जेंडर सेल्फ आइडेंटिफिकेशन
चर्चा में क्यों
हाल ही में स्पेनिश सरकार ने एक ऐसे मसौदा विधेयक को मंज़ूरी दी है जो 14 वर्ष से अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति को चिकित्सा निदान या हार्मोन थेरेपी के बिना कानूनी रूप से लिंग बदलने की अनुमति देगा।
तथ्य
- वर्तमान में किसी भी व्यक्ति को आधिकारिक रिकॉर्ड में अपना लिंग परिवर्तित करने से पहले कानूनी रूप से दो साल की हार्मोन थेरेपी और एक मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन की आवश्यकता होती है।
- ट्रांसजेंडर लोगों के प्रति व्याप्त पूर्वाग्रह के चलते ‘सेल्फ आइडेंटिफिकेशन’ यानी ‘स्व-पहचान’ भारत सहित दुनिया भर में ट्रांस-राइट समूहों की लंबे समय से मांग रही है।
जेंडर सेल्फ आइडेंटिफिकेशन (अवधारणा):
- एक व्यक्ति को केवल घोषणा के माध्यम से और बिना किसी चिकित्सीय परीक्षण के अपनी पसंद के लिंग के साथ पहचाने जाने हेतु कानूनी रूप से अनुमति दी जानी चाहिये।
पक्ष में तर्क
- वांछित लिंग के साथ पहचान घोषित करने की वर्तमान प्रक्रिया लंबी, महँगी और अपमानजनक है।
- ट्रांसजेंडर लोगों को दैनिक रूप से भेदभाव का सामना करना पड़ता है, ऐसे में यह महत्त्वपूर्ण है कि इस भेदभाव से निपटने के लिये कदम उठाए जाएँ और लोगों को आवश्यक सेवाएँ तथा सहायता प्रदान की जाए।
- लैंगिक पहचान को उस व्यक्ति का एक अंतर्निहित हिस्सा माना जाता है जिसे शल्य चिकित्सा या हार्मोनल उपचार या चिकित्सा की आवश्यकता हो भी सकती है या नहीं भी हो सकती है। इसके अलावा सभी व्यक्तियों को अपनी शारीरिक अखंडता और शारीरिक स्वायत्तता को प्रभावित करने वाले निर्णय लेने के लिये सशक्त होना चाहिये।
विपक्ष में तर्क
- जेंडर सेल्फ आइडेंटिफिकेशन लोगों के इस अधिकार के सम्मान से कहीं आगे है कि वे क्या चाहते हैं; अपनी इच्छानुसार पोशाक धारण करना या अपनी पहचान व्यक्त करना।
- यह एक राजनीतिक और सामाजिक मांग है जो सभी, विशेष रूप से महिलाओं, समलैंगिक लोगों और ट्रांससेक्सुअल लोगों को प्रभावित करती है।
- जेंडर आइडेंटिफिकेशन के चिकित्साकरण ने ट्रांस समुदाय के कुछ सदस्यों के लिये महत्त्वपूर्ण कानूनी मान्यता और संक्रमण से संबंधित स्वास्थ्य देखभाल की अनुमति दी है।
ऐसे देश जहांँ सेल्फ आइडेंटिफिकेशन को कानूनी मान्यता प्राप्त है:
- डेनमार्क, पुर्तगाल, नॉर्वे, माल्टा, अर्जेंटीना, आयरलैंड, लक्ज़मबर्ग, ग्रीस, कोस्टा रिका, मैक्सिको (केवल मैक्सिको सिटी में), ब्राज़ील, कोलंबिया, इक्वाडोर और उरुग्वे सहित विश्व के 15 देश सेल्फ आइडेंटिफिकेशन को मान्यता प्रदान करते हैं।
- हंगरी में एक नया कानून लाया गया है जिसके अनुसार, 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिये स्कूली पाठ्यक्रम और टेलीविज़न शो के माध्यम से समलैंगिकता तथा लिंग परिवर्तन के बारे में सभी ज्ञानकारियों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करना आवश्यक है।
भारत में नियम:
- भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकार ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक 2019 और ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 द्वारा शासित होते हैं।
- नियम के तहत लिंग घोषित करने हेतु ज़िलाधिकारी को आवेदन करना होता है। माता-पिता भी अपने बच्चे की ओर से आवेदन कर सकते हैं।
- नियम के तहत पहचान प्रमाण पत्र जारी करने/लिंग परिवर्तन करने की प्रक्रियाओं हेतु कोई चिकित्सा या शारीरिक परीक्षा की अनिवार्यता नहीं होगी।
- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) बनाम भारत संघ, 2014 मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर लोगों को ‘थर्ड जेंडर’ घोषित किया।
- न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आत्म-अभिव्यक्ति (Self-Expression) में विविधता को शामिल करने के लिये ‘गरिमा’ की व्याख्या की, जो किसी व्यक्ति को एक सम्मानजनक जीवन जीने की अनुमति देता है। इसने लैंगिक पहचान को अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा के मौलिक अधिकार के ढाँचे के भीतर रखा।
- इसके अतिरिक्त यह उल्लेख किया गया कि समानता के अधिकार (संविधान का अनुच्छेद 14) और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19 (1) (a) को लिंग-तटस्थ (Gender-Neutral) शब्दों (“सभी व्यक्ति”) के साथ निर्मित किया गया था अर्थात् इन अधिकारों में किसी विशिष्ट लिंग के बजाय सभी व्यक्तियों की बात की गई है।
- 2018 में SC ने समलैंगिक संबंधों को भी अपराध की श्रेणी से बाहर कर दियाl
कालबेलिया नृत्य
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में, कोविड-19 महामारी के कारण कालबेलिया नृत्य (Kalbeliya Dance) करने वाले छात्रों के बीच चेंडाविया (Chendavia) नामक एक एप लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है।
परिचय
- कालबेलिया नृत्य कालबेलिया समुदाय के पारंपरिक जीवनशैली की एक अभिव्यक्ति है। यह इसी नाम की एक राजस्थानी जनजाति से संबंधित है।
- इसे वर्ष 2010 में UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की सूची में शामिल किया गया था।
- UNESCO की प्रतिष्ठित सूची उन अमूर्त विरासतों से मिलकर बनी है जो सांस्कृतिक विरासत की विविधता को प्रदर्शित करने और इसके महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करते हैं।
- यह सूची 2008 में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा पर कन्वेंशन के समय स्थापित की गई थी।
- इस नृत्य रूप में घूमना और रमणीय संचरण शामिल है जो इस नृत्य को देखने लायक बनाता है। कालबेलिया से जुड़े मूवमेंट भी इसे भारत में लोक नृत्य के सबसे भावमय रूपों में से एक बनाते हैं।
- यह प्रायः किसी भी खुशी के उत्सव पर किया जाता है और इसे कालबेलिया संस्कृति का एक अभिन्न अंग माना जाता है।
- कालबेलिया नृत्य का एक और अनूठा पहलू यह है कि इसे केवल महिलाओं द्वारा प्रस्तुत किया जाता है, जबकि पुरुष वाद्य यंत्र बजाते हैं और संगीत प्रदान करते हैं। .
वाद्य-यंत्र और पोशाक
- घेरदार काले घाघरे में (काली स्कर्ट) में महिलाएँ गोल गोल घूमते हुए सर्प की नकल करते हुए नृत्य करती हैं, जबकि पुरुष उनके साथ ‘खंजारी’ (khanjari) और ‘पुंगी’ (Poongi) वाद्य यंत्र बजाते हैं, जो पारंपरिक रूप से साँपों को पकड़ने हेतु बजाया जाता है।
- नर्तक शरीर पर पारंपरिक टैटू निर्मित करवाते हैं तथा आभूषण, छोटे दर्पण और चांदी के धागे से निर्मित कढ़ाई वाले वस्त्र पहनते हैं।
कालबेलिया संगीत/गीत:
- कालबेलिया गीतों में कथाओं एवं कहानियों के माध्यम से पौराणिक ज्ञान का प्रसार किया जाता है।
- इन गीतों में कालबेलिया के काव्य कौशल का प्रदर्शन होता है जिसका प्रयोग नृत्य प्रदर्शन हेतु गीतों को सहज रूप से लिखने और गीतों को बेहतर बनाने हेतु किया जाता है।
- पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रेषित गीत और नृत्य एक मौखिक परंपरा का हिस्सा हैं, जिसके लिये कोई पाठ या प्रशिक्षण नियमावली मौजूद नहीं है।
कालबेलिया जनजाति:
- कालबेलिया जनजाति के लोग कभी पेशेवर रूप से सर्प को पकड़ने (Professional Snake Handlers) का कार्य करते थे, आज वे संगीत और नृत्य में अपने पूर्व व्यवसाय को बनाए हुए हैं जो नए व रचनात्मक तरीकों के माध्यम से सामने आ रहा है।
- वे खानाबदोश जीवन व्यतीत करते हैं और अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) में शामिल हैं।
- कालबेलिया की सबसे अधिक आबादी पाली जिले में पाई जाती है, उसके बाद अजमेर, चित्तौड़गढ़ और उदयपुर ज़िले (राजस्थान) में हैं।
- राजस्थान के अन्य पारंपरिक लोक नृत्यः गैर, कच्छी घोड़ी, घूमर, भवई आदि शामिल हैं।
नोट– यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त भारत मे अमूर्त सांस्कृतिक विरासत स्थलों की संख्या 13 है।
G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक
चर्चा में क्यों
G-20 समूह विश्व बैंक एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का प्रतिनिधि, यूरोपियन संघ एवं 19 देशों का एक अनौपचारिक समूह है।
तथ्य
- यह वैश्विक व्यापार का 75% वैश्विक निवेश का 85% GDP का 85% और विश्व की 2/3 जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- G-20 के सदस्य देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की,USA ,UK , ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीयन यूनियन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब शामिल है।
बैठक के संदर्भ में
- मीटिंग में वैक्सीन कूटनीति में शामिल होने के लिए चीन और रूस की आलोचना की गई।
- अफ्रीका में कोविड- 19 महामारी संघर्ष, सूखा, आर्थिक संकट विकास की गति में बाधक बन रहे हैं।
- संपूर्ण अफ्रीका में लगभग 250 मिलियन लोग भूख का शिकार हैं। जो जनसंख्या का 20% है।
- भारत में मीटिंग के दौरान वैक्सीन इक्विटी के मुद्दे को उठाया।
- वैक्सिंग इक्विटी भौगोलिक और भू राजनीतिक की प्रवाह किए बिना वैश्विक आबादी हेतु टीकों की वहनीयता और पहुंच दोनों के अवसर शामिल हैं।
- कोवैक्स :- एक वैश्विक पहल है जिसका उद्देश्य ( UNICEF) गावी ( वैक्सीन एलायंस) ,WHO , महामारी की तैयारी हेतु गठबंधन और कोविड-19 को भी सामान पहुंच सुनिश्चित करना है।
- भारत की वैक्सीन मंत्री पहल वैक्सीन इक्विटी सुनिश्चित करने की एक पहल है।
- वर्तमान में इटली के पास G-20 की अध्यक्षता है।
- भारत द्वारा 2023 में G-20 की अध्यक्षता करेगा।
ग्रीन हाइड्रोजन
चर्चा में क्यों
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी ( IRENA) ने “वर्ल्ड एनर्जी ट्रांजिशन आउटलुक” रिपोर्ट जारी किया जिसमें, उसने बताया कि 2050 तक कुल ऊर्जा मिश्रण में हाइड्रोजन की हिस्सेदारी 12% तक हो जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- कुल उत्पादित हाइड्रोजन का 1% से भी कम हिस्सा “ग्रीन हाइड्रोजन” होता है।
- भारत में हाइड्रोजन, उर्वरक, रिफाइनरी, अमोनिया और मेथेनॉल के उत्पादन में प्रयोग किया जाता है।
भारत के लिए ग्रीन हाइड्रोजन का महत्व
- भारत के लिए स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत
- पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन को रोकने में मदद
- पेरिस जलवायु समझौते को पूरा करने के प्रति प्रतिबद्ध
- जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता कम करने में सहायक।
- राजकोषीय घाटे को कम करने में सहायक।
संभावनाएं
- अनुकूल भौगोलिक स्थिति ,वायु ,धूप भारत में ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की अपार संभावनाएं पैदा करते हैं।
- ग्रीन हाइड्रोजन का प्रयोग वहां भी किया जा रहा है जहां प्रत्यक्ष विद्युतीकरण संभव नहीं है।
चुनौतियां
- आर्थिक स्थिरता।
- प्रारंभिक उच्च लागत।
- तकनीकी का कम विकास।
- बुनियादी ढांचे की कमी।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- 2021-22 में राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन।
- जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन।
- I.S.A
- PM कुसुम योजना।
- राष्ट्रीय पवन सौर हाइब्रिड नीति।
- रूफटाप सौर योजना
वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक : ITU
- भारत अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ के वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक में 37 स्थानों की बढ़त के साथ दसवें स्थान पर पहुंच गया है।
- अमेरिका शीर्ष स्थान पर रहा, उसके बाद ब्रिटेन और सऊदी और अरब एक साथ दूसरे स्थान पर रहे।
- एशिया प्रशांत क्षेत्र में भारत चौथा स्थान पर रहा।
- भारत को अगले 4 वर्षों की अवधि ( 2019 – 22) के लिए पुनः अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ ( ITU) परिषद का सदस्य चुना गया है। भारत वर्ष 1952 से इस का सदस्य है।
चुनौतियां
- कोविड-19 के कारण कंपनियों के अधिकांश कर्मचारियों को “वर्क फ्रॉम होम” मोड में स्थानांतरित कर दिया गया है।
- भारत में हार्डवेयर के साथ साथ सॉफ्टवेयर साइबर सुरक्षा उपकरणों में स्वदेशीकरण का अभाव है।
- भारत के पास यूरोपीय संघ के जनरल डाटा रेगुलेशन ( GDPR) या अमेरिका के क्लेरी फाइन लॉफुल ओवरसीज यूज ऑफ डाटा ( CLOUD ) एक चीज ऐसी कोई सक्रिय साइबर डिफेंस नीति नहीं है।
- भारत में राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति 2020 के माध्यम से साइबर जागरूकता एवं साइबर सुरक्षा में सुधार के लिए तैयार किया गया है।
- भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम ( ERT-in) सभी साइबर सुरक्षा प्रयासों, आपातकालीन प्रतिक्रिया और संकट प्रबंधन के समन्वय के लिए मॉडल एजेंसी के रूप में कार्य करती हैं।
संघ या केंद्र सरकार
चर्चा में क्यों
हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने अपने आधिकारिक पत्राचार या संचार में केंद्र सरकार सब के उपयोग को संघ करने एवं इसके स्थान पर संघ सरकार शब्द के उपयोग करने का फैसला किया है।
मूल संविधान के 22 भागों में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां को पढ़ने के बाद यह कहा जा सकता है कि केंद्रीय केंद्र सरकार शब्द का उपयोग कहीं भी नहीं किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया है कि इंडिया जो कि भारत है , राज्यों का एक संघ होगा।
- 1948 में डॉक्टर अंबेडकर ने कहा था कि समिति ने संघ शब्द का इस्तेमाल किया था क्योंकि भारतीय संघ इकाइयों द्वारा समझौते का परिणाम नहीं है।
- घटक इकाइयों को संघ से अलग होने का कोई अधिकार नहीं है।
केंद्र सरकार पद से संबंधित मुद्दे
- संविधान सभा द्वारा खारिज क्योंकि केंद्र एकात्मता को प्रकट करता है।
- औपनिवेशिक विरासत
- संघवाद के विचार के साथ संघर्ष।
- भारत जैसे विविध विविधताओं, राष्ट्रीय एकीकरण, केंद्रीकरण, विकेंद्रीकरण, क्षेत्रीय करण के मध्य संतुलन की आवश्यकता है।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।