रामप्पा मंदिर को ‘विश्व धरोहर स्थल’ का दर्जा
चर्चा का कारण?
- हाल ही में, ‘विश्व धरोहर समिति’ (World Heritage Committee – WHC) द्वारा तेलंगाना के वारंगल के पालमपेट में स्थित 13 वीं शताब्दी के ‘रामप्पा मंदिर’ (Ramappa Temple) को यूनेस्को के ‘विश्व धरोहर स्थल’ के रूप में घोषित किया गया है।
दर्ज़ा देने से सम्बंधित:-
- रामप्पा मंदिर को ‘विश्व धरोहर स्थल’ सूची में शामिल किए जाने से पहले, ‘अंतर्राष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद’ (International Council on Monuments and Sites- ICOMOS) द्वारा 2019 में इस मंदिर का पहली बार भ्रमण किया गया और इसमें नौ कमियों का उल्लेख किया था।
- ‘विश्व धरोहर स्थल’ का दर्जा देने का विरोध करने वाला एकमात्र देश ‘नॉर्वे’ ने इस कदम का विरोध करने के लिए ICOMOS के निष्कर्षों का हवाला दिया।
‘रामप्पा मंदिर के बारे में:
- ‘रामप्पा मंदिर’ का निर्माण 13 वीं शताब्दी में काकतीय राजा गणपतिदेव के सेनापति ‘राचेरला रुद्रय्या’ द्वारा करवाया गया था।
- मंदिर आधार “सैंडबॉक्स तकनीक” से तैयार किया गया है, इसका फर्श ग्रेनाइट और स्तंभ बेसाल्ट पत्थर से निर्मित किए गए हैं।
- मंदिर का निचला हिस्सा लाल बलुआ पत्थर से बना है, जबकि इसका सफेद रंग का ‘गोपुरम’ कम भार वाली हल्की ईंटों से निर्मित है। ये ईंटे कथित तौर पर पानी पर तैर सकती हैं।
“सैंडबॉक्स तकनीक’ क्या है?
- ‘सैंडबॉक्स’, भवन का निर्माण करने से पहले तैयार की जाने वाली एक प्रकार की नींव होते हैं। सैंडबॉक्स तकनीक में, नींव तैयार करने के लिए खोदे गए गड्ढे को, ‘रेत के चूने’ व गुड़ तथा करक्काया (काले हरड़ फल) के मिश्रण से (पकड़ बनाने के लिए) भरा जाता है।
- भूकंप जैसी घटनाएं होने पर, नींव में तैयार किए गए सैंडबॉक्स एक तकिया / कुशन’ (Cushion) के रूप में कार्य करते हैं।
विश्व धरोहर समिति
(World Heritage Committee)
बारे में?
- ‘विश्व धरोहर समिति’ की बैठक साल में एक बार होती है, और इस समिति में ‘अभिसमय के पक्षकार’ देशों से 21 प्रतिनिधि शामिल होते हैं। इन प्रतिनिधि सदस्यों का चुनाव ‘छह साल’ तक के लिए किया जाता है।
- इस समिति का मुख्य कार्य, ‘विश्व विरासत अभिसमय’ का कार्यान्वयन करना और ‘विश्व विरासत कोष’ से वित्तीय सहायता आवंटित करना है। किसी ‘स्थल’ को ‘विश्व विरासत सूची में शामिल किए जाने के संबंध में ‘विश्व धरोहर समिति’ का निर्णय अंतिम होता है।
- यह समिति, ‘विश्व विरासत सूची’ में शामिल स्थलों के संरक्षण की स्थिति पर रिपोर्ट की जांच करती है और इन स्थलों को ‘संकटापन्न विश्व विरासत’ (World Heritage in Danger) की सूची में रखने या हटाने के विषय पर निर्णय करती है।
“विश्व धरोहर स्थलों का संरक्षण”
- ‘संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन’ अर्थात ‘यूनेस्को’ का उद्देश्य, मानवता के लिए महत्वपूर्ण समझी जाने वाले, पूरे विश्व में सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत स्थलों की पहचान, सुरक्षा और संरक्षण को प्रोत्साहित करना है।
- ‘विश्व धरोहर स्थलों’ का संरक्षण, विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण से संबंधित अभिसमय’ (Convention concerning the Protection of the World Cultural and Natural Heritage) नामक एक अंतरराष्ट्रीय संधि में सन्निहित है। इस संधि को यूनेस्को द्वारा वर्ष 1972 में अपनाया गया था।
‘विश्व धरोहर स्थल’ हेतु नामांकन प्रक्रिया:
- सबसे पहले, किसी देश द्वारा अपने महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थलों को एक दस्तावेज में सूचीबद्ध किया जाता है, इस ‘दस्तावेज’ को ‘संभावित सूची’ (Tentative List) कहते है।
- इसके बाद, इस सूची से कुछ स्थलों का चयन करके इन्हें एक ‘नामांकन फ़ाइल’ (Nomination File) में रखा जाता है। फिर, ‘स्मारक एवं स्थलों पर अंतर्राष्ट्रीय परिषद’ तथा ‘विश्व संरक्षण संघ’ (World Conservation Union) द्वारा ‘नामांकन फ़ाइल’ में शामिल स्थलों का आंकलन किया जाता है।
- आंकलन के पश्चात, ये संस्थाए ‘विश्व धरोहर समिति’ को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करती हैं।
पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन- कोविड से प्रभावित बच्चों का सशक्तिकरण
हाल ही में, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा ‘पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन’ (PM CARES for Children) योजना के तहत आवेदन जमा करने तथा सहायता हासिल करने योग्य पात्र बच्चों की पहचान करने की सुविधा के लिए वेब-आधारित पोर्टल pmcaresforchildren.in लॉन्च किया गया है।
‘ पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ योजना के बारे में:
- यह योजना कोविड से प्रभावित बच्चों की सहायता और सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई है।
- पात्रता: कोविड 19 के कारण माता-पिता दोनों या माता-पिता में से किसी जीवित बचे अभिभावक या कानूनी अभिभावक/दत्तक माता-पिता को खोने वाले सभी बच्चों को ‘पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ योजना के तहत सहायता दी जाएगी।
इस योजना के प्रमुख बिंदु:
- .बच्चे के नाम पर सावधि जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट): 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले प्रत्येक बच्चे के लिए 10 लाख रुपये का एक कोष गठित किया जाएगा।
- स्कूली शिक्षा: 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए नजदीकी केंद्रीय विद्यालय या निजी स्कूल में डे स्कॉलर के रूप में प्रवेश दिलाया जाएगा।
- स्कूली शिक्षा: 11 -18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए केंद्र सरकार के किसी भी आवासीय विद्यालय जैसेकि सैनिक स्कूल, नवोदय विद्यालय आदि में प्रवेश दिलाया जाएगा।
- उच्च शिक्षा के लिए सहायता: मौजूदा शिक्षा ऋण के मानदंडों के अनुसार भारत में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों / उच्च शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण दिलाने में बच्चे की सहायता की जाएगी।
- स्वास्थ्य बीमा: ऐसे सभी बच्चों को ‘आयुष्मान भारत योजना’ (PM-JAY) के तहत लाभार्थी के रूप में नामांकित किया जाएगा, जिसमें 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर होगा।
इन उपायों की आवश्यकता:
- भारत, वर्तमान में कोविड-19 महामारी की दूसरी प्रचंड लहर से जूझ रहा है और इस महामारी के कारण कई बच्चों के माता-पिता की मृत्यु होने के मामलों में वृद्धि हो रही है।
- इसके साथ ही, इन बच्चों को गोद लेने की आड़ में बाल तस्करी की आशंका भी बढ़ गई है।
- कोविड-19 के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान ‘बाल विवाह’ संबंधी मामलों में भी वृद्धि हुई है।
भारतीय अर्थव्यवस्था
डिजिटल और सतत् व्यापार सुविधा पर संयुक्त राष्ट्र का सर्वेक्षण 2021
- हाल ही में भारत ने एशिया-प्रशांत के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (UNESCAP) के डिजिटल एवं सतत् व्यापार सुविधा पर वैश्विक सर्वेक्षण में 90.32 प्रतिशत अंक हासिल किये हैं।
- इसमें वर्ष 2019 के 78.49% अंकों की तुलना में उल्लेखनीय उछाल आया है।
सर्वेक्षण के विषय में:
- यह सर्वेक्षण प्रत्येक दो वर्ष में UNESCAP द्वारा आयोजित किया जाता है और इसमें विश्व व्यापार संगठन (WTO) के व्यापार सुविधा समझौते में शामिल 58 व्यापार सुविधा उपायों का आकलन करना शामिल है।
- 58 उपायों में इंटरनेट पर मौजूदा आयात-निर्यात नियमों का प्रकाशन, जोखिम प्रबंधन, टैरिफ वर्गीकरण पर अग्रिम निर्णय, आगमन पूर्व प्रसंस्करण, स्वतंत्र अपील तंत्र, शीघ्र शिपमेंट, स्वचालित सीमा शुल्क प्रणाली आदि शामिल हैं।
- किसी देश का उच्च स्कोर कारोबारियों को निवेश संबंधी निर्णय लेने में भी मदद करता है।
- संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय आयोग (UN Regional Commission) संयुक्त रूप से डिजिटल और सतत् व्यापार सुविधा पर संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सर्वेक्षण आयोजित करते हैं।
- सर्वेक्षण में वर्तमान में पूरे विश्व की 143 अर्थव्यवस्थाओं को शामिल किया गया है। एशिया प्रशांत के लिये यह UNESCAP द्वारा आयोजित किया जाता है।
भारत का आकलन:
- इस स्कोर ने सभी पाँच प्रमुख संकेतकों पर भारत में सुधार की ओर इशारा किया।
- पारदर्शिता: 2021 में 100% (2019 के 93.33% से)।
- औपचारिकताएँ: 2021 में 95.83% (2019 के 87.5% से)।
- संस्थागत समझौते और सहयोग: 2021 में 88.89% (2019 के 66.67% से)।
- पेपरलेस ट्रेड: 2021 में 96.3% (2019 के 81.48% से)।
- क्रॉस-बॉर्डर पेपरलेस ट्रेड: 2021 में 66.67% (2019 के 55.56% से)।
अन्य देशों के साथ तुलना:
- दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम एशिया क्षेत्र (63.12%) और एशिया प्रशांत क्षेत्र (65.85%) की तुलना में भारत सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला देश है।
- भारत का समग्र स्कोर फ्राँस, यूके, कनाडा, नॉर्वे, फिनलैंड आदि सहित कई आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) देशों से भी अधिक है और समग्र स्कोर यूरोपीय संघ (EU) के औसत स्कोर से अधिक है।
सुधार का कारण:
- CBIC सुधारों की एक शृंखला के माध्यम से व्यक्ति रहित, कागज़ रहित और संपर्क रहित सीमा शुल्क की शुरुआत करने के लिये ‘तुरंत कस्टम्स’ (Turant Customs) की छत्रछाया में उल्लेखनीय सुधार करने में अग्रणी रहा है।
- कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान सीमा शुल्क ढांँचे के तहत कोविड से संबंधित आयातों जैसे- ऑक्सीजन से संबंधित उपकरण, जीवन रक्षक दवाएंँ, टीके आदि में तेजी लाने हेतु सभी प्रयास किये गए।
जल जीवन मिशन ( JJM)
• इस मिशन के अंतर्गत 2 अक्टूबर 2020 को सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी को नल का पानी उपलब्ध कराने के लिए 100 दिवसीय अभियान शुरू किया गया था।
- इसका क्रियान्वयन जल शक्ति मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
इस मिशन का उद्देश्य
- शत-प्रतिशत कवरेज हासिल करना है।
- जल जीवन मिशन के तहत 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन के माध्यम से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर जल आपूर्ति की परिकल्पना है।
- यह जल के प्रति सामुदायिक दृष्टिकोण पर आधारित है इसके प्रमुख घटक हैं – व्यापक जानकारी, शिक्षा और संवाद।
- जल के लिए जन आंदोलन भी तैयार करना है।
वित्तीय सहायता
- केंद्र और राज्यों द्वारा दिया जाने वाला अनुपात।
• हिमालय और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90 :10
• अन्य राज्यों के लिए 50: 50
सकल पर्यावरण उत्पाद ( GEP)
चर्चा में क्यों
हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने घोषणा की है कि वह अपने प्राकृतिक संसाधनों का मूल्यांकन सकल पर्यावरण उत्पाद के रूप में शुरू करेगी।
प्रमुख बिंदु
- GEP का मतलब है कि प्राकृतिक संसाधनों में हुई वृद्धि के आधार पर समय-समय पर पर्यावरण की स्थिति का आकलन करना।
- यह सकल घरेलू उत्पाद ( GDP) के अनुरूप है GDP आर्थिक गतिविधियों का परिणाम है। यह निजी खपत अर्थव्यवस्था में शकल निवेश, सरकारी खर्च और शुद्ध विदेशी व्यापार का योग है।
GEP के बारे में
- वैश्विक स्तर पर स्थापना – राबर्ट कोस्टोजा – 1997
- यह पारिस्थितिकी स्थिति को मापने हेतु एक मूल्यांकन प्रणाली है।
- इसे उन उत्पादों और सेवा मुल्यो के रूप में लिया जाता है जिसमें पारिस्थितिकी तंत्र मानव कल्याण और आर्थिक एवं सामाजिक सतत विकास को बढ़ावा मिलता है।
- कुल मिलाकर यह हरित जीडीपी के घटकों में से एक है।
आवश्यकता
- उत्तराखंड अपने जैव विविधता के माध्यम से राष्ट्र को प्रतिवर्ष 95112 करोड़ रुपए की सेवाएं उपलब्ध कराता है।
- राज्य में 71% से अधिक क्षेत्र वनों के अधीन है।
- यहां हिमालय का विस्तार है और गंगा, यमुना, शारदा जैसी नदियों का उद्गम स्थल है। साथ ही जिम कार्बेट और राजा जी जैसे वन्य जीव अभ्यारण भी हैं।
- पर्यावरण सेवाओं के प्रदान करने से प्राकृतिक गिरावट होती है।
महत्त्व
- पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का मूल्य वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद से लगभग 2 गुना है। इसलिए यह पर्यावरण के संरक्षण में मदद करेगा तथा जलवायु परिवर्तन प्रभाव से भी बढ़ाने में मदद करेगा।
मुद्दे
- यह निर्णय स्वागत योग्य है लेकिन शब्दजाल के साथ आगे बढ़ना सरकार की मंशा पर गंभीर संदेह पैदा करता है।
- GEP शुरू करने का उद्देश्य पारदर्शी नहीं है।
आगे की राह
- पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बिना किसी स्पष्टता के एक नया शब्द तैयार करने की संकट सरकार की गंभीर मंसा के बजाय राज्य को स्थिर एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिसकी वैश्विक स्वीकृति और एक मजबूत ज्ञान आधार हो।
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण 2019 -20
- जारीकर्ता – राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ( N.S.O)
- तीसरा संस्करण
बेरोजगारी दर
- वित्तीय वर्ष 2019-20 में बेरोजगारी दर गिरकर 4.8% पहुंच गई है जबकि वर्ष 2018-19 में यह 5.8% थी।
कामगार जनसंख्या दर
- इसमें वर्ष 2018-19 में 35.3% और 2017-18 में 34.7% की तुलना में 2019-2020 में सुधार दिखाते हुए 38.2% पर पहुंच गया।
श्रम बल भागीदारी अनुपात
- 36.9% से घटकर 2019-20 में यह 40.5% बढ़ गया है।
लिंग आधारित बेरोजगारी दर
- पुरुष और महिला दोनों में बेरोजगारी दर 2019-20 में घटकर क्रमशः 6% तथा 5.2% हो गई है।
आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण
- यह 2017 में N.S.O द्वारा प्रारंभ भारत का पहला कंप्यूटर आधारित सर्वेक्षण है।
- अमिताभ कुंडू की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश पर इसका गठन किया गया।
- यह रोजगार का स्तर, बेरोजगारी के प्रकार और संबंधित भागीदारी तथा अन्य कारकों की पहचान करता है।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
सुरजीत गुप्ता – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।