सिंगल-यूज़ प्लास्टिक का विकल्प
हाल ही में भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलूरू (IISc) के शोधकर्त्ताओं ने एकल-उपयोग प्लास्टिक (SUP) के लिये एक विकल्प बनाने का उपाय खोजा है, जो सैद्धांतिक रूप से पर्यावरण में प्लास्टिक अपशिष्ट के संचय की समस्या को कम करने में मदद कर सकता है।
प्रमुख बिंदु
शोध के बारे में:
- शोध में पॉलिमर बनाने की इस प्रक्रिया में गैर-खाद्यान अरंडी के तेल का उपयोग किया गया था जिसमें उन्हें सेल्यूलोज (कृषि अवशेषों से) और डाइ-आइसोसायनेट यौगिक के साथ अभिक्रिया कराने की अनुमति शामिल है।
- इन पॉलिमर को बैग, कटलरी या कंटेनर बनाने के लिये उपयुक्त गुणों वाली चादरों में ढाला जा सकता है।
- इस प्रकार बनाई गई सामग्री बायोडिग्रेडेबल, लीक-प्रूफ और गैर-विषाक्त होती है।
संभावित लाभ:
- एकल-उपयोग प्लास्टिक (SUP) की समस्या का समाधान करना: एकल-उपयोग प्लास्टिक के उपयोग में वृद्धि और साथ ही लैंडफिल के प्रबंधन की चुनौती के मद्देनज़र ऐसे विकल्प विशेष रूप से पैकेजिंग क्षेत्र (SUP के सबसे बड़े उपभोक्ता) में महत्त्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं।
कृषि अवशेषों की समस्या से निपटना
- जैसे- दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक प्रत्येक वर्ष सर्दियों में प्रदूषण के “गंभीर” या “खतरनाक” स्तर पर वायु गुणवत्ता में गिरावट को इंगित करता है और यह स्थिति आसपास के क्षेत्रों में कृषि अवशेषों को जलाने के कारण उत्पन्न होती है।
- सिंगल यूज़ प्लास्टिक के स्थान पर कृषि अवशेषों का उपयोग करने से सिर्फ वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि किसानों के लिये अतिरिक्त आय के अवसर भी सृजित होंगे।
स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में उपयोग
सिंगल-यूज़ प्लास्टिक के अन्य विकल्प:
- लंबी अवधि तक उपयोग में लाए जाने वाले प्लास्टिक के विकल्प जो अभी उपलब्ध हैं, इस प्रकार हैं- स्टेनलेस स्टील, काँच, प्लेटिनम सिलिकॉन, बाँस, मिट्टी के बर्तन और चीनी मिट्टी की वस्तुएँ आदि।
- इनके अलावा पारंपरिक प्लास्टिक को बदलने के लिये बायो-प्लास्टिक का उपयोग किया जा सकता है।
- बायोप्लास्टिक एक प्रकार का प्लास्टिक है जिसे प्राकृतिक संसाधनों जैसे वनस्पति तेलों और स्टार्च से निर्मित किया जाता है।
प्लास्टिक प्रदूषण को संबोधित करने की आवश्यकता:
- भारतीय केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018-2019 में भारतीयों द्वारा 33 लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पन्न किया गया था। हालाँकि कई रिपोर्टें में इसे कम करके आँका गया है।
- एक और चौंकाने वाला आँकड़ा यह है कि विश्व में उत्पादित सभी प्लास्टिक कचरे का 79% पर्यावरण में प्रवेश करता है।
- सभी प्रकार के प्लास्टिक कचरे के केवल 9% का ही पुनर्नवीनीकरण (Recycled) किया जाता है।
- प्लास्टिक अपशिष्ट का संचय पर्यावरण के लिये हानिकारक है और जब यह अपशिष्ट समुद्र में प्रवेश करता है तो जलीय पारिस्थितिक तंत्र को भी बड़ा नुकसान हो सकता है।
- SUP इतना सस्ता और सुविधाजनक है कि इसने पैकेजिंग उद्योग की अन्य सभी सामग्रियों को विस्थापित कर दिया है लेकिन इसे विघटित होने में सैकड़ों वर्ष लगते हैं।
तेल रिसाव के लिये सुपर-हाइड्रोफोबिक कॉटन कम्पोज़िट
चर्चा में क्यों
हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) गुवाहाटी ने मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क (MOF) के साथ एक सुपर-हाइड्रोफोबिक कॉटन कम्पोज़िट (Super-Hydrophobic Cotton Composite) विकसित किया है जो समुद्री तेल रिसाव को साफ कर सकता है।
मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क के विषय में:
यह एक नया एमओएफ कंपोज़िट है, जो एक जल-विकर्षक सामग्री है तथा तेल-पानी के मिश्रण से तेल को अवशोषित कर सकता है।
- इस एमओएफ कंपोज़िट में तेल-पानी के मिश्रण से तेल के पृथक्करण की बड़ी क्षमता (पृथक्करण दक्षता 95% और 98% के बीच) होती है, चाहे तेल की रासायनिक संरचना तथा घनत्व कुछ भी हो।
- यह बड़ी मात्रा में तेल को अवशोषित कर सकता है और इसे कम-से-कम 10 बार पुन: उपयोग किया जा सकता है। इसलिये इससे तेल रिसाव से गिरे हुए तेल को पुनः अधिक-से-अधिक प्राप्त किया जा सकता है। इसके द्वारा भारी और हल्के दोनों प्रकार के तेल को प्रभावी ढंग से अवशोषित किया जा सकता है जो आसान, लागत प्रभावी और पुन: प्रयोज्य है।
महत्त्व:
- यह उच्च दक्षता और अधिक अवशोषण क्षमता के साथ तेल परिवहन के दौरान पर्यावरणीय जल (नदी, समुद्र या समुद्र के पानी) में फैला हुआ तेल साफ करेगा, इस प्रकार पर्यावरणीय जल प्रदूषण को कम करेगा।
- यह पर्यावरण के अनुकूल और लागत प्रभावी है। इस तरह की कम लागत वाली सामग्री वर्तमान में उपलब्ध सामग्रियों की तुलना में वास्तविक अनुप्रयोगों के लिये बड़े पैमाने पर संश्लेषण हेतु सामग्री की उत्पादन लागत को कम करेगी।
तेल रिसाव के विषय में:
- तेल रिसाव पर्यावरण में कच्चे तेल, गैसोलीन, ईंधन या अन्य तेल उत्पादों के अनियंत्रित रिसाव को संदर्भित करता है। तेल रिसाव की घटना भूमि, वायु या पानी को प्रदूषित कर सकती है, हालाँकि इसका उपयोग सामान्य तौर पर समुद्र में तेल रिसाव के संदर्भ में किया जाता है।
- गंभीर जल संदूषण मनुष्यों के साथ-साथ अन्य जीवित प्रजातियों के स्वास्थ्य के लिये खतरा है।
- मुख्य रूप से महाद्वीपीय चट्टानों पर गहन पेट्रोलियम अन्वेषण एवं उत्पादन तथा जहाज़ों में बड़ी मात्रा में तेल के परिवहन के परिणामस्वरूप तेल रिसाव एक प्रमुख पर्यावरणीय समस्या बन गई है।
- तेल रिसाव फिशिंग को तत्काल रूप से प्रभावित करता है और समुद्री मार्गों के माध्यम से पर्यटन तथा वाणिज्य को भी प्रभावित करता है।
GST परिषद की 45वीं बैठक
प्रमुख बिंदु
- परिषद ने दिसंबर 2021 तक कोविड-19 उपचार से संबंधित कई दवाओं पर GST राहत के विस्तार का निर्णय लिया।
- अब रेस्तराँ भागीदारों के बजाय ऑनलाइन फूड डिलीवरी एग्रीगेटर फर्म जैसे स्विगी और ज़ोमैटो GST का भुगतान करने के लिये उत्तरदायी होंगे।
- परिषद ने पेट्रोल और डीज़ल को GST के दायरे में नहीं लाने का फैसला किया है। राज्यों ने इनकी कीमतों में उछाल पर चिंता जताते हुए बैठक के दौरान ईंधन को शामिल करने का कड़ा विरोध किया।
- एकीकृत बाल विकास योजना जैसी योजनाओं के लिये फोर्टिफाइड चावल पर GST दर को 18% से घटाकर 5% करने की सिफारिश की गई है।
- रिवर्स शुल्क ढाँचे को ठीक करने और राजस्व बढ़ाने के प्रयास हेतु दर युक्तिकरण संबंधी मुद्दों को देखने के लिये राज्य के मंत्रियों के एक समूह (GOM) का गठन किया जाएगा।
GST परिषद
- यह माल और सेवा कर से संबंधित मुद्दों पर केंद्र एवं राज्य सरकार को सिफारिशें करने के लिये अनुच्छेद 279A के तहत एक संवैधानिक निकाय है।
- GST परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करता है और सभी राज्यों के वित्त मंत्री परिषद के सदस्य होते हैं।
- इसे एक संघीय निकाय के रूप में स्थापित किया गया है जहाँ केंद्र और राज्यों दोनों को उचित प्रतिनिधित्व मिलता है।
शंखलिपि
(Shankhalipi)
- हाल ही में, पुरातत्वविदों को उत्तर प्रदेश के एटा जिले में एक गुप्तकालीन प्राचीन मंदिर की सीढ़ियों पर ‘शंखलिपी’ में उत्कीर्ण शिलालेख मिले है।
- इन अभिलेखों में ‘श्री महेन्द्रादित्य’ का उल्लेख किया गया है, जोकि गुप्त वंश के शासक ‘कुमारगुप्त प्रथम’ की उपाधि थी।
नवीनतम खोजों का महत्व:-
- यह खोज इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि गुप्त-काल में अब तक केवल दो अन्य संरचनात्मक मंदिर- दशावतार मंदिर (देवगढ़) और भितरगांव मंदिर (कानपुर देहात) – पाए गए हैं।
शंखलिपि’ के बारे में:-
- ‘शंखलिपि’ या “शेल-स्क्रिप्ट” (shell-script), अलंकृत सर्पिल वर्णों / अक्षरों को व्यक्त करती है, इस लिपि में वर्ण ‘शंख’ की तरह दिखते है, और इन्हें ब्राह्मी लिपि से व्युत्पन्न माना जाता है।
- इस लिपि में उत्कीर्ण अभिलेख उत्तर-मध्य भारत में पाए जाते हैं और इन्हें चौथी और आठवीं शताब्दी के बीच का माना जाता है।
- इस लिपि की खोज, अंग्रेजी विद्वान जेम्स प्रिंसेप द्वारा 1836 में उत्तराखंड के बाराहाट में पीतल के त्रिशूल पर की गई थी।
अंतरराष्ट्रीय ब्लू फ्लैग प्रमाणन
- हाल ही में दो अन्य भारतीय समुद्र तटों (तमिलनाडु में कोवलम और पुडुचेरी में इडेन) को ब्लू फैन प्रमाणन प्रदान किया गया है।
- भारत में ब्लू फ्लैग प्रमाणन करने वाले समुद्र तटों की संख्या 10 हो गई है-
- शिवराजपुर – गुजरात
- घोघला – दीव
- कासरकोड – कर्नाटक
- पदुबिद्री – कर्नाटक
- कप्पल – केरल
- रूशिकोंडा – आंध्र प्रदेश
- गोल्डन – ओडिशा
- राधानगर – अंडमान एवं निकोबार
- कोवलम – तमिलनाडु
- इडेन- पुडुचेरी
- ब्लू फ्लैग समुंद्र तट पर एक ईको-टूरिज्म मॉडल है, जो पर्यटकों को नहाने के लिए स्वच्छ जल, सुविधाओं सुरक्षित एवं स्वस्थ वातावरण प्रदान करने के साथ क्षेत्र के सतत विकास को बढ़ावा देने वाले समुद्र तटों को चिन्हित करता है।
तटीय पर्यावरण एवं सुरुचिपूर्ण प्रबंधन सेवा (BEAMS) कार्यक्रम
- यह भारत के तटीय क्षेत्रों के सतत विकास के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन दृष्टिकोण के तहत शुरू की गई एक पहल है ।
उद्देश्य:-
- तटीय समुंद्र में प्रदूषण को कम करना।
- समुद्री वस्तुओं के सतत विकास को बढ़ावा देना।
- तटीय पारिस्थितिकी तंत्र एवं प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना।
- स्थानीय अधिकारियों एवं हित धारकों को समुद्र तट पर जाने वालों के लिए साफ- सफाई, स्वच्छता एवं सुरक्षा के उच्च मानकों को तटीय पर्यावरण एवं विनियमो के अनुसार बनाए रखने के लिए सख्ती से निर्देशन करना।
राजनीतिक दलों को मान्यता देना / समाप्त करना
दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिका में, याचिकाकर्ता द्वारा संविधान और जनप्रतिनिधित्व कानून का कथित जानबूझकर उल्लंघन करने के कारण आम आदमी पार्टी की एक पार्टी के रूप में मान्यता रद्द करने और जनता के हित में मुख्यमंत्री केजरीवाल और अन्य मंत्रियों को संवैधानिक पद से हटाने की मांग की है।
- राजनीतिक दलों का पंजीकरण लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 298 के प्रावधानों के अंतर्गत किया जाता है।
- किसी भी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त करने हेतु राज्य में हुए लोकसभा या विधानसभा के चुनाव में होने वाले मतदान के कुल वैध मतों का न्यूनतम 6% हासिल करना अनिवार्य होता है।
- किसी भी राज्य अथवा राज्यों के लोक सभा में न्यूनतम 4 सीट पर विजय प्राप्त करना चाहिए।
- लोकसभा सीटों की 2% सीटों पर जीत हासिल की गई हो।
लाभ
- राष्ट्रीय राजनीतिक दल के रूप में मान्यता प्राप्त किसी पंजीकृत दल को पूरे भारत में अपने उम्मीदवारों को दल के लिए चुनाव चिन्ह आवंटित करने का विशेषाधिकार।
- आम चुनाव के दौरान उन्हें आकाशवाणी और दूरदर्शन पर प्रसारण की सुविधा दी जाती है।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
सुरजीत गुप्ता – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।