लॉकडाउन के दौरान बाल विवाह में बढ़ोतरी
हाल ही में कर्नाटक के कुछ सामाजिक कार्यकर्त्ताओं और संगठनों ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के समक्ष लॉकडाउन के दौरान बाल विवाह संबंधी मामलों में हो रही बढ़ोतरी का मुद्दा उठाया है।
‘चाइल्डलाइन इंडिया’ नामक गैर-सरकारी संगठन द्वारा दिसंबर 2020 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी और उसके बाद लागू किये गए लॉकडाउन के कारण मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
प्रमुख बिंदु
बाल विवाह
- बाल विवाह का आशय 18 वर्ष की आयु से पूर्व किसी लड़की या लड़के के विवाह से है और यह औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों प्रकार के विवाहों को संदर्भित करता है, जिसमें 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे (लड़की अथवा लड़का) वैवाहिक रूप से एक साथ रहते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) का अनुमान है कि भारत में प्रतिवर्ष 18 वर्ष से कम उम्र की कम-से-कम 1.5 मिलियन लड़कियों का विवाह किया जाता है, यही कारण है कि भारत में विश्व की सबसे अधिक (तकरीबन एक तिहाई) बाल वधू हैं।
- ‘द लैंसेट’ के हालिया अध्ययन से पता चलता है कि कोविड-19 महामारी के कारण आगामी 5 वर्षों में दुनिया भर में 2.5 मिलियन से अधिक लड़कियों (18 वर्ष से कम) पर विवाह का खतरा है।
लॉकडाउन के दौरान बाल विवाह में बढ़ोतरी के कारण:
चेतावनी तंत्र का अभाव
- महामारी और लॉकडाउन के पूर्व मैरिज हॉल और मंदिरों आदि में होने वाले बाल विवाह के बारे में आसपास के जागरूक लोग, संबंधित अधिकारियों या सामाजिक कार्यकर्त्ताओं को सूचित कर देते थे, जिससे वे बाल विवाह को रोकने के लिये समय पर पहुँच जाते थे। लेकिन अब लॉकडाउन के कारण घरों में ही शादियाँ हो रही हैं, जिसकी वजह से चेतावनी तंत्र कमज़ोर हो गया है।
महामारी प्रेरित दबाव
- महामारी के कारण आर्थिक दबाव ने गरीब माता-पिता और परिजनों को लड़कियों की जल्द शादी करने के लिये प्रेरित किया है।
- स्कूल बंद होने के कारण बच्चों, विशेषकर लड़कियों की सुरक्षा बच्चों के खिलाफ हिंसा और बाल विवाह में वृद्धि का एक प्रमुख कारण है।
बाल विवाह रोकने के लिये सरकार द्वारा किये गए प्रयास
- वर्ष 1929 का बाल विवाह निरोधक अधिनियम, देश में बाल विवाह की प्रथा को प्रतिबंधित करता है।
- विशेष विवाह अधिनियम, 1954 और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत महिलाओं और पुरुषों के लिये विवाह की न्यूनतम आयु क्रमशः 18 वर्ष और 21 वर्ष निर्धारित की गई है।
- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 को बाल विवाह निरोधक अधिनियम (1929) की कमियों को दूर करने के लिये लागू किया गया था।
- केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मातृत्व आयु, मातृ मृत्यु दर और महिलाओं के पोषण स्तर में सुधार से संबंधित मुद्दों की जाँच करने के लिये एक समिति का गठन किया है। यह समिति जया जेटली की अध्यक्षता में गठित की गई है।
- बाल विवाह जैसी कुप्रथा का उन्मूलन सतत् विकास लक्ष्य-5 (SDG-5) का हिस्सा है, जो कि लैंगिक समानता प्राप्त करने तथा सभी महिलाओं एवं लड़कियों को सशक्त बनाने से संबंधित है।
एकीकृत बागवानी मिशन ( MiDH)
हाल ही में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2021- 22 के लिए MiDH हेतु 2250 करोड़ रुपए आवंटित किये।
• बागवानी कृषि सामान्यता फलों सब्जियों और सजावटी पौधों से संबंधित है। M.H. marrygouda को भारतीय बागवानी का जनक कहा जाता है।
MiDH
• केंद्र प्रयोजित योजना हैं।
• नोडाल मंत्रालय – कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय वर्ष 2014 -15 से इस योजना का कार्यान्वयन कर रहा है।
• इसे हरित क्रांति कृषि उन्नति योजना के तहत लागू किया गया था।
फंडिंग
• हिमालय और पूर्वोत्तर राज्य -90% केंद्र सरकार
• अन्य राज्य – (60 : 40) केंद्र: राज्य
• इसकी दो योजनाएं भी हैं।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन
N-E तथा हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन।
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड – उत्तराखंड तथा अन्य राज्यों में MiDH की विभिन्न योजनाओं को लागू करना।
केंद्रीय बागवानी संस्थान –
• स्थापना 2006-7 मेडी जिप हिमा नागालैंड में की गई।
• उत्तर- पूर्वी राज्य में तकनीकी ज्ञान और क्षमता निर्माण के लिए।
MiDH की उपलब्धियां
• वर्ष 2019- 20 में अब तक का सबसे अधिक 320.77 मी. टन उत्पादन।
• वर्ष 2014 -15 से 2019-20 में 9% से 14% की वृद्धि।
• बागवानी उपज की उत्पादकता तथा गुणवत्ता में सुधार।
• बागवानी उत्पादों में आत्मनिर्भरता।
चुनौतियां
1- सप्लाई चेन में कमी।
2- fast harvesting की कम सुविधाएं।
3- cold Store की कमी
4- उचित मूल्य।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 311
चर्चा में क्यों
हाल ही में मुंबई पुलिस आयुक्त द्वारा एक पुलिस अधिकारी को बिना विभागीय जांच के अनुच्छेद 311 (2) (b) के तहत सेवा से बर्खास्त कर दिया था।
अनुच्छेद 311 के तहत संरक्षित व्यक्ति
• संघ की सिविल सेवा,
• अखिल भारतीय सेवाओं और किसी राज्य की सिविल सेवा।
• संघ या किसी राज्य के अधीन सिविल पद धारण करने वाले व्यक्ति
• अनुच्छेद 311 के तहत दिए गए सुरक्षात्मक उपाय केवल सिविल सेवकों पर लागू होता है। यह रक्षा कर्मियों के लिए उपलब्ध नहीं है।
• अनुच्छेद 311 ( 1) के अनुसार, अखिल भारतीय सेवा या राज्य सरकार के किसी भी सरकारी कर्मचारी को अपने अधीनस्थ द्वारा बर्खास्त या हटाया नहीं जाएगा।
• अनुच्छेद 311 (2) के अनुसार किसी भी सिविल सेवक को उस जांच के बाद बर्खास्त किया हटाया या उसके रैंक को कम नहीं किया जा सकता है, जिसमें उसे आरोप के बारे में सूचित किया गया है और उन आरोपों के संबंध में सुनवाई का उचित अवसर दिया गया है।
अनुच्छेद 311 (2) के अपवाद
• अनुच्छेद 311 (2) (a) जब आरोप, आपराधिक आरोपों के तहत हो।
• अनुच्छेद 311 (2) (b) यदि प्राधिकरण ने उसे पद से हटाने का अधिकार दिया है या उसे हटाने के लिए संतुष्ट है।
• अनुच्छेद 311 (2) (c) यदि राष्ट्रपति और राज्यपाल को लगता है कि राज्य की सुरक्षा के हित में जांच करना व्यवहारिक या सुविधाजनक नहीं है।
स्किंक की नई प्रजाति
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में पर्यावरणवादियों पश्चिमी घाट से स्किंक की नई प्रजाति मिली है।
स्किंक की नईप्रजाति
- स्किंक की इस नई प्रजाति को ‘सबडॉलूसेप्स नीलगिरिएन्सिस’ नाम दिया गया है।
- ‘नीलगिरिएन्सिस’ शब्द नीलगिरि की पहाड़ियों के कारण दिया गया है।
- लगभग 7 सेमी पतला है और यह रेतीले भूरे रंग की है।
- एक प्रकार के सरीसृप (reptile) जीव हैं।
- ये जहरीले नहीं होती हैं
- रेतीले मैदानों, उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
पश्चिमी घाट
- पश्चिमी घाट भारत के 6 राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात में ताप्ती नदी से लेकर कन्याकुमारी तक फैला है।
- भारत में पश्चिमी घाट, जैव विविधता का एक समृद्ध हॉटस्पॉट है।
नीलगिरी के बारे में
- नीलगिरि तमिलनाडु में स्थित कुछ हिस्सा केरल और कर्नाटक में भी आता है।
- पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी डोड्डाबेट्टा है। ऊंचाई 2637 मीटर है।
- भारत का पहला और सबसे महत्वपूर्ण जीवमंडल भंडार है।
- स्थानीय आदिवासी समूह हैं: बडगा, टोडा, कोटा, इरुल्ला, कुरुम्बा, पनिया, आदियान, अल्लार, मलायन आदि।
प्रमुख राष्ट्रीय पार्क है:
- मुकुरथी
- बांदीपुर
- नागरहोल
- शांत घाटी
- एरालम वन्यजीव अभयारण्य
- मुदुमलाई
साॅवरेन गोल्ड बाॅण्ड योजना 2020-2021
चर्चा में क्यों
सरकार मांगों को कम करने और घरेलू बचत के एक हिस्से (जिसका उपयोग स्वर्ण की खरीद के लिए किया जाता है) को वित्तीय बचत में बदलने के उद्देश्य से नवंबर 2015 में सावरेन गोल्ड बॉन्ड योजना की शुरुआत की गई।
तथ्य
• यह भारत सरकार की ओर से आरबीआई द्वारा जारी किए जाते हैं।
• इन बाॅण्डो की परिपक्वता 8 वर्ष होती है तथा 5 वर्षों के बाद इस निवेश से बाहर निकलने का विकल्प उपलब्ध होता है।
लाभ
• ऋण के लिए बांध का उपयोग संपार्श्विक (जमानत या गारंटी) के रूप में लिया जा सकता है।
• सावरेन गोल्ड बॉन्ड के विमोचन पर होने वाले पूंजीगत लाभ को कर मुक्त कर दिया गया।
नुकसान
• यह दीर्घकालीक निवेश है।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।