आई-फैमिलिया (I-Familia) : लापता व्यक्तियों की पहचान के लिये वैश्विक डेटाबेस
हाल ही में इंटरपोल ने परिवार के डीएनए के माध्यम से लापता व्यक्तियों की पहचान करने और सदस्य देशों के जटिल मामलों को सुलझाने में पुलिस की मदद करने के लिये आई-फैमिलिया (I-Familia) नामक एक नया वैश्विक डेटाबेस लॉन्च किया है।
I-Familia के बारे में
- I-Familia अंतर्राष्ट्रीय डीएनए (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) नातेदारी संबंधों के आधार पर लापता व्यक्तियों की पहचान करने के लिये इस प्रकार का पहला वैश्विक डेटाबेस है।
- डेटाबेस लापता व्यक्तियों या अज्ञात मानव अवशेषों को परिवार के सदस्यों के डीएनए नमूनों का उपयोग करके पहचान करता है , जबकि इसकी प्रत्यक्ष तुलना संभव नहीं है।
- परिवार के सदस्यों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खोज के लिये अपने डेटा का उपयोग करने हेतु सहमति देनी होगी।
- यह प्रयत्क्ष डीएनए मैचिंग में इंटरपोल की लंबे समय से किये जा रहे सफलतम प्रयास का परिणाम है।
कार्यकारी:
I-Familia के तीन घटक हैं:
- रिश्तेदारों द्वारा प्रदान किये गए डीएनए प्रोफाइल की पहचान करने के लिये एक समर्पित वैश्विक डेटाबेस है, जिसे किसी भी आपराधिक डेटा से अलग रखा गया है।
- डीएनए मैचिंग सॉफ्टवेयर को बोनापार्ट (Bonaparte) कहा जाता है।
- संभावित मैचिंग की रिपोर्ट और कुशलतापूर्वक पहचान करने के लिये इंटरपोल द्वारा व्याख्या दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं।
- मैचिंग की स्थिति के दौरान उन देशों को सूचनाएँ भेजी जाती हैं, जिन्होंने क्रमशः अज्ञात शरीर और परिवार से डीएनए प्रोफाइल को उपलब्ध कराया है।
महत्त्व :
- बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय यात्राएँ, संगठित अपराध और मानव तस्करी की व्यापकता, वैश्विक प्रवास में वृद्धि, संघर्ष तथा प्राकृतिक आपदाओं के कारण दुनिया भर में लापता व्यक्तियों और अज्ञात पीड़ितों की संख्या में वृद्धि से अंतर्राष्ट्रीय चिंताएँ बढ़ रही हैं।
- सभी देशों में अनसुलझे (Unsolved) लापता व्यक्तियों के मामलों के साथ-साथ मानव अवशेष को भी जाँचा जाता हैं क्योंकि इन्हें अकेले उनकी राष्ट्रीय प्रणालियों का उपयोग करके पहचाना नहीं जा सकता है।
इंटरपोल (Interpol)
- अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (इंटरपोल) एक अंतर-सरकारी संगठन है जो 194 सदस्य देशों के पुलिस बल के समन्वय में मदद करता है।
- प्रत्येक सदस्य देश द्वारा एक इंटरपोल नेशनल सेंट्रल ब्यूरो (NCB) की मेज़बानी की जाती है। यह उनके राष्ट्रीय कानून प्रवर्तन को अन्य देशों और सामान्य सचिवालय से जोड़ता है।
- केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को भारत के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो के रूप में नामित किया गया है।
- इसका मुख्यालय फ्राँस के ल्यों (Lyon) में है।
धान, दलहन, तिलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की घोषणा
केंद्र सरकार द्वारा साधारण धान, दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों के लिए ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (Minimum Support Price- MSP) में बढ़ोतरी की घोषणा की गई है।
हाल ही में, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs– CCEA) द्वारा यह निर्णय लिया गया।
‘ न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (MSP) क्या होता है?
- ‘ न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (Minimum Support Prices -MSPs), किसी भी फसल का वह ‘न्यूनतम मूल्य’ होता है, जिस पर सरकार किसानों से फसल खरीदती है, और इसकी गणना, किसानों की उत्पादन लागत के कम से कम डेढ़ गुना कीमत, के आधार पर की जाती है।
- 2018-19 के केंद्रीय बजट में की गई घोषणा के अनुसार, MSP को उत्पादन लागत के डेढ़ गुना के बराबर रखा जाएगा।
- ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (MSP) का निर्धारण ‘कृषि लागत एवं मूल्य आयोग’ (Commission for Agricultural Costs and Prices– CACP) की संस्तुति पर, एक वर्ष में दो बार किया जाता है।
- कृषि लागत एवं मूल्य आयोग’ (CACP) एक वैधानिक निकाय है, जो खरीफ और रबी मौसम के लिए कीमतों की सिफारिश करने वाली अलग-अलग रिपोर्ट तैयार करता है।
MSP निर्धारित करने में शामिल की जाने वाली उत्पादन लागतें:
- ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (MSP) का निर्धारण करते समय, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP), ‘A2+FL’ तथा ‘C2’ लागत, दोनों को ध्यान में रखता है।
- ‘A2’ लागत में किसान द्वारा सीधे नकद रूप में और बीज, खाद, कीटनाशक, मजदूरों की मजदूरी, ईंधन, सिंचाई आदि पर किये गए सभी तरह के भुगतान को शामिल किया जाता है।
- ‘A2+FL’ में ‘A2’ सहित अतिरिक्त अवैतनिक पारिवारिक श्रम का एक अनुमानित मूल्य शामिल किया जाता है।
- C2 लागत में, कुल नगद लागत और किसान के पारिवारिक पारिश्रामिक (A2+FL) के अलावा खेत की जमीन का किराया और कुल कृषि पूंजी पर लगने वाला ब्याज भी शामिल किया जाता है।
MSP की सीमाएं:
- ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (MSP) के साथ प्रमुख समस्या गेहूं और चावल को छोड़कर अन्य सभी फसलों की खरीद के लिए सरकारी मशीनरी की कमी है। गेहूं और चावल की खरीद ‘भारतीय खाद्य निगम’ (FCI) के द्वारा ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ (PDS) के तहत नियमित रूप से की जाती है।
- चूंकि राज्य सरकारों द्वारा अंतिम रूप से अनाज की खरीद की जाती है और जिन राज्यों में अनाज की खरीद पूरी तरह से सरकार द्वारा की जाती हैं, वहां के किसानो को अधिक लाभ होता है। जबकि कम खरीद करने वाले राज्यों के किसान अक्सर नुकसान में रहते हैं।
- MSP-आधारित खरीद प्रणाली बिचौलियों, कमीशन एजेंटों और APMC अधिकारियों पर भी निर्भर होती है, और छोटे किसानों के लिए इन तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।
बहुपक्षवाद पर संयुक्त बयान : ब्रिक्स
- बहुपक्षवाद तीन या अधिक हित धारकों के समूहों के बीच संबंधों को व्यवस्थित करने की एक प्रक्रिया है।
- इसमें सामान्यतः कुछ गुणात्मक, तत्व या सिद्धांत शामिल होते हैं जो व्यवस्था या संस्था को संरचनात्मक आकार देते हैं।
यह सिद्धांत इस प्रकार है
- प्रतिभागियों के बीच हितों की अविभाज्यता।
- पारस्परिक बढ़ाने की प्रतिबद्धता यानी आपसी आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
- विवाद निपटान की प्रणाली को व्यवहार की एक विशेष तरीके के रूप में लागू करने के उद्देश्य से स्थापित करना।
आवश्यकता
कानून की बढ़ती घटनाएं
- कई देशों द्वारा अन्य देशों से अनुचित लाभ हासिल करने के लिए मौजूदा अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कानूनों का दुरुपयोग किया गया है।
- अमेरिका द्वारा वाह्य क्षेत्रीय प्रतिबंध ( CAATSA) विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है।
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का दुरुपयोग
- कुछ विकसित देशों के पास वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला ओं की अधिकारिता और नियंत्रण है। यह आपूर्ति श्रृंखला में उन्हें बाहरी सीमा क्षेत्र में व्यापक प्रभाव कारी बनाती है और नई शक्ति विषमताओं का निर्माण करती है।
- बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव ( BRI) परियोजना के माध्यम से चीन विश्व आर्थिक प्रशासन में अपनी भूमिका को बढ़ा रहा है।
- औद्योगिक क्रांति 4.0 के दोहरे उपयोग ( वाणिज्यिक संव्यवहार और सैन्य अनुप्रयोग) से भी विश्व भयभीत हैं।
वैश्विक फ्रेमवर्क की कमी
- आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और साइबर सुरक्षा आदि से संबंधित मुद्दों पर वैश्विक समुदाय एक मंच पर आकर एक उभयनिष्ठ वैश्विक एजेंडे के निर्माण की दिशा में सक्रिय नहीं हो पा रहा है।
- ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता प्रतिवर्ष B-R-I-C-S क्रमानुसार सदस्य देशों द्वारा की जाती है।
- सदस्य देश – ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका।
- जनवरी 2021 में भारत में ब्रिक्स की अध्यक्षता ग्रहण की है
अर्गोस्टेम्मा क्वॉरेंटेना ( Argostemma quarantena)
चर्चा में क्यों
हाल ही में यह केरल की बागा मुन पहाड़ियों में देखी गई कहवा /काफी परिवार से संबंधित पौधों की एक नई प्रजाति है।
तथ्य
- महामारी में मारे गए लाखों लोगों की स्मृति में इसको अर्गोस्टेम्मा क्वॉरेंटेना नाम दिया गया है।
नागोर्नो – काराबाख क्षेत्र ( Nagorno-Karabakh Region)
- आर्त्शाख ( Artsakh) नाम से भी जाना जाने वाला यहां कराबाख पर्वत श्रेणी में स्थित दक्षिण काकेशस का स्थल रुद्ध क्षेत्र है।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अजरबैजान का मान्यता प्राप्त हिस्सा है लेकिन आबादी बहुसंख्यक अर्मेनियाई है।
चर्चा का कारण
- 1994 में हुए युद्ध विराम के बाद पिछले साल विवादित नार्गोनो – कराबाख में आर्मेनिया द्वारा फिर से कब्जा किए गए क्षेत्र में एक संक्षिप्त युद्ध का होना।
- अजरबैजान ने तुर्की की मदद से अलगाववादी अर्मेनियाई क्षेत्रों में से अपने क्षेत्र को वापस ले लिया।
- इस लड़ाई में 6000 लोग मारे गए और अंत रुस की मध्यस्थता से हुआ।
अल सल्वाडोर में बिटकॉइन को कानूनी मान्यता
• अल सल्वाडोर ( मध्य अमेरिका) बिटकॉइन की मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश।
बिटकॉइन अपनाने के पीछे अल सल्वाडोर का तर्क
- अन्य देशों से प्राप्त होने वाले धन ( Remittance) से विचौलियो का खात्मा।
- विटकाॅइन के बढ़ते दामों से लाभ
- वित्तीय समावेशन में मदद
- चुकी अल सल्वाडोर की अपनी कोई भी मौद्रिक नीति नहीं है अतः कई अन्य देश इसकी आलोचना भी कर रहे हैं।
सुपर सोनिक वाणिज्यिक विमान
सुपर सोनिक विमान ऐसे विमान है। जो ध्वनि की गति से भी तेज उड़ान भर सकते हैं, जो सामान्य विषय की गति से दोगुना है।
सुपर सोनिक उड़ानों की तकनीकी वास्तव में 70 वर्ष से भी अधिक गाने है लेकिन हाल ही में इसका उपयोग वाणिज्यिक उड़ान के लिए किया गया।
सुपर सोनिक विमानों के साथ चुनौतियां
- उच्च विनिर्माण लागत ” धारणीय ” सुपर सोनिक विमान बनाने की लागत बहुत अधिक है।
- इस विमानों द्वारा अत्यधिक मात्रा में ईंधन और ऊर्जा का उपयोग किए जाने के कारण पर्यावरण या नुकसान होने की संभावना है।
- अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण।
- ऐसे विमानों का उड़ान असफल हो सकता है, खासकर ट्रांस अटलांटिक उड़ानों के लिए। पूरे विश्व के नियामकों से मंजूरी प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण होगा।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।