26 September 2021 Current affairs

ब्लू फूड

  • हाल ही में ब्लू फूड के पर्यावरणीय प्रदर्शन शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जलीय या ब्लू फूड को वर्तमान की तुलना में पर्यावरणीय रूप से अधिक टिकाऊ बनाया जा सकता है।
  • रिपोर्ट ब्लू फूड असेसमेंट (BFA) के हिस्से के रूप में प्रकाशित हुई है।
  • BFA स्वीडन स्थित स्टॉकहोम रेजिलियेंस सेंटर, संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय और गैर-लाभकारी EAT के बीच एक सहयोग मंच है।

रिपोर्ट के बारे में:-

  • रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि ब्लू फूड पदार्थ पानी में पाए जाते हैं जो स्वस्थ, न्यायसंगत और टिकाऊ खाद्य प्रणालियों की दिशा में बदलाव हेतु एक आवश्यक भूमिका निभाएंगे।
  • ब्लू फूड के उत्पादन में कम ग्रीनहाउस गैस और पोषक तत्त्व उत्सर्जन होता है तथा कम भूमि व पानी की आवश्यकता होती है।
  • समुद्री और मीठे पानी के मत्स्यन से वहाँ पाए जाने वाले जीवित संसाधनों को हानि होती है। इनमें बेहतर प्रबंधन और अनुकूलन के माध्यम से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की क्षमता होती है।
  • ब्लू फूड को बढ़ावा देने से कई सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी 2 – पोषण और 14 – समुद्री संसाधनों का सतत् उपयोग) को पूरा करने में मदद मिलेगी।

ब्लू फूड्स और इसके लाभ:-

  • ब्लू फूड जलीय जानवरों, पौधों या शैवाल से प्राप्त भोजन होते हैं जो ताज़े पानी और समुद्री वातावरण में पाए जाते हैं।
  • ब्लू फूड में स्थलीय पशु-स्रोत खाद्य पदार्थों की तुलना में अधिक पोषक तत्त्व पाए जाते हैं।
  • कई ब्लू फूड प्रजातियाँ ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन और खनिजों जैसे महत्त्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं।
  • औसतन एक्वाकल्चर (Aquaculture) में उत्पादित प्रमुख प्रजातियों, जैसे कि तिलापिया, सैल्मन, कैटफ़िश और कार्प में स्थलीय जीवों के मांस की तुलना में कम पर्यावरणीय फुटप्रिंट पाए जाते हैं।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन

प्रमुख उद्देश्य:-

  1. दुधारू पशुओं की स्वदेशी नस्लों का विकास और संरक्षण।
  2. स्वदेशी पशुओं के लिए नस्ल सुधार कार्यक्रम। इससे पशुओं में अनुवांशिक सुधार और पशुओं की संख्या में वृद्धि संभव होगी।
  3. दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने की कोशिश 4.साहिवाल,राठी देउनी,थारपारकर,रेड सिंधी और अन्य कुलीन स्वदेशी नस्लों के जरिए बाकी नस्लों को उन्नत बनाना।
  4. प्राकृतिक सेवा के लिए उच्च अनुवांशिक योग्यता वाले सांडो का वितरण।

गोकुल ग्राम क्या है?

  • इस योजना के लिए फंड एक एकीकृत स्वदेशी पशु केंद्र, गोकुल ग्राम की स्थापना के लिए दिया जाता है।
  • गोकुल ग्राम मूल प्रजनन इलाकों और शहरी आवास के लिए मवेशियों के पास महानगरों में स्थापित किए जाते हैं।

गोकुल ग्राम की भूमिका और दायित्व:-

  1. गायों के प्रजनन क्षेत्र में किसानों को अनुवांशिक प्रजनन स्टाक की आपूर्ति के लिए एक भरोसेमंद स्त्रोत है। गोकुल ग्राम किसानों के लिए प्रशिक्षण केंद्र में आधुनिक सुविधाएं देता है।
  2. 1000 जानवरों की क्षमता वाले इन गोकुल ग्रामों में दुग्ध उत्पादक और अनुत्पादक पशुओं का अनुपात 60:40 होता है।
  3. गोकुल ग्राम पशुओं के पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए घर में चारा उत्पादित करने के लिए बनाए गए हैं।
  4. गोकुल ग्राम वास्तव में एक आर्थिक संस्थान की तर्ज पर विकसित किया गया है। जिसमें निम्नलिखित वस्तुओं की बिक्री के जरिए आर्थिक संसाधन पैदा किया जाता है: दूध जैविक खाद केचुआ- खान मूत्र डिस्टिलेट घरेलू खपत के लिए बायो गैस से बिजली का उत्पादन पशु उत्पादों की बिक्री आदि।
  5. महानगरी गोकुल ग्राम में शहरी मवेशियों के अनुवांशिक उन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

आयुष्मान भारत (PMJAY)

प्रमुख विशेषताएं:-

  1. आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना भारत द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है।
  1. यह योजना भारत में सार्वजनिक व निजी सूचीबद्ध अस्पतालों में माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य उपचार के लिए प्रति परिवार प्रति ₹500000 तक की धनराशि भर्तियों को मुहैया कराती है।
  2. कवरेज़:- 74 करोड से भी अधिक गरीब व वंचित परिवार या लगभग 50 करोड़ लाभार्थी इस योजना के तहत लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
  3. AB-PMJAY योजना को पूरे देश में लागू करने और इसके कार्यान्वयन हेतु राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) नोडल एजेंसी है।

योजना के लिए पात्रता:-

  1. इस योजना के तहत परिवार के आकार आई या लिंग पर कोई सीमा नहीं है।
  2. इस योजना के तहत पहले से मौजूद विभिन्न चिकित्सीय परिस्थितियों और गंभीर बीमारियों को पहले दिन से ही शामिल किया जाता है।
  3. इस योजना के तहत अस्पताल में भर्ती होने से 3 दिन पहले और 15 दिन बाद तक नैदानिक उपचार स्वास्थ्य इलाज व दवाइयां मुफ्त उपलब्ध उपलब्ध होती हैं।
  4. यह एक पोर्टल योजना है यानी कि लाभार्थी इसका लाभ पूरे देश में किसी भी सार्वजनिक या निजी सूचीबद्ध अस्पताल में उठा सकेंगे।
  5. इस योजना में लगभग 1393 प्रक्रिया है और पैकेज शामिल है, जैसे की दवाइयां, नैदानिक सेवाएं,चिकित्सकों की फीस, कमरे का शुल्क, ओ – टी और आई-सी-यू शुल्क मुक्त उपलब्ध है।
  6. स्वास्थसेवाओं के लिए निजी अस्पतालों की प्रतिपूर्ति सार्वजनिक अस्पतालों के बराबर की जाती है

नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार:-

  • प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना कार्यक्रम जिन राज्यों ने लागू किया है, वहां स्वास्थ्य परिणामों में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं।
  • प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना लागू करने वाले राज्यों में योजना से अलग रहने वाले राज्यों की तुलना में स्वास्थ्य बीमा का अधिक विस्तार से और बाल मृत्युदर में कमी परिवार नियोजन सेवाओं के उपयोग में सुधार और एचआईवी के बारे में अधिक जागरूकता आदि का अनुभव किया गया।
  • PM- JAY लागू करने वाले राज्यों में बीमा स्वास्थ्य वाले परिवारों के अनुपात में 54%% की वृद्धि हुई है जबकि योजना से अलग रहने वाले राज्यों में 10 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई है।

चांग’ई-5 प्रोब
Chang’e-5 Probe

  • हाल ही में, चीन द्वारा चांग ई-5 प्रोब से प्राप्त प्रारंभिक चरण के निष्कर्ष सार्वजानिक रूप से जारी किए गए।
  • प्रोब द्वारा इस चरण में, ‘एकत्रित किए गए नमूनों के ‘विदेशज टुकड़ों और लैंडिंग साईट’ के आसपास की संरचनाओं में संबंध के बारे में जानकारी के लिए ‘भूवैज्ञानिक मानचित्रण’ का उपयोग किया गया था।
  • चीनी अंतरिक्ष यान ने,चंद्रमा की सतह से चट्टानों और मिट्टी के नमूने लेकर, दिसंबर 2020 में पृथ्वी की ओर वापस यात्रा शुरू की थी।
  • इस अभियान की सफलता के बाद चीन, वर्ष 1970 के बाद से, चंद्रमा की सतह से नमूनों को पृथ्वी पर सफलतापूर्वक लाने वाला पहला देश बन गया।

यान की लैंडिंग साईट:

  • चांग’ई-5 प्रोब की लैंडिंग साइट, चंद्रमा के पश्चिमी छोर पर अवस्थित, ओशियनस प्रोसेलरम या ‘ओशियन ऑफ स्टॉर्म’ के उत्तरी भाग मे लावा निर्मित विशाल मैदान में निर्धारित की गयी थी।
  • यह स्थान, चंद्रमा के सबसे नवीन भूवैज्ञानिक क्षेत्रों में से एक है, और इसे लगभग दो अरब वर्ष पुराना होने का अनुमान लगया गया है। चांग ई-5 प्रोब द्वारा इसकी सतह से, अरबों वर्षों के दौरान चंद्रमा की शैलों में हुए बिखंडन और इसके परिणामस्वरूप बने महीन कणों से निर्मित भुरभुरी मृदा के नमूने एकत्रित किए गए थे।

नवीनतम निष्कर्षः

  1. चांग’ई-5 प्रोब द्वारा एकत्र की गई नब्बे प्रतिशत सामग्री, संभावित रूप से लैंडिंग साइट और उसके आस-पास के क्षेत्रों से ली गयी है, जोकि ‘सागरीय बेसाल्ट’ (Mare Basalts) की तरह प्रतीत हो रही है।
  2. ये ज्वालामुखीय चट्टानें, चंद्रमा पर हमें गहरे भूरे रंग के क्षेत्रों के रूप में दिखाई देती हैं। ये क्षेत्र संभवतः चंद्रमा की सतह पर प्राचीन काल में हुए लावा विस्फोट से निर्मित हुए हैं।
  3. फिर भी, चांग’ई-5 प्रोब द्वारा एकत्रित शेष दस प्रतिशत नमूनों में, स्पष्ट रूप से भिन्न और ‘विदेशज’ रासायनिक संरचनाएँ पायी गयी हैं, और इनमे संभवतः चंद्रमा की सतह के अन्य भागों की जानकारी के साथसाथ, इसकी सतह को प्रभावित करने वाली ‘अंतरिक्ष चट्टानों के प्रकारों’ के संकेत भी संरक्षित हो सकते हैं।

शीघ्र ठंडा होने वाली कांच के समान की सामग्री के मनकों के संभावित स्रोत:

  • शोधकर्ताओं ने इन चिकने मनकों का स्रोत, लैंडिंग साईट से दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पूर्व में लगभग 230 और 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ‘रिमा मायरन’ (Rima Mairan) और ‘रीमा शार्प’ (Rima Sharp) नामक वर्तमान में मृत हो चुके ज्वालामुखी उद्गारों में खोजा है। इन चिकने मनकों से चंद्रमा पर अतीत में हुई ज्वालामुखी गतिविधियों के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकती है।

अन्य विवरण:

  • चीनी अंतरिक्ष यान की इनर मंगोलिया में एक सफल लैंडिंग के पश्चात चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बाद, चंद्रमा के नमूनों को पृथ्वी पर सफलतापूर्वक लाने वाला मात्र तीसरा देश बन जाएगा। अंतरिक्ष यान द्वारा चंद्रमा की सतह से 2 किलोग्राम (4 पाउंड) भार के नमूने एकत्र करने की योजना थी, किंतु एकत्रित नमूनों की वास्तविक मात्रा को अभी स्पष्ट नहीं किया गया है।

चांग’ई-5 प्रोब के बारे में-

  • चांग’ई-5 प्रोब, 24 नवंबर को प्रक्षेपित किया गया था और इसने 1 दिसंबर को चंद्रमा की सतह को सपर्श किया। इस मिशन को कुल 23 दिन में पूरा किए जाने की संभावना की गयी थी।
  • उद्देश्य- चंद्रमा की सतह से चट्टानों के नमूने पृथ्वी पर लाना
  • यह पिछले चार दशकों में, चंद्रमा से नमूने लाने के लिए किसी भी राष्ट्र द्वारा किया गया पहला प्रयास है।
  • चांग’ई-5 प्रोब, चार हिस्सों से मिलकर बना है: एक ऑर्बिटर (Orbiter), एक रिटर्नर (Returner), एक आरोहक (Ascender) और एक लैंडर (Lander)।
  • चांग’ई-5 प्रोब मिशन द्वारा, चीन के अंतरिक्ष इतिहास में

निम्नलिखित ‘चार घटनाएं’ पहली बार होंगी:

  1. चंद्रमा की सतह से उड़ान भरने वाला यह पहला प्रोब होगा।
  2. चंद्रमा की सतह से, स्वचालित रूप से नमूने एकत्र करने वाला पहला प्रोब ।
  3. चंदमा की सतह पर पहली बार मानवरहित प्रोब का भ्रमण और चन्द्र कक्षा में डॉकिंग।
  4. चंद्र-सतह से नमूनों सहित पलायन वेग से पृथ्वी पर लौटने का पहला अवसर ।

चिकित्सा उपकरण पार्क योजना

हाल ही में रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत के अनुरूप चिकित्सा उपकरण उद्योग का समर्थन करने के लिये “चिकित्सा उपकरण पार्कों को बढ़ावा देने” की योजना प्रारंभ की है।

चिकित्सा उपकरण उद्योग के बारे में:-

चिकित्सा उपकरण उद्योग इंजीनियरिंग और चिकित्सा का एक अनूठा मिश्रण है। इसमें मशीनों का निर्माण करना शामिल है जिनका उपयोग जीवन बचाने के लिये किया जाता है।

उद्देश्य:-

  • चिकित्सा उपकरण पार्कों के माध्यम से विश्व स्तरीय सामान्य बुनियादी सुविधाओं के निर्माण द्वारा मानक परीक्षण और बुनियादी सुविधाओं तक आसान पहुँच।
  • चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन की लागत को कम करना और घरेलू बाज़ार में चिकित्सा उपकरणों की बेहतर उपलब्धता तथा क्षमता को बढ़ाना।

वित्तीय सहायता:-

  • योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 400 करोड़ रुपए है और योजना का कार्यकाल वित्त वर्ष 2020-2021 से वित्त वर्ष 2024-2025 तक है।
  • चयनित चिकित्सा उपकरण पार्कों के लिये वित्तीय सहायता सामान्य बुनियादी सुविधाओं की परियोजना लागत का 70% होगी।
  • उत्तर-पूर्वी राज्यों और पहाड़ी राज्यों के मामले में यह वित्तीय सहायता परियोजना लागत का 90% होगी।
  • एक चिकित्सा उपकरण पार्क के लिये योजना के तहत अधिकतम सहायता 100 करोड़ रुपए तक होगी।
  • केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में पार्कों के निर्माण के लिये सैद्धांतिक मंज़ूरी दे दी है।

जलवायु संकेतक और सतत् विकास पर रिपोर्ट: डब्ल्यूएमओ

हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization- WMO) ने जलवायु संकेतकों और सतत् विकास: अंतर्संबंधों का प्रदर्शन (Climate Indicators and Sustainable Development: Demonstrating the Interconnection) पर एक नई रिपोर्ट प्रकाशित की है।

डब्ल्यूएमओ ने सात जलवायु संकेतकों (कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) सांद्रता, तापमान, महासागरीय अम्लीकरण और गर्मी, समुद्री बर्फ की सीमा, ग्लेशियर का पिघलना तथा समुद्र के स्तर में वृद्धि) का अध्ययन किया।
इसका प्रकाशन संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) के वार्षिक सत्र और सितंबर 2021 में सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goal-SDG) के कार्य क्षेत्र के साथ मेल खाता है, जो एसडीजी पर कार्रवाई में तेज़ी लाने के लिये समर्पित है।

उद्देश्य:

सतत् विकास के एजेंडे में योगदान करना और वैश्विक नेताओं को साहसिक जलवायु कार्रवाई करने के लिये प्रेरित करना।

महत्त्व

इससे जलवायु परिवर्तन, गरीबी, असमानता और पर्यावरणीय गिरावट, जलवायु तथा अंतर्राष्ट्रीय विकास के बीच संबंधों को समझने में सहायता मिलती है।
बढ़ते तापमान के परिणामस्वरूप वैश्विक और क्षेत्रीय परिवर्तन होंगे, जिससे वर्षा के पैटर्न तथा कृषि मौसम में बदलाव आएगा। अल नीनो (El Niño) की घटनाओं की तीव्रता भी अधिक सूखा एवं बाढ़ की स्थिति पैदा कर रही है।

एसडीजी पर प्रभाव

अगर बढ़ते CO2 की सांद्रता और वैश्विक तापमान को अनियंत्रित छोड़ दिया जाता है तो इससे एसडीजी 13 के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
यह वर्ष 2030 तक एसडीजी 13 के अलावा अन्य 16 एसडीजी की उपलब्धि के लिये भी खतरा पैदा कर सकता है।
यह गरीबी से निपटने के वैश्विक लक्ष्य (एसडीजी 1) को भी प्रभावित करेगा।

सुझाव

जलवायु जोखिमों को कम करने के लिये डब्ल्यूएमओ ने निम्नलिखित की सिफारिश की है:
बेहतर शिक्षा (एसडीजी 4)।
वैश्विक भागीदारी (एसडीजी 17)।
सतत् खपत (एसडीजी 12)।

जाति आधारित जनगणना

हाल ही में केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा/शपथ-पत्र दाखिल कर दावा किया है कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर है।

सरकार का यह अभिकथन महाराष्ट्र राज्य द्वारा 2021 की जनगणना के दौरान राज्य में पिछड़े वर्गों की जाति के आँकड़ों को एकत्र करने के संदर्भ में दाखिल किये गए एक रिट याचिका के प्रत्युत्तर में आया है।

प्रमुख बिंदु

  • जाति आधारित जनगणना के विरुद्ध सरकार का रुख:
  • अनुपयोगी डेटा : केंद्र ने तर्क दिया कि जब स्वतंत्रता पूर्व अवधि में जातियों की जनगणना की गई थी, तब भी डेटा “पूर्णता और सटीकता” के संबंध में प्रभावित हुआ था।
  • इसमें कहा गया है कि 2011 की सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) में दर्ज जाति आधारित आँकड़े/डेटा आधिकारिक उद्देश्यों के लिये ‘अनुपयोगी’ हैं क्योंकि उनमें तकनीकी खामियाँ अधिक हैं।
  • आदर्श नीति उपकरण का न होना: सरकार ने कहा कि जातिवार जनगणना की नीति 1951 में छोड़ दी गई थी।
  • इसके अलावा केंद्र ने स्पष्ट किया कि जनसंख्या जनगणना “आदर्श साधन नहीं है क्योंकि अधिकांश लोग अपनी जाति को छिपाने के उद्देश्य से जनगणना में अपना पंजीकरण नहीं कराते हैं।
  • यह जनगणना की “बुनियादी अखंडता/समग्रता” से समझौता कर सकता है।
  • प्रशासनिक रूप से जटिलतम: इसके अतिरिक्त सरकार ने माना कि 2021 की जनगणना में जातिवार गणना किये जाने में अब काफी देर हो चुकी है।
  • जनगणना की योजना और तैयारी लगभग चार वर्ष पहले शुरू हुई थी तथा जनगणना 2021 की तैयारियाँ लगभग पूरी हो चुकी हैं।

जनगणना, SECC और दोनों में अंतर

जनगणना:

  • भारत में जनगणना की शुरुआत औपनिवेशिक शासन के दौरान वर्ष 1881 में हुई।
  • जनगणना का आयोजन सरकार, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और अन्य लोगों द्वारा भारतीय जनसंख्या से संबंधित आँकड़े प्राप्त करने, संसाधनों तक पहुँचने, सामाजिक परिवर्तन, परिसीमन से संबंधित आँकड़े आदि का उपयोग करने के लिये किया जाता है।
  • हालाँकि 1940 के दशक की शुरुआत में वर्ष 1941 की जनगणना के लिये भारत के जनगणना आयुक्त ‘डब्ल्यू. डब्ल्यू. एम. यीट्स’ ने कहा था कि जनगणना एक बड़ी, बेहद मज़बूत अवधारणा है लेकिन विशेष जाँच के लिये यह एक अनुपयुक्त साधन है।

सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना (SECC)

  • वर्ष 1931 के बाद वर्ष 2011 में इसे पहली बार आयोजित किया गया था।
  • SECC का आशय ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक भारतीय परिवार की निम्नलिखित स्थितियों के बारे में पता करना है-
  • आर्थिक स्थिति पता करना ताकि केंद्र और राज्य के अधिकारियों को वंचित वर्गों के क्रमचयी और संचयी संकेतकों की एक शृंखला प्राप्त करने तथा उन्हें इसमें शामिल करने की अनुमति दी जा सके, जिसका उपयोग प्रत्येक प्राधिकरण द्वारा एक गरीब या वंचित व्यक्ति को परिभाषित करने के लिये किया जा सकता है।
  • इसका अर्थ प्रत्येक व्यक्ति से उसका विशिष्ट जातिगत नाम पूछना है, जिससे सरकार को यह पुनर्मूल्यांकन करने में आसानी हो कि कौन से जाति समूह आर्थिक रूप से सबसे खराब स्थिति में थे और कौन बेहतर थे।
  • SECC में व्यापक स्तर पर ‘असमानताओं के मानचित्रण’ की जानकारी देने की क्षमता है।

आगे की राह

  • हालाँकि SECC की अपनी बड़ी चिंताएँ हैं, लेकिन जनगणना में एकत्रित डेटा को राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण जैसे अन्य बड़े डेटासेट से जोड़ने और समन्वयित करने से सरकारों को कई सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी 

सुरजीत गुप्ता – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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