16 April 2021 Current affairs

HGCO19 : mRNA वैक्सीन कैंडिडेट

● नोबल mRNA टीका कैंडिडेट, HGCO19 को पुणे स्थित बायो टेक्नोलॉजी कंपनी जिनोवा(Gennova) बायोफार्मा फार्मास्यूटिकल लिमिटेड ने अमेरिका के बायोटेक कारपोरेशन के सहयोग से विकसित किया है।
● HGCO19 ने पहले से ही कृंतक और गैर मानव प्राइमेट मॉडल में सुरक्षा, प्रतिरक्षा, तटस्थता एंटीबॉडी गतिविधि का प्रदर्शन किया है।
● हाल ही में भारत के mRNA आधारित कोविड-19 वैक्सीन कैंडिडेट(HGCO19) के इसके नैदानिक परीक्षण के लिए ‘मिशन कोविड सुरक्षा’ के अंतर्गत अतिरिक्त सहायता राशि प्राप्त हुआ है।

पारंपरिक टीके बनाम mRNA टीका-

● पारंपरिक टीके रोग उत्पन्न करने वाले जीवो की लघु या निष्क्रिय खुराक से या इनके द्वारा उत्पन्न प्रोटीन से बने होते हैं, जिन्हें प्रतीक्षा प्रणाली की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए शरीर में टीकाकरण के माध्यम से प्रवेश कराया जाता है।
● mRNA टीका वह विधि है जो हमारे शरीर में वायरल प्रोटीनों को स्वयं से उत्पन्न करने के लिए प्रेरित करता है।

mRNA आधारित टीको के उपयोग का लाभ

● mRNA टीके को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि यह मानक सेलुलर तंत्र द्वारा गैर-संक्रामक, प्रकृति में गैर-एकीकृत संचरण के लिए जाना जाता है।
● यह पूरी तरह से सिंथेटिक है और उनके विकास के लिए किसी जीव (अंडे या बैक्टीरिया) की आवश्यकता नहीं होती है।

मिशन कोविड सुरक्षा

● यह भारत के लिए स्वदेशी,सस्ती और सुलभ वैक्सीन के विकास को सक्षम बनाने हेतु भारत का लक्षित प्रयास है जो कि भारत सरकार के ‘आत्म भारत मिशन’ की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होगा।
● इस मिशन का नेतृत्व जैव प्रौद्योगिकी विभाग(DBT) किया जाएगा और इसका कार्यान्वयन जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद(BIRAC) की एक समर्पित मिशन कार्यान्वयन इकाई द्वारा किया जाएगा।

नेशनल मिशन ऑन सस्टेनिंग हिमालयन इकोसिस्टम(NMSHE)

● जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना(NAPCC) की शुरुआत वर्ष 2008 में किया गया था। NMSHE इस कार्य योजना में शामिल 8 मिशनों में से एक है।
● NMSHE कार्यक्रम को वर्ष 2010 में शुरू किया गया था लेकिन सरकार द्वारा औपचारिक रूप से वर्ष 2014 में इसे अनुमोदित किया गया था।
● NMSHE कार्यक्रम का विस्तार 13 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (हिमालयन रेंज वाले) में है।

NMSHE का उद्देश्य

● हिमालय पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की स्थिति का लगातार पता लगाने के लिए एक स्थाई राष्ट्रीय क्षमता विकसित करना और उचित नीति उपायों तथा समय बद्ध कार्रवाई कार्यक्रमों के लिए नीति निर्माण निकायों को सक्षम बनाना।
● इनमें विभिन्न क्षेत्रों के हिमालई ग्लेशियर एवं जल विज्ञान संबद्ध परिणामों को प्राकृतिक खतरों की भविष्यवाणी और प्रबंधन का अध्ययन करना शामिल है।

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) संधि

हाल ही में, सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन ने कहा है, कि उन्हें उम्मीद है कि भारत ‘क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी’ (Regional Comprehensive Economic Partnership- RCEP) जैसे क्षेत्रीय व्यापारिक समझौतों पर अपने दृष्टिकोण का ‘पुनर्मूल्यांकन’ करेगा। ज्ञातव्य है कि भारत, वर्ष 2019 में ‘क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी’ समझौते से अलग हो गया था।

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) में भारत की मौजूदगी की आवश्यकता:
बढ़ती हुई वैश्विक अस्थिरता के दौर में एक समावेशी संरचना का निर्माण करने हेतु क्षेत्र की सहायता करने में भारत को ‘एक महत्वपूर्ण भूमिका’ अदा करनी थी।
इस प्रकार के व्यापारिक समझौते, भारतीय कंपनियों को बड़े बाजारों में भी अपनी ताकत दिखाने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं।
इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता हुआ तनाव, क्षेत्र के लिए ‘गंभीर चिंता’ का विषय है, जोकि महामारी के कारण और भी सघन हो गया है।

RCEP क्या है?

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP), विश्व का सबसे बड़ा व्यापारिक समझौता है, जिसमे चीन, जापान ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड और आसियान (ASEAN) के दस देश, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, ब्रुनेई, लाओस, म्यांमार और फिलीपींस शामिल है। यह नवंबर 2020 में लागू हुआ था तथा इसमें भारत शामिल नहीं है।

RCEP के लक्ष्य और उद्देश्य:

1.उभरती अर्थव्यवस्थाओं को विश्व के शेष भागों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सहायता करने हेतु टैरिफ कम करना, तथा सेवा क्षेत्र में व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना।
2.कंपनियों के लिए समय और लागत की बचत करने हेतु ब्लॉक के सदस्य देशों में भिन्न-भिन्न औपचारिकताओं को पूरा किये बिना किसी उत्पाद के निर्यात करने की सुविधा प्रदान करना।
3.इस समझौते में बौद्धिक संपदा संबंधी पहलुओं को शामिल किया गया है, किंतु इसमें पर्यावरण संरक्षण और श्रम अधिकारों को सम्मिलित नहीं किया गया है।

RCEP में भारत क्यों शामिल नहीं हुआ?

भारत, ‘क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी’ (RCEP) से मुख्यतः चीन द्वारा उत्पादित सस्ते सामान के देश में प्रवेश करने संबंधी चिंताओं के कारण अलग हो गया था। चीन के साथ भारत का व्यापार असंतुलन पहले से काफी अधिक है। इसके अलावा, यह समझौता सेवाओं को पर्याप्त रूप से खुला रखने में विफल रहा था।

भारत और रूस S-400 मिसाइल प्रणाली सौदे के लिए प्रतिबद्ध

हाल ही में, भारत में रूस के राजदूत निकोलाई कुदाशेव (Nikolai Kudashev) द्वारा इस बात की पुष्टि की गई है, कि भारत और रूस, दोनों देश S-400 मिसाइल प्रणाली सौदे

को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। समझौते के तहत, S-400 मिसाइल प्रणाली, वर्ष के अंत तक भारत के लिए सौंपी जानी है। उन्होंने कहा कि दोनों देश, इस मुद्दे पर अमेरिकी प्रतिबंधों का विरोध करते हैं।

संबंधित प्रकरण:

S-400 मिसाइल प्रणाली सौदे के कारण अमेरिका द्वारा CAATSA कानून अर्थात ‘अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों को प्रतिबंधो के माध्यम से प्रत्युत्तर अधिनियम’ (Countering America’s Adversaries through Sanctions Act- CAATSA) के तहत भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है।

इसी प्रकार के समान सौदों पर अमेरिका, चीन और तुर्की पर पहले से ही प्रतिबंध लगा चुका है।

S-400 वायु रक्षा प्रणाली एवं भारत के लिए इसकी आवश्यकता:

S-400 ट्रायम्फ (Triumf) रूस द्वारा डिज़ाइन की गयी एक मोबाइल, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (surface-to-air missile system- SAM) है।
यह विश्व में सबसे खतरनाक, आधुनिक एवं परिचालन हेतु तैनात की जाने वाली लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली SAM (MLR SAM) है, जिसे अमेरिका द्वारा विकसित, ‘टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस’ (Terminal High Altitude Area Defence – THAAD) से काफी उन्नत माना जाता है।

CAATSA क्या है?

CAATSA अर्थात ‘अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों को प्रतिबंधो के माध्यम से प्रत्युत्तर अधिनियम’ (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act- CAATSA) का प्रमुख उद्देश्य दंडात्मक उपायों के माध्यम से ईरान, उत्तर कोरिया और रूस को प्रत्युत्तर देना है।
इसे वर्ष 2017 में अधिनियमित किया गया था।
इसके तहत, रूस के रक्षा और ख़ुफ़िया क्षेत्रों में महत्वपूर्ण लेनदेन करने वाले देशों के खिलाफ लगाए जाने वाले प्रतिबंधो को शामिल किया गया है।
लगाये जाने वाले प्रतिबंध

1.अभिहित व्यक्ति (sanctioned person) के लिए ऋणों पर प्रतिबंध।
2.अभिहित व्यक्तियों को निर्यात करने हेतु ‘निर्यात-आयात बैंक’ सहायता का निषेध।
3.संयुक्त राज्य सरकार द्वारा अभिहित व्यक्ति से वस्तुओं या सेवाओं की खरीद पर प्रतिबंध।
4.अभिहित व्यक्ति के नजदीकी लोगों को वीजा से मनाही।

जलियांवाला बाग हत्याकांड

● 13 अप्रैल 1919, को ब्रिटिश सेना द्वारा जलियांवाला बाग में निहत्थे भारतीयों पर की गई गोलीबारी से सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी।
● 13 अप्रैल 1919 को ‘वैशाखी’ थी, और इस दिन अमृतसर के स्थानीय निवासियों द्वारा दो स्वतंत्रता सेनानियों सत्यपाल & सैफुद्दीन किचलू को कैद तथा रौलट एक्ट को लागू करने के खिलाफ चर्चा और विरोध करने के लिए एक सभा आयोजित करने का फैसला किया गया था। रौलट एक्ट के तहत ब्रिटिश सरकार को बिना किसी सुनवाई के गिरफ्तार करने की शक्ति दी गई थी।
● ब्रिगेडियर जनरल रेजीनाल्ड एडवर्ड हैरी डायर, एकत्रित भीड़, एकत्रित भीड़ भीड़ को सबक सिखाने के उद्देश्य से दबे पांव बाग में पहुंच गया और अपने साथ लाए 90 सैनिकों को सभा के दौरान ही भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दे दिया।

परिणाम

● इस नरसंहार के बाद डायर को कमांड से हटा कर वापस रिटर्न वापस रिटर्न कर वापस रिटर्न भेज दिया गया था।
● इस घटना के प्रतिरोध में रविंद्र नाथ टैगोर और महात्मा गांधी ने क्रमश: ‘ब्रिटिश नाइटहुड’ और ‘कैसर-ए-हिंद’ की अपनी उपाधि को त्याग दिया।
● वर्ष 1992 में कुख्यात रौलट एक्ट अंग्रेजों द्वारा निरस्त कर दिया गया।

India Rhino Vision

● इसे 2005 में शुरू किया गया। विजन 2020 के तहत वर्ष 2020 तक भारतीय राज्य असम की में स्थित साथ संरक्षित क्षेत्रों में फैले एक सींग वाले गैडो की आबादी बढ़ाकर कम से कम 3 हजार से अधिक करने का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है।
● इसका प्रमुख उद्देश्य एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जंगली जीवो का हस्तांतरण करना है इसके तहत काजीरंगा तथा मानस नेशनल पार्क जहां आबादी कम है वहां गेंडों को हस्तांतरित किया जाएगा।
● एशिया में राइनो की 3 प्रजातियां- एक सींग वाला गैंडा, जावन और सुमात्रन पाई जाती हैं। गैडों की सींग के लिए इनका शिकार किया जाता है। IUCN की श्रेणी में सुमेध वर्ग में शामिल किया गया है, इसे वन्य जीव संरक्षण जीव संरक्षण अधिनियम की सूची में अनुसूची 1 के अंतर्गत शामिल किया गया है।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

Leave a Reply