पोषण का अर्थ – खाद्य पदार्थों से पोषण तत्वों को ग्रहण करने की प्रक्रिया पोषण कहलाता है।
पोषण की जरूरत क्यों ? ऊर्जा ( energy) , वृद्धि व विकास ( growth and development) , daily routine activity करने के लिए।
पोषण के प्रकार – पोषण तीन प्रकार का होता है।
(i) सुपोषण ( proper nutrition) – संतुलित आहार
(ii) अल्प पोषण ( under nutrition) – कुछ पोषक तत्वों की कमी
(iii) कुपोषण ( Mol Nutrition) – सभी पोषक तत्वों की कमी।
Type of work Male. Female
Light work-हल्के काम 2000 k/C. 2100 k/c
8 hours work (office)। 3000 k/c. 2500 k/c
Hard work (मजदूर)। 3500 k/c. 3000 k/c
- ऊर्जा का S.I. मैं मात्रक जूल होता है।
- 1 कैलोरी=4.18 जूल 4.2 जूल
- एक जूल = 0. 24 कैलोरीं
Method of nutrition(तरीका)- दो प्रकार के तरीके होते हैं
- Autotrophs. स्वपोषी।
- Heterotrophs. परपोषी
- स्वपोषी- जो अपना भोजन खुद बनाते हो। प्रकाश संश्लेषण photosynthesis की क्रिया करते हो।
जैसे- पादप जगत (animal Kingdom)
2. परपोषी- Hetro का अर्थ दूसरे होता है। अर्थात जो अपने भोजन के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं यह प्रकाश संश्लेषण की क्रिया नहीं करते हैं। जैसे- जंतु जगत (animal Kingdom)
Photosynthesis-प्रकाश संश्लेषण
प्रकाश संश्लेषण पौधो के भोजन बनाने की प्रक्रिया है। पेड़ पौधे अपना भोजन पत्तियों मैं बनाते हैं और पत्तियों में chlorophyll पर्णहरित मैं बनाते हैं और इसी पर्णहरित के कारण पत्तियां हरी होती है। पर्णहरित को ही पत्तियों का kitchen house of plant कहा जाता है। क्लोरोफिल की खोज Shimper(शिम्पर) ने किया है। क्लोरोफिल में मैग्नीशियम(magnesium) के कारण पत्तियां हरी होती है।
पेड़ पौधों का प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करने के लिए तीन चीजों की आवश्यकता होती है-
- CO2 (carbon dioxide).
- Water and minerals.
- Sunlight (सूर्य का प्रकाश)
हमारे वायुमंडल में मुख्यतः तीन गैसे पाई जाती है-
- N2 (nitrogen)- 78%.
- O2 (oxygen)- 21%.
- CO2 (carbon dioxide)- 0.03%
Global warming के लिए सबसे ज्यादा प्रभाव कारी गैस कार्बन डाइऑक्साइड ही है इसी को ग्रीनहाउस गैस भी कहते हैं जो Cold drink, soda water में पाए जाते हैं। अग्निशमक यंत्रों में अर्थात आग बुझाने वाली गैस भी कार्बन डाइऑक्साइड ही होती है।
Global warming को कम करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल पर कई देशों ने समझौते के तहत हस्ताक्षर किए हैं जिसे Kyoto protocol (क्योटो प्रोटोकॉल) कहते हैं।
Montreal protocol (मोंट्रियल प्रोटोकॉल) ओजोन परत के deflection को रोकने के लिए। ओजोन परत समताप मंडल में है। ओजोन परत अल्ट्रावायलेट किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती है। ओजोन परत का सूत्र O3 होता है। ओजोन गैस की गंध सड़ी हुई मछली की तरह होती है। ऑक्सीजन की खोज Priestley(प्रिस्टले) ने किया था।
Cartagena protocol और Nagoya protocol- जैव विविधता से संबंधित जैसे डॉल्फिन और गिद्धों का कम होना जो प्राणी विलुप्त हो चुके होते हैं उसकी सूची red data Book मैं होती है। रेड डाटा बुक की सूची को IUCN(international union for conservation of nature) संगठन जारी करता है।
Green muffler ध्वनि प्रदूषण से संबंधित है।
BOD(biological oxygen demand)- जल में ऑक्सीजन (6%) की उचित मात्रा ही बीओडी कहलाता है। जिस जल में ऑक्सीजन की मात्रा 6% से कम होगा वह जल जलीय जीवो के लिए सही या रहने योग्य नहीं होगा।
हमारे शरीर में सबसे ज्यादा मात्रा में पाया जाने वाला तत्व ऑक्सीजन है।
आधुनिक आवर्त सारणी को मुसले ने दिया है इसमें तत्वों को परमाणु क्रमांक के आधार पर रखा या सजाया गया है
Isotopes (समस्थानिक)- कार्बन के 3 आइसोटोप होते हैं-
1. 6C12 2. 6C13. 3. 6C14. इसको कार्बन 14 कहते हैं इसका प्रयोग कार्बन डेटिंग में होता है कार्बन डेटिंग मैं जीवाश्म की उम्र का पता लगाया जाता है। कार्बन के हमारे प्राकृतिक में सबसे ज्यादा यौगिक लगभग 5 लाख मौजूद है, कार्बन का सबसे शुद्ध रूप हीरा है।
2. Water and minerals(जल एवं खनिज)
पेड़ की जड़े मिट्टी में होती है और मिट्टी में जल और खनिज होता है। पेड़ की जड़ों में ऐसे होते हैं जो मिट्टी से जल एवं खनिज को ग्रहण करते हैं। जैसे लैंप के दिया मैं तेल नीचे से ऊपर जाता है।
लैंप में दिए तक तेल capillary action (कोशित्व विधि) से ऊपर जाती है मिट्टी से पेड़ की दोनों तक जल भी इसी विधि के द्वारा जाता है।
पेड़ के तने से जल और खनिज पत्तियों तक कैसे पहुंचता है?- जैसे हमारे शरीर में रक्त को बहाने के लिए रक्त धमनियां होती है वैसे ही तनो में एक उत्तक होता है जिसे हम जाइलेम कहते है। इस जाइलम के द्वारा जल और खनिज पतियों तक पहुंचता है।
जाइलम (Xylon)- यह water and minerals को जड़ों से पत्तियों तक पहुंचाता है।
Sunlight- पेड़ पौधे कृत्रिम प्रकाश (आग, बल्ब)मैं भोजन नहीं बनाते हैं यह केवल सूर्य के प्रकाश में ही भोजन बनाते हैं।
प्राकृतिक से हमें जो ऊर्जा मिलती है (solar energy wind energy hydropower) वाह नवीनीकरण ऊर्जा होती है सूर्य मे जो ऊर्जा है उसका सोर्स एक नाभिकीय संलयन है। H+H———- He+energy (काफी मात्रा में उत्सर्जित होता है) यही नाभिकीय संलयन सूर्य के प्रकाश का कारण या स्रोत होता है।
पेड़ पौधे दिन व रात में दोनों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया कर सकते हैं ।
रात में-primary photosynthetic. दिन में- secondary photosynthetic
इन दोनों में क्या अंतर है?- दिन में यदि पेड़ पौधे भोजन बनाएंगे तो वह गुलकोज का निर्माण करेंगे और यदि रात में भोजन बनाएंगे तो उसी गुलकोज को मिलाकर माल्टोज का निर्माण करते हैं और उसी गुलकोज को मिलाकर starch (मंड) बनाकर उसे भोजन के रूप में इकट्ठा कर लेते हैं डायनेमो मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिक एनर्जी में बदल देता है और बैटरी केमिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदल देता है।
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में लाइट एनर्जी केमिकल एनर्जी में बदलती है सूर्य के प्रकाश में सात रंग ROYGBIV होते हैं लाल रंग का सबसे ज्यादा है तरंगदैर्ध्य जबकि वायलेट का सबसे कम अनुदैर्ध्य तरंग होती है।
लाल और नीलेे रंग में पेड़ पौधे सबसे ज्यादा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते है जबकि हरे और बैगनी में सबसे कम प्रकाश संश्लेषण की क्रिया होती है। प्राकृतिक में सबसे ज्यादा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया (सूर्य के प्रकाश का प्रयोग) 90% करीब शैवाल करता है। Phychology मेशैवालो का अध्ययन किया जाता है।
भोजन कैसे बनाएंगे?- 6CO2+12H2O sun light. C6H12O6(ग्लूकोज) + 6H2O+6O2
ग्लूकोज किसने बनाया पत्तियों ने, पत्तियों में किसने क्लोरोफिल ने बनाया। प्रकाश संश्लेषण पत्तियों में होता है।
पत्तियों के द्वारा बनाए भोजन (गुलकोज) को पेड़ के अलग-अलग भागों में पहुंचाने के लिए एक दूसरा संवाही ऊतक फ्लोएम (Phloem) होता है
Phloem- यह भोजन को पौधे के अलग-अलग भागों तक पहुंचाता है।
- प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में ग्लूकोज के अलावा पानी और ऑक्सीजन का निर्माण होता है। तो पौधे इनका क्या करते हैं? 6H2O+6O2 यह पेड़ पौधों के लिए बेकार होते हैं पेड़ पौधे इन्हें बाहर निकाल देते हैं।
- मानव शरीर में तापमान भूख प्यास का नियंत्रण हाइपोथैलेमस करता है।
पेड़ पौधे जिस प्रक्रिया से पानी और ऑक्सीजन बाहर निकालते हैं उस प्रक्रिया को transpiration(वाष्पोत्सर्जन) कहा जाता है।
Transpiration- पौधों के द्वारा ऑक्सीजन और पानी को बाहर निकालने की प्रक्रिया, को वाष्पोत्सर्जन कहा जाता है।
यह कहां होता है? पत्तियों के ऊपर छोटे-छोटे छिद्र बने होते हैं उनके द्वारा वाष्पोत्सर्जन होता है। इन छिद्रों को रंध्र (stomata) क्या कहते हैं।
वाष्पोत्सर्जन की दर को पोटोमीटर (Poto Meter) से नापा जाता है।
Note- Study of Insect- Entomology Study of Fruit- Pomology. Study of Soil- Pedology
पेड़ पौधों में सात हार्मोन सोते हैं- लेकिन प्रकाश संश्लेषण के लिए दो हारमोंस की जरूरत होती है।
Auxin- यह पेड़ पौधों के growth को नियंत्रित करता है।
Cytokynin- यह प्रकाश संश्लेषण की दर को नियंत्रित करता है और यह अकेले नियंत्रित नहीं करता है यह ऑक्सीन की उपस्थिति में करता
है।
सबसे तेजी से बढ़ने वाला पेड़ बांस है। बांस में सबसे ज्यादा ऑक्सीन हार्मोन होता है बांस पौधे के grass कैटेगरी मैं आता है।
सबसे बड़ा फूल रेफ्लेसिया और सबसे छोटा फूल वुलफिया होता है।
Study of Flower- Anthology। Study of Birds- Ornithlogy
कटे हुए तनु में छोटे-छोटे वलय होते हैं जिन्हें annual rings (वार्षिक वलय) पिया छल्ले कहते हैं। इससे हम पौधों की उम्र को गिनते हैं। पौधों की उम्र पता करने के तरीके को Dentochonology(डेंटों क्रोनोलॉजी) कहा जाता है।
Plants age = number of annual rings (जितने वलय की संख्या होगी उतना वर्ष पेड़ की उम्र होगी।)
परपोषी (heterotrophs)- यह अपने भोजन के लिए दूसरों पर निर्भर होते हैं और यह प्रकाश संश्लेषण नहीं करते हैं।
जैसे- animal Kingdom
यह तीन प्रकार के होते हैं-
1. मृत्तोपजीवी(Saprophysic)- depend on non living things. यह मृत पदार्थों पर निर्भर होते हैं।
जैसे- कवक, मशरूम, दीमक । Study of fungi is called mycology.
2. परजीवी(Parasitic)- depend on living things. यह सजीव पर निर्भर होते हैं।
जैसे- विषाणु, जीवाणु, प्रोटोजोआ, जू, मच्छर, जोक, अमरबेल
3. समभोजी(Holozoic)- यह पाचन के संपूर्ण प्रक्रिया को करते हैं।
जैसे- जानवर और मानो
पोलियो एंकरों वायरस के कारण होता है। ओरल पोलियो वैक्सीन रूसी वैज्ञानिक डॉ अल्बर्ट ने 961 मैं खोजा था। डेंगू खलबली वायरस, सर्दी जुकाम राइनो, मलेरिया प्लाज्मोडियम के द्वारा होता है। प्रोटोजोआ की खोज A.Laberon ने किया था। प्लाज्मोडियम को प्लाज्मोडियम नाम सर रोनाल्ड रॉस ने दिया था। मलेरिया के उपचार की दवाई कुनैन है जो सिनकोना की छाल से प्राप्त होती है। Study of virus- virology । वायरस की खोज इवोनोरोस्की जो कि एक रूसी वैज्ञानिक थे ने किया था।
पोषक तत्व- वैसे पदार्थ जो हमारे शरीर को substances that provide our body
1. Energy- ऊर्जा प्रदान करते हो।
2. जो शरीर के वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक हो।
3. उपापचय वह हमारे शरीर में अभिक्रियाओ को कराने के लिए जिम्मेदार हो।
पोषक तत्वों का वर्गीकरण (classification)
1. Base on their work and uses- कार्य एवं उपयोगिता के आधार पर
(क)- energy provider (ऊर्जा प्रदायक)
(ख)- body growth and development (शारीरिक वृद्धि एवं विकास के लिए)
(ग) – metabolic regulator (उपापचय नियंत्रण)
(घ) – genetic career (अनुवांशिक गुणों के वाहक)
(A) carbohydrate- 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट में 4.3 किलोकैलोरी ऊर्जा जबकि के ग्राम वसा में 9.3 किलो कैलोरी ऊर्जा होती है
हमारे शरीर में जो वसा इकट्ठा होती है उससे हम 40 से 50 दिनों तक जिंदा हराने के लिए उर्जा मिल सकती है या काम में आ सकती है।
कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर को केवल 8:00 से 10 घंटे तक ऊर्जा प्रदान कर सकता है हमारे शरीर को सबसे ज्यादा ऊर्जा वसा देता है लेकिन हमारे शरीर को तुरंत ऊर्जा कार्बोहाइड्रेट प्रदान करता है और कार्बोहाइड्रेट का ही एक उदाहरण है ग्लूकोज। ग्लूकोज हमें तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है इसलिए इसको instant energy provider कहा जाता है।
खिलाड़ी ज्यादा शक्ति प्राप्त करने के लिए स्टेरॉइड(steroids) का सेवन करते हैं। या एक प्रकार का हारमोंस होता है। यदि किसी खिलाड़ी में जांच के दौरान उसके शरीर में यह हार्मोन पाया जाता है तो उसके ऊपर WADA(world anti doping agency) संगठन प्रतिबंध लगा देता है। इस संगठन का हेड क्वार्टर मोंट्रियल कनाडा में है।
(B) Protein- Body growth and development के लिए प्रोटीन की जरूरत होती है।
प्रोटीन ही क्यों? कार्बोहाइड्रेट या फैट क्यों नहीं? क्योंकि यह C H O से मिलकर बने होते हैं जबकि प्रोटीन अमीनो एसिड से बनता है।
जैसे- बहुत सारे कोशिकाओं से मिलकर ऊतक, बहुत सारे ऊतकों से मिलकर अंग और बहुत सारे अंगों से मिलकर शरीर बनता है।
Cell——- Tissue——— Organ——— Body
उसी प्रकार बहुत सारे अमीनो एसिड से मिलकर Pepton, कोई सारे पेप्टोन से मिलकर पेप्टाइड(Peptide) और कई सारे पेप्टाइड से मिलकर प्रोटीन का निर्माण होता है।
Amino Acid—— Pepton——- Peptide——- Protein
CH3
NH2———–. C ————COOH. (N- शरीर में नए कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है।)
H
वायुमंडल में जो नाइट्रोजन होता है शरीर उसका प्रयोग क्यों नहीं करता है? क्योंकि वह शुद्ध व गैसीय रूप में होता है शरीर के लिए मिलावटी यानी अमीनो एसिड चाहिए।
हमारे वायुमंडल में जो नाइट्रोजन है वह अमीनो अम्ल में कैसे बदलता है? जितने भी दलहनी फसल (Legamnous family) के पौधे होते हैं उनकी जड़ों में एक प्रकार का बैक्टीरिया पाया जाता है जिसे राइजोबियम (Rhizobium) कहा जाता है और जीवाणु पाया जाता है जिसे क्लोसट्टीडीयम(Clostridium) कहा जाता है।
राइजोबियम नाइट्रोजन स्थितिकरण करता है या नहीं मृदा में उपस्थित नाइट्रोजन व वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन को सुख कर नाइट्रोजन के योगिक अमीनो एसिड, नाइट्रिक एसिड बनाता है।
पेड़ पौधे नाइट्रोजन का प्रयोग किस रूप में करते हैं? नाइट्रेट के रूप में। यह नाइट्रेट पेड़ पौधों को मृदा से प्राप्त होता है।
राइबोसोम सेल में पाया जाता है। राइबोसोम सेल का सबसे छोटा अंग होता है। राइबोसोम का काम प्रोटीन संश्लेषण करना होता है यानी प्रोटीन का निर्माण करना इसलिए इसे protein of factory कहां जाता है।
Study of tissue histology कहा जाता है।
(C) metabolic regulator- उपापचय नियंत्रण को समझने से पहले metabolism(उपापचय) को समझना होगा?
Metabolism- all biochemical reaction inside human body. मानव शरीर में होने वाली सभी जैव रासायनिक अभिक्रिया
हम साथ में लेते हैं? सांस लेने से हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है
कैसे? ग्लूकोज ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके टूटता है। इस जैव रासायनिक अभिक्रिया को ही उपापचय कहा जाता है।
उपापचय को दो भागों में बांटा जा सकता है-
1. Catabolism (अपचय)। 2. Anabolism(उपचय)
कैटाबॉलिज्म में हमारे शरीर में जटिल अणु/Big/Comlex, सरल अणु/Smaller/Simpler मैं टूटते हैं।
जब भी कभी जटिल अणु छोटे-छोटे अणु मैं टूटता है तो वहां हमेशा ऊर्जा मुक्त होगी और जहां पर उर्जा मुक्त होती है वैसी अभिक्रिया को ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (Exothermic Reaction) कहते हैं।
एनाबोलिजम मैं कई सारे छोटे अणु मिलकर एक बड़ा अणु बनाते हैं। इस अभिक्रिया में ऊर्जा की जरूरत पढ़ती है। इस अभिक्रिया को एंडॉथर्मिक रिएक्शन (Endothermic Reaction) कहा जाता है।
ओजोन परत के क्षय के लिए CFC gas (chloro floro carban) सबसे ज्यादा जिम्मेदार होती है।
उपापचयी नियंत्रण- दो व्यक्ति हो और दोनों को समान भोजन खाने के लिए दे दिया जाए। दोनों व्यक्तियों ने उस भोजन को एक ही समय पर किया लेकिन एक व्यक्ति के अंदर वह भोजन 2 से 3 घंटे में 5 गया जबकि दूसरे व्यक्ति में वही भोजन पचने में 5 से 8 घंटे लगे।
इससे यह निष्कर्ष निकला कि जिस व्यक्ति में भोजन 2 से 3 घंटे में 5 गया उसके अंदर अभिक्रिया की दर तेजी से रही होगी जबकि दूसरे व्यक्ति में अभिक्रिया की दर धीरे-धीरे हो रही होगी।
पाचन की गति को नियंत्रण करने का काम मेटाबोलिक रेगुलेटर करता है यानी जो हमारे शरीर में होने वाले अभिक्रियाओ की दर को नियंत्रित करें यह जैसे ही हमारे भोजन में जाएंगे उत्प्रेरक का काम करेंगे।
हमारे शरीर में उपापचयी नियंत्रण होते हैं 1. विटामिन। 2. मिनरल्स (खनिज)
(D) अनुवांशिक गुणों के वाहक- जो हमारे जेनेटिक कैरक्टर (अनुवांशिक गुण) को एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में ले जाते या ट्रांसफर करते हैं।
यह दो होते हैं। 1.DNA(De-oxy Ribose Nuclice Acid) डीऑक्सी राइबर न्यूक्लिक एसिड
2.RNA (Ribose Nuclice Acid) राइबो न्यूक्लिक एसिड
DNA- डीएनए का निर्माण जीन से होता है कई सारे जीन मिलकर डीएनए का निर्माण करते हैं और कई सारे डीएनए मिलकर क्रोमोसोम (गुणसूत्र) का निर्माण करते हैं। Gene——- DNA——– Chromosome
हमारे गुणसूत्र की सबसे छोटी इकाई जीन है। मानव शरीर में 23 जोड़ें या 46 गुणसूत्र पाए जाते हैं। जीन की खोज जॉर्ज जे मेण्डल ने किया था इसलिए इन्हें father of genetics (अनुवांशिकता का पिता) कहा जाता है। जोहान्स ने सबसे पहले जीन शब्द का प्रयोग किया था।
RNA- उसका काम प्रोटीन का संश्लेषण करना होता है। डीएनए में डीऑक्सी और आर एन ए में राबोस शुगर होता है यह पेप्टोन टाइप का शुगर है।
2. Based on their chemical composition(रसायनिक संघटन )
A. Maco Nutrients(अधिभार पोषक तत्व)- जिनका ज्यादा मात्रा में जरूरत हो। हमारे शरीर में सिर्फ इसी का पाचन होता है।
जैसे- कार्बोहाइड्रेट्स, वसा, प्रोटीन
B. Micro Nutrients(सूक्ष्म मात्रिक पोषक तत्व)- जिनका कम मात्रा में जरूरत हो। हमारे शरीर में इसका पाचन नहीं होता है।
जैसे- विटामिन, खनिज, जल (मानव शरीर में 70 % जल होता है।
जब सूक्ष्म मांत्रिक पोषक तत्व पचते ही नहीं तो हम इनका सेवन क्यों करते हैं? क्योंकि यह अधिभार पोषक तत्व के पचने में मदद करते हैं जैसे ऑक्सीजन खुद नहीं जलता लेकिन दूसरों को जलाने में मदद करता है।
कार्बोहाइड्रेट- कार्बोहाइड्रेट C,H,O के योगिक होते हैं, यानी यह कार्बन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से मिलकर बने होते हैं।
यौगिक- जब दो या दो से ज्यादा तत्वों को एक निश्चित अनुपात में मिलाते हैं तो उससे योगिक बनता है और अनुपात निश्चित नहीं होता है तो वह मिश्रण बनता है।
सामान्य सूत्र- CnH2nOnया ( CH2O). यदि N=6, तो C6H12O6 (ग्लूकोज)। अनुपात= C:H:O ——– 1:2:.
Glucose कार्बोहाइड्रेट का सबसे सरल रूप होता है। इसका निर्माण प्रकाश संश्लेषण के द्वारा होता है।
वाष्पोत्सर्जन(transpiration) के लिए पेड़ पौधों को किस तत्व की आवश्यकता होती है? K(potassium )
पेड़ पौधे जो ऑक्सीजन बनाते हैं प्रकाश संश्लेषण के दौरान उसका स्रोत क्या होता है? H2O (water)
Source- सबसे ज्यादा शहद, केला, आलू, चावल, गेहूं, मटन, चिकन
Honey मधुमक्खी बनाती है मधुमक्खियों का पालन एपीकल्चर कहलाता है।
Indian banana research institute Trichy Tamil Nadu
Indian potato research institute Kufri Shimla
Indian rice research institute Cuttack udisa
— भारत का धान का कटोरा छत्तीसगढ़ और दुनिया का धान का कटोरा चीन है।
कार्य(function)- शरीर को ऊर्जा प्रदान करना। 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट में किलोकैलोरी ऊर्जा होती है।
ऊर्जा कैसे प्रदान करता है?- हम कुछ भी खाते हैं तो वह गुलकोज में बदलता है और यह ग्लूकोज हमारे शरीर में खून में होता है। जब हम सांस लेते हैं तो हमारे शरीर में मुख्य रूप से ऑक्सीजन जाता है ऑक्सीजन हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन के साथ खून में घुलता है।
हीमोग्लोबिन के कारण हमारे रक्त का रंग लाल होता है।
खून में ऑक्सीजन भूलकर कोशिकाओं तक पहुंचता है तो वहां पर कोशिकीय श्वसन होता है और ग्लूकोज+ऑक्सीजन मिलकर—-कार्बन डाइऑक्साइड+पानी+ATP ऊर्जा में टूटता है। वह जो ऊर्जा देता है एटीपी (adenosene tri phosphate) के रूप में होता है। एटीपी को power currency कहते हैं।
C6H12O6 ———- 6CO2 + 6H2O + ATP. Study of blood- hematology
हमारे शरीर में एटीपी का निर्माण माइट्रोकांड्रिया में होता है। कोशिका का सबसे बड़ा अंग माइट्रोकांड्रिया और छोटा अंग राइबोसोम होता है।
माइक्रो कंडिया को कोशिका का पावर हाउस ऑफ सेल या शक्ति गृह कहा जाता है।
Type of carbohydrate- इसके तीन प्रकार होते हैं-
1. Monosaccharite(एकसंकरीन) यह कार्बोहाइड्रेट का सरल रूप होता है।
2. Disaccharide (द्विसंकरीन)। 3. Polysaccharide (पोलीसेकराइट)
जब कई मोनो सैकेराइट मिलते हैं तो डाईसेकेराइट और जब कई डाईसेकेराइट मिलते हैं तो पोलीसेकेराइट बनता है। इस प्रक्रिया को अनाबॉलिज्म कहा जाता है क्योंकि दो छोटे अणु मिलकर एक बड़े अणु का निर्माण करते हैं।
मोना सेकेराइट – C6H12O6 डाई सेकेराइट – C12H22O11 पाली सेकेरइट – (C6H10O5)n
डाई सेकेराइट और पाली सेकेराइट मैं H और O के अणु कम क्यों हो रहे हैं? क्योंकि यह पानी भी बनाएगा।
C6H12O6 +C6H12O6 ———– C12H22O11+H2O
जैसे- मोनो सैकेराइट- 1. ग्लूकोज– रक्त में (डेक्सट्रोज) प्राकृति मैं ज्यादा मात्रा में पाया जाता है।
2. फ्रक्टोस- फलों में पाया जाता है। यह कार्बोहाइड्रेट का सबसे मीठा रूप होता है। मधुमक्खियां किसी के रस से शहद बनाती है।
3. गलेक्टोस- यह कार्बोहाइड्रेट दूध में पाया जाता है।
डाई सेकेराइट- अनाबॉलिज्म करके बनता है। 1. Glucose+glucose= maltose माल्टोज चावल या चावल के माड़ में पाया जाता है।
2. Glucose +fructose= sucrose यह गन्ने, गन्ने के रस में और चीनी में पाया जाता है।
3. Glucose+galactose = lactose या दूध में पाया जाता है। सबसे ज्यादा लेक्टोंस मानव माता के दूध में होता है।
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ में है। लैक्टोमीटर से हम दूध की शुद्धता नापते हैं। दूध या दही में खट्टापन लैक्टिक एसिड के कारण होता है। दूध को दही में एक जीवाणु लेक्टो बेसिलस बदलता है या नहीं दूध में उपस्थित लेक्टोज को लैक्टिक एसिड में बदल देता है।
दूध को दही में बदलने की प्रक्रिया को किण्वन (fermentation) कहते हैं।
श्वेत क्रांति दूध उत्पादन से संबंधित है। Father of white revolution के जनक डॉक्टर वर्गीज कुरियन को कहा जाता है।
NDRI(national dairy research institute) का हेड क्वार्टर करनाल में है।
दूध से दही यानी किण्वन की प्रक्रिया जीवाणु की उपस्थिति में होती है यह लुइ पाश्चर ने बताया था। इन्होंने ही रेबीज का टीका खोजा था।
पाश्चुरीकरण की खोज भी लुई पाश्चर नहीं किया था यह क्रिया 60-70 degree Celsius तापमान पर किया जाता है।
पाश्चुरीकरण- दूध में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट कर दिया जाता है। डॉक्टर वर्गीज कुरियन ने ही गुजरात के आनंद नामक स्थान पर एक दूध फैक्ट्री AMUL(Anand milk union limited) की स्थापना किया था।
पाली सेकेराइड- यह बहुत ही जटिल कार्बोहाइड्रेट होते हैं।
1. सैलूलोज- यह पौधों में पाया जाता है। सेलुलोज का पाचन मानव शरीर में नहीं होता है।
2. स्टार्च- अभी पौधों में पाया जाता है। पौधे अपना भोजन स्टार्च के रूप में इकट्ठा करते हैं।
3. ग्लाइकोजन- यह जानवरों में पाया जाता है।
सैलूलोज को पचाने वाला एंजाइम मानव शरीर में नहीं पाया जाता है जो जानवर घास खाते हैं वह इसे बचाते हैं क्योंकि यह जानवर भोजन करके जमुहाई करते हैं तो इनके मुंह से झाग निकलता है और झाग में एंजाइम होता है।
मानव शरीर केवल मोनोसेकेराइट कोई पचाता है इसलिए डाई सेकेराइट और पाली सेकेराइट को तोड़ा जाता है इस प्रक्रिया को उपचय (कैटाबॉलिज्म) कहा जाता है यह एंजाइम के द्वारा तोड़े जाते हैं।
हमारे शरीर में स्टार्च को टाइलिन (लार में पाया जाता है) नामक एंजाइम पचाता है। और ग्लाइकोजन को अमाइलीज नामक एंजाइम पचाता है।
यह अग्नाशयी रस में (pancreatic juice) मिलता है और यह अग्नाशय में बनती है। अग्नाशय हमारे शरीर की एकमात्र मिश्रित ग्रंथि है।
Maltose – Maltese, sucrose – sucrase और lactose – lactase एंजाइम से टूटते हैं। यह एंजाइम intestine juice(आत्र रस) में पाया जाता है। यह आत्र रस छोटी आत में बनती है छोटी आत की लंबाई 22 फीट या 6 से 7 मीटर होती है।
यदि हमारे शरीर में कार्बोहाइड्रेट बढ़ जाए तो— blood—– glucose (80-100mg/100ml शुगर की मात्रा ब्लड में होती है।)
हमारे शरीर में यदि कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बढ़ जाती है तो बड़े हुए कार्बोहाइड्रेट को ग्लाइकोजन में बदल दिया है। ग्लाइकोजन में स्कोर यकृत बदलता है और इस प्रक्रिया को ग्लाइकोजेनेसिस कहा जाता है।
Study of liver hepatology कहा जाता है।
यकृत या प्रक्रिया इंसुलिन हार्मोन की उपस्थिति में करता है। यह इंसुलिन हार्मोन अग्नाशय ग्रंथि के बीटा कोशिका के द्वारा निकलती है।
अग्नाशय में चार कोशिका होती है 1. अल्फा कोशिका—- यह ग्लूकागोन हारमोंस को स्रावित करती है।
2. बीटा कोशिका- यह इंसुलिन हार्मोन को स्रावित करती है।
¾. डेल्टा कोशिका/PP कोशिका- यह दोनों कोशिका पाचन नियंत्रण करते हैं जिसको पैंक्रियास कहते हैं इसकी खोज लंगर हैस ने किया था इसलिए इसको Islet’s of Langer Hans(आई लेट्स ऑफ लंगर हैंस) या लंगर हैंस का द्वीप कहा जाता है।
ग्लाइकोजन यकृत में संचित होता है और उसके बाद यह मांस पेशियों में चला जाता है यह मांस पेशियों को मोटा करता है।
यदि हमारे शरीर में कार्बोहाइड्रेट घट जाए तो क्या होगा? यकृत जो ग्लाइकोजन अपने पास संचित रखा रहता है उसे ग्लूकोज में बदल देता है और यह प्रक्रिया ग्लाइकोजेनेसिस कहलाता है। यकृत यह काम ग्लूकागोन हारमोंस की उपस्थिति में करता है।
यदि हमारे शरीर में इंसुलिन हार्मोन कम हो जाए तो? रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाएगी। इसको हम डायबिटीज मेलिटस कहते हैं। यदि डायबिटीज मिलिट्स शुगर हो जाएगा तो या इंसुलिन की कमी से होता है।
एक और दूसरा शुगर भी होगा डायबिटीज इंसिपीटस। यह ADH(Anti dai-uratic hormones) की कमी से होता है। इसका स्राव पीयूष ग्रंथि से होता है। पीयूष ग्रंथि को मास्टर ग्रंथि भी कहा जाता है। यह हारमोंस पानी/मूत्र के loss को नियंत्रित करता है यदिADH की कमी हो जाती है तो बार-बार पेशाब लगता है।
FAT(वसा)
जैसे कार्बोहाइड्रेट C,H,O के योगिक से मिलकर बना होता है ठीक उसी प्रकार वसा भी C,H,O के योगिक से बना होता है।
वसा का general formula- C57H110O6
Source- सबसे ज्यादा घी, बटर, पनीर, मटन, चिकन, मूंगफली, वनस्पति तेल
मूंगफली में वसा और प्रोटीन दोनों प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
वसा का हमारे शरीर में काम- 1. Energy provide कराना (1 gram Fat= 9.3 kilo calorie
2. Thermal insulator(तापरोधी) का कार्य करना
Formation of FAT- वसा के निर्माण में दो चीजों का योगदान होता है
1.Fathy Acid(वसीय अम्ल)। यह COOH समूह वाला एसिड होता है COOH वाले एसिड को Carbocgy group कहते हैं।
2. Glycerol(ग्लिसरोल)। Formula=. C3H3O3
जब fathy acid के 3 अणु और Glycerol का एक अणु मिलता है तो वसाका एक अणु बनता है।
3 fathy acid + 1Glycerol= 1Fat अणु
हमारे प्रकृति मैं दो प्रकार केFathy acid पाए जाते हैं-
1.Saturated(संतृप्त वसीय अम्ल)- इसमें दो कार्बन के बीच single bond होता है। C-C
2.Unsaturated(असंतृप्त वसीय अम्ल)- इसमें दो कार्बन के बीच डबल बॉन्ड होता है। C=C
पहचान- जो वसा तापमान घटने पर जम जाएगा वह Saturated Fat और जो नहीं जमेगा वह Unsaturated Fat होगा।
Single bond सबसे ज्यादा मजबूत बांड होता है इसे तोड़ने के लिए हमारे शरीर को ज्यादा काम करना पड़ेगा जबकि double bond कमजोर होता है यह आसानी से टूट जाते हैं। Saturated fat हमारे शरीर के लिए हानिकारक है जबकि Unsaturated Fat हमारे शरीर के लिए हानिकारक नहीं है।
Animal fat – Saturated (Coconut). Plant fat – Unsaturated (Cod(कौड) fish liver oil)
वनस्पति घी (डालडा)- इसका डालडा वास्तविक नाम नहीं होता है डालडा एक कंपनी है। बहुत सारे ऐसे वनस्पति तेल होते हैं जिसको हम सीधे खा नहीं सकते हैं इसलिए उन्हें वनस्पति घी में बदला जाता है।
How convert- जब निकिल धातु की उपस्थिति मैं जब हाइड्रोजन गैस पास कराया जाता है तो वनस्पति तेल वनस्पति घी में बदल जाता है। निकिल यहां उत्प्रेरक का काम करता है। यह प्रक्रिया 150 से 170 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर कराया जाता है इस प्रक्रिया को हाइड्रोजेनेशन या हाइड्रोजनीकरण कहा जाता है।
वनस्पति घी को ट्रांस वसा भी कहा जाता है हमारे शरीर में आसानी से पचता नहीं है इसलिए यह बहुत हानिकारक होता है।
यदि ज्यादा मात्रा में वनस्पति घी का प्रयोग करेंगे तो हमारे खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ेगी और जब ब्लड में रक्त वसा की मात्रा बढ़ेगी तो ब्लड के बहाव में समस्या होगी और जब ब्लड के बहाव मैं समस्या होगी तो हृदय आघात यानी हार्ट अटैक होगी।
हमारे शरीर में जितने भी हार्ट अटैक होते हैं उसमें सबसे ज्यादा समस्या कोलेस्ट्रोल ही होती है।
प्रोटीन- प्रोटीन की खोज जे बरजेलियस ने किया था। प्रोटीन C,H,O,N के यौगिक होते हैं। यह मिलकर अमीनो अम्ल बनाते हैं यानी प्रोटीन का निर्माण अमीनो अम्लो से होता है। Amino acid———- peptone ——– peptide ——– protein
अमीनो एसिड के 50 अणु मिलकर एक प्रोटीन का अणु बनाता है। हमारे प्राकृत में 20 प्रकार के अमीनो अम्ल पाए जाते हैं जिसमें से 10 अमीनो एसिड पहले से हमारे शरीर में मौजूद होते हैं। यह हमारे लिए जरूरी नहीं होते हैं और 10 अमीनो एसिड हमारे शरीर में नहीं मौजूद होते हैं यह हमारे शरीर के लिए जरूरी होते हैं।
Source- सोयाबीन सबसे ज्यादा 70%, दाले, अंडा, मछली, पनीर, सेब, मटन, चिकन, मूंगफली, दूध
प्रोटीन में C,H,O,N के अलावा सल्फर नामक तत्व भी मिलता है।
Formula of amino acid —. H
NH2 ———-. C ——— COOH
CH3
- एक अमीनो एसिड अणु, ऐसे ही 50 अणु से मिलकर एक प्रोटीन बनाएंगे।
Function- (1) हमारे शरीर कार शारीरिक वृद्धि एवं विकास करना होता है। इसलिए हम प्रोटीन को bodybuilding element भी कहते हैं।
,(2) यह हारमोंस एंजाइम तथा प्रतिरक्षी के निर्माण में मदद करते हैं।
- हमारे शरीर में बहुत सारे गतिविधि जैसे गुस्सा आना नींद आना यूरीन फॉरमेशन होती है इन अलग-अलग कार्यों को नियंत्रण करने के लिए अलग-अलग ग्रंथि होती है जैसे हमारे मस्तिक में एक ग्रंथि होती है पीनियल, इससे एक हारमोंस मेलाटोनिन स्रावित होता है जो नींद दिलाने का काम करता है यानी हारमोंस हमारे शरीर में होने वाले अलग-अलग गतिविधियों को नियंत्रित करता है
- एंजाइम एक उत्प्रेरक की तरह कार्य करता है सभी एंजाइम प्रोटीन होते हैं लेकिन सभी हारमोंस प्रोटीन नहीं होते हैं।
- प्रतिरक्षी हमारे शरीर में रोगों से लड़ते हैं, यानी लोगों से सुरक्षा करते हैं एंटीबॉडी में प्रोटीन पोषक तत्व पाया जाता है एंटीबॉडी का निर्माण हमारे शरीर में WBC (white blood corpuscles) मैं होता है लिंफोसाइट डब्लू बी सी एंटीबॉडी का निर्माण करता है।
भारतीय दाल अनुसंधान केंद्र कानपुर में है, Indian fish institute Hyderabad में है। हाइड्रोजन की खोज कवेनडिश ने किया है।
मछली के उत्पादन को पीसी कल्चर का आ जाता है।
इंसुलिन की खोज एफ बेंटि़ग ने किया है। इंसुलिन में जस्ता नामक तत्व पाया जाता है।
प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग- 1. मैरासमस- Marasmus–इसमें हाथ पैर दुबले हो जाते हैं तथा त्वचा पर झुर्रियां निकल जाती हैं।
2. क्वाशीयोर्कर-Kwasiyorker– मांसपेशियां कमजोर हो जाती है और पेट बाहर निकल जाता है।
यह दोनों रोग बच्चों में होते हैं।
- शरीर में मांस पेशियों की संख्या 639 होती है।
- दूध – दूध में कैसिन नामक प्रोटीन पाया जाता है कैसीन के पाचन में रैनिन नामक एंजाइम मदद करता है।
- बाल और नाखून – इनमें केराटीन नामक प्रोटीन पाया जाता है इसके कारण ही दूध का रंग पीला होता है।
- मांस पेशियों में मायोसिन नामक प्रोटीन पाया जाता है जो हमारे मांस पेशियों के फैलने व सिकुड़ने मैं मदद करता है।
- गुणसूत्र/DNA/Gene मैं हिस्टोन नामक प्रोटीन, हड्डियों में ऑक्सीन, अंडा में ग्लोबुलीन नामक प्रोटीन पाया जाता है। ग्लोबुलीन अंडे के सफेद भाग में पाया जाता है।
रेनिन एंजाइम हमारे शरीर के किस हिस्से के द्वारा बनाया जाता है? हमारे शरीर में एक अंग होता है अग्नाशय, अग्नाशय से के द्वारा एक प्रकार का रस बनता है जिसे गैस्ट्रिक जूस कहते हैं और उसी जूस में पेप्सिन व रेनिन एंजाइम होता है यानि रेनिन जठर में पाया जाता है।
प्रोटीन का पाचन – प्रोटीन —– पेप्टाइड ——- पेप्टोन ——– अमीनो अम्ल
प्रोटीन का अमीनो अम्ल में टूटना ही प्रोटीन का पाचन कहलाता है।
- प्रोटीन को पेप्टाइड में पेप्सीन नामक एंजाइम तोड़ता है यह पेप्सीन जठर रस में मिलता है या अमाशय में बनता है।
- पेप्टाइड को फोन में ट्रिप्सिन और क्राइम ट्रिप्सिन नामक दो एंजाइम तोड़ते हैं। यह दोनों एंजाइम भी अग्नाशयी रस में मिलता है।
- पेप्टोन को अमीनो अम्ल में एरेपसीन नामक एंजाइम तोड़ता है या एंजाइम आ़त्र रस में पाया जाता है यह रास छोटी आत से निकलता है।
एंजाइम और हारमोंस में अंतर
- सभी हारमोंस प्रोटीन नहीं होते जबकि सभी एंजाइम प्रोटीन होते हैं।
- हारमोंस एक बार में कई रिएक्शन पर कार्य कर सकता है जबकि एंजाइम एक बार में एक ही रिएक्शन पर कार्य कर सकता है।
- हारमोंस का प्रभाव हमारे शरीर पर लंबे समय तक रहता है जबकि एंजाइम का प्रभाव हमारे शरीर पर कम समय के लिए होता है।
जब हमारा शरीर अमीनो अम्ल का प्रयोग करता है तो हमारा शरीर एक पदार्थ बनाता है अमोनिया। मनुष्य के शरीर में पाया जाने वाला सबसे विषैला पदार्थ है। हमारा शरीर अमोनिया को सीधे बाहर नहीं निकाल सकता हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण उत्सर्जी अंग किडनी है।
अमोनिया का निष्कासन उभयचर प्राणी करते हैं हमारा शरीर यूरिया को बाहर निकाल सकता है अमोनिया का दूसरा नाम आंसू गैस है अमोनिया को यूरिया में लिवर बदलता है हमारे शरीर में यूरिया का निर्माण लीवर यानी यकृत में होता है यूरिया फार्मूला NH2CONH2
- हमारे शरीर में आंसू के लिए