ग्रामीण विकास योजनाएँ
कोविड-19 महामारी के बावजूद, देश में ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं में प्रगति परिलक्षित होती रही है।
प्रमुख बिंदु
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), 2005:
इस योजना को एक सामाजिक उपाय के रूप में प्रदर्शित किया गया था जो “रोज़गार के अधिकार” की गारंटी देती है। इस योजना के संपूर्ण कार्यान्वयन की निगरानी ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों के सहयोग से किया जाता है।
प्रमुख उद्देश्य:
मनरेगा कार्यक्रम के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार के अकुशल श्रम करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों के लिये एक वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 100 दिन का गारंटीयुक्त रोज़गार प्रदान किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप निर्धारित गुणवत्ता और स्थायित्व की उत्पादक संपत्ति का निर्माण होता है।
मनरेगा की संपत्तियों में प्रमुख रूप से खेत, तालाब, रिसाव टैंक, चेक डैम, सड़क की मरम्मत, सिंचाई प्रणाली आदि शामिल हैं।
अन्य विशेषताएँ
इसमें शामिल ग्राम पंचायतों द्वारा मनरेगा के तहत कार्यों की प्रकृति को मंजूरी देकर उनकी प्राथमिकता तय की जाती है।
मनरेगा के तहत किये गए कार्यों का सामाजिक-लेखांकन (Social Audit) अनिवार्य है, जिसके परिणामस्वरूप जवाबदेही और पारदर्शिता में विस्तार होता है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM)
यह जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया एक केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है।
उद्देश्य :
इस योजना का उद्देश्य देश में ग्रामीण गरीब परिवारों हेतु कौशल विकास और वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुँच के माध्यम से आजीविका के अवसरों में वृद्धि कर ग्रामीण गरीबी को कम करना है।
कार्यप्रणाली:
इसमें स्व-सहायतित उद्देश्यों की पूर्ति के लिये सामुदायिक पेशेवरों के माध्यम से सामुदायिक संस्थाओं के साथ कार्य किया जाना शामिल है जो DAY-NRLM का एक अनूठा प्रस्ताव है।
स्वयं-सहायता संस्थानों और बैंकों के वित्तीय संसाधनों तक पहुँच के माध्यम से अन्य सुविधाओं के साथ-साथ प्रत्येक ग्रामीण गरीब परिवार से एक महिला सदस्य को स्वयं सहायता समूहों (SHGs) में शामिल कर, उनके प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, उनकी सूक्ष्म-आजीविका योजनाओं को सुविधाजनक बनाना और उन्हें अपनी आजीविका योजनाओं को लागू करने में सक्षम बनाकर सार्वभौमिक सामाजिक लामबंदी के माध्यम से आजीविका को प्रभावित करना है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY)
आरंभ : 25 दिसंबर , 2000.
उद्देश्य
इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य निर्धारित मानकों को पूरा करने वाली असंबद्ध बस्तियों को बारहमासी सड़क नेटवर्क प्रदान करना है।
लाभार्थी
इसमें निर्धारित जनसंख्या वाली असंबद्ध बस्तियों को ग्रामीण संपर्क नेटवर्क प्रदान कर ग्रामीण क्षेत्रों का सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण करना शामिल है। योजना के अंतर्गत जनसंख्या का आकार (2001 की जनगणना के अनुसार) मैदानी क्षेत्रों में 500+ और उत्तर-पूर्वी राज्यों, हिमालयी राज्यों, मरुस्थलीय और जनजातीय क्षेत्रों में 250+ निर्धारित किया गया है।
प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण
आरंभ :
वर्ष 2022 तक ‘सभी के लिये आवास’ के उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु 1 अप्रैल, 2016 को पूर्ववर्ती इंदिरा आवास योजना (Indira Awaas Yojana-IAY) का पुनर्गठन कर उसे प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) कर दिया गया था।
उद्देश्य :
पूर्ण अनुदान सहायता प्रदान करके आवास इकाइयों के निर्माण और मौजूदा गैर-लाभकारी कच्चे घरों के उन्नयन में गरीबी रेखा (बीपीएल) से नीचे रह रहे ग्रामीण लोगों की मदद करना।
लाभार्थी
इसके लाभार्थियों में एससी/एसटी, मुक्त बंधुआ मज़दूर और गैर-एससी/एसटी श्रेणियाँ, विधवाओं या कार्रवाई में मारे गए रक्षाकर्मियों के परिजन, पूर्व सैनिक एवं अर्द्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त सदस्य, विकलांग व्यक्ति तथा अल्पसंख्यक शामिल हैं।
2011 की सामाजिक-आर्थिक जातीय जनगणना (SECC) से प्राप्त आँकड़ों के अनुसार लाभार्थियों का चयन किया जाता है।
उपलब्धियाँ
वित्त वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण के अंतर्गत 5854 करोड़ रुपए का सबसे अधिक व्यय दर्ज किया गया जो वित्त वर्ष 2020 की तुलनीय अवधि के मुकाबले दोगुना है।
न्यायाधीशों का सुनवाई से इंकार
(Recusal of Judges)
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की याचिका पर सुनवाई करने वाली उच्चतम न्यायालय की ‘अवकाशकालीन पीठ’ (Vacation Bench) के दो न्यायाधीशों में से एक जस्टिस बी.आर. गवई ने खुद को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया है। परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई विभागीय जांच को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।
‘न्यायिक निरर्हता’ अथवा ‘सुनवाई से इंकार’ का तात्पर्य:
किसी पीठासीन न्यायायिक अधिकारी अथवा प्रशासनिक अधिकारी द्वारा हितों के टकराव के कारण किसी न्यायिक सुनवाई अथवा आधिकारिक कार्रवाई में भागीदारी से इंकार करने को न्यायिक निरर्हता (Judicial disqualification), ‘सुनवाई से इंकार’ करना अथवा ‘रिक्युजल’ (Recusal) कहा जाता है।
‘सुनवाई से इंकार’ करने हेतु सामान्य आधार:
- किसी तर्कशील निष्पक्ष पर्यवेक्षक को लगता है कि, न्यायाधीश किसी एक पक्षकार के प्रति सद्भाव रखता है, अथवा अन्य पक्षकार के प्रति द्वेषपूर्ण है, अथवा न्यायाधीश किसी के प्रति पक्षपाती हो सकता है।
- न्यायाधीश का मामले में व्यक्तिगत हित है अथवा वह मामले में व्यक्तिगत हित रखने वाले किसी व्यक्ति से संबंध रखता है।
- न्यायाधीश की पृष्ठभूमि अथवा अनुभव, जैसे कि न्यायाधीश के वकील के रूप में किये गए पूर्व कार्य।
- मामले से संबंधित तथ्यों अथवा पक्षकारों से व्यक्तिगत तौर पर परिचय।
- वकीलों या गैर-वकीलों के साथ एक पक्षीय संवाद।
- न्यायाधीशों के अधिनिर्णय, टिप्पणियां अथवा आचरण।
इस संबंध में क़ानून: - न्यायाधीशों द्वारा ‘सुनवाई से इंकार’ करने संबंधी कोई निश्चित नियम निर्धारित नहीं है।
निर्वाचन आयोग के लिए स्वतंत्र कॉलेजियम
• हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के एक स्वतंत्र कालेजियम के गठन की मांग की गई थी।
निर्वाचन आयोग
• संविधान का अनुच्छेद 324 एक चुनाव आयोग की नियुक्ति का प्रावधान करता है।
• निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त संवैधानिक निकाय है।
• यह देश में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के चुनाव का संचालन करता है।
• निर्वाचन आयोग में मूलतः केवल एक चुनाव आयुक्त का प्रावधान था, लेकिन चुनाव आयुक्त संशोधन अधिनियम 1989 के बाद इसे बहु- सदस्यीय निकाय बना दिया गया।
• वर्तमान में इसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्त शामिल हैं।
• इसका सचिवालय नई दिल्ली में है।
नियुक्ति की वर्तमान प्रणाली
• संविधान के अनुसार, मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए कोई निर्धारित प्रक्रिया नहीं है।
• लेन-देन के व्यापार नियम 1961 के तहत, राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सिफारिश पर मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त को नियुक्त करता है।
• मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करना राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्ति है।
• हालांकि संविधान के अनुच्छेद 324 (5) के तहत, संसद के पास चुनाव आयोग की सेवा शर्तें और कार्यकाल को विनियमित करने की शक्ति है।
स्वतंत्र कॉलेजियम के लिए विभिन्न समितियों की सिफारिश
• मार्च 2015 में विधि आयोग की 255वीं रिपोर्ट की भी हिस्सा थी।
• द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग, वर्ष 2009 में अपनी चौथी रिपोर्ट में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त के लिए एक कॉलेजियम प्रणाली का सुझाव दिया।
• वर्ष 1990 में दिनेश गोस्वामी समिति ने चुनाव आयोग में नियुक्ति के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष के नेता के साथ प्रभावी परामर्श की सिफारिश की।
• वर्ष 1975 में न्यायमूर्ति तारकुंंडे समिति ने सिफारिश की कि निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, लोकसभा के विपक्ष का नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की एक समिति पर करना चाहिए।
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना
(PMSSY)
PMSSY के तहत अब तक 22 नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) स्थापित करने की मंजूरी दी गई है, जिनमें से छह पहले ही पूर्णतया: क्रियाशील हैं।
PMSSY के बारे में
• केंद्र सरकार द्वारा PMSSY की घोषणा वर्ष 2003 में देश के विभिन्न भागों में स्वस्ति/विश्वसनीय तृतीयक स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं की उपलब्धता ने असंतुलन विसंगतियों को दूर करने तथा शेष में गुणवत्तापूर्ण और बेहतर चिकित्सा शिक्षा के लिए सुविधाओं का विस्तार करने के उद्देश्य से की गई थी।
• PMSSY का कार्यान्वयन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
इस योजना के दो घटक है।
• नए एम्स ( AIIMS) संस्थानों की स्थापना।
• विभिन्न राज्यों में सरकारी मेडिकल कॉलेजों का उन्नयन।
• प्रत्येक मेडिकल कॉलेज संस्थान के उन्नयन हेतु परियोजना लागत को केंद्र और राज्य सरकारों के मध्य साझा किया जाता है।
चुनावी बांण्ड
• चुनावी बांण्ड राजनीतिक दलों को दान देने हेतु एक वित्तीय साधन है।
• चुनावी बांण्ड बिना किसी अधिकतम सीमा के ₹1000 से ₹10000,₹1लाख , 10 लाख रुपए एक करोड रुपए के गुणको में जारी किए जाते हैं।
• RBI इन बांण्डो को जारी करने और भुनानेेेे के लिए अधिकृत बैंक हैं।
• ये तारीख से 15 दिनों तक बैध रहते हैं।
• पंजीकृत राजनीतिक पार्टी ही बांण्ड प्राप्त करने योग्य है। और जिन्होंने बीते आम चुनाव में कम से कम 2% प्रतिशत मत प्राप्त किया।
• बॉण्ड पर दाता के नाम का उल्लेख नहीं किया जाता है।
समस्याएं
• पारदर्शिता की कमी क्योंकि जनता को यह नहीं पता की कौन किसको क्या दे रहा है और बदले में इन्हें क्या मिल रहा है।
• मंत्रालयों के माध्यम से केवल सरकार के पास ही इसकी जानकारी रहती है।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।