परिचय :-
- बहुस्तरीय गैसीय आवरण है जो पृथ्वी को चारों तरफ से आवृत्त किए हुए है ।
- प्राकृतिक पर्यावरण एवं जीवमण्डलीय पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण संघटक ( component ) है क्योंकि जीवमण्डल के सभी जीवधारियों के अस्तित्व के लिए इससे सभी आवश्यक गैसें , ऊष्मा तथा जल प्राप्त होता है ।
- वायुमण्डल पृथ्वी से उसके गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा सम्बद्ध है ।
- वायुमण्डल सूर्य से आने वाली विकिरण तरंगों को छानने का भी कार्य करता है ।
- यह पराबैगनी सौर्यिक विकिरण तरंगों का अवशोषण कर लेता है तथा उन्हें , इस प्रकार , पृथ्वी की सतह तक पहुंचने से रोकता हैं।
- धरातल को अत्यधिक गर्म होने से बचाता है ।
- सागर तल से 16 से 29 हजार किलोमीटर तक वायुमण्डल की ऊँचाई का अनुमान किया गया है । वायुमण्डलका संघटन ( Composition of Atmosphere )
- पृथ्वी के चारों तरफ कई सौ किलोमीटर से हजारों किलोमीटर की मोटाई में व्याप्त गैसीय आवरण को वायुमण्डल ‘ कहा जाता है ।
- पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही यह वायुमण्डल उसके साथ टिका हुआ है ।
- विभिन्न गैसों के यांत्रिक सम्मिश्रण को हवा कहते हैं । वायुमण्डल तीन आधारभूत तत्वों या संघटकों से मिलकर बना है : ( 1 ) गैस , ( 2 ) जल वाष्प , ( 3 ) एयरोसॉल ।
गैस – दो प्रकार की गैसों द्वारा वायुमण्डल की गैसीय रचना हुई है :
( 1 ) स्थिर या स्थायी गैसें ( constant or permanent gases ) ,
( 2 ) परिवर्तनशील गैसें ( variable gases ) ।
1 – स्थिर गैसें ( constant gases ) :
- नाइट्रोजन , आक्सीजन तथा आर्गन प्रमुख स्थिर गैसें हैं ।
- जिनका वायुमण्डल के गैसीय संघटन में हिस्सा क्रमश : 78.1 , 20.9 तथा 0.9 प्रतिशत है ।
- 80 किलोमीटर की ऊँचाई तक निचले वायुमण्डल में स्थिर या स्थायी गैसों का प्रतिशत स्थिर रहता है
- वायुमण्डलीय गैसों में नाइट्रोजन का सर्वाधिक प्रतिशत है ।
- परन्तु यह अन्य गैसों के समान अधिक सक्रिय नहीं होती है ।
- नाइट्रोजन जीवमण्डल में सभी जीवधारियों के लिए आवश्यक होती है क्योंकि यह एमिनो एसिड का आवश्यक अंश होती है ।
- इसी से ( एमिनो एसिड्स ) प्रोटीन का निर्माण होता है ।
- नाइट्रोजन वायुमण्डल में सामान्यतः 7 रूपों में पायी जाती है NO = नाइट्रस आक्साइड्स ,
- NO = नाइट्रिक आक्साइड ,
- Na = आणविक नाइट्रोजन ,
- NO2 = नाइट्रोजन पर आक्साइड ,
- NH = एमिनो ,
- NH3 = अमोनिया
- HNO2 = नाइट्रस एसिड्स ।
- नाइट्रोजन का वायुमण्डलीय गैसों में सर्वाधिक भाग होता है परन्तु जीवित जीव इसे प्रत्यक्ष रूप में ग्रहण नहीं कर सकते बल्कि पौधे मिट्टी से अपनी जड़ों से नाइट्रोजन को अमोनियम नमक के रूप में प्राप्त करते हैं जबकि जन्तु नाइट्रोजन पौधों एवं उनके उत्पादों के भक्षण द्वारा प्राप्त करते हैं ।
- आक्सीजन रासायनिक दृष्टि से अत्यधिक सक्रिय होती है क्योंकि यह जीवमण्डल के अधिकांश तत्वों में आसानी से मिल जाती है ।
- आक्सीजन जीवित पदार्थों में 70 प्रतिशत एटम का निर्माण करती है तथा कार्बोहाइड्रेट्स , वसा ( fats )एव प्रोटीन के निर्माण में इसकी अहम भूमिका होती है ।
- आणविक आक्सीजन ( O ) सामान्यतः निचले वायुमण्डल में 60 किमी ० तक पायो जाती है
- विघटित ( dissociated ) आक्सीजन Co ) आणविक आक्सीजन परत के ऊपर ( 60 किमी ० से अधिक ऊँचाई पर ) पायी जाती है । ( 2 ) परिवर्तनशील गैसें ( variable gases ) : परिवर्तनशील गैसों में जलवाष्प ( water vapour ) , कार्बन डाइ आक्साइड , ओजोन , हाइड्रोजन , होलियम , नियोन , जेनान , क्रिप्टान , मिथेन आदि प्रमुख हैं । जलवाष्प का मौसम सम्बन्धी अत्यधिक महत्व होता है क्योंकि वर्षण ( precipitation ) के सभी रूप ( ठोस रूप – हिमपात , ओला या उपलवृष्टि , पाला आदि ; तरल रूप ओस , कुहरा , जलवर्षा आदि ) जलवाष्प की मात्रा पर निर्भर करते हैं । ओजोन ( 0 ) जीवन रक्षक गैस है क्योंकि यह प्रवेशी सौर्थिक विकरण तरंगों को छानती है तथा पराबैगनी किरणों को सोख लेती है । इस तरह ओजोन पतल को अत्यधिक गर्म होने से बचाती है । ओजोन वास्तव में आक्सीजन की तीन एटम आइसोटोप ( 0 ) होती है । अर्थात् ओजोन आक्सीजन का त्रिएटामिक रूप ( triatomic form ) होती है । यह हल्के नीले रंग की उत्तेजक गैस ( irmitating gas ) होती है तथा इसकी गंध तीखी होती है । ओजोन एक प्रबल अक्सीकारी कारक ( oxidizing agent ) है जो अधिक सान्द्रण हो जाने पर विस्फोट के साथ विघटित ( decompose ) हो सकती है । ज्ञातव्य है कि किसी न किसी मात्रा में ओजोन वायुमण्डल की सभी ऊँचाइयों पर विद्यमान होती है परन्तु इसका सर्वाधिक सान्द्रण 10 से 50 किलोमीटर की ऊँचाई तक ही होता है और इस मण्डल ( 10-50 किमी ० ) में भी इसका अधिकतम सान्द्रण 12 से 35 किलोमीटर की ऊँचाई के – ध्य रहता है । 20 से 25 किलोमीटर की ऊँचाई पर ओजोन का सर्वाधिक सान्द्रण रहता है । इस तरह ओजोन का सर्वाधिक सान्द्रण समतापमण्डल ( stratosphere ) के निचले भाग में रहता है । इसी कारण से इसे समतापमण्डलीय ओजोन भी कहते हैं । ओजोन एक अस्थिर गैस है क्योंकि इसका निर्माण एवं विनाश होता रहता है । 80 से 100 किलोमीटर की ऊँचाई पर वायुमण्डल में पराबैगनी विकिरण या तड़ितझंझा ( thun derstorms ) के दौरान विद्युत विसर्जन ( electric discharge ) के कारण आक्सीजन के अणुओं का विखण्डन ( splitting ) या अलगाव निम्न रूप में सम्पादित होता रहता है : 0270 + 0 ( आक्सीजन दो अलग अणुओं या एटम में टूट जाती है ) ये टूटे या अलग हुए आक्सीजन एटम ( O ) पुन : आक्सीजन के आगुओं ( molecules ) ( O ) से मिल जाते हैं जिस कारण ओजोन ( O ) का निर्माण होता है । 02 + OM → O + Mo