प्रक्षेप
- ग्लोब की अक्षांश एवं देशांतर रेखाओं को उपयुक्त मापनी की सहायता से कागज पर प्रदर्शित करने की विधि को प्रक्षेप कहते है।
मानचित्र प्रक्षेप की आवश्यकता
- ग्लोब पर समस्त भागों को एक साथ नहीं देखा जा सकता।
- ग्लोब को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में कठिनाइयां होती हैं।
- ग्लोब पर दो स्थानों के बीच की दूरी को मापने में कठिनाइयां होती हैं।
मानचित्र प्रक्षेप का संक्षिप्त इतिहास
- मानचित्र प्रक्षेप के सर्वप्रथम आविष्कार का श्रेय यूनानीयों को जाता है।
- यूनानी विद्वानों को ईसा पूर्व ही पृथ्वी की गोलाभ आकृति का ज्ञान हो गया था।
- इरेटोस्थनीज ने पृथ्वी की परिधि को मापा तथा ज्ञात संसार का एक मानचित्र बनाया जिसमें सात अक्षांश एवं 7 देशांतर रेखाएं प्रदर्शित की गई।
- हिप्पार्कस ने समान दूरी वाले 11 अक्षांश रेखाओं के आधार पर संसार के मानचित्र का निर्माण किया।
- थेल्स ने खगोल मानचित्रो के लिए नोमोनिक प्रक्षेपो का निर्माण किया जिसे तत्कालीन समय में जन्म कुंडली कहा जाता था।
- मैरीनस ने पहली बार एक प्रक्षेप में स्थान को अक्षांश एवं देशांतर रेखाओं के आधार पर प्रदर्शित किया।
- टालमी ने अपनी पुस्तक ज्योग्राफिया में ग्लोब की रचना व मानचित्र प्रक्षेप बनाने की विधियों का वर्णन किया।
- इस पुस्तक में शंक्वाकार व त्रिविमीय प्रक्षेप विशेष रूप से वर्णित हैं।
- इनकी पुस्तक एनालेमा में लंबकोणीय प्रक्षेप का वर्णन है।
मानचित्र प्रक्षेप संबंधित कुछ आवश्यक तथ्य
- अक्षांश, वृत्त, देशांतर, याम्योत्तर, तथा देशांतर रेखाएं, भू ग्रिड, गोर तथा कटिबंध, मापनी।
- पृथ्वी का व्यास- 635,000,000 सेंटीमीटर
- पृथ्वी की त्रिज्या- 250,000,000 इंच
मानचित्र प्रक्षेप खींचने की विधियां
1- गणितीय विधि
2- आलेखी विधि
मानचित्र प्रक्षेप के भेद
(A) प्रकाश के प्रयोग के आधार पर
(I) संदर्श प्रक्षेप
(ii) असंदर्श प्रक्षेप
(B) रचना विधि के आधार पर
(I) बेलनाकार प्रक्षेप
- यथार्थ या संदर्श बेलनाकार प्रक्षेप
- सामान अथवा समदूरस्थ प्रक्षेप
- बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप
- मर्केटर अथवा बेलनाकार यथाकृतिक प्रक्षेप
- गाल का त्रिविमीय प्रक्षेप
(ii) शंकु प्रक्षेप
- एक मानक अक्षांश वाला तथा साधारण शंकु प्रक्षेप
- दो मानक अक्षांश वाला शंकु प्रक्षेप
- बोन प्रक्षेप
- बहुशंकु प्रक्षेप
- अंतर्राष्ट्रीय प्रक्षेप
- लैंबर्ट शंक्वाकार समक्षेत्र प्रक्षेप
(iii) खमध्य प्रदेश
(iv) रूढ़ प्रक्षेप
(C) गुण के अनुसार
खमध्य प्रक्षेप
ग्लोब को किसी बिंदु पर स्पर्श करती हुई मानी गई किसी समतल सतह पर प्रक्षेपित अक्षांश-देशांतर रेखा जाल खमध्य प्रक्षेप कहलाता है।
खमध्य प्रक्षेप के उस बिंदु को जहां प्रक्षेपण तल स्पर्श करता है उसे प्रक्षेप केंद्र कहते हैं। जिस बिंदु पर प्रकाश की कल्पना की जाती है उसे नेत्र स्थान या उत्पत्ति बिंदु कहते हैं। प्रक्षेप का तल भूमध्य रेखा ध्रुव अथवा इन दोनों के मध्य कहीं भी हो सकता है इस प्रकार नेत्र स्थान ग्लोब के केंद्र अथवा ग्लोब के बाहर हो सकता है। प्रत्येक दशा में प्रक्षेप केंद्र ग्लोब का केंद्र व नेत्र स्थान तीनों एक सरल रेखा में होते हैं तथा प्रक्षेपण तल इस सरल रेखा से समकोण बनाता हुआ ग्लोब को स्पर्श करता है।
( A ) नेत्र स्थान की स्थिति के आधार पर खमध्य प्रक्षेप के प्रकार
- केंद्रक या नोमोनिक प्रक्षेप
- त्रिविम प्रक्षेप
- लंब कोणीय प्रक्षेप
( B ) प्रक्षेपण तल की स्थिति के अनुसार खमध्य प्रक्षेपो के प्रकार
- ध्रुवीय खमध्य प्रक्षेप
- त्रिर्यक खमध्य प्रक्षेप
- विषुवत रेखीय खमध्य प्रक्षेप अथवा अभिलंब खमध्य प्रक्षेप
रूढ प्रक्षेप
किसी निश्चित उद्देश्य की पूर्ति हेतु स्वेच्छा अनुसार छांटें गये सिद्धांतों पर निर्मित प्रक्षेप को रूढ़ प्रक्षेप की संज्ञा दी जाती है। यह प्रक्षेप सामान्य प्रक्षेपो से अलग होते हैं इन्हें किसी भी वर्ग में सम्मिलित नहीं किया जाना संभव नहीं है।
गुण के आधार पर प्रक्षेपो का वर्गीकरण
किसी सर्वगुण संपन्न प्रक्षेप में 5 विशेषताएं होती हैं
- शुद्ध आकृति प्रदर्शन
- शुद्ध क्षेत्रफल प्रदर्शन
- शुद्ध दिशा प्रदर्शन
- शुद्ध मापनी प्रदर्शन
- रचना संबंधी सरलता
गुण के आधार पर प्रक्षेपो के तीन प्रमुख वर्ग होते हैं
यथाकृतिक प्रक्षेप ( Orthomorphic)
यदि मानचित्र पर धरातल के किसी भी छोटे से छोटे भाग की वही आकृति होती है जो उस क्षेत्र की ग्लोब पर है तो उस मानचित्र प्रक्षेप को यथाकृतिक या अनुरूप प्रक्षेप कहा जाता है।मर्केटर एवं त्रिविम प्रक्षेप इसके अच्छे उदाहरण हैं उल्लेखनीय है कि मानचित्र पर शुद्ध आकृति शुद्ध दिशा प्रदर्शित करने के लिए यथाकृतिक प्रक्षेपो की आवश्यकता होती है।
समक्षेत्र प्रक्षेप ( Homolography)
इस पर बने मानचित्रो में क्षेत्रफल सर्वत्र शुद्ध रहता है किंतु इनकी वास्तविक आकृति भिन्न होती है मालवीड तथा सैन्सन-फ्लैम्स्टीड सिनुसायडल समक्षेत्र प्रक्षेप का उदाहरण है । राजनीतिक सांख्यिक वितरण मानचित्र इन्हीं प्रक्षेपो पर आधारित हैं।
शुद्ध दिशा प्रक्षेप
इस तरह के प्रक्षेपो में मानचित्र के किन्हीं दो बिंदुओं को मिलाने वाली सरल रेखा की वही दिशा होती है जो ग्लोब पर उन्हीं बिंदुओं को मिलाने वाली वृहद वृत्त को है। मर्केटर तथा खमध्य प्रक्षेपो पर बने मानचित्र की दिशाएं शुद्ध होती है।
रूढ़ प्रक्षेप के प्रकार
- गोलाकार प्रक्षेप
- मालवीड प्रक्षेप अथवा मालवीड का समक्षेत्र प्रक्षेप
- विच्छिन्न मालवीड प्रक्षेप
- सैन्सन-फ्लैम्स्टीड अथवा ज्याबक्रिय प्रक्षेप
- विच्छिन्न सैन्सन-फ्लैम्स्टीड सिनुसायडल अथवा ज्याबक्रिय प्रक्षेप।