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प्रधानमंत्री जनधन योजना के 7 वर्ष PMJDY
PMJDY वित्तीय समावेशन के लिए एक राष्ट्रीय मिशन है।
समाज के वंचित वर्ग और निम्न आय वर्गों को वित्तीय सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना इसका मुख्य उद्देश्य है।
इस योजना के छह स्तंभ हैं
- बैंकिंग सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच।
- रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा।
- वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम।
- क्रेडिट गारंटी फंड का निर्माण।
- बीमा ( दुर्घटना, 2 लाख)
- असंगठित क्षेत्र के लिए पेंशन योजना।
- अगस्त 2021 तक खातों की संख्या 43.04 करोड़ हो गई।
- इसमें से 55.47% जनधन खाता धारक महिलाएं हैं
प्रभाव
- वित्तीय समावेशन में वृद्धि
- वित्तीय प्रणाली का औपचारीकरण
- लीकेज को रोकने
उपलब्धि
- जमा राशि ( लगभग 1.46 लाख करोड़)
- सक्रिय खाते ( 36.86 करोड़ अर्थात 85.6%)
- रुपे कार्ड का उपयोग
- जनधन दर्शक ऐप
- महिलाओं हेतु प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज
- सुचारू DBT लेन – देन
चुनौतियां
- कनेक्टिविटी ( फिजिकल और डिजिटल कनेक्टिविटी का अभाव)
- तकनीकी मुद्दे ( खराब नेटवर्क, आदि समस्याएं)
- अस्पष्ट प्रक्रिया (लोगों को उचित प्रक्रिया का पूर्ण रूप से ज्ञान नहीं हो पाया है)
लघु वित्त बैंक
- ये देश के उन क्षेत्रों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करते हैं जहां बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं।
- लघु वित्त बैंक, कंपनी अधिनियम 2013, के अंतर्गत एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत है।
- इन्हें बैंक रहित ग्रामीण केंद्रों में अपने कम से कम 25% बैंकिंग आउटलेट खोलने की आवश्यकता होती है।
- आरबीआई ने अपने फंड का एक निश्चित हिस्सा कृषि, सूक्ष्म और मध्यम उद्योग, निर्यात ऋण, शिक्षा, आवास, नवीकरणीय ऊर्जा जैसे अन्य क्षेत्रों में ऋण देने के लिए अनिवार्य किया है।
अनुसूचित बैंक
- अनुसूचित बैंक वे बैंक होते हैं जो आरबीआई अधिनियम 1934 की दूसरी अनुसूची में सूचीबद्ध है।
- अनुसूचित बैंक के रूप में अहर्ता प्राप्त करने के लिए बैंक की चुकता पूंजी और जुटाई गई धनराशि कम से कम ₹5 लाख होनी चाहिए।
राष्ट्रीयकृत , अंतरराष्ट्रीय, सहकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी वाणिज्यिक बैंक अनुसूचित बैंकों के अंतर्गत आते हैं।
सीसा युक्त पेट्रोल पर रोक : UNEP
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने घोषणा की है कि वैश्विक स्तर पर सीसा युक्त पेट्रोल का उपयोग समाप्त कर दिया गया है।
सीसा एक भारी प्रदूषक है। सीसा युक्त पेट्रोल के दहन से हवा में सीसा मुक्त होता है।
फायदा
- समय से पहले होने वाली 2 मिलियन से अधिक मौतों को रोकने में मददगार होगा।
- वैश्विक अर्थव्यवस्था को सालाना 2.4 ट्रिलियन डॉलर की बचत होगी।
उन्मूलन की आवश्यकता
प्रदूषण – परिवहन क्षेत्र वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए लगभग एक चौथाई जिम्मेदार है और वर्ष 2050 तक एक तिहाई तक बढ़ने की आशंका है। साथ ही आने वाले दशकों में 1.2 अरब नए वाहन सड़क पर होंगे।
ग्लोबल वार्मिंग
- इंटर गवर्नमेंट पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज 2021 की रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी की औसत तापमान में पूर्व औद्योगिक समय की तुलना में वर्ष 2030 के आसपास 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी।
स्वास्थ्य – सीसा युक्त पेट्रोल हृदय रोग स्ट्रोक और कैंसर का कारण बनता है तथा मानव मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है।
ई-श्रम पोर्टल
चर्चा में क्यों
हाल ही में ई-श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने ई-श्रम नाम से एक पोर्टल लांच किया है।
उद्देश्य
- देश भर में कुल 38 करोड़ असंगठित श्रमिकों को पंजीकृत करना।
- इसके तहत श्रमिकों को 12 अंक का एक ई-श्रम कार्ड जारी किया जाएगा।
- इसके अंतर्गत दुर्घटना, मृत्यु, या अस्थाई विकलांगता का शिकार होने पर श्रमिकों को ₹2 लाख मिलेंगे।
- इस पोर्टल का गठन सर्वोच्च न्यायालय के असंगठित श्रमिकों की पंजीकरण प्रक्रिया को पूरा करने के आदेश के बाद किया गया है।
- इनके पंजीकरण का कार्य संबंधित राज्य केंद्र शासित प्रदेश द्वारा किया जाएगा।
असंगठित श्रम बोल को चार समूहों में वर्गीकृत किया गया है।
- पेशा व्यवसाय – छोटे किसान, भूमिहर मजदूर, मछुआरे आदि।
- रोजगार की प्रकृति – संलग्न खेतिहर मजदूर, बंधुआ मजदूर, प्रवासी श्रमिक, ठेका या आकस्मिक मजदूर आदि।
- विशेष रूप से व्यथित श्रेणी – मैला ढोने वाले, सिर के भार के वाहक, आदि
- सेवा श्रेणी – दाई, घरेलू कामगार, बाई, सब्जीवाला आदि।
पोर्टल के गठन के अन्य कारण
- महामारी के दौरान ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में औपचारिक श्रमिकों का हुआ नुकसान।
- आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण के अनुसार 90% श्रमिक अर्थात 419 मिलियन श्रमिक अनौपचारिक सेवा में संलग्न है।
खाद्य तेल पर राष्ट्रीय मिशन
चर्चा में क्यों
हाल ही में प्रधानमंत्री ने 5 वर्ष की अवधि में एक ग्यारह हजार करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के साथ खाद्य तेल पर राष्ट्रीय मिशन आयात पाॅम की घोषणा की ।
- NMEO-OP एक नई केंद्र प्रायोजित योजना है। वर्ष 2025 – 26 तक पाॅम आयल के लिए अतिरिक्त 6.5 लाख हेक्टेयर का प्रस्ताव है।
- इसमें 2025 – 26 तक पाॅम आयल की खेती के क्षेत्र को 1000000 हेक्टेयर और 2009 से 30 तक 16 दशमलव 700000 हेक्टेयर तक बढ़ाना मुश्किल होगा।
- पुराने बगानों तथा उनके कायाकल्प पर ध्यान दिया जाएगा।
महत्त्व
- किसानों की आय में वृद्धि
- पैदावार में वृद्धि तथा आयात में कमी
चिंता
- जनजातीय समुदाय की भूमि पर प्रभाव
- वन्यजीवों के लिए खतरा
- आक्रामक प्रजाति
- किसानों को उचित मूल्य की प्राप्ति नहीं।
सौर ऊर्जा हेतु पर्याप्त निवेश सब्सिडी
चर्चा में क्यों
हाल ही के वर्षों में भारत सरकार द्वारा पीएम कुसुम योजना, सूर्य मित्र कौशल विकास कार्यक्रम, स्पार्क कार्यक्रम आदि जैसी कई सौर सिंचाई योजना शुरू की गई।
- भारत सरकार इसके माध्यम से सब्सिडी की पेशकश कर सौर सिंचाई पंपों को बढ़ावा दे रही है।
- SIP का उद्देश्य किसानों को सोलर पंप और बिजली संयंत्रों की खरीद और उन्हें स्थापित करने हेतु सब्सिडी प्रदान करना।
लाभ
- पर्यावरण अनुकूल दृष्टिकोण।
- जल और विद्युत सुरक्षा प्रदान करना।
- DISCOMs के बोझ कम करना।
- सौर ऊर्जा विकास हेतु अनुकूल स्थिति।
चुनौति
- भूजल का अत्यधिक दोहन।
- मध्यम और बड़े स्तर के किसानों के पक्ष में।
- उच्च प्रारंभिक लागत।
- महंगा ग्रिड कनेक्शन।
राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के महत्वपूर्ण घटक
चर्चा में क्यों
हाल ही में नीति आयोग ने राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण घटक के रूप में infrastructure instrument trust and real instrument trust जैसे मुद्रीकरण उपकरणों को बढ़ाने हेतु नीति नियामक परिवर्तन लाने की सिफारिश की है।
राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन
- NMP के अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2022 से 2025 तक 4 वर्षो में केंद्र सरकार ने प्रमुख सरकारी संम्पतियो तथा रेलवे पोर्ट के माध्यम से 6 लाख करोड़ रुपए प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।
इस योजना के तहत शामिल प्रमुख क्षेत्र
- राजमार्ग
- गैस पाइपलाइन
- रेल पटरिया
- बिजली ट्रांसमिशन लाइन
नीति आयोग की सिफारिशें
- InvITs को दिवाला व दिवालियापन संहिता के तहत लाना।
- रण दाताओं को एक तीव्र व अधिक प्रभावी ऋण पुनर्गठन और समाधान विकल्प प्रदान करना।
- खुदरा निवेशको ( व्यक्तिगत/गैर पेशेवरों) को आकर्षित करना।
आगे की रहा
- बहु -हित धारक दृष्टिकोण अपनाना होगा।
- आयकर अधिनियम में संशोधन करना होगा।
- समग्र सुधार तथा निवेशकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना होगा जिससे उसल एवं प्रभावी परिणाम सुनिश्चित किया जा सके।
विदेशी जहाजों हेतु चीन के नए समुद्री कानून
चर्चा में क्यों
जहाजों को चीनी क्षेत्र में प्रवेश करने पर सामानों के वितरण की जानकारी देनी होगी।
प्रमुख तथ्य
- चीन अपने नक्शे पर तथाकथित “नाइन डैश लाइन”के माध्यम से दक्षिणी चीन सागर के अधिकांश क्षेत्र पर अपना दावा पेश करता है।
- इस रेखा का दक्षिणी पूर्वी एशिया के देशों के द्वारा विरोध किया जा रहा है।
- संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि ( UNCLOS) जिसे 1982 में अपनाया गया, तथा 1994 में यह प्रभाव में आया । अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के द्बारा चीन के इस नए कानून को UNCLOS के विरुद्ध माना जा रहा है।
- उल्लेखनीय है कि 5 ट्रिलियन से अधिक का व्यापार दक्षिणी चीन के माध्यम से होता है और भारत का 55% व्यापार इस जल क्षेत्र तथा मलक्का जलडमरूमध्य के माध्यम से होता है।
- मलक्का जलसंधि सिंगापुर, मलेशिया तथा सुमात्रा के मध्य स्थित है।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
सुरजीत गुप्ता – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।