गैस इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिये निवेश
चर्चा में क्यों?
सरकार वर्ष 2024 तक देश में गैस क्षेत्र के बुनियादी ढाँचे को विकसित करने और वर्ष 2030 तक ऊर्जा क्षेत्र में गैस की हिस्सेदारी 15% तक बढ़ाने के उद्देश्य से लगभग 60 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश करेगी।
वर्तमान में देश के कुल ऊर्जा मिश्रण गैस की हिस्सेदारी केवल 6% है।
प्रमुख बिंदु
- इसमें पाइपलाइन, LNG (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) टर्मिनल और CGD (सिटी गैस वितरण) नेटवर्क शामिल हैं।
- राष्ट्रीय गैस ग्रिड को पूरा करने के लिये लगभग 14,300 किलोमीटर अतरिक्त पाइपलाइनों को विकसित करने की परिकल्पना की गई है जो कि विकास के विभिन्न चरणों में हैं।
- वर्तमान में, देश में 6 LNG पुनः गैसीकरण टर्मिनल परिचालित हैं।
- सरकार आगे भी देश भर में 1,000 LNG ईंधन स्टेशनों के निर्माण की योजना बना रही है।
- 400 ज़िलों में फैले 232 भौगोलिक क्षेत्रों में CGD परियोजनाओं के कवरेज का विस्तार किया जा रहा है, जिसमें देश के भौगोलिक क्षेत्र के लगभग 53% और कुल जनसंख्या के 70% को कवर करने की क्षमता है।
राष्ट्रीय गैस ग्रिड:
- वर्ष 2000 में जब एक राष्ट्रीय गैस ग्रिड (National Gas Grid- NGG) की अवधारणा की संकल्पना की गई थी, तब से भारत ने 16,000 किमी. से अधिक गैस नेटवर्क का निर्माण किया है। हाल की पहलों में शामिल हैं:
- प्रधानमंत्री उर्जा गंगा परियोजना: यह उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास करती है।
- उत्तर-पूर्व क्षेत्र (NER) गैस ग्रिड: यह असम, सिक्किम, मिज़ोरम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय से होकर गुज़रेगी।
कैच द रेन: राष्ट्रीय जल मिशन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय जल मिशन (National Water Mission-NWM), जल शक्ति मंत्रालय (Ministry of Jal Shakti) ने नेहरू युवा केंद्र संगठन (Nehru Yuva Kendra Sangathan-NYKS), युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय (Ministry of Youth Affairs and Sports) के सहयोग से “कैच द रेन” (Catch the Rain) नामक जागरूकता अभियान की शुरुआत की है।
टैग लाइन : “बारिश के पानी का संरक्षण, जहाँ भी संभव हो, जैसे भी संभव हो”।
उद्देश्य:
- सभी स्थितियों के आधार पर जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल बारिश के पानी को संग्रहीत करने के लिये वर्षा जल संचयन संरचना (Rain Water Harvesting Structures- RWHS) का निर्माण करना।
- अभियान के कार्यान्वयन के लिये प्रभावी प्रचार और सूचना, शिक्षा, संचार (Information, Education and Communication- IEC) गतिविधियों के माध्यम से ज़मीनी स्तर पर लोगों को शामिल करना।
गतिविधियाँ:
- वाटर हार्वेस्टिंग हेतु गड्ढे बनाना, छत पर RWHS का निर्माण करना और चैकडैम बनाने के लिये प्रोत्साहित करना।
- संचयन की भंडारण क्षमता को बढ़ाने के लिये अतिक्रमणों और टैंकों की सिल्ट को हटाना।
- पानी के उन चैनलों में से अवरोधों को हटाना जो जलग्रहण क्षेत्रों से पानी की आपूर्ति करते हैं।
- जल को वापस लाने के लिये पारंपरिक जल संचयन संरचनाओं जैसेकि, छोटे कुएँ और गहरे बड़े कुओं की मरम्मत करना।
COVID-19 वैक्सीन मार्केट डैशबोर्ड
सन्दर्भ
हाल ही में यूनिसेफ ने COVID-19 वैक्सीन मार्केट डैशबोर्ड को COVAX खरीद समन्वयक और खरीद एजेंट के रूप में लॉन्च किया है।
मुख्य बिंदु
- यह OVID-19 टीकों के विकास की जानकारी प्राप्त करने के लिए एक इंटरैक्टिव टूल है।
- यह COVAX सुविधा के प्रयासों के बारे में जानने के लिए एक प्लेटफार्म के रूप में भी काम करेगा।
इसका उद्देश्य
- सभी देशों के लिए COVID-19 वैक्सीन की निष्पक्ष और न्यायसंगत पहुंच सुनिश्चित करना है।
- सभी देशों और वैक्सीन निर्माताओं को एक प्लेटफार्म पर लाना है।
- 2021 के अंत तक दो बिलियन वैक्सीन खुराक को सुरक्षित करना है।
ACT-Accelerator
- ACT-Accelerator का अर्थ ‘Access to COVID-19 Tools Accelerator’ है।
- यह नए COVID-19 डायग्नोस्टिक्स के विकास, उत्पादन और न्यायसंगत पहुंच में तेजी लाने के लिए एक वैश्विक सहयोग है।
PAHO
- PAHO का अर्थ ‘Pan American Health Organisation’ है।
- यह एक विशेष अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी है।
- यह पूरे क्षेत्र के देशों के साथ काम करता है।
एकीकृत नशीली दवा रोकथाम नीति
सन्दर्भ
हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में एकीकृत नशीली रोकथाम, उपचार, प्रबंधन और पुनर्वास कार्यक्रम की घोषणा की, यह कार्यक्रम बहुत जल्द तैयार हो जायेगा।
नीति की मुख्य विशेषताएं
- इस नीति को “राज्य नशीली दवा रोकथाम, उपचार, प्रबंधन और पुनर्वास कार्यक्रम” नाम दिया गया है।
- इस नीति का उद्देश्य राज्य में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरे को रोकने के लिए पुलिस, मीडिया और नशा निवारण बोर्ड के बीच सहयोग बढ़ाना है।
- इसके लिए हिमाचल प्रदेश में 6 नशामुक्ति केंद्र खोले जायेंगे।
- नशीली दवाओं और साइकोट्रोपिक पदार्थों उत्पादन के तरीके के बारे में जानने के लिए आधिकारिक सर्वेक्षण किया जाएगा।
- इसके लिए ड्रग्स जागरूकता अभियान शुरू किए जाएंगे जिसमें शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधि, एनएसएस स्वयंसेवक और एनसीसी कैडेट शामिल होंगे।
- इसके अलावा, राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल सेल को मजबूत बनाया जायेगा।
- हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य के सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में नशाखोरी के दुष्प्रभावों पर एक अध्याय शुरू करेगी।
Naegleria Fowleri (Brain Eating Amoeba) क्या है?
सन्दर्भ
यह एकल कोशिका वाला अमीबा है। इसे मस्तिष्क खाने वाला अमीबा (Brain Eating Amoeba) भी कहा जाता है। यह अमीबा अमेरिका में तेजी से फैल रहा है। यह खबर आंध्र प्रदेश के जिलों में एलुरु नामक एक रहस्यमय बीमारी के बाद आई है।
Naegleria Fowleri क्या है?
- Naegleria fowleri को पहली बार अमेरिका के दक्षिणी भागों में खोजा गया था।
- मानव मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाने और बड़े पैमाने पर सूजन पैदा करने में सक्षम है।
- अमीबा आमतौर पर गर्म ताजे पानी में पाया जाता है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन ने अमीबा को सर्दियों के दौरान भी फैलने में मदद की है। यह 36 डिग्री सेल्सियस पर तेजी से बढ़ता है।
यह मनुष्य को कैसे संक्रमित करता है?
- अमीबा के मानव शरीर में प्रवेश करने के 24 घंटे बाद Primary Amoebic Meningoencephalitis (PAM) के लक्षण शुरू होते हैं।
- इस संक्रमण का सबसे आम प्रारंभिक लक्षण सिर दर्द है। इसके अलावा अन्य लक्षण उल्टी, बुखार, मतली, दौरे, चक्कर आना, गर्दन में अकड़न आदि हैं।
- यह अमीबा नाक के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करता है और नाक से मस्तिष्क तक पहुंच जाता है,
वर्तमान परिदृश्य
- फिलहाल यह संक्रमण काफी दुर्लभ है। सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार पिछले 10 वर्षों केवल 30-40 मामलों का पता चला है।
Team rudra
Abhishek Kumar Verma
Amarpal Verma
Krishna
Yograj Patel
anil Kumar Verma
Rajeev Kumar Pandey
Prashant Yadav
Dr.Sant lal
Sujata Singh
Anand Yadav
Geography team mppg college ratanpura mau
Surjit Gupta
Saty Prakash Gupta
Shubham Singh
Akhilesh Kumar