कावेरी नदी जल विवाद
हाल ही में ‘कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण’ (CWMA) ने कर्नाटक को तमिलनाडु के लिये पानी की शेष मात्रा तत्काल जारी करने का निर्देश दिया है।
- हालाँकि तमिलनाडु, केरल और पुद्दुचेरी के विरोध के बाद ‘कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण’ ने ‘मेकेदातु जलाशय परियोजना’पर चर्चा नहीं की।
प्रमुख बिंदु:-
कावेरी जल विवाद:-
- इसमें 3 राज्य और एक केंद्रशासित प्रदेश (तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और पुद्दुचेरी) शामिल हैं।
- वर्ष 1974 के बाद से कर्नाटक ने तमिलनाडु की सहमति लिये बिना अपने चार नए जलाशयों में पानी को मोड़ना शुरू कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप विवाद उत्पन्न हो गया है।
- इस विवाद को समाप्त करने हेतु वर्ष 1990 में ‘कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण’ की स्थापना की गई, जिसने 17 वर्ष बाद यह निर्णय दिया कि कावेरी नदी के जल को सामान्य वर्षा की स्थिति में 4 तटवर्ती राज्यों के बीच किस प्रकार साझा किया जाना चाहिये।
- ‘कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण’ का गठन केंद्र सरकार द्वारा अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 की धारा 4 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए किया गया था।
- न्यायाधिकरण के निर्णय के मुताबिक, कम वर्षा की स्थिति में आनुपातिक आधार का उपयोग किया जाएगा। सरकार ने इस निर्णय के छः वर्ष बाद वर्ष 2013 में आदेश अधिसूचित किया।
- इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई, क्योंकि इसमें कर्नाटक को तत्काल तमिलनाडु के लिये 12000 क्यूसेक जल छोड़ने का निर्देश दिया गया था जिसके कारण राज्य में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे।
- इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का अंतिम निर्णय वर्ष 2018 में आया जिसमें न्यायालय ने कावेरी नदी को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया और CWDT द्वारा जल-बँँटवारे हेतु अंतिम रूप से की गई व्यवस्था को बरकरार रखा तथा कर्नाटक से तमिलनाडु को किये जाने वाले जल के आवंटन को भी कम कर दिया।
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, कर्नाटक को 284.75 हज़ार मिलियन क्यूबिक फीट (tmcft), तमिलनाडु को 404.25 tmcft, केरल को 30 tmcft और पुद्दुचेरी को 7 tmcft जल प्राप्त होगा।
- सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को कावेरी प्रबंधन योजना (Cauvery Management Scheme) को अधिसूचित करने का भी निर्देश दिया। केंद्र सरकार ने जून 2018 में ‘कावेरी जल प्रबंधन योजना’ अधिसूचित की, जिसके तहत केंद्र सरकार ने निर्णय को प्रभावी करने के लिये ‘कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण’ (Cauvery Water Management Authority- CWMA) और ‘कावेरी जल विनियमन समिति’ (Cauvery Water Regulation Committee) का गठन किया।
मेकेदातु जलाशय परियोजना:-
- इसका उद्देश्य बंगलूरू शहर के लिये पीने के पानी का भंडारण और आपूर्ति सुनिश्चित करना है। परियोजना के के तहत लगभग 400 मेगावाट (MW) बिजली उत्पन्न करने का भी प्रस्ताव है।
- वर्ष 2018 में तमिलनाडु राज्य द्वारा परियोजना के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court- SC) में अपील की गई, हालांँकि कर्नाटक द्वारा इस बात को स्वीकार किया गया था कि यह परियोजना तमिलनाडु में जल के प्रवाह को प्रभावित नहीं करेगी।
- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदन प्राप्त होने से पूर्व तक तमिलनाडु ऊपरी तट (Upper Riparian) पर प्रस्तावित किसी भी परियोजना के निर्माण का विरोध करता रहा है।
भारत के हवाई क्षेत्र का मानचित्र
- हाल ही में नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) ने ड्रोन संचालन के लिये भारत के हवाई क्षेत्र का मानचित्र जारी किया है, जो पूरे देश में रेड ज़ोन, येलो ज़ोन और ग्रीन ज़ोन क्षेत्रों को दर्शाता है।
- यह नागरिक ड्रोन ऑपरेटरों को सीमांकित प्रतिबंधित उड़ान ज़ोन (No-fly zones) की जाँच करने की अनुमति देगा या जहाँ उन्हें उड़ान भरने से पहले कुछ औपचारिकताओं से गुज़रना होगा।
- इससे पहले ‘‘विश्वास, स्वप्रमाणन एवं बिना किसी हस्तक्षेप के निगरानी’’ पर आधारित ‘उदारीकृत ड्रोन नियम, 2021’ का अनावरण किया गया था और ड्रोन उद्योग के लिये उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना की भी घोषणा की गई थी।
परिचय:
ग्रीन ज़ोन:
यह 400 फीट तक का हवाई क्षेत्र है जिसे लाल या पीले क्षेत्र के रूप में नामित नहीं किया गया है और एक हवाई अड्डे की परिचालन परिधि से 8-12 किमी के बीच स्थित क्षेत्र से 200 फीट ऊपर है।
500 किलोग्राम तक वज़न वाले ड्रोन के संचालन के लिये किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
येलो ज़ोन:
- यह एक निर्दिष्ट ग्रीन ज़ोन में 400 फीट से ऊपर का हवाई क्षेत्र है और एक हवाई अड्डे की परिधि से 8-12 किमी. के बीच स्थित क्षेत्र में 200 फीट से ऊपर तथा एक हवाई अड्डे की परिधि सतह से 5-8 किमी. के बीच स्थित क्षेत्र है।
- संबंधित हवाई यातायात नियंत्रण प्राधिकरणों से अनुमति की आवश्यकता होती है जो या तो भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, भारतीय वायु सेना, भारतीय नौसेना, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड आदि हो सकते हैं।
रेड ज़ोन:
- यह ‘नो-ड्रोन है जिसके भीतर केंद्र सरकार की अनुमति के बाद ही ड्रोन का संचालन किया जा सकता है।
ड्रोन नियम, 2021:
- इन नियमों का उद्देश्य एक ‘डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म’ निर्मित करना है जो एक व्यापार-अनुकूल सिंगल-विंडो ऑनलाइन सिस्टम है, जिसमें न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ अधिकांश अनुमतियांँ स्वयं ही प्राप्त की जा सकेंगी।
ड्रोन के बारे में:
- ड्रोन मानव रहित विमान (Unmanned Aircraft) के लिये प्रयुक्त एक आम शब्द है। मानव रहित विमान के तीन उप-सेट हैं- रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (Remotely Piloted Aircraft), ऑटोनॉमस एयरक्राफ्ट (Autonomous Aircraft) और मॉडल एयरक्राफ्ट (Model Aircraft)।
- रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट में रिमोट पायलट स्टेशन, आवश्यक कमांड और कंट्रोल लिंक तथा अन्य घटक होते हैं।
- ड्रोन को उनके वज़न के आधार पर पाँच श्रेणियों में बाँटा गया है-
- नैनो- 250 ग्राम से कम या उसके बराबर।
- माइक्रो- 250 ग्राम से 2 किग्रा. तक।
- स्माल- 2 किग्रा. से 25 किग्रा. तक।
- मीडियम- 25 किग्रा. से 150 किग्रा. तक।
- लार्ज- 150 किग्रा. से अधिक
बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (B3W) पहल
B3W जून 2021 में सबसे सफल लोकतंत्र वाले देशों के G-7 समूह द्वारा घोषित एक अंतर्राष्ट्रीय बुनियादी ढाँचा निवेश पहल है।
B3W पहल को चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का मुकाबला करने के लिये एक पहल के रूप में देखा जा रहा है।
B3W और इसके मार्गदर्शक सिद्धांत:-
- लक्ष्य: बिल्ड बैक बेटर प्लान विकासशील और निम्न-आय वाले देशों के लिये G-7 देशों द्वारा प्रस्तावित एक कोविड-19 राहत, भविष्य का आर्थिक और बुनियादी ढाँचा पैकेज़ है।
- B3W के घटक: B3W के माध्यम से G7 और अन्य समान विचारधारा वाले भागीदार फोकस के चार क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की पूंजी जुटाने में समन्वय स्थापित करेंगे:-
- जलवायु
- स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सुरक्षा
- डिजिटल टेक्नोलाॅजी
- लैंगिक समानता
- मूल्य-संचालित विकास: वित्तीय, पर्यावरणीय और सामाजिक रूप से पारदर्शी तथा टिकाऊ तरीके से किये गए बुनियादी ढाँचे के विकास से प्राप्तकर्त्ता देशों और समुदायों के लिये बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे।
- सुशासन और मज़बूत मानक: पर्यावरण और जलवायु, श्रम एवं सामाजिक सुरक्षा उपायों, पारदर्शिता, वित्तपोषण, निर्माण, भ्रष्टाचार विरोधी तथा अन्य क्षेत्रों से संबंधित ब्लू डॉट नेटवर्क द्वारा प्रचारित मानकों का अनुपालन कर निवेश को बढ़ावा देने के लिये B3W महत्त्वपूर्ण है।
- जलवायु अनुकूल: यह पहल पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के अनुरूप तरीके से स्थापित किया जाएगा।
- मज़बूत रणनीतिक साझेदारी: B3W विकास के आक्रामक मॉडल का मुकाबला करने और वैश्विक विकास का एक व्यापक समावेशी मॉडल स्थापित करने की परिकल्पना करेगा।
आतंकवाद पर अमेरिकी कॉन्ग्रेस की रिपोर्ट
- हाल ही में आतंकवाद पर अमेरिकी कॉन्ग्रेसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) के रूप में नामित कम-से-कम 12 समूहों का घर है।
- क्वाड समिट 2021 में अमेरिकी कॉन्ग्रेस के द्विदलीय अनुसंधान विंग द्वारा जारी “पाकिस्तान में आतंकवादी और अन्य मिलिटेंट ग्रुप्स” नामक रिपोर्ट।
- इससे पहले फरवरी 2021 में फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट पर बनाए रखने का फैसला किया था ।
आतंकवादी समूहों का वर्गीकरण:
पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों को मोटे तौर पर पाँच प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:-
- विश्व-उन्मुख
- अफगानिस्तान उन्मुख
- भारत और कश्मीर उन्मुख
- घरेलू रूप से उन्मुख
- सांप्रदायिक (शिया विरोधी)।
विदेशी आतंकवादी संगठन के बारे में:-
- एफटीओ विदेशी संगठन हैं जिन्हें यूएस सेक्रेटरी ऑफ स्टेट द्वारा नामित किया जाता है। यह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और आतंकवादी गतिविधियों तथा समूहों पर आतंकवाद के कारोबार से बाहर निकलने के लिये दबाव बनाने हेतु समर्थन को कम करने का एक प्रभावी साधन है।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
सुरजीत गुप्ता – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।