अलंकार क्या है?
अलंकार शब्द “अलम्”और “कार” दो शब्द से बना है। आलम का अर्थ = आभूषण
जिस प्रकार सोने के आभूषण से स्त्रियों के शरीर की शोभा बढ़ती है उसी प्रकार अलंकार से काव्य की शोभा बढ़ती है।
प्रथम काव्य शास्त्र की परिभाषा – आचार्य दंण्डीी
“काव्यशोभाकरान धर्मान् अलंकारन् प्रच्छेत”
अर्थात- “काव्य की शोभाकरण धर्म अलंकार है”
नोट
- हिन्दी के कवि केशवदास एक अलंकारवादी कवि हैं।
- अलंकार शब्द की अवधारणा अत्यंत प्राचीन है। जिसका प्रारंभ में उपयोग व्याकरण एवं न्याय शास्त्र में होता है।
- आचार्य ‘भरत’ ने नाट्यशास्त्र में अलंकारो उपमा,रुपक,यमक,दीपक, का उल्लेख किया है।
अलंकार के प्रकार
अलंकार के मुख्य रूप से 2 भेद होते हैं।
1- शब्दालंकार
2- अर्थाअलंकार
3- एक तीसरा अलंकार – उभयालंकार
शब्दालंकार
शब्द पर आश्रित अलंकार-जहां शब्दों के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न होता है।
जैसे- वह बांसुरी की धुनि कनि परै,
कुल-कानि हितों तजि भाजति है।
काव्य पंक्तियों में ‘कानि’ शब्द दो बार आया है। पहले कानि का अर्थ है ‘कान’ और दुसरे कानि का अर्थ मर्यादा है। दो अलग-अलग अर्थ देकर चमत्कार उत्पन्न कर रहा है।
शब्दालंकार के भेद –
1- अनुप्रास अलंकार
2- यमक अलंकार
3- श्लेष अलंकार
4- वक्रोक्ति अलंकार
5- वीप्सा अलंकार
अनुप्रास अलंकार
परिभाषा – जिस रचना में व्यंजनों की बार-बार आवृत्ति के कारण चमत्कार उत्पन्न हो, वहां अनुप्राास अलंकार होता है।
(i) कुल कानन कुंडल मोर पंख
उर पे बनमाल विराजति विराजति है।
(ii) छोरटी है,गोरटी या चोरटी अहीर की।
(iii) बॅदऊॅ गुरू पद पदुम परागा।
सुरूचि सुबास सरस अनुरागा।
(iv) सुरभित सुंदर सुखद सुमन तुम पर खिलते हैं।
(v) विभवपालनि, विश्वपालिनी, दुखहत्री है,
भय निवारिणि शांतिकारिणी सुखकत्री है।
(vi) जो खग है तो बरसों करौ मिलि।
कालिंदी कूल कदेव की डारन।
(vii) कंकन किकिंन नुपुर धुनि सुनि।
कहत लखन सन राम हृदय गुनि।
( viii) मुदित महिपति मंदिर के।
सेवक सचिव सुमंत बुलाए।
संसार की समस्थली में धरती धारण करो।
विमल वाणी ने बिणा ली कमल कोमल कर में सप्रीत
तरनि-तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।
अनुप्रास अलंकार के भेद
छेकानुप्रास – छेेेेेेका का अर्थ है। वाक् चातुर्य अर्थात वाक्
से परिपूर्ण एक या एकाधिक वर्णो की आवृत्ति को छेकानुप्रास कहा जाता है।
उदाहरण – (i) इस करुणा कलित हृदय में।
क्यो रागिनी बजती है।