राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980
● दवाओं और उपकरणों सहित कोविड-19 के उपचार के लिए आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी, मुनाफाखोरी, मिलावट और कालाबाजारी करने पर ‘राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम’(NSA) लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है।
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के बारे में
- ‘राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम’ (NSA) एक निवारक निरोध कानून है।
- निवारक निरोध (Preventive Detention) के अंतर्गत, किसी व्यक्ति के लिए, उसको भविष्य में अपराध करने से रोकने या भविष्य में अभियोजन से बचने के लिए, हिरासत में रखना शामिल होता है।
- संविधान के अनुच्छेद 22 (3) (b) में, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था संबंधी कारणों के लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर निवारक निरोध और प्रतिबंध लगाने की अनुमति का प्रावधान किया गया है।
- निवारक निरोध का उपबंध करने वाली कोई विधि किसी व्यक्ति का तीन मास से अधिक अवधि के लिए तब तक निरुद्ध किया जाना प्राधिकृत नहीं करेगी जब तक कि-
- एक सलाहकार बोर्ड, तीन मास की उक्त अवधि के निरोध को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त कारणों का प्रतिवेदन नहीं करता है।
- 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 के द्वारा ‘सलाहकार बोर्ड’ की राय प्राप्त किए बिना नजरबंदी की अवधि को तीन महीने से घटाकर दो महीने कर दिया गया है। हालाँकि, यह प्रावधान अभी तक लागू नहीं किया गया है, इसलिए, तीन महीने की मूल अवधि का प्रावधान अभी भी जारी है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत, किसी व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है। लेकिन यदि सरकार को कुछ नए साक्ष्य प्राप्त होते हैं तो यह अवधि आगे भी बढाई जा सकती है।
- सुरक्षा अधिनियम के तहत, हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उसके खिलाफ आरोपों को बताए बिना 10 दिनों के लिए हिरासत में रखा जा सकता है।
- हिरासत में लिया गया व्यक्ति उच्च न्यायालय के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है लेकिन उसे मुकदमे के दौरान वकील रखने की अनुमति नहीं होती है।
IPC धारा 304 B: दहेज हत्याएं
- धारा 304 के अनुसार दहेज हत्या का मामला मानने के लिए महिला की शादी के 7 वर्ष के भीतर जलने या शारीरिक चोटों से मृत्यु होने चाहिए।
- दहेज की मांग के संबंध में मृत्यु से ठीक पहले उसे पति या ससुराल वालों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो।
- न्यायालय को यह निर्धारित करने के लिए अपने विवेक का उपयोग करना चाहिए क्या क्रूरता/उत्पीड़न और पीड़ित की मृत्यु के बीच की अवधि “सुन बिफोर” के भीतर आएगी।
- वर्षों से न्यायालय में धारा 304 B में ‘सून बिफोर’ वाक्यांश की व्याख्या इमीडीएटली बिफोर के रूप में की थी। यह व्याख्या पीड़ित महिला के लिए यह आवश्यक शर्त निर्धारित करता है कि मरने से पहले उसे परेशान किया गया है।
- यहां तक की क्रूरता का दायरा भी काफी विस्तृत है। क्योंकि यह शारीरिक, मौखिक या भावनात्मक रूप से भी हो सकती है। इसीलिए इस पर प्रश्न उठता है की ‘सुन बिफोर’ वाक्यांश सटीक है या नहीं।
दहेज हत्या पर रिपोर्ट
- वर्ष 1999 से 2018 तक लगभग एक दशक तक देश में दहेज के लिए होने वाली मौतों में 40% से 50% की हत्या हुई है।
- वर्ष 2019 में IPC की धारा 304 B के तहत दहेज हत्या के 7115 मामले दर्ज किए गए हैं।
दहेज
- दहेज शब्द को IPC में परिभाषित नहीं किया गया है बल्कि दहेज निषेध अधिनियम 1961 में परिभाषित किया गया है। अधिनियम के अनुसार, इसे किसी भी संपत्ति या मूल्यवान वस्तु के रूप में परिभाषित किया गया है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसे देने के लिए सहमति व्यक्त की गई हो।
- 1- एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष को विवाह के लिए या विवाह में भाग लेने वाले पक्षो में से किसी एक पक्ष के माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति ने किसी दूसरे पक्ष अथवा किसी व्यक्ति को विवाह के समय विवाह के पहले या विवाह के बाद विवाह की एक आवश्यक शर्त के रूप में दिया हो या देने स्वीकार किया हो।
- विभिन्न समाजों में प्रचलित प्रथागत भुगतान, जैसे कि बच्चे के जन्म के समय आदि दहेज के अंतर्गत नहीं आते हैं।
- धारा 113 B ( दहेज मृत्यु के रूप में अनुमान) भारतीय साक्ष्य अधिनियम का हिस्सा बनाया गया है।
देशद्रोह की सीमा का निर्धारण : SC
- न्यूज़ चैनलों ने राज्य सरकार पर राज्यों में कोविड-19 महामारी की मीडिया कवरेज और रिपोर्टिंग में बाधा डालकर भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19 ) के अधिकार का उल्लंघन का आरोप लगाया है।
- सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि राज्य शिकायत करने वाले नागरिकों पर मुकदमा चलाने और उन्हें गिरफ्तार करने संबंधी किसी भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कार्यवाही को तत्काल बंद करें ।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
- सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के कोविड-19 के विरुद्ध प्रबंधन के विषय में शिकायत करने वाले आलोचकों ,पत्रकारों सोशल मीडिया ,उपयोगकर्ताओं और नागरिकों के विरुद्ध देशद्रोह कानून के अनुचित उपयोग को लेकर चिंता जाहिर की है।
- यहां तक कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान चिकित्सा पहुंच, उपकरण दवाएं और ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग करने वाले लोगों के विरुद्ध देश द्रोह कानून का उपयोग किया जा रहा है।
देशद्रोह की व्याख्या
IPC की धारा 153A : यह धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और उपद्रव बनाए रखने के विरुद्ध कार्य करने वाले को दंडित करता है।
IPC की धारा 505 : ऐसी सामग्री के प्रकाशन और प्रसार को अपराध बताता है जिससे विभिन्न समूहों के बीच घृणा या द्वेष उत्पन्न हो।
मीडिया के अधिकार
- न्यायालय ने इस तर्क को स्वीकार किया कि मीडिया को देशद्रोह कानून से प्रभावित हुए बिना एक प्रचलित शासन के विषय में महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को प्रसारित करने का अधिकार है।
- IPC की धारा 124A के अनुसार, देशद्रोह एक प्रकार का अपराध है।
- देशद्रोह एक गैर जमानती अपराध है। इसमें 3 वर्ष उम्र कैद तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
- आरोपी को सरकारी नौकरी से रोका जा सकता है।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ( N.C.P.C.R)
चर्चा में क्यों
सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए कोविड के चलते अपने परिजनों को खोने के कारण सदमा झेल रहे बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने के तरीकों की जांच कर रही है।
तथ्य
- N.C.P.C.R तथा राज्यों को तत्काल देखभाल के लिए निर्देशित किया गया है।
- N.C.P.C.R ने ‘बाल स्वराज’ नामक online tracking portal के आंकड़े प्रस्तुत किए हैं।
- देश में 10000 बच्चों की देखभाल की तत्काल आवश्यकता।
- 0-17 वर्ष के बच्चों को तस्करी और देह व्यापार का सबसे अधिक खतरा।
N.C.P.C.R
- गठन 2007 में
- बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है।
- 1- अध्यक्ष और 6- सदस्य, जिनमें कम से कम दो महिलाएं होनी चाहिए।
- नियुक्ति- केंद्र सरकार द्वारा -3 वर्ष के लिए।
- अध्यक्ष – अधिकतम -65 वर्ष
- सदस्य -60 वर्ष
इज़राइल के नए राष्ट्रपति
चर्चा में क्यों
अनुभवी राजनीतिज्ञ इसाक हर्जोग को इज़राइल के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया ।
तथ्य
- वह एक पूर्व राष्ट्रपति के बेटे हैं ।
- 120 सदस्यीय सदन में उन्हें 87 वोट मिले ।
- उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी मिरियम पेरेट्ज़ को हराया ।
- वह अगले महीने मौजूदा राष्ट्रपति रूवेन रिवलिन का स्थान लेंगे ।
- उनका सात साल का कार्यकाल 9 जुलाई से शुरू होगा ।
- वर्तमान में , वह यहूदी एजेंसी- एक गैर – लाभकारी संगठन के प्रमुख हैं ।
- उन्होंने विभिन्न विभागों में मंत्री के रूप में भी कार्य किया हैं ।
- उन्होंने 1999 और 2000 के बीच प्रधान मंत्री एहूद बराक के कैबिनेट सचिव के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी ।
इज़राइल
- यह भूमध्य सागर पर स्थित एक मध्य पूर्वी देश है ।
- इसकी राजधानी यरूशलेम और मुद्रा इजरायली शेकेल है ।
- बेंजामिन नेतन्याहू देश के प्रधान मंत्री हैं ।
एसडीजी इंडिया इंडेक्स का तीसरा
चर्चा में क्यों
सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग ने एसडीजी इंडिया इंडेक्स का तीसरा संस्करण लॉन्च किया है ।
प्रमुख बिंदु
- 2018 में , सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा की गई प्रगति को मापने के लिए इस सूचकांक को लॉन्च किया गया था ।
- अब , इसका उपयोग देश में एसडीजी पर प्रगति की निगरानी के लिए प्राथमिक उपकरण के रूप में किया जाता है ।
- नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने एसडीजी इंडिया इंडेक्स और डैशबोर्ड 2020-21 : पार्टनरशिप इन द डिकेड ऑफ एक्शन नामक रिपोर्ट भी लॉन्च की ।
एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2020-21
- एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2020-21 को नीति आयोग ने संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से विकसित किया है ।
- यह 16 लक्ष्यों और 115 संकेतकों पर आधारित है ।
एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2020-21 के परिणाम और निष्कर्ष
- 2020-21 में , समग्र एसडीजी स्कोर 66 है ।
- 2019 से इसमें 6 अंकों का सुधार हुआ है ।
- लक्ष्य 6 ( स्वच्छ जल और स्वच्छता )
- लक्ष्य 7 ( सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा ) में स्कोर में सुधार हुआ है ।
- केरल , हिमाचल प्रदेश / तमिलनाडु , आंध्र प्रदेश , तमिलनाडु और तेलंगाना शीर्ष पांच प्रदर्शनकर्ता है ।
- अंतिम पांच स्थान पर बिहार , झारखंड , असम , उत्तर प्रदेश और मेघालय हैं ।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।