पीएम-केयर फॉर चिल्ड्रन’ योजना
योग्यता
- जिन बच्चों ने कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता या कानूनी अभिभावक या दत्तक माता-पिता को खो दिया है, वे इस योजना के लिये पात्र होंगे।
- देश भर में कुल 577 कोविड-19 अनाथ बच्चों की पहचान की गई है। साथ ही बाल तस्करी के मामले भी बढ़ रहे हैं।
योजना की विशेषताएँ
10 लाख रुपए का कोष
- इनमें से प्रत्येक बच्चे को पीएम केयर फंड से 10 लाख रुपए का कोष आवंटित किया जाएगा।
- इस कोष का उपयोग 18 वर्ष की आयु के बाद अगले पाँच वर्षों तक उच्च शिक्षा की अवधि के दौरान बच्चों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये मासिक वित्तीय सहायता/छात्रवृत्ति हेतु उपयोग किया जाएगा और 23 वर्ष की आयु पूरी करने पर,
- व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक उपयोग के लिये उसे एकमुश्त के रूप में कोष की राशि मिलेगी।
बच्चों की शिक्षा
- छोटे बच्चों की शिक्षा का खर्च केंद्रीय विद्यालयों और निजी स्कूलों में उच्चतर माध्यमिक स्तर तक प्रवेश के माध्यम से वहन किया जाएगा।
- इन बच्चों को उनकी उच्च शिक्षा के दौरान ट्यूशन फीस या शैक्षिक ऋण के बराबर छात्रवृत्ति या आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाएगी, जहाँ ऋण पर ब्याज का भुगतान पीएम-केयर्स फंड द्वारा किया जाएगा।
स्वास्थ्य बीमा
- आयुष्मान भारत योजना के तहत ऐसे सभी बच्चों को एक लाभार्थी के रूप में नामांकित किया जाएगा, जिसमें 5 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा कवर शामिल होगा।
- ऐसे बच्चों के 18 वर्ष के होने तक प्रीमियम राशि का भुगतान पीएम-केयर्स फंड द्वारा किया जाएगा।
भारतीय मानक ब्यूरो की SDO मान्यता योजना
चर्चा में क्यों
हाल ही में भारतीय रेलवे का ‘अनुसंधान डिज़ाइन और मानक संगठन’ (Resort) भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के ‘एक राष्ट्र एक मानक’ मिशन के तहत ‘मानक विकास संगठन’ (SDO) घोषित होने वाला पहला संस्थान बन गया है।
तथ्य
- ‘अनुसंधान डिज़ाइन और मानक संगठन’ ने BSI SDO मान्यता योजना के तहत ‘मानक विकास संगठन’ (SDO) के रूप में मान्यता प्राप्त करने की पहल की है।
- ‘एक राष्ट्र एक मानक’ मिशन के विचार की कल्पना पहली बार वर्ष 2019 में की गई थी, इसकी परिकल्पना देश में गुणवत्तापूर्ण उत्पादों को सुनिश्चित करने के लिये ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ योजना की तर्ज पर की गई थी।
- भारत सरकार के ‘एक राष्ट्र एक मानक’ विज़न के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने एक योजना शुरू की है, जिसके तहत ‘मानक विकास संगठन’ (SDO) की मान्यता प्रदान की जाती है।
- यह मान्यता 3 वर्ष के लिये वैध है और वैधता अवधि पूरी होने के बाद नवीनीकरण की आवश्यकता होगी।
अनुसंधान डिज़ाइन और मानक संगठन
- यह लखनऊ (उत्तर प्रदेश) स्थित रेल मंत्रालय का अनुसंधान एवं विकास विंग है, जो रेलवे क्षेत्र के लिये मानकीकरण का कार्य करने वाले प्रमुख निकाय के रूप में कार्य कर रहा है।
भारतीय मानक ब्यूरो
यह भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 1986 द्वारा स्थापित किया गया था, जो दिसंबर 1986 में लागू हुआ था। यह उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तत्त्वावधान में कार्य करता है।
स्टेट आफ फाइनेंस फार नेचर रिपोर्ट
यह रिपोर्ट U.N. द्वारा, प्रकृति आधारित समाधान में निवेश प्रवाह का विश्लेषण करती हैं।
• यह रिपोर्ट U.N.E.P , W.E.F. और भूमि क्षरण के अर्थशास्त्र द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई।
प्रकृति आधारित समाधान ( N.B.S)
- N.B.S सतत विकास लक्ष्यों को रेखांकित तथा समर्थन प्रदान करता है।
- पेरिस समझौता के लक्ष्यों को प्राप्त करने का एक अनिवार्य घटक।
- यह सामाजिक पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए स्थाई प्रबंधन करता है।
- लोगों को प्रकृति के प्रति, सामंजस्य, सक्षम बनाता है।
वर्तमान निवेश
- वर्तमान में N.B.S. के लिए वैश्विक जीडीपी का केवल 0.10% निवेश किया जाता है।
- यह निवेश स्थाई तथा मिश्रित जैव विविधता के लिए प्रयोग किया जाता है।
सिफारिशें
- अधिक निवेश को बढ़ावा
- निवेशन के लिए नकदी प्रवाह बढ़ाना।
- N.B .S को सरकारी नीति का हिस्सा बनाना।
- N.B .S के लिए वित्त निगरानी तंत्र।
आईएनएस संध्याक सेवामुक्त
चर्चा में क्यों
- अपने पहले वर्ग के स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण जहाज , आईएनएस संध्याक को सेवामुक्त कर दिया गया है ।
तथ्य
- इसने भारतीय नौसेना में 40 साल सेवा की ।
- आईएनएस संध्याक का सेवामुक्ति समारोह नौसेना डॉकयार्ड विशाखापत्तनम में हुआ ।
- इसका निर्माण 1978 में जीआरएसई कोलकाता में किया गया था और 26 फरवरी 1981 को इसे भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया था ।
- इसकी परिकल्पना तत्कालीन चीफ हाइड्रोग्राफर , रियर एडमिरल एफ एल फ्रेजर ने की थी ।
- अपनी स्थापना के समय से ही इसने प्रायद्वीपीय जल के संपूर्ण हाइड्रोग्राफिक कवरेज की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
- अपनी सेवा के दौरान , इसने 200 से अधिक प्रमुख हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण और कई छोटे सर्वेक्षण करने में मदद की ।
- इसने ऑपरेशन पवन , ऑपरेशन रेनबो , ऑपरेशन सारोंग , आदि सहित विभिन्न ऑपरेशनों में भी भाग लिया ।
भारत में डिजिटल टैक्स
चर्चा में क्यों
भारत, वर्ष 2016 में 6% सरकारी लेवी लागू करने की शुरुआत करने वाला पहले देशों में से एक था, हालांकि यह लेवी ऑनलाइन विज्ञापनों तक ही सीमित था।
यद्यपि भारत में ग्राहकों को ऑनलाइन सामान और सेवाएं बेचने वाली तथा दो करोड़ रुपए से अधिक की वार्षिक आय दिखाने वाली विदेशी कंपनियों पर अप्रैल 2020 से डिजिटल टैक्स लागू है।
प्रायोज्यता
समकारी लेवी वर्ष 2019- 20 तक 6% की दर से केवल डिजिटल विज्ञापन सेवाओं पर लागू होती थी, फिर सरकार ने पिछले साल अप्रैल में दो करोड़ रुपए से अधिक का सालाना व्यापार करने वाली गैर निवासी ई-कॉमर्स कंपनियों पर 2% कर लगाने हेतु इस डिजिटल टैक्स का दायरा बढ़ा लिया था।
समकारी लेवी को भारत में कर भुगतान करने वाली भारतीय व्यवसायों और भारत में व्यापार करने वाली, किंतु यहां कोई आयकर नहीं देने वाली विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के मध्य समान अवसर लागू करने के लिए दिया गया था।
चीन का कृत्रिम सूर्य
चर्चा में क्यों
चीन के प्रायोगिक उन्नत सुपरकंडक्टिंग टोकामक ( EAST) द्वारा एक नया रिकॉर्ड बनाया है, उसने 101 सेकंड में 216 मिलियन फॉरेनहाइट ( 120 मिलियन डिग्री सेल्सियस) प्लाज्मा तापमान पैदा करने में सफलता हासिल की।
तथ्य
• सूर्य के केंद्र का तापमान 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस माना जाता है। यह पैदा किया तापमान सूर्य के तापमान का लगभग 7 गुना अधिक है।
कृत्रिम सूर्य EAST किस प्रकार कार्य करता है?
- परमाणु संलयन हेतु, हाइड्रोजन परमाणुओं को अत्यधिक ताप और दाब प्रयुक्त किया जाता है, ताकि वे पिघलकर परस्पर संलयित हो जाएं।
- हाइड्रोजन में पाए जाने वाले ड्यूटेरियम और ट्राइटेनियम नाभिक , परस्पर संगठित होकर भारी हीलियम नाभिको का निर्माण करते हैं। इस प्रक्रिया में न्यूट्रान अणुओं सहित भारी मात्रा में ऊर्जा निर्मुक्त होती है।
- विखंडन प्रक्रिया के विपरीत, संलयन ( fusion) प्रक्रिया में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं होता है तथा इसे सुरक्षित प्रक्रिया माना जाता है।
- इस प्रक्रिया द्वारा बहुत कम लागत पर असीमित स्वच्छ ऊर्जा हासिल की जा सकती है।
- दक्षिण कोरिया के KSTAR रिएक्टर ने 20 सेकंड तक 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस से अधिक प्लाज्मा तापमान, वर्ष 2020 में हासिल कर चुका है।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।