प्रश्न i ( a ) पितृसत्तात्मक समाज की मुख्य विशेषता क्या है ?
उत्तर – पितृसत्तात्मक समाज की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखिएत हैं।
( i ) पुरुष प्रधान समाज
( ii ) पुरुषों के अधिकार अधिक विस्तृत होते हैं ।
( iii ) पुत्र का विशेष महत्त्व
( iv ) स्त्री के पास सम्पत्ति और उत्तराधिकार सम्बन्धी अधिकार नहीं होते हैं ।
( v ) पितृसत्तात्मक समाज में निर्णय शक्ति पुरुषों में निहित होती है ।
प्रश्न i ( b ) पाठ्यपुस्तकों में लिंग भेदभाव के विभिन्न स्वरूप क्या हैं ?
उत्तर- ( i ) पाठ्यपुस्तकों में पुरुषों एवं लड़कों की बजाय महिलाओं एवं लड़कियों के बहुत कम चित्र रूप होते हैं । सामान्यतः पाठ्यपुस्तकों में महिला चित्रण अनुपात कम हो रहा है जबकि श्रेणी स्तर बढ़ रहा है ।
( ii ) अक्सर पाठ्यपुस्तकों में महिलाओं के साथ ही साथ अल्पसंख्यक समूहों के योगदान को नजरअंदाज किया जाता है या फिर कम ध्यान दिया जाता है ।
प्रश्न i ( c ) घरेलू हिंसा से आप क्या समझते हैं ?.
उत्तर- -घरेलू हिंसा से तात्पर्य ऐसी हिंसा से है जो घर के व्यक्तियों तथा उनके कुटुम्बियों के द्वारा स्त्रियों के साथ की जाती है । घरेलू हिंसा में जो शोषण तथा हिंसा की जाती है , उसकी सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें अपने ही व्यक्ति के द्वारा शोषण किया जाता है और इस हिंसा के विरुद्ध आवाज उठाना कठिन होता है , क्योंकि इसमें व्यक्ति को समाज ही नहीं , परिवार के बहिष्कार का सामना भी करना पड़ता है ।
प्रश्र 1 c समाजीकरण को परिभाषित करें ।
उत्तर – समाजीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जो एक जैविकीय प्राणी को सामाजिक स्वचेतन प्राणी में बदलती है , अपनी संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तान्तरित करता है और समाज को स्थायित्व प्रदान करता है ।
प्रश्र 1 रेडिकल नारीवाद की अवधारणा क्या है ?.
प्रश्न i ( e ) उत्तर – रेडिकलं नारीवाद 1960 व उसके बाद के वर्षों में पनपा नारीवाद है । इसका उदय आंशिक तौर पर उदार नारीवाद के खिलाफ प्रतिक्रिया के तौर पर और अंशतः लिंगवाद के खिलाफ आक्रोश के तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका व ब्रिटेन में हुआ । 1960-70 के दशक के दौरान आधुनिक रेडिकल नारीवादी सिद्धान्त के उदय में तीन पुस्तकों ने अहम भूमिका अदा की ।
प्रश्र – बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ की मूल विशेषताएँ ।
बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ
भारत में बाल लिंगानुपात ( 0-6 आयु वर्ग ) में गिरावट की प्रवृत्ति रही है । वर्ष 1991 में बाल लिंगानुपात 945 था , जो वर्ष 2001 में 927 जबकि वर्ष 2011 की जनगणना में अपने न्यूनतम स्तर 918 तक पहुंच गया है । समाज में कन्या भ्रूण हत्या की कुरीति को जड़ से खत्म करने व बेटियों को आर्थिक तौर पर सक्षम बनाने के प्रयास के तहत भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय , स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल के रूप में देश के 100 निम्न लिंगानुपात वाले जिलों में बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम की शुरुआत की गई । इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जनवरी , 2015 को हरियाणा के पानीपत जिले से प्रारंभ किया गया । योजना की सफलता को देखते हुए वर्तमान में यह योजना भारत के समस्त जिलों तक विस्तारित हो चुकी है ।
प्रश्न i ( g ) लिंग और सेक्स से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – शिक्षाविदों , शोधकर्ताओं तथा नारीवादी लेखकों ने सेक्स एवं लिंग को एक अवधारणा के रूप में प्रस्तुत किया है । उन्होंने जैविक महिला एवं पुरुष में अन्तर माना है । नारीवादी समाजशास्त्रियों ने सुझाव दिया है कि शैक्षिक वार्तालाप एवं लेखन में सेक्स एवं लिंग के बीच अन्तर को समझने एवं विलक्षित करने की नितान्त आवश्यकता है । लिंग ( जेण्डर ) , सामाजिक संरचित भूमिका , व्यवहार गतिविधियों एवं लक्षणों के आधार पर पुरुष एवं महिला को जिसको एक प्रदत्त समाज स्वीकार करता है , माना जाता है , जबकि सेक्स एवं इससे सम्बन्धित जैविक कार्य आनुवंशिक रूप से अभिक्रमित हैं एवं लैंगिक भूमिका और सामर्थ्य सम्बन्धों को परावर्तित करते हैं । वे सामाजिक संरचित , समय एवं सांस्कृतिक विभिन्नता के कारण पृथक हैं तथा सहज अनुगामी हैं ।
प्रश्न i ( h ) सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं ? उत्तर – परिवर्तन एक व्यापक प्रक्रिया है । समाज के किसी भी क्षेत्र में विचलन को सामाजिक परिवर्तन कहते हैं । सामाजिक , आर्थिक , राजनीतिक , धार्मिक , नैतिक , भौतिक आदि सभी क्षेत्रों में होने वाले किसी भी प्रकार के परिवर्तन को सामाजिक परिवर्तन कहा जा सकता है ।
प्रश्न – ( i ) लाडली लक्ष्मी योजना ।
उत्तर – यह मध्य प्रदेश राज्य सरकार की एक योजना है , जिसका लक्ष्य एक लड़की के जन्म के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव लाना है और शैक्षिक और आर्थिक स्थिति में सुधार के माध्यम से लड़कियों के भविष्य की नींव रखना है ।
प्रश्न 1 ( j ) दहेज से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – दहेज का अर्थ है जो सम्पत्ति , विवाह के समय वधू के परिवार की ओर से वर को दी जाती है । भारत में दहेज को वर दक्षिणा के नाम से भी जाना जाता है तथा वधू के परिवार द्वारा नकद या वस्तुओं के रूप में यह वर के परिवार को वधू साथ दिया जाता है ।
प्रश्न i ( k ) सहशिक्षा क्या है ?
उत्तर – सहशिक्षा से अभिप्राय है कि लड़के और लड़कियाँ दोनों ही एक साथ शिक्षा प्राप्त करें और वह भी एक विद्यालय में और एक ही पाठ्यक्रम को पढ़ें ।
प्रश्न i ) शिक्षक के दायित्व क्या होते हैं ?
उत्तर – शिक्षकों का दायित्व छात्रों को केवल शिक्षित करना ही नहीं बल्कि उन्हें संस्कारी बनाना भी है , उनके अन्दर केवल शब्द ज्ञान भरना ही नहीं बल्कि उसे नैतिकता , कर्त्तव्य परायणता , सजगता का पाठ पढ़ाना अत्यन्त आवश्यक है । शिक्षकों का अहम उद्देश्य युवा मस्तिष्क को तेजस्वी बनाना है । विद्यालयीय शिक्षक का उद्देश्य विद्यार्थी के जीवन को संवारना होता है ।
प्रश्न i ( m ) लिंग की पहचान में धर्म की भूमिका ।
उत्तर – धर्म को लिंग की समानता की शिक्षा का अंग बनाते समय यह बात विशेष रूप से ध्यान रखनी चाहिए कि शिक्षा में संकीर्ण धार्मिक विचार या धार्मिक भेदभाव न आने पाए । लिंग की समानता की शिक्षा में धर्म की प्रभावी भूमिका हेतु यह सतर्कता रखनी चाहिए कि धर्मनिरपेक्षता को किसी भी प्रकार से हानि न पहुंचने पाए ।
प्रश्न i ( n ) महिला सशक्तीकरण से लाभ । उत्तर – महिला के सशक्तीकरण के लिए महिला शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्त्व हेतु इन तत्त्वों का ध्यान रखा जा सकता है- ( i ) परिवार के उत्थान के लिए , ( ii ) समाज के उत्थान के लिए , ( iii ) राष्ट्र के विकास के लिए , ( iv ) संस्कृति के संरक्षण के लिए , ( v ) आर्थिक विकास के लिए , ( vi ) लोकतंत्र की रक्षा के लिए । इन चरणों से गुजर कर महिलाओं को सक्षम और सबल बनाया जा सकता है ।
प्रश्न i ( o ) लिंग असमानता क्या है ?
उत्तर – लिंग असमानता वर्तमान समय में जीवन का सार्वभौमिक तत्त्व बन गया है । विश्व के विकासशील देशों में , स्त्रियों के साथ समाज में प्रचलित विभिन्न कानूनों , रूढ़िगत नियमों के आधार पर विभेद किया जाता है तथा उनको पुरुषों के समान राजनीतिक तथा सामाजिक अधिकारों से वंचित किया जाता है । लैंगिक असमानता को स्त्री – पुरुष विभेद के सामाजिक संगठन तथा स्त्री – पुरुष के मध्य असमान सम्बन्धों की व्यवस्था के रूप में परिभाषित किया जा सकता है ।
प्रश्न i ( p ) जननी सुरक्षा योजना ।
उत्तर – निर्धनता रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की महिलाओं के लिए यह योजना 1 अप्रैल , 2005 से प्रारंभ की गयी । 100 प्रतिशत केन्द्र प्रायोजित इस योजना ने पूर्व में संचालित मातृत्व लाभ योजना का स्थान लिया है ।
प्रश्न i ( q ) समावेशी शिक्षा में बाधक तत्त्व क्या है ?
उत्तर – निषेधात्मक चिन्तन , विभेदन एवं रूढ़िवादिता , परिवर्तन के प्रति अवरोध की अभिवृत्ति , विशिष्ट बालक शिक्षा योग्य नहीं , लिंग सम्बन्धी भेद – भाव , संवेगात्मक समस्याएँ , शैक्षिक समस्याएँ आदि तत्त्व समावेशी शिक्षा में बाधक हैं ।
प्रश्न i ( r ) लैंगिकता से क्या आशय है ?
उत्तर- लिंग के आधार पर ही लैंगिकता का निर्माण होता है । समाज में तीन प्रकार के जेण्डर पाये जाते हैं जिसमें से दो प्रमुख सामाजिक संरचना के अंग माने जाते हैं
( 1 ) पुरुष लिंग , ( 2 ) स्वी लिंग ।
1. पुरुष लिंग– भारतीय शैक्षिक व्यवस्था में पुरुष लिंग का विशेष महत्त्व माना जाता है । सामाजिक संरचना में इस जेण्डर का विशेष ध्यान रखा जाता है । पुरुष कर्ता के रूप में पारिवारिक सामाजिक व्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण अंग माना जाता है तथा उसे एक आर्थिक शक्ति के रूप में देखा जाता है । 2. स्त्री लिंग ( बहिष्कृत वर्ग ) जेण्डर के रूप में स्त्री लिंग समाज के हाशिये पर चला गया है । यह उपेक्षित वर्ग होता है । समाज में इसकी दोयम दर्जे की स्थिति होती है । स्त्री जेण्डर को आर्थिक रूप से असहाय और निर्बल तथा कमजोर माना जाता है और यह सत्य भी है कि स्त्रियों के पास न तो पूर्ण व्यावसायिक प्रशिक्षण है और न ही अवसर ।
प्रश्न i ( s ) समाजवादी नारीवाद क्या है ?
उत्तर- स्त्रियों के साथ बालपन से ही भेदभाव किया जाता है जिसके कारण उनका विकास समुचित रूप से नहीं हो पाता है । स्त्रियों के समाज में वे जिस स्थान , सम्मान और अधिकार की हकदार हैं वह नहीं मिल पाता है । इसके लिए उन्हें लम्बा संघर्ष करना पड़ रहा है और आज भी उनके अधिकारों के लिए संघर्ष हो रहा है । हमारी सामाजिक संरचना से स्त्रियाँ हमेशा हाशिये पर रही हैं । वैदिक काल से ही स्त्रियों को राजनैतिक तथा आर्थिक अधिकार प्राप्त नहीं थे , पर उनकी स्थिति आज के सापेक्ष अच्छी थी । धीरे – धीरे स्त्रियों की स्थिति में पतन होता गया और उनके अधिकारों का परिसीमन भी होता गया , परन्तु स्त्रियों की स्थिति दयनीय करके और उनको अधिकारों से वंचित करके कोई भी राष्ट्र सभ्य बनने के स्वप्न को पूर्ण नहीं कर सकता है । अतः स्त्रियों की स्थिति में उन्नयन के लिए निरन्तर प्रयास किये जाते हैं ।
प्रश्न ( 1 ) धर्म का महत्त्व तथा उपयोगिता बताइए ।
उत्तर – 1.धर्म व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन के उन्नयन में सहायक होने के कारण उपयोगी
2. धर्म व्यक्ति को सामाजिक तथा समाजीकरण में सहायता प्रदान करता है ।
3. प्रजातांत्रिक मूल्यों , प्रेम , समानता , सहयोग , न्याय इत्यादि की स्थापना करने के कारण धर्म महत्त्वपूर्ण है ।
4. भौतिकता की रेस में जब व्यक्ति क्लान्त होकर बैठ जाता है तो उसे धर्म , शान्ति और नवीन दिशा प्रदान करता है ।
5. मूल्यों के निर्माण में धर्म उपयोगी है ।
प्रश्न i ( u ) चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता की शिक्षा में धर्म की भूमिका ।
उत्तर –
1 . धार्मिक गतिशीलता द्वारा
2. धर्म के व्यापक तथा मूल स्वरूप
3. धार्मिक सम्मेलनों एवं क्रियाकलापों द्वारा
4. स्त्रियों की सहभागिता तथा आदर द्वारा परिचय
5.चारित्रिक एवं नैतिक विकास द्वारा
6. कर्म के सिद्धान्त की प्रतिष्ठा
7. सामाजिक कुरीतियों तथा भेदभावों को गैर – धार्मिक घोषित करना
प्रश्न i ( v ) चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता की शिक्षा से धर्म की प्रभाविता हेतु सुझाव ।
उत्तर –
1 , धर्म उदार दृष्टिकोण अपनाना चाहिए ।
2. सर्व धर्म समन्वय की स्थापना करके ।
3. अपनी शक्ति तथा सम्पत्ति का प्रयोग लैंगिक असमानता को कम करने तथा उनकी शिक्षा के प्रसार हेतु व्यय करना । 4. धर्म के पास अपरिमित संसाधन होते हैं जिनका प्रयोग विद्यालयों की स्थापना हेतु किया जाना चाहिए ।
5. धर्म को चाहिए कि वह अपने मतानुयायियों को महिलाओं की समानता और आदर के लिए प्रेरित करे ।
प्रश्न i ( w ) लिंग से आशय ।
उत्तर – लिंग- लिंग अर्थात् स्त्री या पुरुष का द्योतक होता है । लिंग भारतीय सामाजिक रचना का प्रमुख तत्त्व प्रारम्भ से रहा है । स्त्री – पुरुषों के मध्य आदिम मनुष्य की सभ्यता के सोपानों पर चढ़ने के साथ – साथ स्त्री – पुरुषों के मध्य कार्यों का विभाजन किया गया । स्त्रियों को प्रजनन करने तथा मातृत्व के कारण बच्चों की देख – रेख और घरेलू कार्यों के प्रबन्धन का उत्तरदायित्व सौंपा गया तो पुरुष बाहरी कार्य करने लगे और यह कार्य विभाजन रूढ़ि के रूप में चला आ रहा है , जिसमें स्त्रियों को घर के भीतर की शोभा , बच्चों की देखरेख और धनोपार्जन करने तथा महत्त्वपूर्ण निर्णयों के लिए निर्णय लेने का अधिकार पुरुष ने अपने पास रखा । इससे स्त्रियों के प्रति भेदभावपूर्ण व्यवहार का जन्म हुआ , क्योंकि उनकी सहभागिता तथा महत्त्व सभी क्षेत्रों में नहीं रह गया और आर्थिक अधिकारों पर पुरुषों का एकाधिकार स्थापित हो गया ।
प्रश्न i ( x ) जनसंचार माध्यम का अर्थ ।
उत्तर – वर्तमान युग में जनसंचार के माध्यमों का बड़ा ही शैक्षिक महत्त्व है । जनसंचार के माध्यमों के महत्त्व को आधुनिक युग में सभी के द्वारा स्वीकार किया जा रहा है । जनसंचार के माध्यम शिक्षा के अनौपचारिक अभिकरणों के अन्तर्गत आते हैं । जनसंचार हेतु आंग्ल भाषा में ‘ Mass Media ‘ शब्द का प्रयोग किया जाता है । सामान्य रूप से ‘ जनसंचार माध्यम ‘ का अभिप्राय है ऐसे अभिकरण जिनके प्रयोग से विभिन्न प्रकार की सूचनायें दूर – दूर तक लोगों के पास पहुँचाने का प्रयास करना । जनसंचार के इन साधनों में रेडियो , दूरदर्शन , समाचार – पत्र , पत्रिकायें इत्यादि आते हैं ।
प्रश्न – ( y ) जनसंचार माध्यम की परिभाषायें ।
उत्तर — मनुष्यों के मध्य विचारों के आदान – प्रदान का अत्यधिक महत्त्व है , क्योंकि मनवीय सम्बन्ध संचार पर आधारित होते हैं । परस्पर मानवीय समूहों में एक – दूसरे पर प्रभाव डालने हेतु भी संचार के माध्यमों का प्रयोग करते हैं । संचार को और अधिक स्पष्ट करने हेतु कुछ परिभाषायें 1. सूमरी के अनुसार- ” संचार सूचना , आदर्शों एवं अभिवृत्तियों का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाने की कला है । ” दृष्टव्य हैं
2. डॉ . गोकुलचन्द पाण्डेय के अनुसार- “ संचार व्यक्त अथवा अव्यक्त रूप से सूचनाओं का प्रेषण एवं स्वीकरण है । ”
प्रश्न ii ( a ) समुदाय का महत्त्व एवं कार्य ।
उत्तर –
1 . सामाजिक विकास का कार्य एवं महत्त्व
2. अन्य अभिकरणों से सहयोग विषयी कार्य
3. व्यवहारों तथा गतिविधियों पर नियन्त्रण
4. आदतों तथा विचारधाराओं का निर्माण
5. रीति – रिवाजों , मान्यताओं तथा संस्कृति का निर्माण
6. शिक्षा विषयी कार्य एवं महत्त्व
7. व्यावसायिक विकास का कार्य एवं महत्त्व
प्रश्न ii ( b ) लैंगिकता हेतु शिक्षा में समुदाय की भूमिका । उत्तर –
1 . स्त्रियों की उन्नति हेतु प्रयास
2. सामाजिक बुराइयों का अन्त
3. जागरूकता
4 : शिक्षा का प्रसार
5. स्त्री – शिक्षा का प्रसार
6. स्त्रियों की शैक्षिक उन्नति हेतु विशेष प्रबन्ध
7. व्यावसायिक शिक्षा पर बल
प्रश्न ii ( c ) माध्यमिक शिक्षा आयोग ( 1952-53 ) | उत्तर- माध्यमिक शिक्षा आयोग के अध्यक्ष डॉ . दौलतचन्द कोठारी थे , जिनके नाम पर इस आयोग को ‘ कोठारी आयोग ‘ के नाम से भी जाना जाता है । आयोग ने स्त्रियों की औपचारिक शिक्षा की उन्नति हेतु सुझाव निम्न प्रकार दिये ( i ) बालिकाओं के लिए गृहविज्ञान के शिक्षण की अनिवार्य रूप से व्यवस्था । ( ii ) माँग के अनुरूप बालिकाओं हेतु पृथक् विद्यालयों की स्थापना । ( ii ) बालिकाओं तथा अध्यापिकाओं की विशिष्ट आवश्यकताओं की सन्तुष्टि हेतु सह – शिक्षा संस्थाओं में सुनिश्चित स्थितियों के निर्माण विषयी सुझाव ।
प्रश्न ii ( d ) सह – शिक्षा की क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर-
( 1 ) यह शिक्षा में समानता की प्रतीक है ।
( 2 ) यह मानवीय गुणों को बालक एवं बालिकाओं में उत्पन्न करती है ।
( 3 ) यह प्रमुख मानवीय व्यवहार को परिवर्तित करने में सहायक है ।
( 4 ) यह पूर्ण विकास में सहायक है ।
( 5 ) संसार में स्त्री – पुरुषों को परस्पर कन्धे से कन्धा मिलाकर आगे बढ़ने में मदद करती है ।
( 6 ) बालक एवं बालिकाएँ एक – दूसरे को प्रभावित करने के लिए अच्छे से अच्छा प्रदर्शित करते हैं ।
( 7 ) महिला अध्यापकों की कमी को दूर करने में सहायक है ।
प्रश्न ii ( e ) लिंग असमानता की चुनौती एवं जाति ।
उत्तर- लिंग असमानता की दृष्टि से जाति की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है । इस क्षेत्र में यदि देखा जाए तो सभी जातियों में लिंग असमानता व्याप्त है , परन्तु उच्च जातियों में अधिक दहेज प्रथा होने के कारण तथा दूसरा विवाह निषिद्ध मानने के कारण लिंग असमानता अधिक पायी जाती है । इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि निम्न वर्ग की महिलाएं प्रारम्भ से ही किसी – न – किसी कार्य से जुड़ी होती हैं । वे असंगठित वर्ग में अधिक कार्य करती हैं । यद्यपि शैक्षिक स्तर उनका कम होता है परन्तु श्रमिक वर्ग के रूप में वे कार्यरत रहती हैं । घरेलू नौकरों के रूप में , विभिन्न कारखानों में श्रमिक वर्ग के रूप में छोटे – छोटे हस्त उद्योगों के रूप में वे कार्य से जुड़ी रहती हैं । इसके अतिरिक्त वे पुनर्विवाह भी सरलता से कर लेती हैं क्योंकि उनकी जातियों में इस बात को सम्मान से नहीं जोड़ा जाता है । उच्च जातियों में ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य तथा कायस्थों आदि में पुनर्विवाह कम देखे जाते हैं । क्षत्रिय समाजों में तो इसे बहुत अधिक सम्मान से जोड़ लिया जाता है । क्षत्रिय समाजों में अधिक भ्रूण हत्याएँ भी होती हैं । क्षत्रिय पुरुष अपने को शक्ति का प्रतीक मानते हैं वे अपने आपको राजाओं का ५ वंशज मानते है । वहाँ महिला लिंग से अधिक भेद व्याप्त है ।
प्रश्न ii ( 1 ) लिंग असमानता की चुनौती में धर्म की भूमिका ।
उत्तर- लिंग असमानता की चुनौती में धर्म की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है । हिन्दू , मुस्लिम , सिख और ईसाई चार प्रमुख धर्म हैं । जिसमें हिन्दू और मुस्लिम धर्म में लिंग असमानता पूर्णतया व्याप्त है । हिन्दुओं में विवाह को एक धार्मिक बन्धन माना जाता है जबकि मुस्लिमों में समझौता । हिन्दुओं में दहेज प्रथा , सती प्रथा , बाल विवाह जैसी कुरीतियाँ सदियों से व्याप्त रही हैं । मुस्लिम समुदाय में भी हिन्दुओं की भाँति बाल विवाह तथा दहेज प्रथा का प्रचलन शुरू हो गया है । हिन्दू तथा मुस्लिम दोनों ही धर्मों में महिलाओं को दोयम दर्जे पर रखा जाता है । परिवार तथा समाज में पुरुषों को विशेष महत्त्व दिया जाता है । ईसाई समुदाय में महिलाओं को लिंग असमानता का सामना कम करना पड़ता है । ईसाइयों में महिलाओं को जीवन साथी चुनने की भी स्वतन्त्रता प्राप्त है । सिख महिलाओं में भी महिलाओं को स्वतन्त्रता प्राप्त होती है । लिंग असमानता की दृष्टि से ईसाइयों और सिखों में स्थिति हिन्दुओं और मुस्लिमों की तुलना में अच्छी है । पितृसत्तात्मक सत्ता सभी समाजों में पायी जाती है ।
प्रश्न i ( g ) लिंग असमानता की चुनौती में संस्कृति की भूमिका ।
उत्तर- लिंग असमानता की चुनौतियों में संस्कृति की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है । संस्कृति की दृष्टि से देखा जाए तो अनुसूचित जाति में सवर्णों की अपेक्षा कम लिंग असमानता व्याप्त है । लिंग असमानताओं का सामना अनुसूचित जनजातियों को भी करना पड़ता है , वैसे तो इन जनजातियों में लिंग असमानता नहीं है , परन्तु अच्छे जीवन के प्रति जब जनजातीय महिलाएँ आकर्षित हो जाती हैं और किसी सभ्य कहे जाने वाले पुरुष या अधिकारी के मोहजाल में फँस जाती हैं तो इनका इनके समाज से बहिष्कार कर दिया जाता है । तब इनके पास वेश्यावृत्ति के अतिरिक्त अन्य कोई चारा नहीं होता है । सभ्य समाजों में यह रखैल के रूप में बच्चों को जन्म देती हैं तो इनके समाज में इनका पुनर्वास और भी कठिन हो जाता है । शहरी संस्कृति की अपेक्षा ग्रामीण संस्कृति में भी लिंग असमानता तथा रूढ़ियाँ अधिक पायी जाती हैं ।
प्रश्न ii ( h ) लिंग असमानता की चुनौती में जनसंचार एवं प्रसिद्ध संस्कृति की भूमिका ।
उत्तर- लिग असमानता की चुनौती में जनसंचार एवं प्रसिद्ध संस्कृति का विशेष महत्त्व है । जनसंचार माध्यम यदि महिलाओं की वास्तविक स्थिति को व्यक्त करें तथा महिलाओं की सकारात्मक छवि को प्रस्तुत करें तो लिंग असमानता को कम किया जा सकता है । वर्तमान समय में महिलाओं सम्बन्धी अपराधों में जनसंचार साधन भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं । इण्टरनेट तथा मोबाइल के माध्यम से महिलाओं की अश्लील फिल्में बनाई जा रही हैं तथा उन्हें ब्लैकमेल करके महिलाओं का शोषण किया जा रहा है । मीडिया द्वारा महिलाओं की अर्द्धनग्न तस्वीरें छापी जा रही हैं । इस प्रकार महिला सम्बन्धी शोषण तथा अत्याचार की पृष्ठभूमि तैयार हो जाती है ।
प्रश्न ( ) जननीय तकनीक को स्पष्ट करें ।
उत्तर – जननीय तकनीक के केन्द्र में महिलाएं हैं , क्योंकि नौ माह तक शिशु को गर्भ में रखकर अपने रक्त और मांस से नए जीव के निर्माण में स्त्रियाँ ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं । माँ के बिना शिशु को जीवित रख पाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है ।
प्रश्न ii ( 5 ) वर्ग को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर – वर्ग से तात्पर्य ऐसी सामाजिक संरचना की व्यवस्था से है जो लोगों की साम्यता को प्रदर्शित करती है । वर्ग के चार प्रमुख आधार हैं
( i ) आर्थिक आधार ,
( ii ) व्यापार या कार्य सम्बन्धी आधार ,
( iii ) आयु के आधार पर ,
( iv ) शिक्षा के आधार पर ।
प्रश्न i ( k ) अनौपचारिक शिक्षा की चार विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर- ( i ) सहज तथा स्वाभाविक रूप से व्यक्ति के विचारों तथा व्यवहारों में परिवर्तन ।
( ii ) क्षेत्र अत्यधिक व्यापक होता है ।
( iii ) शिक्षा हेतु निश्चित समय व स्थान नहीं रहता है ।
( iv ) व्यावहारिक तथा जीवनोपयोगी ज्ञान प्रदान करना ।
प्रश्न 1 लैंगिक समानता का क्या आशय है ?
उत्तर – स्त्री – पुरुष समानता किसी समाज की वह स्थिति है जिसमें संसाधनों एवं अवसरों की उपलब्धता की दृष्टि से स्त्री और पुरुष में कोई भेदभाव नहीं किया जाता । समाज में स्त्री हो या पुरुष सभी को आर्थिक भागीदारी एवं निर्णय प्रक्रिया में समान रूप से देखा जाता
प्रश्न – ( a ) लिंग असमानता की चुनौती में कानून एवं राज्य की भूमिका ।
उत्तर- लिंग असमानता की चुनौतियों में कानून तथा राज्य की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है । यद्यपि कानून एवं राज्य लिंग असमानता को कम करने के लिए संविधान के प्रति प्रतिबद्ध होते हैं । यदि कानून लिंग असमानता में संलग्न लोगों के खिलाफ तत्काल प्रभावी कार्यवाही करता है और दोषियों को तत्काल सजा देता है उस राज्य में लिंग असमानता कम होती है । जिन राज्यों में अशिक्षित जनसंख्या अधिक होती है , उन राज्यों में कानूनी व्यवस्था भी उचित प्रकार से कार्य नहीं कर पाती है और वहाँ पर लिंग असमानता अधिक व्याप्त हो जाती है । इसके विपरीत जिन राज्यों में शिक्षा का प्रचार – प्रसार अधिक होता है वहाँ कानून व्यवस्था भी सुदृढ़ होती है और वहाँ लिंग असमानता कम पायी जाती है ।
प्रश्न – ( b ) अनौपचारिक शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्त्व ।
उत्तर- 1. अनौपचारिक शिक्षा का विषय – क्षेत्र मानव का सम्पूर्ण जीवन और समाज तथा विश्व की समस्त क्रियायें हैं ।
2- अनौपचारिक शिक्षा सामाजिक सहयोग तथा अनुकूलन हेतु अत्यावश्यक है ।
3. अनौपचारिक शिक्षा के द्वारा व्यावहारिक और वास्तविक ज्ञान प्राप्त होता है ।
4. अनौपचारिक शिक्षा के द्वारा बालकों को सहज वातावरण में सीखने के अवसर प्राप्त होते हैं ।
5. अनौपचारिक शिक्षा व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में सहायक है ।
6. अनौपचारिक शिक्षा के द्वारा बालक सभी से मिल – जुलकर रहना सीखते हैं ।
7. उत्तरदायित्व की भावना का विकास होता है ।
प्रश्न iii ( c ) दूरस्थ शिक्षा की विशेषताएँ ।
उत्तर- दूरस्थ शिक्षा की विशेषताएँ निम्नवत् दृष्टिगोचर होती हैं ।
1. यह लचीली , मितव्ययी , सरल एवं नवीन प्रणाली है ।
2. शिक्षक तथा शिक्षार्थी के मध्य दूरी होती है ।
3. समय बाध्यता नहीं होती है ।
4. आयु – सीमा नहीं होती है ।
5. छात्रों को अपनी रुचि व इच्छानुरूप अध्ययन के विकल्प प्रदान करती है।
6. संचार के नवीनतम साधनों का प्रयोग किया जाता है जिससे शिक्षक तथा शिक्षार्थी के मध्य सम्बन्ध स्थापित किया जा सके ।
7. स्वाध्याय पर बल ।
प्रश्न ii ( d ) दूरस्थ शिक्षण के उद्देश्य ।
उत्तर- दूरस्थ शिक्षा के शैक्षणिक उद्देश्य निम्नवत् हैं।
1. समाज तथा राष्ट्र की शैक्षिक माँग की पूर्ति ।
2. सबको शिक्षा प्राप्ति के अवसरों की उपलब्धता हेतु ।
3. व्यक्ति , समाज तथा राष्ट्र की उन्नति में योगदान देना ।
4. व्यक्ति के जीवन को उन्नत तथा प्रगतिशील बनाना ।
5. दुर्गम तथा दूरस्थ क्षेत्रों के छात्रों को भी शिक्षा प्रदान कराना ।
6. कार्यरत व्यक्तियों , गृहणियों तथा शिक्षा बाधित व्यक्तियों को भी शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराना ।
7. औपचारिक शिक्षण संस्था के दबाव में कमी करना ।
प्रश्न iii ( e ) पत्राचार शिक्षा ।
उत्तर- वर्तमान में दूरस्थ शिक्षा के ही अन्तर्गत पत्राचार शिक्षा को समाहित कर लिया गया है और इसका प्रत्यय पत्राचार शिक्षा से नवीन और विस्तृत है । पहले पत्राचार शिक्षा का ही प्रचलन था जिसमें केवल मुद्रित सामग्री का ही प्रयोग डाक द्वारा प्रेषित करने का प्रचलन था , परन्तु आज दूरस्थ प्रणाली में सभी आधुनिक संचार साधनों का प्रयोग शिक्षा को उपयोगी बनाने हेतु किया जा रहा है । पत्राचार शिक्षा द्वारा परम्परागत विषयों का ही शिक्षण प्रदान किया जाता है जबकि दूरस्थ शिक्षा प्रणाली सभी नवीनतम पाठ्यक्रमों को छात्रों को पढ़ने का अवसर प्रदान करती है जिसे वे किसी भी कारण से औपचारिक शिक्षा व्यवस्था द्वारा प्राप्त करने में असमर्थ हो गये हैं ।
प्रश्न iii ( 1 ) मुक्त शिक्षा । उत्तर- मुक्त शिक्षा को दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के अंग के रूप में स्वीकार किया गया है , परन्तु
प्रश्न iv ( b ) शिक्षा का अर्थ ।
उत्तर – समस्त परिभाषाओं एवं व्याख्याओं को सम्मिलित करते हुए हम कह सकते हैं कि शिक्षा विकास की वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति जन्म से लेकर परिपक्वता तक अपने जन्मजात गुणों का विकास करके अपने व्यक्तित्व को निखारते हुए भौतिक , मानसिक एवं आध्यात्मिक वातावरण के अनुकूल सामंजस्य स्थापित करते हुए अपने विचारों एवं व्यवहार से समाज के हित में परिवर्तन करता है । टी . रेमण्ट ने ठीक ही कहा है कि “ शिक्षा , मनोविज्ञान में , विकास की वह प्रक्रिया है जो जन्म मृत्यु तक चलती रहती है और इसके द्वारा व्यक्ति विभिन्न प्रकार से सामंजस्य बनाता हुआ भौतिक एवं आध्यात्मिक वातावरण के अनुसार अपने को ढालता है ।
प्रश्न iv ( c ) शिक्षा सम्बन्धी प्रमुख परिभाषाएँ ।
उत्तर- टैगोर के अनुसार , ” शिक्षा का अर्थ मस्तिष्क को इस योग्य बनाना है जिससे वह शाश्वत सत्य की खोज कर सके , उसे अपना सके और उसकी अभिव्यक्ति कर सके । ” अरविन्द के अनुसार , “ शिक्षा का कार्य आत्मा को जो कुछ उसमें है विकसित करने में सहायता देना है । ” एम.के. गाँधी- “ शिक्षा से तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जो बालक एवं मनुष्य के शरीर , आत्मा एवं मन का सर्वोत्कृष्ट विकास कर सके । ”
प्रश्न iv ( d ) अपशिष्ट प्रबन्धन का अर्थ स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर — मनुष्य का अस्तित्व और उसके दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति पर्यावरण के बिना सम्भव नहीं है । पर्यावरण और मनुष्य का सम्बन्ध चिरकाल से चला आ रहा है , किन्तु मानव ने अपनी भौतिक इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए पर्यावरण को प्रदूषित कर दिया है । अब प्रकृति का आवश्यकता से अधिक दोहन तो किया जा रहा है , परन्तु उसे संरक्षित करने के उपाय उस अनुपात में भी नहीं हो रहे हैं । मनुष्य की ‘ उपभोग करो और फेंक दो ‘ की नीति के कारण पर्यावरण के लिए एक चुनौती अपशिष्ट बन गयी है । अपशिष्ट प्रदूषण हमारे घरेलू जीवन और कार्यों में प्रयुक्त किये जाने वाले पदार्थों तथा सामग्रियों के द्वारा भी फैल रहा है ।
प्रश्न iv ( e ) अपशिष्ट प्रबन्धन में महिलाओं की भूमिका । उत्तर –
1 . अपनी रचनात्मकता के द्वारा अपशिष्टों से घरेलू कार्यों को चलाना ।
2. घरेलू अपशिष्टों का निस्तारण समुचित तरीके से करना । 3. ऐसे पदार्थ जो शीघ्रता से विघटनशील नहीं हैं , उनको महिलाएँ प्रयुक्त नहीं करती हैं ।
4. पर्यावरण और स्वास्थ्य रक्षा हेतु पर्यावरण प्रदूषण के तत्त्वों की रोकथाम में सहायता ।
5. महिलाएँ शिक्षित तथा सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पर्यावरण को बचाने के लिए अपशिष्टों के प्रबन्धन पर बल देती हैं ।
प्रश्न iv ( f ) अपशिष्ट प्रबन्धन कार्य में महिलाओं की सक्रिय सहभागिता हेतु सुझाव ।
उत्तर- अपशिष्ट प्रबन्धन आज के युग में अत्यावश्यक हो गया है और इस कार्य में महिलाओं की सक्रिय सहभागिता हेतु कुछ सुझाव निम्न प्रकार हैं अथवा दोनों को पर्यायवाची नहीं कहा जा सकता है , क्योंकि किसी भी प्रकार की शिक्षा व्यवस्था , जिसमें पर्याप्त स्वतन्त्रता हो , किसी भी प्रकार की उपस्थिति और समयबद्धता की बाध्यता से मुक्त हो वह ‘ मुक्त शिक्षा ‘ कहलायेगी । मुक्त शिक्षा समीक्षा के पूरे अवसर उपलब्ध कराती है । मुक्त का अर्थ ही है आजादी अर्थात् छात्रों को न तो आयु , न ही समय और न ही क्षेत्र आदि के बन्धन में बाँधा जाता है । कोई भी व्यक्ति मुक्त शिक्षा की प्राप्ति कर सकता है । मुक्त शिक्षा के अन्तर्गत आधुनिक संचार माध्यमों का प्रयोग करके छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षण प्रदान किया जाता है ।
प्रश्न iii ( g ) मुक्त शिक्षा की विशेषताएँ ।
उत्तर- मुक्त शिक्षा की विशेषताएँ निम्नवत् हैं –
1. समय , आयु तथा क्षेत्रादि की बाध्यता से मुक्त ।
2 . उपस्थिति तथा समयबद्धता से मुक्त ।
3. सामूहिक शिक्षण की अपेक्षा वैयक्तिक शिक्षण को महत्त्व दिया जाता है ।
4. व्यावसायिक तथा सामान्य दोनों ही प्रकार की शिक्षा प्रदान की जाती है ।
5. सभी स्तरों पर यह शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध है ।
6. विषयों के चयन की छूट होती है ।
प्रश्न iii ( h ) विद्यालयीकरण का आशय । विद्यालयीकरण से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- विद्यालयीकरण से तात्पर्य है विद्यालय तक पहुँच । विद्यालय तक पहुँच के लिए सर्व शिक्षा अभियान के द्वारा बल दिया जा रहा है । संविधान के द्वारा 6 से 14 आयु – वर्ग हेतु अनिवार्य तथा सार्वभौमिक शिक्षा की व्यवस्था की गयी है और इस आयु के बालकों को विद्यालय में नामांकित करवाने , उनके विद्यालयीकरण को सुनिश्चित कराने हेतु विविध प्रकार के प्रयास किये जा रहे हैं । विद्यालयीकरण को तभी सुनिश्चित किया जा सकता है जब विद्यालयीय संगठन समुचित हो । विद्यालय कोई ईंट – पत्थर से बनी इमारत मात्र नहीं है , अपितु विद्यालय एक सुसंगठित व्यवस्था का नाम है , जहाँ पूर्व निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु कुछ निश्चित नियम , समय – सारणी तथा शिक्षित करने हेतु प्रशिक्षित अध्यापक , मूल्यांकन की निश्चित विधियाँ तथा अनुशासन इत्यादि होते हैं इसके बिना विद्यालय अपूर्ण हो जायेगा । इस प्रकार विद्यालयीकरण के आयोजन से तात्पर्य है विद्यालय को इस प्रकार संगठित और सुनियोजित करना जिससे विद्यालय में छात्र – छात्राओं की उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके ।
प्रश्न iv ( a ) विद्यालयीकरण के आयोजन के प्रमुख बिन्दु दीजिए ।
उत्तर –
1 . विद्यालयीकरण के लिए ग्रामीण तथा दूरदराज के क्षेत्रों में जागरूक अभियान चलाया जाना चाहिए ।
2. पाठ्यक्रम में निहित दोषों को दूर किया जाना चाहिए ।
3. शिक्षा को सैद्धान्तिक की अपेक्षा रोजगारोन्मुखी तथा व्यावसायिक बनाया जाना चाहिए ।
4. सामाजिक सहयोग प्राप्त करने चाहिए ।
5. बालिकाओं , पिछड़े तबके के बालकों तथा चुनौतीपूर्ण बालकों का विशेष ध्यान रखना चाहिए ।
6. पाठ्यक्रम निर्माण में व्यक्तिगत विभिन्नता पर बल दिया जाना चाहिए ।
7. विद्यालयीकरण के आयोजन की प्रभाविता तभी होगी जब सुप्रशिक्षित शिक्षक इस क्षेत्र में आयेंगे , अतः शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सुधार कर समयानुकूल बनाया जाना चाहिए ।
महिलाओं को अपशिष्ट प्रबन्धन के सरल तरीकों से अवगत कराना तथा प्रशिक्षित करना । 2. अपशिष्ट से होने वाले दुष्प्रभावों तथा पहचान हेतु प्रशिक्षण प्रदान करना । 3. पाठ्यक्रम में अपशिष्ट प्रबन्धन को वैकल्पिक तथा अनिवार्य दोनों ही प्रकार से स्थान प्रदान करना । 4. महिला समूहों को इस हेतु तैयार करना ।
प्रश्न iv ( g ) पर्यावरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- इस प्रकार Environment ‘ का अर्थ है ‘ चारों ओर से घेरना ‘ । यह शब्द Envelop ‘ का भी पर्याय है जिसका अभिप्राय है— Toral set of surrounding ‘ | कुछ पर्यायवरणविदों द्वारा ‘ Environment ‘ शब्द की अपेक्षा ‘ Habitat ( प्राकृतिक वास ) और Milien ‘ शब्द प्रयुक्त किया गया है , जिसका अभिप्राय ‘ परिस्थिति या परिवृत्ति ‘ है । वस्तुतः पर्यावरण जीवधारियों के चारों ओर पाये जाने वाले समस्त जैविक तथा अजैविक पदार्थ एवं परिस्थितियाँ हैं । पृथ्वी के चारों ओर से ढकने वाले पदार्थों में भौतिक तथा जैविक दोनों प्रकार के तत्त्व पाये जाते हैं और ये दोनों ही तत्त्व परिवर्तनशील हैं , जिससे हमारे पर्यावरण में अनेक प्रकार की गतिविधियाँ घटित होती हैं ।
प्रश्न iv ( h ) पर्यावरण की परिभाषा दीजिए ।
उत्तर — विश्व शब्दकोश के अनुसार- ” पर्यावरण उन सभी दशाओं , शक्तियों एवं प्रभावों का योग है जो जीवों के विकास , जीवन एवं मृत्यु को प्रभावित करता है । ” ए.जी. टेंसले के शब्दों में- “ ऐसा प्रबन्ध जिसमें जैविक तथा अजैविक कारकों का योग पाया जाता है , पर्यावरण कहलाता है । ” एनास्तसी के शब्दों में- “ भौगोलिक पर्यावरण का तात्पर्य उन सभी प्राकृतिक दशाओं और घटनाओं से है जिनका अस्तित्व मनुष्य के कार्यों से स्वतन्त्र है , जो मानव द्वारा निर्मित नहीं हैं , जो मनुष्य के कार्यों तथा अस्तित्व से प्रभावित हुए बिना स्वयं ही परिवर्तित होती रहती हैं । ”
प्रश्न ( a ) पर्यावरण शिक्षा के सामान्य उद्देश्य बताइए ।
उत्तर- ( i ) आदर्श तथा राष्ट्रीयता की भावना से ओत – प्रोत नागरिकता का विकास करना । ( ii ) पर्यावरण संरक्षण हेतु अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना का विकास करना । ( iii ) राष्ट्रीय सम्पत्ति के प्रति निष्ठा का भाव रखना । ( iv ) शान्ति एवं भ्रातृत्व की भावना का विकास । ( v ) संस्कृति के प्रति श्रद्धा भाव उत्पन्न करना । ( vi ) पर्यावरण सुरक्षा के पीछे निहित आध्यात्मिक दृष्टिकोण को पुष्ट करना । ( vii ) पर्यावरण हेतु किये जाने वाले दैनिक क्रियाकलापों तथा पूजा इत्यादि में निहित वैज्ञानिकतापूर्ण दृष्टिकोण का विकास करना ।
प्रश्न ( b ) पर्यावरण शिक्षा हेतु विशिष्ट उद्देश्य ।
उत्तर- ( i ) मरुस्थलीकरण , ग्रीन हाउस प्रभाव , निर्वनीकरण , ओजोन परत का क्षय इत्यादि हो रहा है , इसकी रोकथाम के लिए जागरूकता लाना । ( ii ) पेड़ लगाने तथा हरियाली को बचाने हेतु एकजुटता का उद्देश्य । (iii ) परिवहन के साधनों , ध्वनि , जल , वायु , रेडियोएक्टिव इत्यादि प्रदूषण के विषय में अवगत कराकर इसकी रोकथाम हेतु जागरूकता लाना । अवगत कराना ( iv ) प्लास्टिक की थैलियों , अपघटित नहीं होने वाले पदार्थों से उत्पन्न खतरों और उनके न्यूनतम प्रयोग हेतु प्रोत्साहन । ( v ) पर्यावरण प्रदूषण तथा असन्तुलन के कारण होने वाली बीमारियाँ और उनसे बचाव से अवगत कराना ।
प्रश्न ( c ) पर्यावरण शिक्षा के ज्ञानात्मक उद्देश्य ।
उत्तर -1 . बढ़ती जनसंख्या तथा उसके दुष्परिणामों का बोध । 2. संसाधनों के अनियंत्रित दोहन का ज्ञान । 3. विविध पोषक स्तरों तथा उनके मध्य अन्तर्सम्बन्धों का अवबोध । 4. जैविक तथा अजैविक घटकों का अवबोध कराना । 5. पर्यावरणीय संकट व पर्यावरणीय प्रदूषण को दूर करने वाली विधियों का ज्ञान कराना ।
प्रश्न ( d ) पर्यावरण शिक्षा के भावात्मक उद्देश्य ।
उत्तर -1 . विभिन्न धर्मों , जातियों तथा संस्कृतियों के प्रति संवेगात्मक दृष्टिकोण विकसित करना । 2. पर्यावरणीय घटकों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण का विकास । 3. पर्यावरणीय समस्या – समाधान के प्रति जनमत का विकास करना । 4. मानवीय व्यवहारों , जैसे- समानता , न्यायप्रियता , सत्यता आदि के मूल्यात्मक पहलू का विकास करना । 5. पर्यावरण के प्रति संचेतना तथा वैज्ञानिकतापूर्ण सोच का विकास ।
प्रश्न v ( e ) पर्यावरण शिक्षा के क्रियात्मक उद्देश्य ।
उत्तर -1 . स्वच्छता से सम्बन्धित कार्यक्रमों में भाग लेना । 2. पर्यावरण के क्षेत्र में लेखन – सम्बन्धी कौशलों का विकास । 3. नगरीय एवं ग्रामीण नियोजन में भाग लेना । 4. पर्यावरण खेलों के माध्यम से जागरूकता उत्पन्न करना । 5. खाद्य पदार्थों की मिलावट को दूर करने वाले कार्यक्रमों में भाग लेना ।
प्रश्न ( 1 ) स्वतंत्र भारत में स्त्रियों की सुरक्षा के लिए किए गये प्रमुख प्रयास ।
उत्तर -1 . महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है जिससे वे अपने अधिकारों को समझ सकें तथा अधिकारों को प्राप्त कर उनका सदुपयोग कर सके । 2. महिलाओं की विविध स्तरों पर शिक्षा हेतु प्रयास । 3. निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा विषयी प्रावधान । 4. प्रौढ़ शिक्षा की व्यवस्था । 5. शिक्षा को व्यावसायिक तथा उपयोगी बनाकर ।
प्रश्न ( g ) महिला अधिकारों की सुरक्षा के लिए किये जाने वाले प्रयास ।
उत्तर -1 . विद्यालयों में महिलाओं के अधिकारों तथा कानूनों को पाठ्यचर्या में सम्मिलित कर इसके प्रति बालक तथा बालिका दोनों में समुचित दृष्टिकोण उत्पन्न किया जा सकता 2. महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए महिलाओं को प्रत्येक कार्य में अग्रणी भूमिका निभाने के अवसर प्रदान किये जाने चाहिए । 3. समाज को तथा अग्रणी व्यक्तियों को महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के कार्य हेतु प्रेरित करना चाहिए और सम्मानित किया जाना चाहिए । 4. महिलाओं में जागरूकता का प्रचार – प्रसार करना । 5. जागरूकता कार्यक्रमों को स्थानीय भाषाओं में लोगों तक पहुँचाना ।
प्रश्न v ( h ) बौद्ध काल में महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा ।
उत्तर- बौद्ध काल में महिलाओं के अधिकार वैदिक काल की भाँति नहीं रह गये और उनको जो अधिकार प्राप्त भी थे वे शिक्षा के अभाव में पूर्ण नहीं किये जा सके , न ही स्त्रियों में अपने अधिकारों की प्राप्ति के लिए जागरूकता ही थी । बाल – विवाह इत्यादि कुप्रथाओं का चलन हो गया था , जिससे स्त्रियों की स्थिति निरन्तर निम्न होती जा रही थी । बौद्ध काल की अनुपम देन यह रही कि इस समय जैन तथा बौद्ध दो धर्मों का उदय हुआ और इन दोनों ही धर्मों ने वर्षों से शोषण के शिकार वर्गों तथा व्यक्तियों के उत्थान के लिए शिक्षाएँ दीं । इन शिक्षाओं से स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए भी जागृति आयी । इस प्रकार इस काल में जैन तथा बौद्ध धर्म की शिक्षाओं के द्वारा महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा हेतु प्रयास किये गये ।
प्रश्न vi ( a ) जननीय तकनीक का महत्त्व ।
उत्तर-
( 1 ) सृष्टि के संचालन हेतु ।
( 2 ) लोकतंत्र की सफलता के लिए ।
( 3 ) सहयोग की सफलता के लिए ।
( 4 ) व्यक्तिगत उन्नति को लेकर राष्ट्रीय समृद्धि हेतु ।
( 5 ) सांस्कृतिक संरक्षण तथा हस्तांतरण हेतु ।
प्रश्न vi ( b ) जननीय तकनीक के अन्तर्गत महिलाओं को प्राप्त अधिकार ।
उत्तर -1 . विवाह करने की स्वतंत्रता ।
2. अपनी संतान को गरिमामयी जीवन तथा शिक्षा प्रदान करने का अधिकार ।
3. जबरन बनाए जाने वाले यौन सम्बन्धों से बचने की स्वतंत्रता ।
4.संतानोत्पत्ति की स्वतंत्रता तथा मातृत्व सुख प्राप्त करने की स्वतंत्रता ।
5. मनपसन्द जीवन – साथी के चुनाव की स्वतंत्रता ।
प्रश्न vi ( e ) समाजवादी नारीवादियों द्वारा नारियों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए सुझाव ।
उत्तर- ( 1 ) नारियों को आर्थिक अधिकार प्रदान करना ।
( 2 ) अनिवार्य और सार्वभौमिक शिक्षा के संकल्प को पूर्ण करना ।
( 3 ) नारियों को सामाजिक क्रियाकलापों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना ।
( 4 ) नारियों को मुख्य धारा में लाने के लिए उन्हें जागरूक किया जा रहा है ।
( 5 ) बाल – विवाह , पर्दा प्रथा , दहेज प्रथा , कन्या भ्रूण हत्या तथा कन्या शिशु हत्या के विरुद्ध जागरूकता पैदा करना ।
प्रश्न vi ( d ) चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता की शिक्षा हेतु किये जाने वाले प्रयास ।
उत्तर- ( i ) गर्भवती पर पुत्र जन्म को लेकर दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए । ( ii ) परंपरा एवं मान्यताओं के चलते लड़के – लड़की में किसी प्रकार का विभेद नहीं किया जाना चाहिए । ( iii ) परिवार में लिंगीय अपमान सूचक शब्दावली तथा व्यवहार का प्रयोग नहीं होना चाहिए , नहीं तो बच्चे भी इनका अनुकरण करेंगे । ( iv ) . बालिकाओं के विद्यालयीकरण तथा समाजीकरण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ।
प्रश्न vi ( e ) चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता की शिक्षा में परिवार की प्रभाविता हेतु सुझाव ।
उत्तर- ( i ) परिवार को चाहिए कि वह सामाजिक कुरीतियों का निर्भय होकर विरोध करे । ( ii ) परिवार और पारिवारिक सदस्यों को घर ही नहीं , बाहर भी बालिकाओं और स्त्रियों के लिए आदर और सम्मान का भाव रखना चाहिए । ( ii ) परिवार में बालक – बालिकाएँ सभी को आत्म – प्रकाशन के पर्याप्त अवसर प्रदान किए जाने चाहिए । इससे लिंगीय समानता आती है । ( iv ) परिवार को बालिकाओं के स्वतंत्र अस्तित्व और निर्णयन का सम्मान करना चाहिए ।
प्रश्न vi ( 1 ) सामाजिक संरचना में लिंग की भूमिका ।
उत्तर- ( 1 ) लिंग भारतीय समाज की संरचना का आधार तत्त्व है । ( ii ) लिंग के आधार पर ही सामाजिक रचना में पुरुषों की प्रधानता रही है । ( iii ) लिंग के आधार पर ही समाज के दायित्वों तथा पारिवारिक कर्तव्यों का विभाजन किया गया है । ( iv ) लिंग सामाजिक संरचना में कार्यों , उत्तरदायित्वों तथा अधिकारों को प्रभावित करता है । ( v ) लिंग सामाजिक संरचना में रूढ़िवादी विचारों और प्रगतिशील विचारों के लिए उत्तरदायी है ।
प्रश्न vi ( g ) भारतीय जनसंचार संस्थान ।
उत्तर- इस संस्थान की स्थापना 17 अगस्त , 1965 को समिति पंजीकरण अधिनियम , 1860 के अंतर्गत की गयी जिसे संचार शिक्षण , प्रशिक्षण तथा अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्ट केन्द्र के रूप में जाना जाता है ।
प्रश्न vi ( h ) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ।
उत्तर- नवीन तकनीकी के परिणामस्वरूप नए – नए यंत्रों का आविष्कार हुआ , जिससे संचार साधनों में क्रान्ति आयी । इन साधनों से हजारों किमी दूर बैठे लाखों की संख्या में व्यक्तियों तक सूचना तथा ज्ञान का आदान – प्रदान अत्यन्त सरलता से किया जा सकता है— इलेक्ट्रानिक मीडिया के अंतर्गत रेडियो , टेलीफोन , फैक्स , इण्टरनेट इत्यादि साधन आते हैं ।
प्रश्न vii ( a ) लैंगिक भेदभाव के संदर्भ में जाति की भूमिका ।
उत्तर- ( i ) जातिगत आरक्षणों का लाभ महिलाओं तक पहुँचाया जाए जिससे उनकी स्थिति में सुधार हो सके । ( ii ) बालिका शिक्षा तथा बालिकाओं के प्रति सकारात्मक सोच का विकास । ( iii ) बालिकाओं को सुरक्षात्मक वातावरण प्रदान करना । ( iv ) सभी जाति की महिलाओं का आदर करना । ( v ) महिलाओं को व्यापार तथा रोजगार और श्रम में सहभागी बनाकर उनको पुरुषों के समकक्ष लाना ।
प्रश्न vii ( b ) शिक्षा के औपचारिक अभिकरणों की विशेषताएँ ।
उत्तर- औपचारिक अभिकरणों की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं ( i ) पूर्व निर्दिष्ट उद्देश्य होते हैं । ( ii ) नियंत्रित वातावरण होता है । ( ii ) अनुशासन तथा दण्ड और पुरस्कार की व्यवस्था होती है । ( iv ) प्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा यह कार्य होता है । ( v ) बालकों के आचरण में जानबूझकर परिवर्तन किया जाता है ।
प्रश्न vii ( c ) विद्यालय की परिभाषा दीजिए ।
उत्तर- जॉन डीवी के अनुसार , “ विद्यालय एक ऐसा विशिष्ट वातावरण है , जहाँ बालक के वांछित विकास की दृष्टि से उसे विशिष्ट क्रियाओं तथा व्यवसायों की शिक्षा की जाती है । ” जे.एस. रॉस के अनुसार , “ विद्यालय वे संस्थाएँ हैं , जिनको सभ्य मानव ने इस दृष्टि से स्थापित किया है कि समाज में सुव्यवस्थित तथा योग्य सदस्यता के लिए बालकों की तैयारी में सहायता मिले । “
प्रश्न vii ( d ) राष्ट्रीय स्त्री – शिक्षा समिति ( 1958-59 ) । उत्तर- सन् 1958 में श्रीमती दुर्गाबाई देशमुख की अध्यक्षता में भारत सरकार द्वारा ‘ राष्ट्रीय स्त्री – शिक्षा समिति ‘ का गठन किया गया । समिति ने अपना प्रतिवेदन 1959 में प्रस्तुत किया । समिति ने स्त्री – पुरुषों की शिक्षा में व्याप्त असमानता को समाप्त करने , राष्ट्रीय नारी – शिक्षा परिषद् की स्थापना करने जैसे अनेक बहुमूल्य सुझाव दिए ।
प्रश्न vii ( e ) श्रीमती हंसा मेहता समिति ( 1962 ) । उत्तर- शिक्षा के सभी स्तरों पर बालिकाओं हेतु पाठ्यक्रमों का परीक्षण के बाद राष्ट्रीय नारी शिक्षा परिषद् – श्रीमती हंसा मेहता समिति की नियुक्ति की गयी तथा समिति ने स्त्री शिक्षा के उन्नयन हेतु सुझाव दिए । समिति के अनुसार , बालकों तथा बालिकाओं हेतु पाठ्यक्रम अलग – अलग नहीं होना चाहिए । प्राथमिक विद्यालयों में बालक – बालिकाओं हेतु कार्य – विभाजन समान रूप से किया जाना चाहिए । ग
प्रश्न vii ( 1 ) विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग ( 1948-49 ) । उत्तर- विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग को डॉ . राधाकृष्णन आयोग के नाम से भी जाना जाता न त 20 । वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय है । यह स्वतंत्र भारत में गठित प्रथम आयोग था । इस आयोग के अनुसार , बालिकाओं हेतु शिक्षा के अवसरों में वृद्धि की जानी चाहिए , सह शिक्षा संस्थाओं में पुरुषों के शिष्टाचार तथा सामाजिक दायित्व पर बल प्रदान किया जाना चाहिए ।
प्रश्न vil ( g ) राष्ट्रीय स्त्री – शिक्षा परिषद् ( 1964 ) ।
उत्तर- केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 1964 में ‘ राष्ट्रीय स्त्री – शिक्षा परिषद् ‘ की स्थापना की गयी । समय – समय पर प्राप्त उपलब्धियों के मूल्यांकन का सुझाव देना तथा उनके कार्यान्वयन की प्रगति की देखभाल करना , स्त्री – शिक्षा से सम्बन्धित समस्याओं के विशिष्ट आँकड़े एकत्रित करने का सुझाव देना , स्त्री – शिक्षा के सम्बन्ध में जनता को सुशिक्षित करने के उपाय बताना , बालिकाओं तथा स्त्रियों की शिक्षा में सर्वोत्तम ऐच्छिक प्रथाओं के प्रयोग के साधन बनाना इस परिषद् के प्रमुख कार्य हैं ।
प्रश्न vii ( h ) भक्तवत्सलम समिति ( 1963 ) । – राष्ट्रीय स्त्री शिक्षा परिषद् द्वारा मई , 1963 में मद्रास के तत्कालीन मुख्यमंत्री भक्तवत्सलम की अध्यक्षता में एक कमेटी की नियुक्ति की गयी जिसका उद्देश्य बालिकाओं की शिक्षा के लिए जनता के समर्थन के अभाव के कारणों को विशेषतः गाँवों में खोजना तथा सार्वजनिक सहयोग को प्राप्त करने के उपाय बताना था ।
प्रश्न vili ( a ) कोठारी आयोग ( 1964-66 ) ।
उत्तर- कोठारी आयोग को शिक्षा आयोग के नाम से भी जाना जाता है । इस आयोग के अध्यक्ष दौलतराम कोठारी थे । इस आयोग ने पुरुषों तथा स्त्रियों की शिक्षा में व्याप्त असमानता को दूर करने , स्त्री शिक्षा के विकास हेतु विशिष्ट प्रणालियों का निर्माण करने , स्त्री शिक्षा की गति में तीव्रता लाने के प्रयास सम्बन्धी सुझाव दिया था ।
प्रश्न vili ( b ) राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना ( 2005 ) ।
उत्तर- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् की कार्यकारिणी ने 14 तथा 19 जुलाई , 2004 की बैठक में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या को संशोधित करने का निर्णय लिया । इसने स्त्री शिक्षा की उन्नति के लिए निम्न सुझाव दिए– ( i ) सामाजिक न्याय तथा समानता के संवैधानिक मूल्यों पर आधारित शिक्षण व्यवस्था , ( ii ) शिक्षा के बोझ को कम करके उसे आकर्षक बनाना , ( iii ) विद्यालयी व्यवस्था में लचीलेपन का समावेश , ( iv ) नागरिक समूहों में सहभागिता एवं सहयोग , ( v ) कक्षीय गतिविधियों को व्यावहारिक जीवन से जोड़ना ।
प्रश्न viii ( c ) महिलाओं की औपचारिक शिक्षा को प्रभावित करने हेतु सुझाव ।
उत्तर- ( 1 ) शिक्षा को जीवनोपयोगी तथा रोजगारपरक बनाकर । ( ii ) लिंग विभेदों के दुष्परिणामों से लोगों को अवगत कराकर । ( iii ) पृथक् बालिका विद्यालयों की स्थापना आवश्यकतानुसार । ( iv ) सह – शिक्षा के प्रति समुचित दृष्टिकोण का विकास । ( v ) छात्रावास तथा आवागमन की सुविधा की व्यवस्था ।
प्रश्न vili ( d ) धर्म की परिभाषा लिखिए ।
उत्तर- ( 1 ) काण्ट के अनुसार , “ धर्म का सार मूल्यों के धारण करने में विश्वास को कहते हैं । “
…….. ( 2 ) एडम्स के अनुसार , “ आकाश गंगा के सृष्टा एवं शासन के प्रति शक्ति और उसके जीवों के प्रति मेरा प्रेम ही मेरा धर्म है । ” ( 3 ) काण्ट के अनुसार , ” धर्म से अभिप्राय है , दैवीय अनुदेशों के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना ।
प्रश्न vili ( e ) धर्म का समन्वयात्मक अर्थ ।
उत्तर- धर्म के समन्वयात्मक स्वरूप का वर्णन विलियम ला ने इस प्रकार किया है । ” समस्त मानवीय आत्माओं के आत्मा द्वारा ईश्वर का साक्षात्कार कर लेना ही मुक्ति वहीं , ईसाई , यहूदी एवं हीपेन्स के लिए तीसरा नहीं है । मानवीय प्रकृति एक है एवं मुक्ति भी एक है और परमात्मा में आत्मा को विलीन करना ही आत्मा की इच्छा है । ”
प्रश्न viii ( ) धर्म का व्यापक अर्थ ।
उत्तर- धर्म जीवन व्यतीत करने की पद्धति है जो व्यक्ति के आचरण और व्यवहार से झलकनी चाहिए । धर्म उत्कृष्ट आदत तथा विचार , जीवन के उन्नत मूल्य , धर्म परमात्मा के मार्ग पर चलने , चराचर प्राणियों के प्रति प्रेम का भाव रखना है । व्यापक अर्थ में सभी मनुष्यों , प्राणियों , जीव जन्तुओं एवं प्रकृति के प्रति सहनशीलता का व्यवहार ही धर्म है ।
प्रश्न -( g ) समुदाय की परिभाषा दीजिए ।
उत्तर- ( i ) ऑगबर्न तथा निमकॉफ के अनुसार , “ किसी सीमित क्षेत्र के अंतर्गत सामाजिक जीवन के सम्पूर्ण संगठन को समुदाय समझा जा सकता है । ” ( ii ) कुक के अनुसार , ” एक भौगोलिक क्षेत्र के अंतर्गत मानवीय सम्बन्धों का एक निश्चित रूप अर्थात् व्यक्ति , संस्कृति एवं भूमि का समन्वित समुदाय है । ” ( iii ) मैकाइवर के अनुसार , “ जब कभी किसी लघु का वृहत् समूह के सदस्य इस प्रकार कहते हैं कि वे एक या दूसरे उद्देश्य में भाग न लेकर जीवन की समस्त भौतिक दशाओं में भाग लेते हैं तब हम ऐसे समूह को समुदाय कहते हैं ।
प्रश्न ix ( a ) युवा समूह ।
उत्तर- युवा समूहों में बालक तथा बालिकाओं के विविध उद्देश्यों , जैसे- जन – जागरूकता , स्वच्छता इत्यादि हेतु कार्य संपन्न किए जाते हैं । युवा समूहों के द्वारा बालिकाओं में धैर्य , स्वावलम्बन , आत्मविश्वास , सहयोग , सद्भावना इत्यादि गुणों का विकास होता है जो वास्तविक जीवन की परिस्थितियों हेतु तैयार करते हैं ।
प्रश्न ix ( b ) अंशीपचारिक शिक्षा की परिभाषा दीजिए । उत्तर- ( i ) ला बेला के अनुसार , “ विशिष्ट लक्षित जनसंख्या के लिए स्कूल से बाहर संगठित कार्यक्रम है अंशौपचारिक शिक्षा । ‘ ( ii ) इलिच तथा प्रेयरे के अनुसार , ” अंशौपचारिक शिक्षा औपचारिक विरोधी है । ” ( iii ) कूम्ब्स और अहमद के अनुसार , “ जनसंख्या में विशेष उप – समूहों वयस्क तथा बालकों को चुना हुआ इस प्रकार का अधिगम प्रदान करने के लिए औपचारिक शिक्षा व्यवस्था के बाहर को भी संगठित , व्यवस्थित शैक्षिक कार्य , अंशौपचारिक शिक्षा है । “
प्रश्न ix ( c ) विद्यालयीकरण के संगठन के प्रमुख बिन्दु । उत्तर- ( i ) पाठ्यक्रम में निहित दोषों को दूर किया जाना चाहिए । ( ii ) शिक्षा को सैद्धान्तिक की अपेक्षा रोजगारोन्मुखी अथवा व्यावसायिक बनाया जाना चाहिए । ( iii ) पाठ्यक्रम निर्माण में व्यक्तिगत विभिन्नता पर बल दिया जाना चाहिए । ( iv ) सामाजिक सहयोग प्राप्त किया जाना चाहिए । ( v ) विद्यालयीकरण के लिए ग्रामीण तथा दूरदराज के क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए ।
प्रश्न ix ( d ) अपशिष्ट प्रबन्धन की परिभाषा ।
उत्तर- ( i ) टेलर के अनुसार , ” प्रबन्धन यह जानने की कला है कि आप क्या करना चाहते हैं और तत्पश्चात् यह सुनिश्चित करना कि वह कार्य सर्वोत्तम एवं मितव्ययितापूर्ण विधि से किया जाता है । ” ( ii ) ग्ल्यूक के अनुसार , “ संस्था के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए मानवीय एवं भौतिक साधनों का प्रभावकारी उपयोग ही प्रबन्धन है । ” ( iii ) हेराल्ड क्रूज के अनुसार , ” औपचारिक रूप से संगठित लोगों के समूहों के साथ उनके माध्यम से कार्य करवाने की कला ही प्रबन्धन है । ”
प्रश्न ix ( e ) अपशिष्टों के कारण बताइए ।
उत्तर- ( i ) उद्योग – धन्धों तथा कारखानों के कारण कच्चा माल तथा निर्माण के पश्चात् अपशिष्टों का जमाव । ( ii ) तकनीकी तथा संचार के कारण गाड़ियाँ , मोबाइल , कम्प्यूटर , लैपटाप इत्यादि का प्रयोग अधिकता से हो रहा है , जिससे अपशिष्ट बढ़ते जा रहे हैं । ( iii ) सुविधाजनक होने के कारण पॉलिथीन जैसी हानिकारक सामग्री का प्रयोग । ( iv ) रोजगार के अवसरों की खोज में ग्रामीण शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं , जिससे शहरों में अपशिष्टों का ढेर एकत्रित हो रहा है ।
प्रश्न ix ( i ) अपशिष्टों के दुष्प्रभाव ।
उत्तर- ( i ) पॉलिथीन के नालियों और सीवर में पहुँचने से जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है , जिससे जलभराव और गन्दगी की स्थिति उत्पन्न होती है । ( ii ) वायुमण्डल में अपशिष्टों को निस्तारित करने पर जहरीली गैसें फैल रही हैं । ( iii ) जैव विविधता का ह्रास हो रहा है । ( iv ) ग्लोबल वार्मिंग हरित गैस प्रभाव , ओजोन परत क्षय तथा ग्लेशियरों पर बर्फ पिघलने जैसी घटनाएं हो रही हैं , जो मनुष्य के लिए चेतावनी है ।
प्रश्न x ( a ) अपशिष्टों की हानियों से बचाव तथा निस्तारण ।
उत्तर- ( i ) कारखानों तथा उद्योग – धन्धों पर अपशिष्ट इधर – उधर फेंकने पर सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए । ( i ) प्लास्टिक की थैली का प्रयोग न करके इसके स्थान पर कागज या कपड़े की थैलियों का प्रयोग करना ।
( iii ) जनसामान्य को अब कूड़ा – करकट को इधर – उधर न फेंकने के लिए जागरूक किया जा रहा है । ( iv ) अपशिष्टों से ऊर्जा तथा अन्य सामग्री बनाने हेतु शोध किए जा रहे हैं , जिससे इन्हें पुनः प्रयुक्त किया जा सके ताकि कचरे का अम्बार न लगे ।
प्रश्न ( b ) अपशिष्ट प्रबन्धन में महिलाओं की प्रभावी कार्यकर्ता के रूप में स्थान ।
उत्तर- ( i ) महिलाएं घरेलू कार्यों का संपादन करती हैं जिससे अपशिष्ट निकलते हैं । ( ii ) घरेलू उपकरणों का प्रबन्धन भी महिलाओं के हाथ में होता है जिसे उपयोग के पश्चात् अपशिष्ट की श्रेणी में जाना ही होता है । ( iii ) महिलाएं अपने परिवार के प्रति तथा समाज के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं , अतः उन्हें अपशिष्ट प्रबन्धन से जोड़ा जाना चाहिए । ( iv ) महिलाएं माता के रूप में भावी पीढ़ियों की प्रथम शिक्षिका होती हैं , अतः इन्हें अपशिष्ट प्रबन्धन में सक्रिय जिम्मेदारी प्रदान करनी चाहिए ।
प्रश्न : ( c ) अपशिष्ट प्रबन्धन में महिलाओं की भूमिका । उत्तर- ( i ) अपनी रचनात्मकता के द्वारा अपशिष्टों से घरेलू कार्यों को चलाना । ( ii ) घरेलू अपशिष्टों का निस्तारण समुचित ढंग से करना । ( ii ) ऐसे पदार्थ जो शीघ्रता से विघटनशील नहीं हैं , उनको महिलाएं प्रयुक्त नहीं करती हैं । ( iv ) पर्यावरण और स्वास्थ्य रक्षा हेतु पर्यावरण प्रदूषण के तत्त्वों की रोकथाम में सहायता । ( v ) इको फ्रैण्डली का प्रयोग कर महिलाएं अपशिष्टों की रोकथाम कर रही हैं । प्रश्न ( d ) अपशिष्ट प्रबन्धन के कार्य में महिलाओं की सक्रिय सहभागिता । उत्तर- ( i ) महिलाओं को अपशिष्ट प्रबन्धन के सरल तरीकों से अवगत कराना तथा प्रशिक्षित करना । ( i ) अपशिष्ट से होने वाले दुष्प्रभावों तथा पहचान हेतु प्रशिक्षण प्रदान करना । ( iii ) पाठ्यक्रम में अपशिष्ट प्रबन्धन को वैकल्पिक तथा अनिवार्य दोनों ही प्रकार से स्थान प्रदान करना । ( iv ) पाठ्य – सहगामी क्रियाओं द्वारा अपशिष्ट निस्तारण तथा पुनउँपयोग के विषय में ज्ञान प्रदान करना । प्रश्न x ( e ) पर्यावरण शिक्षा प्रदान करने के सामान्य उद्देश्य । उत्तर- ( i ) प्रकृति के जल संसाधनों की समाप्ति से होने वाले खतरों के विषय में जागृति उत्पन्न कर इनके संचयन की प्रवृत्ति विकसित करना । ( ii ) प्रकृति में पाए जाने वाले पेड़ – पौधों , पशु – पक्षी , जीव – जन्तुओं को सुरक्षित एवं सन्तुलित रखने में सहायता प्रदान करना । ( iii ) पर्यावरण प्रदूषण करने वाले कारकों से परिचय कराकर प्रदूषण रोकने में सहायता करना । ( iv ) पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम में मनुष्यों की भूमिका से अवगत कराना ।
प्रश्न x ( f ) पर्यावरण शिक्षा के विशिष्ट उद्देश्य ।
उत्तर- ( i ) पर्यावरण प्रदूषण तथा असन्तुलन के कारण होने वाली बीमारियों और उनसे बचाव से अवगत कराना । 24 वार बहादुर सिह ( ii ) धुंए तथा कोहरे के कारण विषैली गैसों का आवरण बन रहा है , उससे ऑक्सीजन में कमी हो रही है । अतः इसकी रोकथाम करना । ( iii ) अम्लीय वर्षा जैसी परिस्थितियों से निपटना और हानिकारक गैसों के उत्सर्जन में कमी करना । ( iv ) मरुस्थलीकरण , ग्रीन हाउस प्रभाव , निर्वनीकरण , ओजोन परत का क्षय इत्यादि हो रहा है , इसकी रोकथाम के लिए जागरूकता लाना ।
प्रश्न x ( g ) ‘ मी टू ‘ अभियान क्या है ?
उत्तर- ‘ मी टू ‘ आन्दोलन कई स्थानीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय विकल्पों के साथ यौन उत्पीड़न और यौन हमले का एक आन्दोलन है । Me Too का शाब्दिक अर्थ है- ‘ मैं भी ‘ । अक्टूबर 2017 में शुरू हुआ ‘ Me Too ‘ दो महीने से भी कम समय में टाइम मैगजीन ( अमेरिकी पत्रिका ) के लिए ‘ पर्सन ऑफ द ईयर ‘ बन गया । एलिसा मिलानो नामक अभिनेत्री ने हालीवुड के फिल्म निर्माता हार्वी वाइंस्टाइन के खिलाफ सबसे पहले अपनी बात कही थी । वास्तव में Me Too का जन्म 11 साल पहले मायास्पेस नामक सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हो चुका था । तब यह एक जनजागृति अभियान था । उस अभियान का उद्देश्य रंग और लिंग के आधार पर भेदभाव के विरुद्ध लड़ना था , लेकिन उस अभियान को उतनी कामयाबी नहीं मिल पायी , जितनी इस अभियान को मिली । भारत में इसकी शुरुआत फिल्म अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने की थी । उन्होंने नाना पाटेकर पर ‘ यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाये थे ।
प्रश्न x ( h ) भारतीय समाज में बालिका शिक्षा का वर्णन कीजिए ।
उत्तर- वर्तमान में हमारी सरकार बालिका शिक्षा पर विशेष बल दे रही है । सार्वभौम नामांकन के अनुसार 1951 में 6 से 14 वर्ष की बालिकाओं का विद्यालय में प्रवेश 42.3 % था , 2002 में यह बढ़कर 92.32 % हो गया । 2001 में महिला साक्षरता दर 57 % थी , वहीं 2011 में यह बढ़कर 64.6 % हो गया । इस प्रकार बालिकाओं की साक्षरता दर निरन्तर बढ़ रही है ।