भारत का पहला क्रिप्टोगेमिक गार्डन
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में के देहरादून के चकराता शहर में भारत के पहले क्रिप्टोगेमिक गार्डन (Cryptogamic Garden) का उद्घाटन किया गया।
- गार्डन में लाइकेन, फर्न और कवक ( इनके सामूहिक रूप को क्रिप्टोगेमिक के रूप में जाना जाता है) की लगभग 50 प्रजातियाँ दिखाई देगी।
पादप समुदाय के बारे में:-
- पादप समुदाय को दो उप-समुदायों में विभाजित किया जा सकता है- क्रिप्टोगेम (Cryptogams) और फेनरोगेम(Phanerogams)|
- क्रिप्टोगेम में बीज रहित पौधे और पौधे जैसे जीव होते हैं, जबकि फेनरोगेम में बीज वाले पौधे होते हैं। फेनरोगेम के दो वर्ग अर्थात् जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म होते है। .
इस उद्यान/गार्डन के स्थानीय कारक:
- यह उद्यान चकराता के देवबन में 9,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है।
- इस क्षेत्र को इसके निम्न प्रदूषण स्तर और आर्द्र जलवायु परिस्थितियों के कारण चुना गया है जो इन प्रजातियों के विकास के लिये अनुकूल है।
- इसके अतिरिक्त देवबन में देवदार और ओक के प्राचीन । वन हैं जो क्रिप्टोगेमिक प्रजातियों के लिये एक प्राकृतिक आवास निर्मित करते हैं।
क्रिप्टोगेम (Cryptogams):
- क्रिप्टोगेम एक पौधा है जो बीजाणुओं द्वारा प्रजनन करता है।
- इन प्रजातियों के अनुकूलन हेतु आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। ये जलीय और स्थलीय दोनों क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- फूल का उत्पादन नहीं करते हैं। इसी कारण इन्हें “फूल रहित” या “बीज रहित पौधे” या ‘लोअर प्लांट” कहा जाता है।
- क्रिप्टोगेम के सबसे प्रसिद्ध समूह शैवाल, लाइकेन, काई और फर्न हैं।
क्रिप्टोगेम का वर्गीकरण: क्रिप्टोगेम को पौधे के विभिन्न संरचनात्मक और कार्यात्मक मानदंडों के आधार पर 3 समूहों में वर्गीकृत किया जाता है।
● थैलोफाइटा (Thallophyta):
- थैलोफाइटा पादप समुदाय का एक विभाजन है जिसमें पौधे के जीवन के प्राचीनतम रूप शामिल हैं जो एक सामान्य पौधे की संरचना को प्रदर्शित करते हैं। इस प्रकार के पौधों में जड़ों, तनों या पत्तियों की कमी होती है।
- इसमें शैवाल जैसे स्पाइरोगाइरा(Spirogyra), सरगासम (Sargassum) आदि शामिल हैं। ये मुख्य रूप से जलीय पौधे हैं तथा खारे और मीठे दोनों जल क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
● ब्रायोफाइटा (Bryophyta):
- ब्रायोफाइट्स में सीमित प्रजाति के गैर-संवहनी भूमि के पौधे शामिल होते हैं। उदाहरण- हॉर्नवॉर्ट्स (Hornworts), हपैटिक्स (Liverworts), हरिता (Mosses) इत्यादि।
- वे शैवाल और टेरिडोफाइट्स के बीच एक मध्यवर्ती स्थिति पर उगते है।
- चूँकि ब्रायोफाइटा को पादप जगत का उभयचर भी कहा जाता है क्योंकि ये भूमि और जल पर जीवित रह सकते हैं।
● टेरिडोफाइटा (Pteridophyta):
- टेरिडोफाइटा एक संवहनी पौधा है जो बीजाणुओं को फैलाता है। यह जाइलम और फ्लोएम वाला पहला पौधा है।
- फर्न प्राचीनतम संवहनी पौधों का सबसे बड़ा जीवित समूह है।
क्रिप्टोगेम के अन्य प्रकार:-
● लाइकेन:-
- लाइकेन एक मिश्रित जीव है जिसमें दो अलग-अलग जीवों, एक कवक और एक शैवाल के बीच पारस्परिक
- कल्याणकारी सहजीविता होती है।
●कवक:-
- यह सामान्यत: बहुकोशिकीय यूकेरियोटिक जीवों का एक समुदाय है जो परपोषी होते हैं।
भारत की तिब्बत नीति
चर्चा में क्यों
हाल ही में कुछ चीनी नागरिकों ने भारत में दलाई लामा के जन्मदिन के जश्न का विरोध किया।
- भारत और चीन संबंधों के बीच दलाई लामा एवं तिब्बत प्रमुख अड़चन हैं।
- चीन दलाई लामा को अलगाववादी मानता है, जिसका तिब्बतियों पर अधिक प्रभाव है। भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की निरंतर आक्रामकता का मुकाबला करने के लिये तिब्बती कार्ड का उपयोग करना चाहता है।
भारत की तिब्बत नीति की पृष्ठभूमि:
- वर्षो से तिब्बत भारत का एक अच्छा पड़ोसी रहा है, क्योंकि भारत की अधिकांश सीमाओं सहित 3500 किमी. LAC तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र के साथ जुड़ा है, न कि शेष चीन के साथ।
- वर्ष 1914 में चीनियों व तिब्बती प्रतिनिधियों ने ब्रिटिश भारत के साथ शिमला सम्मेलन पर हस्ताक्षर किये जिसने सीमाओं का अंकन किया।
- हालाँकि वर्ष 1950 में चीन द्वारा तिब्बत पर पूर्ण रूप से अधिकार करने के बाद चीन ने उस सम्मेलन और मैकमोहन रेखा को अस्वीकार कर दिया जिसने दोनों देशों को विभाजित किया था।
- इसके अलावा 1954 में भारत ने चीन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसमें तिब्बत को “चीन के तिब्बत क्षेत्र” के रूप में मान्यता देने पर सहमति हुई।
- वर्ष 1959 में तिब्बती विद्रोह के बाद दलाई लामा (तिब्बती लोगों के आध्यात्मिक नेता) और उनके कई अनुयायी भारत आ गए।
- पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें और तिब्बती शरणार्थियों को आश्रय दिया तथा निर्वासन की स्थिति में तिब्बती सरकार की स्थापना में मदद की।
- आधिकारिक भारतीय नीति यह है कि दलाई लामा एक आध्यात्मिक नेता हैं और भारत में एक लाख से अधिक निर्वासितों के साथ तिब्बती समुदाय को किसी भी राजनीतिक गतिविधि का अधिकार नहीं है।
भारत की तिब्बत नीति में बदलाव:
- भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव की स्थिति में भारत की तिब्बत नीति में बदलाव आया है। नीति में यह बदलाव, सार्वजनिक मंचों पर दलाई लामा के साथ सक्रिय रूप से प्रबंधन करने वाली भारत सरकार को चिह्नित करता है। उदाहरण के लिये
- वर्ष 2014 में भारत के प्रधानमंत्री ने भारत में निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रमुख लोबसंग सांगे को अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया था।
- हालाँकि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2019 में दूसरे पाँच साल के कार्यकाल के लिये फिर से चुने जाने के बाद उन्हें आमंत्रित नहीं किया, ताकि उनके और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक द्वितीय अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के लिये एक सुगम मार्ग सुनिश्चित किया जा सके।
- हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने दलाई लामा को वर्ष 2013 के बाद पहली बार सार्वजनिक स्वीकृति मिलने की शुभकामनाएँ दीं।
- भारत की तिब्बत नीति में बदलाव मुख्य रूप से प्रतीकात्मक पहलुओं पर केंद्रित है, लेकिन तिब्बत नीति के प्रति भारत के दृष्टिकोण से संबंधित कई चुनौतियाँ हैं।
तिब्बत नीति के प्रति भारतीय दृष्टिकोण से जुड़ी चुनौतियाँ:
- तिब्बती जनसांख्यिकी में परिवर्तन: पिछले कुछ दशकों में चीन अपनी मुख्य भूमि से लोगों को तिब्बत में प्रवास करने हेतु प्रोत्साहित कर रहा है।
- चीन उस तिब्बती आबादी का दमन कर रहा है जो दलाई लामा से संबंधित है या उसका समर्थन करती है तथा इस क्षेत्र में अपने निवेश, बुनियादी ढांँचा परियोजनाओं को बढ़ा रहा है।
- तिब्बती लोगो का एक-दूसरे के खिलाफ प्रयोग: जैसे-जैसे भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ रहा है तथा गालवान घाटी संघर्ष के बाद यह और हिंसक हो गया है, चीन ने तिब्बती मिलिशिया समूहों को समर्थन देना शुरू कर दिया है।
- इसके विपरीत भारतीय सेना तिब्बती स्पेशल फ्रंटियर फोर्स को प्रशिक्षित करती है, जिससे भविष्य में तिब्बती एक-दूसरे के खिलाफ लड़ सकते हैं।
- तिब्बती नागरिकता का मुद्दा: भारत सरकार 1987 के कट-ऑफ वर्ष के बाद से भारत में पैदा हुए तिब्बतियों को नागरिकता प्रदान नहीं करती है।
- इससे तिब्बती समुदाय के युवाओं में असंतोष की भावना उत्पन्न हुई है।
- इसके अलावा पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका द्वारा तिब्बती शरणार्थियों को स्वीकार किये जाने से अमेरिका की भूमिका महत्त्वपूर्ण हुई है। यह भविष्य में तिब्बती शरणार्थी संबंधी बहस के मुद्दे को प्रभावित करने वाली एकमात्र इकाई के रूप में भारत की भूमिका को प्रभावित करेगा।
- दलाई लामा के उत्तराधिकार का प्रश्न: 86 वर्षीय दलाई लामा न केवल एक आध्यात्मिक नेता हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर तिब्बती समुदाय के राजनीतिक नेता भी हैं।
- दलाई लामा का दावा है कि उनका उत्तराधिकारी भारत के एक विशिष्ट क्षेत्र में या यहांँ तक कि ताइवान जैसे किसी अन्य देश में एक जीवित अवतार हो सकता है।
आगे की राह:
- वर्तमान में भारत में बसने वाले तिब्बतियों को लेकर एक कार्यकारी नीति (कानून नहीं) है।
- भारत की वर्तमान तिब्बती नीति भारत में बसने वाले तिब्बतियों के कल्याण एवं विकास हेतु महत्त्वपूर्ण है, परंतु यह तिब्बत के मुख्य मुद्दों का कानूनी समर्थन नहीं करती है। उदाहरण के लिये तिब्बत के विध्वंसकारकों द्वारा तिब्बत में स्वतंत्रता की मांग।
- अत: अब समय आ गया है कि भारत को भी चीन से निपटने में तिब्बत के मुद्दे पर अधिक मुखर रुख अपनाना चाहिये।
- इसके अलावा भारत में तिब्बत की एक युवा और अशांत आबादी निवास करती है, जो दलाई लामा के गुज़रने के बाद अपने नेतृत्व और कमान संरचना हेतु भारत से बाहर दिखती है। अत: भारत को ऐसी स्थिति से बचने की भी ज़रुरत है।
आरबीआई रिटेल डायरेक्ट योजना:-
चर्चा में क्यों
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने ‘आरबीआई रिटेल डायरेक्ट’ योजना की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु
- इस योजना के तहत व्यक्तिगत खुदरा निवेशकों को भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ ‘खुदरा प्रत्यक्ष गिल्ट खाता’ (RDG Account) खोलने और उसे नियंत्रित करने की सुविधा प्रदान की जाएगी।
- खुदरा निवेशक एक गैर-पेशेवर निवेशक होता है, जो प्रतिभूतियों या फंडों, जिसमें म्यूचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) आदि शामिल हैं, को खरीदता एवं बेचता है।
- एक गिल्ट खाते की तुलना बैंक खाते से की जा सकती है, किंतु इस खाते में पैसे के बजाय ट्रेज़री बिल या सरकारी प्रतिभूतियों को डेबिट या क्रेडिट किया जाता है।
- गिल्ट खाते इस योजना के प्रयोजन के उद्देश्य से उपलब्ध कराए गए ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से खोले जा सकते हैं।
- यह ऑनलाइन पोर्टल पंजीकृत उपयोगकर्त्ताओं को सरकारी प्रतिभूतियों के प्राथमिक जारीकर्त्ता और ‘नेगोशिएटेड डीलिंग सिस्टम-ऑर्डर मैचिंग सिस्टम’ (NDS-OM) तक पहुँच प्रदान करेगा।
- रिज़र्व बैंक ने अगस्त 2005 में ‘नेगोशिएटेड डीलिंग सिस्टम-ऑर्डर मैचिंग सिस्टम’ की शुरुआत की थी। यह सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेन के लिये एक इलेक्ट्रॉनिक, स्क्रीन आधारित, ऑर्डर संचालन व्यापार प्रणाली है।
- यह व्यक्तिगत निवेशकों के लिये सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश की सुविधा को आसान बनाने हेतु वन-स्टॉप समाधान है।
- रिज़र्व बैंक, वाणिज्यिक बैंकों एवं म्यूचुअल फंड से परे सरकारी ऋण प्रतिभूतियों के स्वामित्व का प्रजातंत्रीकरण (Democratize ) करना चाहता है