भारत का राज्य क्षेत्र ( भाग 1 से 4 तक)
अनुच्छेद- 1 . भारत राज्यों का संघ होगा ( राज्य, संघ शासित प्रदेश, अर्जित प्रदेश)
• संविधान में भारत और इंडिया दोनों कहां गया है।
• भारत का राज्य क्षेत्र अनुच्छेद 1 में परिभाषित किया गया है।
अनुच्छेद – 2 . बाहर का कोई प्रदेश मिला ना हो तो उसे कैसे शामिल किया जाए उस प्रक्रिया का उल्लेख है। संसद कानून बनाकर लागू कर सकती है।
अनुच्छेद -3 . राज्य क्षेत्र में परिवर्तन की प्रक्रिया का उल्लेख।
• राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन
• नए राज्य का गठन
• राज्य के नाम में परिवर्तन आदि।
नोट – इन सबके लिए सबसे पहले इस संदर्भ में विधेयक लाया जाता है, संसद में बिल लाने के पहले संबंधित राज्य के विधान मंडल से पूछता है।
राष्ट्रपति जवाब देने की अवधि निर्धारित करता है। राज्य के विधान मंडल की राय का कोई फर्क नहीं पड़ता है।
अनुच्छेद – 4. अनुच्छेद 2 और 3 के अंतर्गत जो भी परिवर्तन किए जाएंगे वह अनुच्छेद 368 के अंतर्गत नहीं आएंगे।
अनुच्छेद 368 – संविधान संशोधन की प्रक्रिया
तीन प्रकार से
1- सामान्य बहुमत
2- विशेष बहुमत
3- विशेष बहुमत + 1/2 राज्यों का अनुमोदन
• अनुच्छेद 2 और 3 में परिवर्तन साधारण बहुमत से होता है।
• अनुच्छेद 368 की प्रक्रिया के तहत होने वाले ही संशोधन संविधान संशोधन के रूप में गिना जाएगा।
अनुच्छेद -2 (A) 35वें संविधान संशोधन 1975 के द्वारा सिक्किम को जोड़ा गया। सहराज्य एक नई श्रेणी बनाई गई बाद में 36वें संविधान संशोधन के द्वारा सहराज्य श्रेणी को खत्म कर दिया गया।
• सिक्किम राज्य की विधानसभा में 32 सदस्य हैं।
• अनुच्छेद 368 बताता है कि संविधान संशोधन की शक्ति संसद के पास है।
गोकुलनाथ वाद – संविधान के मूल अधिकारों में परिवर्तन नहीं कर सकता है।
केशवानंद भारती वाद बनाम केरल राज्य – संसद मूल अधिकारों में परिवर्तन कर सकता है। लेकिन संसद को आधारभूत संरचना का ध्यान रखना होगा।
राष्ट्रपति संविधान संशोधन विधेयक को पुनर्विचार के लिए भी नहीं भेज सकता।
• संविधान संशोधन विशेष बहुमत से पारित होगा संविधान संशोधन विधेयक किसी भी संसद में लाया जा सकता है।
• संशोधन विधेयकों पर कभी भी संयुक्त अधिवेशन नहीं बुलाया जाता है।
• संविधान संशोधन को न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।
मौलिक अधिकार ( भाग -3 , अनुच्छेद 12 से 35 तक)
• भारतीय संविधान का मैग्नाकार्टा कहा जाता है।
अनुच्छेद – 12 राज्य को परिभाषित करता है।
वे सरकारी संस्थाएं आती हैं, जो सरकार से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहायता प्राप्त करते हैं।
• मौलिक अधिकारों की प्रकृति निषेधात्मक है।
अनुच्छेद – 13 . कोई भी ऐसी विधि जो मौलिक अधिकारों को प्रभावित करती है यह अनुच्छेद न्यायपालिका को शक्ति देती है कि इस पर न्यायपालिका न्यायिक पुनरावलोकन कर सकती है।
• अनुच्छेद 13 विधि शब्द को भी परिभाषित करता है।
• अनुच्छेद 13 संविधान के पूर्व की विधि तथा संविधान के बाद की विधि अनुकूल हो इसकी बात भी करता है।
अनुच्छेद – (14 से 18, समानता का अधिकार)
- विधि के समक्ष समानता
- विधियों का समान संरक्षण होना चाहिए।
- विधि के समक्ष समानता की अवधारणा इंग्लैंड से ली गई है।
• डायसी ने विधि का नियम सिद्धांत दिया।
• विधि के समक्ष समानता से तात्पर्य है कि विधि के समक्ष सभी समान है वह किसी से भेदभाव नहीं करेगी।
• विधि के समान संरक्षण से तात्पर्य है कि राज्य चाहे तो वह सकारात्मक भेदभाव कर सकता है वह अलग-अलग वर्गों के लिए अलग-अलग कानून बना सकता है। ( यह अवधारणा अमेरिका से ली गई है)
अनुच्छेद – 15 . जाति, धर्म, लिंग, जन्म स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
• महिलाओं, बच्चों के लिए राज्य अलग कानून बना सकता है।
• प्रथम संशोधन 1951 द्वारा अनुच्छेद 15 में 15 (4) जोड़ा गया।
अनुच्छेद 15 (4) अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगोंं को आरक्षण दिया जाएगा।
अनुच्छेद 15 (5) . उच्च संस्थानों में भी SC ,ST और पिछड़े लोगों को आरक्षण की व्यवस्था की जाएगी।
नोट – 93 वां संविधान संशोधन 2006 में हुआ।
अनुच्छेद- 16. रोजगार के अवसर में समानता लिंग, जन्म स्थान, धर्म, जाति, उद्भव निवास के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा।
अनुच्छेद 16 (3) राज्य चाहे तो निवास के आधार पर भेदभाव कर सकता है। इस संबंध में कानून बनाने का अधिकार संसद को है।
अनुच्छेद 371 (J) .98 वां संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया कर्नाटक के राज्यपाल को सरकारी नौकरी के संबंध में विशेष शक्ति दी गई। कर्नाटक की एक विशेष क्षेत्र के लिए।
अनुच्छेद 16 (4) अपर्याप्त प्रतिनिधित्व वाले लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जाएगी।
राष्ट्रपति द्वारा आयोग का गठन किया जाएगा जिसके माध्यम से अपर्याप्त प्रतिनिधित्व वाले लोगों का पता लगाया जाएगा।
जैसे – काका कालेकर आयोग 1953, बीपी मंडल आयोग 1978
• O.B.C को आरक्षण 27% दिया गया।
इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ – 16 नवंबर 1992
• आरक्षण के संबंध में यह बड़ा मामला था 50% से अधिक आरक्षण नहीं हो सकता पदोन्नति में कोई आरक्षण नहीं होगा।
भारत के संविधान का वेयर एक्ट।
अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता का अंत
• अत्याचार निवारण अधिनियम 1989
• अस्पृश्यता अधिनियम 1955
अनुच्छेद – 18 उपाधियों का अंत
सैनिक उपाधियां, शैक्षिक उपाधियों को छोड़कर।
राष्ट्रपति की अनुमति के बिना कोई भी व्यक्ति अन्य देश से उपाधि धारण नहीं कर सकता।
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