बगैर चेतावनी के किया गया था जिसका कुप्रभाव वहां के लोगों पर काफी समय तक पढ़ा व चर्म रोग, कैंसर, बाल झड़ना वह त्वचा से रक्त स्राव तथा पशु व पक्षियों पर भी प्रभाव पड़ा।
- 1990 में अमेरिकी सरकार द्वारा ‘रेडिएशन एक्स्पोज़र कंपनसेशन एक्ट’ पारित करने के पश्चात पीड़ित लोगों को मुआवजा दिया गया।
- जूलियन रॉबर्ट ओपेनहाइमर को परमाणु बम का जनक माना जाता है तथा वर्तमान में कुल 9 देश (USA,UK, फ्रांस, रूस, भारत, चीन, इजराइल, पाकिस्तान,तथा उत्तरी कोरिया) परमाणु हथियार संपन्न हैं।
- भारत द्वारा मई 1974 में राजस्थान के पोखरण में ‘स्माइल बुद्धा’ नाम से पहला परमाणु परीक्षण किया गया तथा मई 1998 में पोखरण-2 श्रृंखला के तहत पांच परमाणु परीक्षण किए गए।
Team rudra
Abhishek Kumar Verma
Amarpal Verma
Krishna
Yograj Patel
anil Kumar Verma
Vivek Pandey
Prashant Yadav
Dr.Sant lal
Sujata Singh
Geography team mppg college ratanpura mau
- Surjit Gupta
- Saty Prakash Gupta
- Shubham Singh
- Akhilesh Kumar
- Sujit Kumar Prajapti