2 May 2021 Current affairs

कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) व्यय

विशेषज्ञों द्वारा सरकार से कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) नियमों को आसान बनाने की मांग की जा रही हैं, ताकि कोविड पीड़ित कर्मचारियों के इलाज और उनके टीकाकरण से संबंधित कॉरपोरेट व्यव को CSR व्यव के तहत कवर किया जा सके।

वर्तमान CSR मानदंडों के तहत, कंपनियों को अपने अनिवार्य CSR व्यय के हिस्से के रूप में कर्मचारियों के कल्याण के लिये विशेष रूप से किये गए व्यय की गणना करने की अनुमति नहीं है।

कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी

अर्थ : कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) को एक प्रबंधन अवधारणा के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसके तहत कंपनियाँ अपने व्यापारिक भागीदारों के साथ सामाजिक और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को उनके हितधारकों के साथ एकीकृत करती हैं।
CSR परियोजनाओं के द्वारा लक्षित लाभार्थियों तथा उनके आस-पास के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष परिवर्तनों का मूल्यांकन ‘प्रभाव आकलन अध्ययन’ (Impact Assessment Studies) कहलाता है।

शासन :

  • भारत में CSR की अवधारणा को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत नियंत्रित किया जाता है।
  • संभावित CSR गतिविधियों की पहचान करके एक रूपरेखा तैयार करने के साथ-साथ CSR को अनिवार्य करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है।
  • CSR का प्रावधान उन कंपनियों पर लागू होता है, जिनका निवल मूल्य (Net Worth) ₹ 500 करोड़ से अधिक हो या कुल कारोबार (Turnover) ₹1000 करोड़ से अधिक हो या शुद्ध लाभ (Net Profit) ₹5 करोड़ से अधिक हो।
  • अधिनियम के अनुसार कंपनियों को एक CSR समिति स्थापित करने की आवश्यकता है, जो निदेशक मंडल को एक कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व नीति की सिफारिश करेगी और समय-समय पर उसी की निगरानी भी करेगी।
  • अधिनियम कंपनियों को अपने पिछले तीन वर्षों के शुद्ध लाभों के औसत का 2% CSR गतिविधियों पर खर्च करने के लिये प्रोत्साहित करता है।

CSR गतिविधियाँ

  • अधिनियम में उन गतिविधियों की सूची दी गई है, जो CSR के दायरे में आती हैं। यह सूची अधिनियम की 7वीं अनुसूची में शामिल हैं। इन गतिविधियों में शामिल हैं:
  • गरीबी व भूख का उन्मूलन।
  • शिक्षा का प्रचार-प्रसार, लिंग समानता व नारी सशक्तीकरण।
  • ह्यूमन इम्यूनो-डिफीसिएन्सी वायरस, एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम और अन्य बीमारी से लड़ने की तैयारी।
  • पर्यावरणीय संतुलन को सुनिश्चित करना।
  • प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष या अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला, अल्पसंख्यक तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के सामाजिक-आर्थिक विकास और राहत के लिये केंद्र या राज्य सरकार द्वारा गठित किसी कोष में योगदान आदि।

राष्ट्रीय खरीफ सम्मेलन -2021 

 चर्चा में क्यों

 हाल ही में , केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ‘ राष्ट्रीय खरीफ सम्मेलन -2021 ‘ का उद्घाटन किया ।

   तथ्य

  •  यह खरीफ सीजन के दौरान फसल प्रबंधन की चुनौतियों और रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए आयोजित किया गया है ।
  •  ब्लॉक स्तर पर बीज , कीटनाशक , उर्वरक , मशीनरी की उपलब्धता और सूखे की तैयारियां , फसल विविधीकरण और किसान की आय बढ़ाने के ऊपाय जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की गई 
  • भारत ने 2020-21 में 303.34 मिलियन टन अनाज का उत्पादन किया है , जो पिछले वर्षों की तुलना में 1.96 % अधिक है । 
  • सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का हिस्सा 2020-21 में 17.8 % से बढ़कर 19.9 % हो गया है । 
  • सरकार ने वर्ष 2021-22 के लिए 307 मिलियन टन खाद्य उत्पादन का लक्ष्य रखा है ।
  • सरकार देश में कमी को दूर करने के लिए तिलहन और दालों के उत्पादन को बढ़ावा देगी । 
  •  सरकार जैविक खेती के लिए स्थानों की पहचान भी करेगी और जैविक उत्पादों को बाजार प्रदान करने में मदद करेगी ।

सप्लाई चेन रेजीलिएंस इनीशिएटिव

चर्चा में क्यों

हाल ही में भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्रियों ने औपचारिक रूप से सप्लाई चैन रेजीलिएंस इनिशिएटिव की शुरूआत की है।

इस प्रकार के दृष्टिकोण को अपनाने का मुख्य कारण यह है कि किसी भी प्रकार की अप्रत्याशित घटना, चाहे वह प्राकृतिक हो या मानवीय के कारण किसी विशेष देश से आने वाली आपूर्ति में बाधा उत्पन्न हो सकती हैं जिससे गंतव्य देश में आर्थिक गतिविधि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

कोविड-19 महामारी ने जीवन, आजीविका और अर्थव्यवस्था पर अभूतपूर्व प्रभाव डाला है और साथ ही इसने वैश्विक तथा क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखला की कमजोरी को उजागर किया है।

भारत के लिए महत्व

  • चीन के साथ सीमा तनाव के साथ जापान जैसे साझेदारों ने समझा कि भारत वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखला पर वार्ता के लिए तैयार हो सकता है।
  • भारत चीन से आयात निर्भरता कम कर सकेगा।
  • अन्य वैकल्पिक रास्तों का उपयोग सक्षम जिससे आत्मनिर्भरता में वृद्धि होगी।

कोविड-19 टिको के लिए विभेदक मूल्य निर्धारण

चर्चा में क्यों
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को इंगित कराया कि विभिन्न कोविड-19 टीका निर्माता टिको का अलग-अलग मूल्य निर्धारित कर रहे हैं, जबकि ड्रग नियंत्रण अधिनियम और पेटेंट अधिनियम को विनियमित करने का अधिकार केंद्र सरकार को प्राप्त हैै।
भारत में दवाओं के मूल्य निर्धारण संबंधी नियम

  • आवश्यक वस्तु अधिनियम – 1955
  • ड्रग्स मूल्य नियंत्रण आदेश
  • राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण

चुॅकी आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा – 3 में कोई अधिनियम पेटेंट दवाओ / निश्चित खुराक संयोजन दवाओं पर लागू नहीं होती अतः Remedesivir की कीमत सरकार द्वारा विनियमित नहीं की जा रही।
हल

  • पेटेंट अधिनियम -1970 का प्रयोग
  • महामारी रोग अधिनियम -1897
  • इन दोनों अधिनियम का प्रयोग कर केंद्र सरकार वर्तमान में उत्पन्न समस्याओं को निपटा सकती है।

वैश्विक वन लक्ष्य रिपोर्ट

  • UN वैश्विक वन लक्ष्य रिपोर्ट 2021 के अनुसार कोविड-19 के कारण वनों के प्रबंधन में विभिन्न देशों के समक्ष आने वाली चुनौतियों को बढ़ावा दिया है।
  • वैश्विक आबादी का 25% हिस्सा अपने जीवन निर्वाह संबंधी आवश्यकताओं, आजीविका, रोजगार और आय के लिए वनों पर निर्भर है।
  • आर्थिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो वनो पर आश्रित आबादी की आय में कमी हुई है। तथा इन्हें दूरदराज/दुर्गम स्थानों पर निवास के कारण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
  • कोविड-19 के जोखिम के कारण अनेक स्वदेशी और स्थानीय समुदायों के वापस लौटने से भोजन, ईंधन, आश्रय एवं सुरक्षा के लिए वनों पर निर्भरता में बढ़ोतरी हुई है।
  • जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर वैश्विक मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1980 – 2000 के बीच एक मिलियन प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा था और लगभग 100 मिलियन हेक्टेयर उष्णकटिबंधीय वन खत्म हो गए।
  • भारत की राष्ट्रीय वन नीति 1988 में देश के 33 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र को वन और वृक्ष आदि क्षेत्र के अंतर्गत रखने के लक्ष्य की परिकल्पना की गई है।

प्रतिरक्षण रणनीति – 2030


यह संयुक्त राष्ट्र के अनिवार्य सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में योगदान देना।

प्रतिरक्षण रणनीति 2030 के विषय में

यह दशक 2021 – 30 हेतु वैक्सीन और टीकाकरण के लिए एक महत्वकांक्षी, अतिव्यापी रणनीति निर्धारित करता है।
इसे चार मुख्य सिद्धांतों पर रेखांकित किया जाता है।
1- यह आम लोगों को केंद्र में रखता है।
2- इसका नेतृत्व देशों द्वारा किया जाता है।
3- अध्यापक साझेदारी के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।
4- यह डाटा द्वारा संचालित होता है।
प्रतिरक्षण रणनीति के लक्ष्य

  • इस कार्यक्रम के तहत विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ जैसे अन्य वैश्विक एजेंसियों द्वारा मौजूदा दशक में 50 मिलियन वैक्सीन निवारक संक्रामक से लोगों को बचाना।
  • टीकाकरण से वंचित बच्चों अथवा शुन्य खुराक वाले बच्चों की संख्या को घटाकर 50% से कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • बचपन एवं किशोरावस्था में दिए जाने वाले आवश्यक टिको का 90% कवरेज लक्ष्य प्राप्त करना।
  • टीकाकरण का लाभ सभी देशों को समान रूप से प्राप्त हो।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

Leave a Reply