18 & 19 August 2021 Current affairs

भारत में मादक पदार्थ का तस्करी

चर्चा में क्यों
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के चलते सीमा पर मादक द्रव्यों की तस्करी में वृद्धि की तीव्र आशंका। क्योंकि तालिबान के राजस्व प्राप्ति का अहम स्रोत ड्रग्स ही है।

अन्य तथ्य

  • वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट अनुसार – 2020 में अफगानिस्तान में अफीम/पोस्तो की कृषि भूमि में 37% विस्तार।
  • अफगानिस्तान अफीम ( विश्व का 85%) तथा मेथामफेटामाइन का प्रमुख उत्पादक।

वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट : वैश्विक तथ्य –

  • 275 मिलियन लोग विश्व स्तर पर नशीले पदार्थ का प्रयोग।
  • 15 से 64 आयु वर्ग की 5.5% आबादी एक या एकाधिक प्रयोग।
  • महामारी के समय प्रयोग में वृद्धि।
  • फार्मास्युटिकल दवाओं का गैर चिकित्सीय उपयोग में वृद्धि।
  • 11 मिलियन + दवाओं का इंजेक्शन लेते हैं।

मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने हेतु भारत सरकार की नीतियां/पहले

  • 15 अगस्त 2020 से 275 जिलों में नशा मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है।
  • नशीली दवाओं में कमी लाने हेतु सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 2018 – 25 के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना।
  • 2016 में नर्को समन्वय केंद्र ( NCORD) का गठन।
  • नशीली दवाओं के दुरुपयोग/व्यापार/व्यसन/पुनर्वास/जागरूकता हेतु राष्ट्रीय कोष का गठन।

न्यायपालिका एवं अदालतों की सुरक्षा हेतु एक पृथक सुरक्षा बल की आवश्यकता है

चर्चा में क्यों
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका और अदालतों में बेहतर सुरक्षा की मांग करने वाली वर्ष 2019 से लंबित याचिकाओं तथा न्यायाधीशों पर हम लोग का संज्ञान लिया था।

  • केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है।
  • अदालतों की सुरक्षा ” राज्य बेहतर रूप से करेंगे।
  • इसके लिए केंद्रीय सुरक्षा बल गठन करना उचित नहीं है।

शीर्ष अदालत की प्रतिक्रिया

  • कई राज्यों ने सुरक्षा व्यवस्था का हलफनामा दाखिल नहीं किया है तथा कई राज्यों में शिथिल खाका प्रस्तुत किया है।
  • साथ ही में शीर्ष अदालत ने अंतिम चेतावनी भी दी है कि इसे 10 दिन में प्रस्तुत किया जाएगा।

आवश्यकता

  • न्यायाधीशों के लिए जिम्मेदारी युक्त कठिन काम सौंपा गया है अतः उनकी सुरक्षा अति आवश्यक है।
  • किसी भी दबाव , प्रलोभन या धमकी से मुफ्त एक स्वतंत्र न्यायपालिका किसी भी संवैधानिक लोकतंत्र की आधारशिला है।
  • भयभीत न्यायाधीश महत्वपूर्ण निर्णय निष्पक्ष रूप से नहीं दे पाएंगे।

‘भुलाए जाने का अधिकार’
(Right to be Forgotten)

चर्चा में क्यों-

  • हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और सर्च इंजन क्षेत्र में दिग्गज कंपनी गूगल से दो व्यवसायियों द्वारा एक याचिका का जवाब देने को कहा है।
  • याचिकाकर्ताओं ने तर्क देते हुए कहा है, कि मामले से संबंधित तथ्यों और परिस्थितियों के संदर्भ में उन्हें ‘भुलाए जाने का अधिकार’ या “असम्बद्ध किए जाने का अधिकार” (right to delink) प्राप्त है।

भारतीय संदर्भ में ‘भुलाए जाने का अधिकार’:

  • ‘भुलाए जाने का अधिकार’, व्यक्ति के ‘निजता के अधिकार’ के दायरे में आता है।
  • वर्ष 2017 में, सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुत्तुस्वामी मामले में ‘निजता के अधिकार’ को एक ‘मौलिक अधिकार’ (अनुच्छेद 21 के तहत) घोषित कर दिया गया था।

निजी डेटा सुरक्षा विधेयक’ के अंतर्गत किए गए प्रावधान:

  • ‘निजता का अधिकार’, ‘निजी डेटा सुरक्षा विधेयक’ में विशिष्ट रूप से “भुलाए जाने का अधिकार” के बारे में बात की गई है।
  • हालांकि यह विधेयक अभी संसद में लंबित है।
  • ‘भुलाए जाने के अधिकार’ के तहत, उपयोगकर्ता ‘डेटा न्यासियों’ (data fiduciaries) द्वारा जमा की गई अपनी व्यक्तिगत जानकारी को डी-लिंक या सीमित कर सकते है तथा इसे पूरी तरह से हटा भी सकते है या जानकारी को सुधार के साथ दिखाए जाने के लिए इसे सही भी कर सकते हैं।

नई दिल्ली में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा नवीकृतजीन बैंक

  • हाल ही में राष्ट्रीय पादप अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो ‘पूसा’ नई दिल्ली में विश्व के दूसरे सबसे बड़े नवी कृत अत्याधुनिक राष्ट्रीय जीन बैंक का उद्घाटन किया गया है।
  • आपात स्थिति में उन लोग बैंकों में अपना पैसा जमा करके बचाते हैं। अनुवांशिक बैंक, दुर्लभ पौधों और जानवरों का संरक्षण करने हेतु कार्य करने वाले विभागों और वैज्ञानिकों के लिए नई तरह के उद्देश्य की पूर्ति करते हैं।

महत्व

  • दुर्गा का पौधों की किस्मों और जानवरों की नस्लों की आबादी को दोबारा विकसित करने में मदद।
  • इस बैंक ने असामान्य जीव वाली वेरिएंट वाली कोशिकाएं या जिओ अर्थात विशेष लक्षणों वाले जीसं को भी संरक्षित करते हैं।
  • इसका उपयोग किसान अपनी फसल में किसी अन्य नसलेल्या किस्म के लक्षणों को पाने के लिए कर सकती हैं।

नेशनल जीन बैंक के बारे में

  • इसकी स्थापना 1996 में पादप अनुवांशिक संसाधनों के बीजों को भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने हेतु की थी।

अदालतों में बढ़ती हुई रिक्तियां

संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले कुछ दिनों से उच्च न्यायालयों व न्यायाधिकरण में रिक्तियों की बढ़ती संख्या के प्रति सरकार के उदासीन रवैया पर चिंता व्यक्त की है।
एक अगस्त को उच्च न्यायालय में यह संस्था आश्चर्यजनक ढंग से 455 पहुंच चुकी थी।

रिक्तियों की संख्या बढ़ने के कारण

  1. नियुक्ति प्रक्रिया में प्रणालीगत दोष।
  2. उच्च न्यायालय तथा राज्य लोक सेवा आयोग के बीच समन्वय का ना होना।
  3. निफ्टी प्रक्रिया पर मंत्रात्मक वह गुणवत्ता डाटा की अनुपलब्धता।
  4. कोर्ट रूम से लेकर जजों के आवाज तक का खराब बुनियादी ढांचा।

प्रभाव व निहितार्थ

  • अदालतों में लंबित मामलों की संख्या में वृद्धि।
  • विचाराधीन कैदियों को सर्वाधिक नुकसान।
  • वित्तीय संसाधनों का दुरुपयोग।
  • जिले में कार्यरत न्यायाधीशों पर अधिकाधिक बोझ।
  • न्याय की गुणवत्ता पर चिंताजनक प्रभाव।

आवश्यकता

  • न्यायाधीशों व आवश्यक कर्मचारियों की भर्ती।
  • राज्य सरकारों द्वारा अधिकाधिक अदालतों का निर्माण।
  • उच्च न्यायालय राज्य लोक सेवा आयोग के बीच सामान्य में ठीक हो।
  • पर्याप्त न्यायधीश आवासों का निर्माण किया जाना।
  • रिक्तियों की समय-समय पर गणना होनी चाहिए।

R.B.I. वित्तीय समावेशन सूचकांक

चर्चा में क्यों
हाल ही में आरबीआई द्वारा वित्तीय समावेशन की सीमा मापने के लिए वित्तीय समावेशन सूचकांक जारी करने का निर्णय लिया है।

अन्य तथ्य

  • वार्षिक आधार पर प्रति वर्ष जुलाई में जारी किया जाएगा।
  • बहुआयामी परामर्श द्वारा व्यापक सूचकांक के रूप में संबंधित।
  • सूचकांक 0 – 10 बिंदुओं के बीच (0 पूर्ण वित्तीय अपवर्जन,10 पूर्ण वित्तीय समावेशन)
  • एफ आई सूचकांक में 3 व्यापक पैरामीटर ( पहुंच, उपयोग, गुणवत्ता)
  • निर्माण बिना किसी आधार वर्ष के किया गया है।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी 

सुरजीत गुप्ता – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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