प्राचीन चीन में भौगोलिक ज्ञान
परिचय-
400 ईसा पूर्व से लेकर 1000 ईसवी तक एशिया के पूर्वी भाग में चीनी सभ्यता विश्व की अन्य सभ्यताओं की तुलना में प्राकृतिक अवरोधों के कारण अलग-अलग स्वतंत्र रूप से विकसित हुई।
अन्य सभ्यताओं के विपरीत यह सभ्यता कभी नष्ट नहीं हुई आज भी यह निरंतर परिवर्तनशील रूपों के साथ जीवित है।
हन, चाऊ,वेई,चू एन ची, चिन प्राचीन काल में स्थापित चीन के प्रमुख शक्तिशाली साम्राज्य थे।
वर्तमान चीन का नामकरण चिन साम्राज्य के आधार पर ही हुआ था।
- चाऊ काल को चीनी इतिहास का स्वर्ण काल कहा जाता है।
- कंफ्यूसियस वाद के अनुसार समाज दैव निर्मित होता है तथा उनके अनुसार शासक देवता ही हो सकता है।
- कन्फ्यूशियस वाद के पश्चात लाओत्से ने ताओवाद की स्थापना की। इनके अनुसार मनुष्य को कृत्रिमता से दूर रहते हुए प्राकृतिक तत्वों को ज्यों का त्यों बने रहने देना चाहिए।इस प्रकार यह वाद प्राकृतिक वाद का समर्थन करता है।
भौगोलिक ज्ञान के विकास में चीनी का योगदान-
- चीनी विद्वानों ने 444 ईसा पूर्व में ही यह सिद्ध कर दिया था कि एक वार्षिक कैलेंडर में 365 दिन होते हैं। इन्होंने अनेक ग्रहों की खोज के साथ कुछ पुच्छल तारों के गति का भी पता लगाया।
- चीनी वासी प्राचीन काल में ही धूप घड़ी व जल घड़ी का प्रयोग करने लगे थे।
- चाउ काल में सुएन ने प्राकृतिक वाद की स्थापना की। चाऊ काल में ही चीन की महान दीवाल (4800 किलोमीटर) का निर्माण आरंभ हुआ।
- हन काल के विद्वान सुमाचिएन को इतिहास लेखन का प्रथम विद्वान माना जाता है। इनकी पुस्तक “शिहची” में साहित्य तथा भूगोल दोनों के गुण पाए जाते हैं
- वंश चुंग हन काल का एक बड़ा दार्शनिक था।
- इसके अनुसार ग्रहण एक प्राकृतिक घटना है जिसकी पहले से गणना की जा सकती है।
- चंग हेंग नामक ज्योतिषी ने विश्व के प्रथम भूकंप सूचक यंत्र का प्रयोग किया।
- उसने वृत्त की परिधि को वृत्त के व्यास का 3.16 गुना बताया । बाद में लीउ हुई ने 3.14 बताया।
- शान हाई चिंग प्राचीन काल की प्रमुख यात्रा मार्गदर्शिका थी।
- प्रसिद्ध खोज यात्री मार्कोपोलो 13वीं शताब्दी में चीन से लौटने के पश्चात अपने चीन यात्रा को एक पुस्तक का रूप देता है।
- चीन वासियों ने प्राचीन काल में ही कागज बनाने की कला के साथ ही चुंबकीय सुई, दिक्सूचक आदि सर्वेक्षण यंत्रों का आविष्कार कर लिया।
- प्राचीन चीनियों का अपना कृषि चक्र था।
- चू सू पेन ने 14 वी सदी में चीन का मानचित्र तैयार किया।
- सुआन येह के अनुसार आकाशीय पिंड अनंत आकाश में स्वतंत्र रूप से भ्रमणशील हैं और इस में तैरते रहते है।