वैश्विक मीथेन आकलन मीथेन उत्सर्जन कम करने के लाभ और लागत
हाल ही में वैश्विक मीथेन आकलन: मीथेन उत्सर्जन कम करने के लाभ और लागत (Global Methane Assessment: Benefits and Costs of Mitigating Methane Emission) नामक एक रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि विश्व को जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से बचने के लिये अपने मीथेन उत्सर्जन में अत्यधिक कटौती करने की आवश्यकता है।
इस रिपोर्ट को जलवायु और स्वच्छ वायु संघ (Climate and Clean Air Coalition) तथा संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP द्वारा जारी किया गया था।
मीथेन के विषय में:
- मीथेन गैस पृथ्वी के वायुमंडल में कम मात्रा में पाई जाती है। यह सबसे सरल हाइड्रोकार्बन है, जिसमें एक कार्बन परमाणु और चार हाइड्रोजन परमाणु (CH4) शामिल होते हैं। मीथेन एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस (Greenhouse Gas) है। यह एक ज्वलनशील गैस है जिसे पूरे विश्व में ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है।
- इसका निर्माण कार्बनिक पदार्थ के टूटने या क्षय से होता है। इसे आर्द्रभूमियों, मवेशियों, धान के खेत जैसे प्राकृतिक और कृत्रिम माध्यमों द्वारा वातावरण में उत्सर्जित किया जाता है।
मीथेन का प्रभाव
- मीथेन कार्बन की तुलना में 84 गुना अधिक शक्तिशाली गैस है और यह वायुमंडल में लंबे समय तक नहीं रहती है। इसके उत्सर्जन को अन्य ग्रीनहाउस गैसों की तुलना में कम करके ग्लोबल वार्मिंग को ज़्यादा कम किया जा सकता है।
- यह जमीनी स्तर के ओज़ोन (Ozone) को खतरनाक वायु प्रदूषक बनाने के लिये ज़िम्मेदार है।
वर्तमान स्थिति
- वर्ष 1980 के दशक के बाद से मानव-निर्मित मीथेन का उत्सर्जन किसी अन्य समय की तुलना में तेज़ी से बढ़ रहा है।
- कोविड-19 महामारी के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर गिरा है। हालाँकि वातावरण में मीथेन पिछले वर्ष रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया था।
- यह चिंता का कारण है क्योंकि यह पूर्व-औद्योगिक समय से लगभग 30% ग्लोबल वार्मिंग के लिये ज़िम्मेदार था।
- मीथेन उत्सर्जन को इसके प्रमुख स्रोतों से कम करना:
जीवाश्म ईंधन
- कुल मीथेन उत्सर्जन में तेल और गैस निष्कर्षण, प्रसंस्करण तथा वितरण जैसे जीवाश्म ईंधन क्षेत्र 23% तक ज़िम्मेदार है। कोयला खनन से मीथेन उत्सर्जन 12% तक होता है।
- जीवाश्म ईंधन उद्योग के पास कम लागत वाली मीथेन कटौती की सबसे बड़ी क्षमता है, तेल और गैस उद्योग में 80% तक उपायों को नकारात्मक या कम लागत पर लागू किया जा सकता था।
- इस क्षेत्र में लगभग 60% मीथेन कटौती आर्थिक रूप से लाभदायक हो सकती है क्योंकि इसके रिसाव को कम करने से बिक्री हेतु अधिक गैस उपलब्ध होगी।
अपशिष्ट:
- अपशिष्ट क्षेत्र में लगभग 20% उत्सर्जन लैंडफिल और अपशिष्ट जल से होता है।
- अपशिष्ट क्षेत्र पूरे विश्व में सीवेज के निपटान में सुधार करके मीथेन उत्सर्जन में कटौती कर सकता है।
कृषि :
- कुल मीथेन उत्सर्जन में पशुओं के अपशिष्ट से बने खाद और आंत्र किण्वन का लगभग 32% और धान की खेती का 8% हिस्सा है।
- अगले कुछ दशकों में प्रति वर्ष 65-80 मिलियन टन मीथेन उत्सर्जन को कम करने में खाद्य अपशिष्ट और नुकसान को कम करना, पशुधन प्रबंधन में सुधार तथा स्वस्थ आहार को अपनाना ये तीन व्यवहार परिवर्तन मदद कर सकते हैं।
क्षेत्र-वार उत्सर्जन में कमी
यूरोप
- यहाँ खेती से मीथेन उत्सर्जन पर अंकुश लगाने की बड़ी संभावना है साथ ही जीवाश्म ईंधन संचालन और अपशिष्ट प्रबंधन में भी यह क्षमता है।
- यूरोपीय आयोग ने यूरोपीय संघ मीथेन रणनीति (European Union Methane Strategy) को अपनाया था।
भारत
- यहाँ अपशिष्ट क्षेत्र में मीथेन उत्सर्जन को कम करने की सबसे बड़ी क्षमता है।
चीन :
- मीथेन शमन क्षमता कोयला उत्पादन और पशुधन में सबसे अच्छी थी।
अफ्रीका :
- यहाँ के पशुधन में मीथेन उत्सर्जन को कम करने की क्षमता सबसे अधिक है, इसके बाद तेल और गैस क्षेत्र हैं।
आवश्यकता और लाभ:
- जलवायु परिवर्तन के बुरे प्रभावों से बचने के लिये मानव जनित मीथेन उत्सर्जन में 45% की कटौती की जानी चाहिये।
- इस तरह की कटौती से वर्ष 2045 तक ग्लोबल वार्मिंग में 0.3 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि को रोका जा सकेगा। यह वार्षिक रूप से समय से पूर्व होने वाली 260,000 लाख मौतों, 7,75,000 लाख अस्थमा से संबंधित मरीज़ों के साथ-साथ 25 मिलियन टन फसल के नुकसान को भी रोक सकता है।
- मीथेन उत्सर्जन में कटौती से निकट भविष्य में वार्मिंग की दर में तेज़ी से कमी आ सकती है।
2DG – DRDO की एंटी-कोविड दवा को मंजूरी मिली
चर्चा में क्यों
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने हाल ही में COVID-19 के इलाज के लिए एक मौखिक दवा (oral drug) को मंजूरी दी है जिसे 2-DG कहा जाता है।
तथ्य
- DRDO द्वारा आपातकालीन उपयोग के लिए विकसित किया गया है।
- 2-DG का अर्थ 2-Deoxy – D – Glucose है।
- इसे डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज के सहयोग से विकसित किया गया है।
2-DG दवा
- मरीजों की तेजी से रिकवरी सुनिश्चित करती है ऑक्सीजन निर्भरता को कम करेगी।
- यह संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाती है और वायरल संश्लेषण को रोकती है।
- 2-डीजी एक जेनेरिक मॉलिक्यूल है और इस प्रकार आसानी से देश में प्रचुर मात्रा में निर्मित व उपलब्ध कराया जा सकता है।
ट्यूमर के लिए 2-DG
- कैंसर की कोशिकाओं में ग्लूकोज अधिक होता है। इस प्रकार, जब 2-डीजी को कैंसर रोगियों में इंजेक्ट किया जाता है, तो यह कैंसर कोशिकाओं के लिए एक अच्छे मार्कर के रूप में कार्य करती है।
G-7 49 वां बैठक
• ब्रिटेन में
• 7- सबसे विकसित देशों का समूह – ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूएसए
प्रारंभ – G-6 -कनाडा ( 1976 में आया)
बैठक के प्रमुख विषय
• मुख्य अतिथि – ASEAN ( आसियान) के वर्तमान अध्यक्ष, भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, आदि।
मुख्य मुद्दे
• यूक्रेन-रूस विवाद
• चीन द्वारा तिब्बत में मानवाधिकार उल्लंघन।
• चीन और हांगकांग की स्वायत्तता का विषय।
• म्यामार तख्तापलट की निंदा
• इंडो पेसिफिक क्षेत्र में आसियान का महत्व।
G-7 में भारत की भागीदारी का महत्व
• विश्व के प्रमुख विकसित देशों के साथ साॅहर्द पुर्ण संबंध।
• इंडो पेसिफिक क्षेत्र में रक्षा सहयोग को बढ़ावा
• व्यापार नेटवर्क
• विज्ञान प्रौद्योगिकी में सहयोग।
UDID पोर्टल
• सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 02/06/2021 अद्वितीय अक्षमता पहचान ( unique disability ID -UDID) पोर्टल के माध्यम से दिव्यांग का प्रमाण पत्र जारी करना अनिवार्य कर दिया है।
तथ्य
- इससे विकलांगों को सरकारी लाभ देने में पारदर्शिता दक्षता और सुगमता को प्रोत्साहित करेगी।
- दिव्यांगजन अधिनियम 2016 के अनुसार सरकारी नौकरियों में आरक्षण 3% से बढ़ाकर 4% तथा उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण 3% से बढ़ाकर 5% कर दिया गया है।
- दिव्यांग जनों के लिए अन्य पहल/कार्यक्रम
- 1- सुगम्य भारत अभियान
- 2- दीनदयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना।
- 3- एडिप योजना – सहायक यंत्रो/उपकरणों की खरीद/फिटिंग के लिए विकलांग व्यक्तियों को सहायता।
- 4- दिव्यांग छात्रों के लिए फैलोशिप – इसका उद्देश्य दिव्यांग छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु अवसरों में वृद्धि करना है।
शहरी और ग्रामीण गरीबों पर कोविड-19 का प्रभाव
- हंगर वॉच ( hunger watch) की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि कोविड-19 ने शहरी गरीबों को अधिक भुखमरी तथा ग्रामीण गरीबों से ज्यादा कुपोषण की स्थिति में पहुंचा दिया है।
- व्यू रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए नए शोध में पाया गया है कि कोविंद ने लगभग 320 लाख भारतीयों को मध्यवर्ग से बाहर कर दिया है, जिससे भारत में गरीबी बढ़ गई है।
- ग्रामीण निवासियों का बड़ा वर्ग सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्यान्न की वजह से महामारी से प्रेरित आर्थिक व्यवधान को खत्म कर पाया, लेकिन शहरी गरीबों तक ऐसे राशन की पहुंच बहुत कम थी।
- सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का ग्रामीण गरीबों के बीच अपेक्षाकृत बेहतर कवरेज था।
- शहरी क्षेत्रों के घरों के एक बड़े हिस्से में राशन कार्ड तक पहुंच नहीं थी।
- NFHS के आंकड़े के अनुसार चाइल्ड स्टेटिंग और वेस्टिंग का प्रचलन तथा महिलाओं व बच्चों में एनीमिया का उच्च स्तर।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।