भूगोल विज्ञान के रूप में

भूगोल विज्ञान के रूप में

– भूगोल वह विशिष्ट विज्ञान है जो भूतल के परिवर्तनशील स्वरूप का क्रमबद्ध अध्ययन करता है। उक्त वाक्य भूगोल को विज्ञान के रूप में स्थापित करता है । हटन के एकरूपतावाद की संकल्पना हो या डार्विन के प्रजातियों के उद्विकास की संकल्पना हो, इस तरह असंख्य संकल्पनाए भूगोल के विषय वस्तु का अभिन्न अंग है।
हम जानते हैं कि ज्ञान के तीन फलक हैं


भूगोल केे अंतर्गत ज्ञान के दो प्रमुख फलको यथा समय और स्थान का अध्ययन किया जाता है । वैरोज ने भूगोल को मानव परिस्थितिकी विज्ञान कहा।
रिचर्ड हार्टसोर्न के क्षेत्रीय विभेदन की संकल्पना को स्पष्ट करते हुएं ब्लाश ने कहा कि भूगोल स्थानों का विज्ञान है और स्थानों में भिन्नता पाई जाती है। यह सर्व्वविदित है कि भूगोल केे दो प्रमुख उपविभाग है ।
1 मानव भूगोल
2 भौतिक भूगोल
विशेषकर भौतिक भूगोल का संबंध मुख्यतः वैज्ञानिक संकल्पनाओं से हैं। प्रथम विश्व युद्ध के बाद भूगोल का अस्तित्व जब खतरे में पड़ गया ,तो भूगोल को पून: एक विषय के रूप में स्थापित करने के लिए भूगोल में सांख्यिकी विधियोंं, विज्ञान के अनेक नियमोंं , संकल्पनाओं आदि के अधिकाधिक उपयोग को बढ़ावा दिया गया। जिसे वर्तमान में मात्रात्मक क्रांति के नाम से जाना जाता है। चिंतन फलको ,मॉडलों के निर्माण के साथ GIS ( geographical information system ) सुदूर संवेदन ( remote sensing ) हवाई छायाचित्र ( aerial photography ) जैसे प्रमुख संकल्पनाओं के अध्ययन से भूगोल को एक विषय के रूप में स्थापित होने में काफी सहयोग प्राप्त हुआ ।सबसे बड़ी बात यह है कि विश्व के साथ-साथ भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों में भूगोल को विज्ञान के विषय के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। उपरोक्त तथ्यों तथा मतों के बावजूद आज भी भूगोल मानविकी विषय के रूप में शिक्षा जगत में स्थापित है। क्योंकि भूगोल के अध्ययन का केंद्र बिंदु मानव ही है।

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