रूसी मूल के भारतीय सैन्य उपकरण
चर्चा में क्यों?
- वाशिंगटन (अमेरिका) स्थित गैर लाभकारी संगठन-स्टिमसन भारत रूस रक्षा संबंध पर प्रकाशित रिपोर्ट के कारण।
मुख्य विश्लेषणात्मक तथ्य / पहल
- रूस पर भारतीय सैन्य संबंधी हथियारों की निर्भरता निम्न० तथ्यों के आधार पर देखी जा सकती है।
- वर्तमान में भारतीय सैन्य सेवा का 86% हथियार रूस आयातित है।
- 2014- 20 तक 55% रक्षा आयात रूस से हुआ है।
- नौसेना के 41%, वायुसेना के ⅔,थल सेना का 90% आयुध रूस आयातित है।
- SIPRI(स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट) रिपोर्टानुसार भी 9.3 अरब डालर के साथ रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा आयातक बना हुआ है।-USA, इजराइल क्रमश:दूसरे व तीसरे स्थान पर हैं।
रूस आयातित या संयुक्त उद्यम आधारित आयुध
- नौसेना-INS विक्रमादित्य (विमान वाहक पोत), परमाणु पनडुब्बी।
- थल सेना-T-90 टैंक,T-72 युद्धक टैंक, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
- वायु सेना-Su-30MKI(सुखोई), mig-29
प्रस्तावित डील
- 21,मिग-29 व सुखोई (2.4अरब डालर)
- पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान।
USA आयातित /संयुक्त उद्यम आधारित आयुध
- नौसेना-बोइंग-C17, अपाचे, चिनूक
- थल सेना-होवित्जर तोपे
अन्य समझौतों-लेमोआ,कामकासा
रक्षा आयात हेतु रूसी निर्भरता का कारण
- विरासत का मुद्दा/ऐतिहासिक संबंध
- विशिष्ट उपकरण-S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम, विमान राइफल पोत, परमाणु पनडुब्बी आदि।
- युद्धक क्षमता-विशेष लाभ
महत्त्व
- लद्दाख में चीनी टकराव के बीच समझौते का अपना महत्व है।
- USA से प्रगाढ़ होते संबंधों के बावजूद रूस से भी मजबूत संबंधों की निशानी।
अवरोध
- अमेरिका का CAATSA कानून । यह कानून रूस अमेरिका के मित्र देशों से संबंध-विच्छोद (सभी तरह) का प्रावधान करता है।
डिब्रूसखोआ राष्ट्रीय उद्यान
पृष्ठभूमि
- असम का डिब्रूसखोआ राष्ट्रीय उद्यान जैवविविधता की दृष्टि से काफी संपन्न है इतना ही नहीं यह ब्रह्मपुत्र की बाढ के दौरान जीव जंतुओं के लिए शरणगाह बनने के कारण भी महत्वपूर्ण है।
- हाल ही में आयल इंडिया लिमिटेड द्वारा डिब्रूसखोआ में उत्खनन हेतु किए जा रहे हैं ड्रिलिंग पर N.G.T(नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) द्वारा OIL, असम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य जैव विविधता बोर्ड को नोटिस जारी किया है।
- N.G.T का यह नोटिस असम के दो पर्यावरणविदों की याचिका पर आया है -याचियों का तर्क है कि-OILने पर्यावरणीय प्रभाव आकलन-2006 के मानकों का उल्लंघन किया है इतना ही नहीं उच्चतम न्यायालय के 2017 के निर्णय की भी खुला उल्लंघन है।
NOTE
- EIA(पर्यावरण प्रभाव आकलन-2006) के आकलन के अनुसार भारत में ड्रिलिंग प्रोजेक्ट में विस्फोट की संभावना नगण्य मानी गई है। जबकि इसके उलट बिगत माह असम के बागान में विस्फोट हुआ जिससे EIA की मान्यता गलत साबित हो गई।
प्रवासियों के लिए सामाजिक सुरक्षा संख्या पर विचार
- हाल ही में श्रम पर संसद की स्थाई समिति ने प्रवासी श्रमिकों , मुख्यत: संगठित क्षेत्र के लिए सामाजिक सुरक्षा संख्या (social security number) पेश करने की सिफारिश की है।
- चुकि हाल ही में, श्रम व रोजगार मंत्रालय प्रवासी को श्रमिकों की संख्या पर ठोस आंकड़े उपलब्ध कराने में असमर्थ पाया गया और उसने रेल मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला दिया।
- रेल मंत्रालय के अनुसार, लगभग 1.08 करोड प्रवासी श्रमिकों हेतु श्रमिक विशेष (shramik special) एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन किया गया।
सामाजिक सुरक्षा संख्या
- कल्याणकारी योजनाओं के लाभ हेतु
- यह आधार कार्ड से भिन्न होना चाहिए
- बीमा व स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच हेतु
- प्रवासी श्रमिकों की सही संख्या जानने हेतु
समिति के अन्य सुझाव
- श्रमिकों के प्रवासन संबंधी पुख्ता रिकॉर्ड रखा जाना चाहिए, मसलन कहां से कहां को प्रवासन किया गया।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली व बायोमीट्रिक ऑथेंटिकेशन के जरिए मिलने वाले लाभ तक पहुंच सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
करंजा सौर ऊर्जा संयंत्र
- हाल ही में वाइस एडमिरल अजीत कुमार ने पश्चिमी नौसेना कमांड के लिए 2 मेगावाट क्षमता वाले सौर ऊर्जा संयंत्र का ई-उद्घाटन किया। इसकी स्थापना नौसेना स्टेशन करंजा में की गई है।
चीन द्वारा भूटान को भ-ू हस्तांतरण का प्रस्ताव
हाल ही में चीन ने पुनः वर्ष 1996 के भ-ू हस्तांतरण के प्रस्ताव की ओर संकेत देते हुए भूटान व चीन के सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भूटान को एक समाधान पैकेज की पेशकश की है।
प्रमुख बिंदु
- इस पैकेज के तहत विवादित पश्चिमी क्षेत्र (डोकलाम सहित) के बदले में उत्तर में स्थित विवादित क्षेत्रों को भूटान को देने का प्रस्ताव है।
- यह भारत के लिए चिंता का विषय है क्योंकि डोकलाम क्षेत्र चीन के अधिकार क्षेत्र में आने के बाद यह चीनी सेना को सिलीगुड़ी गलियारे (Siliguri corridor) के रणनीतिक रूप से संवेदनशील चिकेन नेक (chicken neck) तक सीधी पहुंच प्रदान करेगा।
- गौरतलब है कि 2 – 3 जून 2020 को आयोजित वैश्विक पर्यावरण सुगमता ( global environment facility) की एक वर्चुअल बैठक में भूटान के (सतकेंग) क्षेत्र को विवादित बताते हुए चीन ने सतकेंग वन्य जीव अभ्यारण ( satkeng wildlife sanctuaries) के विकास हेतु आर्थिक सहायता रोकने का प्रयास किया था।
- वर्ष 2017 में भारत व चीन के बीच डोकलाम विवाद हुआ था।
- भारत -भूटान मैत्री – संधि पर हस्ताक्षर 8 अगस्त 1949 को दार्जिलिंग में हुआ था।
भूटान की पूर्वी सीमा पर अधिकार का दावा
- इस प्रस्ताव के अतिरिक्त चीन में भूटान के सकतेंग (Sakteng) शहर के निकट पूर्वी सीमा पर अपने अधिकार को दोहराया है।
- लेकिन भूटान इस दावे को इनकार करता है क्योंकि 1984 में किए गए समझौते के अनुसार सिर्फ 2 क्षेत्र शामिल हैं।
1- उत्तर में पसमलंग व जकरलुंग घाटी
2- पश्चिम में डोकलाम व अन्य चारागाह
क्वॉड पहल के पुनर्जीवन विस्तारीकरण की आवश्यकता
पृष्ठभूमि
- क्वाॅड अवधारणा की उत्पत्ति वर्ष 2004 में आई सुनामी से अनुप्राणित है।
- यह संगठन चतुर्भुज रक्षा संवाद के नाम से जाना जाता है।
- क्वाॅड भारत, ऑस्ट्रेलिया, यूएसए व जापान की सदस्यता वाला एक अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता मंच है
क्वाॅड का विकास क्रम
- अवधारणा उत्पत्ति 2004
- 2007-नौसैन्य अभ्यासों में संख्यात्मक व भौगोलिक विस्तार हुआ जिसके अंतर्गत वर्ष 2007 में पहली बार हिंद महासागर से बाहर-ओकीनावा द्वीप (जापान) के पास बहुसदस्यीय नौसैन्य अभ्यास किया गया।
- अभ्यासोपरांत उक्त चारों देशों ने एक बैठक आयोजित की जिसे चतुर्भुज पहल कहा जाता है।
- 2015 में-मालाबार नौसैन्य जो पहले USA-INDIA के बीच था अब जापान को भी शामिल कर दिया गया, वर्तमान समय में इसमें ऑस्ट्रेलिया की भागीदारी बहुप्रतिक्षित है।
क्वाॅड की चुनौतियां – क्वाॅड के सदस्यों के बीच व्यापार सहित अनेक मतभेद।
- आसियान देशों के साथ चीनी घनिष्ठता।
- चीन का आर्थिक उभार।
- चीन का सदस्य देशों से क्षेत्रीय/सीमा विवाद।
क्वाॅड में सुधारों की आवश्यकता-
- औपचारिक मान्यता प्रदान करके पुर्नरुद्वार, व विस्तारीकरण करना
- समान विचारधारा वाले देशों को जोड़ना।
- संयुक्त राष्ट्र के समुद्र संबंधी कानूनों में निष्ठा रखने वाले तथा चीन से सीमा विवाद वाले देशों को क्वाॅड से जोड़ना।
निष्कर्ष–
- भारत एक उभरती महाशक्ति है (सामरिक, आर्थिक, सैन्य, अंतरिक्ष) अतः विश्व राजनीति व समुद्री (इंडो – पैसिफिक ) राजनीति में भारत को अपनी प्रभावी भूमिका सुनिश्चित करना चाहिए।
- इसके निमित्त भारत का क्षमता निर्माण व शक्ति प्रदर्शन अपरिर्हाय हैं।
भारत की तैयारियां/आगे की राह
- भारत को फार्मास्यूटिकल्स तथा इलेक्ट्रिक उत्पादों पर चीनी आयात संबंधी निर्भरता कम करना होगा
- क्वॉड जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचो के माध्यम से भारत को अपनी सैन्य क्षमता व सक्रियता बढ़ाकर प्रति संतुलन करना चाहिए
हालोआर्चिआ (Haloarchaea)
चर्चा में क्यों?
- पुणे स्थित “आगरकर अनुसंधान संस्थान” द्वारा की गई जांच में पाया गया है कि महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में “लोनार झील” (क्रेटर झील का उदाहरण) के पानी का रंग “हालोआर्चिआ” नामक सूक्ष्म जीवों की उपस्थिति के कारण गुलाबी हो गया है।
Important facts
- “हालोआर्चिआ” या “हालोफिलिक आर्चिया” एक ऐसा जीवाणु होता है जो गुलाबी रंग पैदा करता है और खारे पानी में पाया जाता है।
NOTE
- वैज्ञानिकों का मानना है कि वर्षा की अनुपस्थिति, कम मानवीय हस्तक्षेप और उच्च तापमान के परिणाम स्वरूप जल का वाष्पीकरण हुआ जिससे लोनार झील की लवणता एवं PH में वृद्धि हुई। यह हेलोफिलिक जीवाणु के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियां उत्पन्न की।
लोनार झील (क्रेटर झील)
- बुलढाणा जिला, महाराष्ट्र
- निर्माण प्लीस्टोसीन काल में उल्का पिंड के गिरने से हुआ था जो 1.85 किलोमीटर के व्यास एवं 500 फीट की गहराई के साथ “बेसाल्टिक चट्टानों” से निर्मित है।
- झील का पानी खारा एवं छारीय दोनों है।
- अधिसूचित राष्ट्रीय भू-विरासत स्मारक भी है।
- झील में गैर-सहजीवी नाइट्रोजन फिक्सिंग सूक्ष्म जीवाणु तथा प्रवासी पक्षी जैसे- शेल्डक, ग्रेब के रूप में जैव विविधता पाई जाती है।
यलो इंडियन बुलफ्रॉग (Yellow Indian Bullfrog)
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में “यलो इंडियन बुलफ्रॉग” के एक बड़े समूह को देखा गया है।
Important facts
- “इंडियन बुलफ्रॉग” आमतौर पर चमकीले पीले रंग के नहीं होते हैं किंतु नर प्रजनन के दौरान रंग बदल सकते हैं। (हरे रंग से पीला रंग में)
वैज्ञानिक नाम- होप्लाबलाचुस टाइगरीनस (Hoplobatrachus Tigerinus)
अन्य नाम- बुलफ्रॉग (Bullfrog), गोल्डन फ्रॉग, टाइगर फ्रॉग।
IUCN- रेड लिस्ट में “कम चिंताजनक” (Least Concern) श्रेणी में सूचीबद्ध।
- भारतीय वन्यजीव अधिनियम, 1972- अनुसूची-4 में सूचीबद्ध है अर्थात इस प्रजाति के विलुप्त होने का खतरा नहीं है किंतु इसके शिकार करने पर जुर्माना लगाया जाता है।
- यह अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भारत, नेपाल, म्यानमार, पाकिस्तान की देशज प्रजाति है।
नरसिंहपुर
- मध्य प्रदेश का लोकप्रिय मंदिर शहर है जो भगवान नरसिंह (विष्णु) को समर्पित है।
- निर्माण 18वीं शताब्दी में खिरवार वंश से संबंधित जाट सरदारों द्वारा।
- प्राचीन नरसिंह मंदिर को राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है।
मणिपुर जलापूर्ति परियोजना
- प्रधानमंत्री द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आधारशिला रखी गई।
- 25 शहरों और 1700 गांव को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध होगा।
- 2024 तक “हर घर जल” के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।
NOTE
- केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2019 “जल जीवन मिशन” की घोषणा की गई जिसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में पाइप जलापूर्ति सुनिश्चित करना है।
मधु बाबू पेंशन योजना
- ओडिशा सरकार द्वारा शुरू की गई एक सामाजिक सुरक्षा योजना है।
उद्देश्य-
- राज्य में निराश्रित बुजुर्गों,दिव्यांग व्यक्तियों और विधवाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- अब इस योजना में राज्य के लगभग 5000 ट्रांसजेंडर को भी शामिल कर लिया गया। जो अपनी उम्र के आधार पर विभिन्न श्रेणियों के तहत पेंशन के रूप में ₹500,₹700,₹900 प्रति माह प्राप्त करने के पात्र होंगे।
NOTE
पात्रता
- लाभार्थियों के पास अनिवार्य प्रमाण पत्र होना चाहिए। साथ ही,लाभार्थी कि आय प्रतिवर्ष 40000 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- जो आयकर भुगतान और सरकारी कर्मचारी है उन्हें लाभ प्राप्त नहीं होगा।
काकरापार परमाणु ऊर्जा परियोजना
- हाल ही में इस परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों ने इस संयंत्र की तीसरी इकाई (KAPP-3) में पहली बार क्रांतिकाता (Criticality) की स्थिति प्राप्त की है
- क्रांतिकाता से आशय संयंत्र में पहली बार ‘नियंत्रित स्व-संधारित नाभिकीय विखंडन’ श्रृंखला की शुरुआत से है।
- काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र गुजरात के तापी जिले में स्थित है।
- इसकी पहली दो इकाइयां कनेडियन (Canadian) तकनीकी पर आधारित है, जबकि तीसरी इकाई पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है।
- KAPP-3 भारत का पहला 700 मेगावाट विद्युत इकाई होने के साथ स्वदेशी तकनीकी से विकसित PHWR की सबसे बड़ी इकाई है।
- PHWR प्राकृतिक युरेनियम को इंधन और भारी जल को शीतलक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- KAPP-3 और KAPP-4 का निर्माण ‘न्यूक्लियर पावर कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड’ द्वारा किया गया है।
- भारत सरकार द्वारा 2031 तक अपनी मौजूदा परमाणु ऊर्जा क्षमता को 6780 मेगा वाट से बढ़ाकर 22480 मेगावाट करने की तैयारी कर रहा है।
G-20 वर्चुअल बैठक
- हाल ही में ‘G-20 डिजिटल अर्थव्यवस्था मंत्रियों’ की एक वर्चुअल बैठक के दौरान केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म को नागरिकों के डाटा की गोपनीयता और इसकी रक्षा से जुड़ी चिंताओं के प्रति संवेदनशील तथा उत्तरदायी होने की आवश्यकता पर बल दिया है।
G-20 देश और डेटा सुरक्षा
- 22 जुलाई की बैठक के अंत में एक मंत्री स्तरीय घोषणा पत्र जारी किया गया।
- इसके अनुसार डेटा, सूचना, विचारों और ज्ञान की सीमा पार प्रवाह से उच्च उत्पादकता, उन्नत नवाचार और बेहतर सतत विकास को बढ़ावा मिलता है।
- इस घोषणापत्र में डिजिटल अर्थव्यवस्था को परिभाषित करने और मापने के लिए “डिजिटल अर्थव्यवस्था को मापने हेतु सामान्य रूप रेखा नामक G-20 रोड मैप को शामिल किया गया।
ओसाका ट्रैक
- G-20 देशों के 14वें शिखर सम्मेलन (जापान) 2019 के दौरान G-20 देशों ने राष्ट्रीय सीमाओं के बीच डाटा के प्रवाह को प्रोत्साहित किया था।
- परंतु भारत ने डेटा- स्थानीयकरण की विचारधारा का समर्थन करते हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।
NOTE
- वर्ष 2018 में न्यायमूर्ति बी.एन.श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति ने डेटा संरक्षण पर मसौदा प्रस्तुत किया था।
Team rudra
Abhishek Kumar Verma
Amarpal Verma
Krishna
Yograj Patel
anil Kumar Verma
Vivek Pandey
Prashant Yadav
Dr.Sant lal
Sujata Singh
Geography team mppg college ratanpura mau
- Surjit Gupta
- Saty Prakash Gupta
- Shubham Singh
- Akhilesh Kumar
- Sujit Kumar Prajapti