तटीय भू आकृति
सागर के तटवर्ती क्षेत्र में अनेक अपरदन हुआ निक्षेप जनित स्थलाकृतियों का निर्माण होता है। इनके निर्माण में सागरीय तरंग, सागरिया धारा, ज्वारीय तरंग, सुनामी आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती…
सागर के तटवर्ती क्षेत्र में अनेक अपरदन हुआ निक्षेप जनित स्थलाकृतियों का निर्माण होता है। इनके निर्माण में सागरीय तरंग, सागरिया धारा, ज्वारीय तरंग, सुनामी आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती…
भूसन्नति एवं पर्वत संरचना- प्रथम श्रेणी के उच्चावचो (महाद्वीप एवं महासागर) के भूगर्भिक इतिहास का अध्ययन करने से यह ज्ञात होता है कि शुरुआती दौर में स्थल खंडों के मध्य…
आदिकाल से ही पृथ्वी अथवा सौरमंडल तथा ब्रम्हांड की उत्पत्ति के विषय में जानने की जिज्ञासा मानव की सोच विस्तार का केंद्रीय विषय वस्तु रहा शुरुआती दौर में पृथ्वी अथवा…
अनाच्छादन - अनाच्छादन बर्हिजनित भू-संचलन से संबंधित एक ऐसा संयुक्त प्रक्रम है जिसके अंतर्गत अपक्षय, अपरदन और बृहद क्षरण की क्रियाएं होती हैं। अपक्षय परिवहन की अनुपस्थिति में होने वाली…
भौतिक भूगोल की प्रकृति एवं विषय क्षेत्र -प्राचीन काल से ही भूगोल विचारकों के अध्ययन का एक केंद्र बिंदु रहा है।प्राचीन विचारकों यथा भारतीय , रोमन, यूनानी तथा मध्यकालीन एवं…
महासागरीय जल का कार्य कई कारकों के द्वारा संपन्न होता है। जिनमें सागरीय लहर,सागरीय धाराएं सुनामी तथा ज्वारीय तरंग प्रमुख है।महासागरीय बेसिन में उत्पन्न जल के क्षेत्रीय व ऊर्ध्वाधर गति…
परिचय पृथ्वी की सतह पर स्थलखंडों की भांति महासागरों विशेषकर महासागरीय नितल पर विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतियों उत्पत्ति का मुख्य कारण भू - संचलन है।सरल शब्दों , अंतर्जनित एवं बहिर्जनित संचलन के सम्मिलित प्रभाव से महासागरीय नितल पर विभिन्न प्रकार की स्थलाकृति की उत्पत्ति होती है। हम जानते हैं कि ग्लोब के तीन चौथाई भाग पर ( लगभग 71%) जल मंडल का विस्तार है।महासागरों में प्रशांत महासागर सबसे बड़ा है। उसके…